Thelokjan

site logo

August 22, 2022

राकेश टिकैत के बयान पर फूटा लखीमपुरवासियों का गुस्सा, पुतला फूंका, दी तहरीर

लखनऊ। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के एक टीवी चैनल पर दिए गए बयान को लेकर लखीमपुरवासियों का गुस्सा फूट गया और उन्होंने टिकैत के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पुतला फूंका। मामले में कोतवाली पुलिस को राकेश टिकैत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तहरीर दी है। हालांकि पुलिस ने मुकदमा नहीं दर्ज किया है। एक टीवी चैनल पर दिए गए बयान को लेकर लखीमपुरवासियों में रोष, टिकैत के खिलाफ की नारेबाजी तीन दिवसीय धरना पहले ही हुआ खत्म, प्रदेश के किसानों ने बनाई दूरी, दूसरे राज्यों के भरोसे नहीं चल पाया राकेश टिकैत का धरना पंजाब के 90 फीसदी, हरियाणा और दिल्ली सहित अन्य राज्यों के किसानों ने धरने में लिया हिस्सा लखीमपुर में संयुक्त किसान मोर्चा का विभिन्न मांगों को लेकर तीन दिवसीय धरना 19 से 21 अगस्त तक प्रस्तावित था। धरने में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल के किसान पहुंचे थे। जबकि प्रदेश के किसानों के अलावा लखीमपुरखीरी के किसानों ने भी दूरी बना ली थी। इसे लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। इसी मामले में एक टीवी चैनल पर राकेश टिकैत ने लखीमपुरवासियों की तुलना डॉगी से कर दी। इसकी जानकारी मिलते ही लखीमपुरवासियों का गुस्सा फूट गया और उन्होंने राकेश टिकैत के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पुतला फूंका। साथ ही पूरे मामले को लेकर राकेश टिकैत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कोतवाली थाने में तहरीर दी है। फिलहाल, पुलिस ने मामले में मुकदमा नहीं दर्ज किया है। डीएम लखीमपुर खीरी महेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि धरने को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने पहले से पुख्ता तैयारी की थी। किसान नेताओं से कई राउंड बातचीत के बाद धरना एक दिन पहले ही समाप्त हो गया है। उन्होंने टिकैत के बयान पर कहा कि उन्हें मामले की जानकारी है। पुलिस अपने स्तर से मामले में न्यायोचित और विधिक कार्यवाही करेगी। धरने के पहले ही दिन चली गईं मेधा पाटकर लखीमपुर डीएम की सूझ बूझ के कारण बड़ा विवाद टल गया और संयुक्त किसान मोर्चे का धरना एक दिन पहले ही खत्म हो गया। स्थानीय किसानों का समर्थन नहीं मिलने के कारण धरना महज खानापूर्ति तक ही सीमित रहा। धरने के दूसरे दिन योगेंद्र यादव भी नहीं दिखे। जबकि मेधा पाटकर पहले दिन ही मध्यप्रदेश के लिए रवाना हो गई थीं। टिकैत पर तहरीर में कई गंभीर आरोप कोतवाली थाने में दी गई तहरीर में आरोप लगाया है कि एक चैनल के साक्षात्कार में राकेश टिकैत ने कहा कि मेरा धरना 75 घंटे का है। लखीमपुर के किसान डरते हैं। यह गुंडों का राज है। हम लोगों को कुत्ते से तीन हाथ और खराब नस्ल के लोगों से 11 हाथ दूर रहना चाहिए। नहीं तो यह लोग काट लेते हैं। ऐसे ही लखीमपुर जनपद के लोग हैं। यह बदमाशों की सरकार है। इसके अलावा तहरीर में कई और गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

राकेश टिकैत के बयान पर फूटा लखीमपुरवासियों का गुस्सा, पुतला फूंका, दी तहरीर Read More »

उत्तर प्रदेश के किसानों को मिलेगी वर्षा की सटीक जानकारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के कुछ जिलों में अल्प वर्षा के कारण होने वाली समस्याओं से प्रदेश के अन्नदाता किसानों को निजात दिलाने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने शनिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में कहा है कि अल्प वर्षा के कारण किसी भी अन्नदाता किसान का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही, उन्होंने अधिकारियों को विकास खंड स्तर पर रेन गेज की संख्या बढ़ाने को कहा है। गौरतलब है कि रेन गेज वर्षा मापने का यंत्र है, जिससे कम या ज्यादा दोनों तरह की वर्षा का सटीक आंकलन किया जाता है। इस आंकलन के आधार पर तैयार डाटा की जानकारी किसानों के काफी काम आ सकती है। वह फसल की बोआई को लेकर चौकन्ना रह सकता है और संभावित नुकसान को कम कर सकता है। अभी तक तहसील स्तर पर रेन गेज सिस्टम लगाए थे और अब विकास खंड स्तर पर इन्हें बढ़ाए जाने से ब्लॉक व ग्राम पंचायतों तक ज्यादा से ज्यादा अन्नदाता किसानों को वर्षा की सटीक जानकारी मिल सकेगी। -मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रत्येक विकास खंड में रेन गेज यंत्र बढ़ाने के दिए हैं निर्देश -मौसम विभाग द्वारा प्रदेश में 300 से ज्यादा रेन गेज यंत्र किए जा रहे हैं संचालित -निश्चत समय में निश्चित स्थान पर वर्षा की सही जानकारी उपलब्ध कराता है रेन गेज यंत्र 300 रेन गेज हो रहे संचालित उत्तर प्रदेश मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक प्रदेश में स्वचालित और मैनुअल दोनों तरह के रेन गेज संचालित किए जा रहे हैं। रेन गेज के जरिए हम जान सकते हैं कि एक निश्चित स्थान पर कितने मिमी बारिश हुई है। प्रतिवर्ष किसी खास महीने में कितनी बारिश हुई है, इसका डाटा किसानों के काम आ सकता है। इसको ध्यान में रखते हुए वह बोआई कर सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अनुमानित 300 से 400 के बीच रेन गेज यंत्र संचालित हो रहे हैं। प्रत्येक ब्लॉक में यंत्र लगाए जाने के लिए हमें देखना होगा कि किन ब्लॉक में यंत्र लगे हैं और कहां नहीं। मौसम विभाग जारी करता है अलर्ट उत्तर प्रदेश मौसम विभाग अलग-अलग नोडल अफसरों के जरिए जिले स्तर पर प्रतिदिन, साप्ताहिक एवं सत्र स्तर पर मौसम का बुलेटिन जारी करता है। वहीं, ब्लॉक स्तर पर भी विभाग की ओर से मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है। हालांकि, ब्लॉक स्तर पर रेन गेज बढ़ाए जाने पर एक निश्चित स्थान पर वर्षा का सटीक आंकलन किया जा सकेगा। इससे स्थानीय किसानों को फायदा होगा और वो मौसम के अनुसार ही फसल की सुरक्षित बोआई को सुनिश्चित कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा था कि वर्षा मापन अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। हमारी किसान हितैषी नीतियां इसके आंकलन पर निर्भर करती हैं। वर्तमान में तहसील स्तरों पर रेन गेज़ यानी वर्षा मापक यंत्र लगाए गए हैं, इन्हें विकास खंड स्तर पर बढ़ाये जाने की कार्यवाही की जाए। अधिकाधिक वर्षा मापक यंत्रों से वर्षा की और सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। मौसम का सही अनुमान अलर्ट जनजीवन के व्यापक हित को सुरक्षित करता है। अधिक सटीक अनुमान और तदनुरूप मौसम अलर्ट के लिए कमिश्नरी स्तर पर यंत्र स्थापित किए जाएं। उन्होंने किसानों को मौसम की सही जानकारी देने के लिए राज्य स्तर पर पोर्टल विकसित किये जाने की जरूरत पर भी बल दिया। क्या होता है रेन गेज? जब वर्षा आती है तो सुनने को मिलता है कि इस इलाके में इतने मिलीमीटर बारिश हुई और दूसरे इलाके में इतनी। दरअसल, दिनभर में होने वाली बारिश को एक यंत्र के माध्यम से मापा जाता है, जिसे ‘रेन गेज’ या वर्षामापी यंत्र कहते हैं। रेन गेज यह बताता है कि एक निश्चत स्थान पर निश्चत समय में कितने मिमी वर्षा हुई है। एक निश्चित स्थान पर कितनी वर्षा हुई है, ये जानने के लिए रेन गेज सबसे उपयुक्त यंत्र है। क्या है रेन गेज का फायदा? वर्षामापी यंत्र से वर्षा मापने के अनेक फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा अन्नदाता किसान के लिए है। इसकी मदद से किसी निश्चित स्थान की भौगोलिक परिस्थितियां मालूम हो जाती हैं। मसलन, अगर साल में किसी स्थान पर 8 इंच से कम बारिश होती है तो वह स्थान ‘रेगिस्तान’ कहलाता है। इससे वहां होने वाली कृषि पैदावार के बारे में अनुमान लगाया जाता है। ऑटोमेटिक रेन गेज से रियल टाइम डाटा जैसे तापमान, वर्षापात व आर्द्रता आदि आंकड़ों को भी प्राप्त किया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश के किसानों को मिलेगी वर्षा की सटीक जानकारी Read More »

Uttar Pradesh will emerge as a ‘model’ in terms of biofuel production: CM

Lucknow – In a high-level meeting on Sunday, Chief Minister Yogi Adityanath has given instructions to authorities to prepare a bio-energy policy, emphasising the need to promote bio-fuel production in the state- Prepare an action plan to set up biofuel plants in every district, says Yogi Prepare state’s new bio-energy policy in a time-bound manner with extensive consultation: CM Biofuel will help meet our energy needs and aid in generating additional income & employment: CM As per the vision of PM Modi, our efforts to promote bio-energy projects like Compressed Biogas, Biocol, Ethanol and Bio-Diesel have yielded positive results. Till now production has commenced in 02 units of Biocol while 01 unit of Compressed Biogas has been completed in the month of June. We have to develop the biomass supply chain for future needs. There is a need to promote the use of biofuels in the field of energy and transportation. Biomass pellets should be used in power generation plants. Concerted efforts are needed in this direction. Promoting biofuels will be helpful in reducing dependence on crude oil and promoting a cleaner environment. Biofuel will not only help in meeting our energy needs, but also help in generating additional income and employment. The use of biofuel will reduce carbon emissions. Today, the whole world is worried regarding this. In such a situation, Uttar Pradesh has an opportunity to present a model. A new bio-energy policy should be formulated to make Uttar Pradesh a leading state in this field full of immense potential. Efforts should be made to achieve the target of producing 500 tonnes of CBG per day of compressed gas in the next 5 years. In this way, we will be able to achieve the target of producing 1.5 lakh tonnes per annum. Similarly, the target of 2000-2000 tonnes per day for biocol, biodiesel and bioethanol should be worked out. All necessary support including easy availability of land, and capital subsidy will be provided to the investing companies in this sector. The industry must be consulted while formulating a new bio-energy policy. Understand the needs of the investing entities/companies. Taking the opinion of all the parties, a new policy should be prepared after comprehensive consultation. We will have to make special efforts for a permanent solution to the environmental challenges arising from stubble burning. This issue should be taken care of in the new policy. Planned efforts should be made to establish a minimum of 01 biofuel unit in all 75 districts. This work should be done with priority. In the next phase, it should be extended to every tehsil. Vacant land in village society/revenue land/sugar mill premises should be used for setting up bio-fuel plants and for storage of biomass.

Uttar Pradesh will emerge as a ‘model’ in terms of biofuel production: CM Read More »

UP heads towards solar energy revolution, aims to generate 22,000 MW of solar power in 5 years

Chief Minister Yogi Adityanathji reviewed the energy requirements of the state at a high level meeting on Sunday, emphasising on the need to promote solar power projects. The Chief Minister has given clear instructions to the concerned authorities to prepare a new solar energy policy. Prepare a new solar energy policy after extensive consultations with stakeholders: CM Yogi Need to work on mission mode for installation of rooftop solar plants: CM Train prisoners in jails to make solar panels, LED bulbs: CM Commitment to environmental protection and promotion of non-conventional energy alternatives is necessary to meet the growing energy needs. Solar energy is a very useful medium from this point of view. Although efforts have been made in this direction in the last few years, we need to have more planned efforts and accelerate it to achieve the goal of self-reliance in the energy sector. Concerted efforts are required to encourage solar power generation in the state. We have to minimise our dependence on conventional energy options. Therefore, a new solar energy policy should be prepared keeping in view the future needs. Our target should be to generate 22,000 MW of solar power in the next five years. Under the guidance of the respected Prime Minister, the Uttar Pradesh government is working on an important plan to develop Ayodhya as a ‘Model Solar City’. This project will set benchmarks for other cities. All necessary efforts in this regard should be made in a time bound manner. A conducive environment for private sector investment in the field of solar energy generation and storage will have to be provided. Single window system may be introduced for timely completion of projects. All necessary support, including easy availability of land and capital subsidy will be provided for the investing companies in solar energy sector. While framing a new solar energy policy, do consult the industry. Understand the needs of the investing entities/companies. Take the opinion of all the parties and prepare the new policy after extensive consultation. Public awareness has to be increased to promote installation of solar power plants on the roof of buildings. In this regard, a solar cell should be constituted in the districts under the chairmanship of the Chief Development Officer. Registration of all solar projects should be made mandatory. People should be encouraged to install rooftop solar power plants in all government, residential, public sector and private commercial buildings as well as educational institutions. Solar plant should also be installed on the water body. These should be linked to the net billing/net metering system as per the requirement. Prisoners should be given training to make solar energy equipment. They should be trained to make solar power panels, LED bulbs etc. It will be useful to encourage MSMEs and Startups to adopt and implement Solar Rooftop Model.

UP heads towards solar energy revolution, aims to generate 22,000 MW of solar power in 5 years Read More »

उत्तर प्रदेश में लोक कलाओं और कलाकारों को सहेजने का प्रयास

आगरा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विलुप्त होती लोक कलाओं को लेकर बेहद संजीदा है। शहर, गांव से लेकर मोहल्लों में ढेरों प्रतिभाएं हैं, लेकिन उनके अंदर विभिन्न कला से संबंधित प्रतिभा बिना प्रोत्साहन और मंच के आगे नहीं बढ़ पाती है। सरकार ने प्रदेश भर के सभी जिलों में से ऐसे ही पारम्परिक हुनरमंद युवाओं को मौका देने के लिए एक बड़ी पहल की है। आगरा में 18 विधाओं से जुड़े कलाकारों की तलाश शुरु हो गई है। इन कलाकारों को आगे बढ़ने के लिए मौका मिलेगा और प्रोत्साहन भी मिलेगा। यह 18 विधाएं देश की संस्कृति से जुड़ी हुई है जो सदियों से भारतीयों की आत्मा भी कही जाती हैं। – सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में पारंपरिक युवा कलाकारों को खोज निकालने का लिया निर्णय – दर्जनभर से अधिक विधाओं से जुड़े कलाकारों की हो रही तलाश – 15 से 29 वर्ष तक के कलाकारों को मिलेगी प्राथमिकता -कलाकारों की तलाश में जुटा जिला युवा कल्याण विभाग – विलुप्त होती लोक कलाओं को लेकर बेहद संजीदा हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ युवा कल्याण विभाग देगा मंच जिला युवा कल्याण विभाग द्वारा 18 विधाओं में से किसी भी एक विधा में पारंगत या हुनरमंद युवाओं की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए गांव और शहरों में युवा कल्याण विभाग के अधिकारी और प्रतिनिधि कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में भी हुनरमंद युवाओं की तलाश के लिए संदेश भेजा जा रहा है। ग्राम प्रधान व सचिव के माध्यम से हुनरमंद युवाओं की पहचान हो रही है। जिन युवाओं की पहचान होगी उनके हुनर को आगे बढ़ाने के लिए युवा कल्याण विभाग एक मंच भी प्रदान करेगा और उन्हें प्रोत्साहित करके आगे बढ़ाएगा। इन युवा कलाकारों को खोजने की जिम्मेदारी जिला युवा कल्याण विभाग को दी गई है। हुनरमंद युवाओं की तलाश जिला युवा कल्याण अधिकारी जयपाल सिंह सागर ने बताया कि सरकार पारम्परिक लोक कलाओं को सहेजने से पूर्व उसे जीवित रखने वाले कलाकारों को मंच देने की तैयारी में है। इसके लिए युवाओं की तलाश, उनकी पहचान गांव और शहर हर जगह की जा रही है। युवा कल्याण विभाग जिन 18 विधाओं में हुनरमंद युवाओं की तलाश कर रही है उसमें लोक नृत्य, लोकगीत, एकांकी और भारतीय क्लासिकल वोकल भी शामिल है। इसके अलावा कर्नाटक वोकल, सितार वादन, बांसुरी वादन, तबला वादन में पारंगत युवाओं को भी मौका दिया जाएगा। वीणा वादन, मृदंग, हारमोनियम, लाइट, गिटार वादन करने वाले युवा भी इस तलाश में शामिल है। जबकि मणिपुरी नृत्य, ओडिसी नृत्य, भरतनाट्यम नृत्य, कत्थक नृत्य, कुचिपुड़ी नृत्य, एक्सटेम्पोर की विधा में पारंगत युवाओं को बड़े स्तर पर ले जाने में सहयोग और मंच युवा कल्याण विभाग प्रदान करेगा। ऑनलाइन साझा की जानकारी उन्होंने बताया कि लोक कलाकारों को पोर्टल के माध्यम से सूचीबद्ध भी किया जा रहा है। जिले भर से बड़ी संख्या में युवाओं ने विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन अपनी जानकारी साझा की है। इसमें 15-29 वर्ष तक के कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।

उत्तर प्रदेश में लोक कलाओं और कलाकारों को सहेजने का प्रयास Read More »