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January 6, 2023

गंगा के चंगा करने में नदी संस्कृति को महत्व देने वाले योगी महत्वपूर्ण कड़ी

लखनऊ | कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुसार गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार करने का संभव प्रयास कर रहे हैं। इसके कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को व्यापक बाजार दिलाने एवं वहां तक सस्ते में परिवहन की सुविधा मुहैया कराने के लिए योगी सरकार वाराणसी से बलिया तक 15 जेटी (छोटे बंदरगाह) बनाने की घोषणा को इसीसे जोड़कर देखा जा रहा है। यही नहीं गंगा को रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों से मुक्ति दिलाने के लिए तटवर्ती गावों के सभी जिलों में जैविक/प्राकृतिक खेती, गंगा वन के पीछे भी यही मकसद है। अनुपूरक बजट में भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराते हुए 2025 तक एसटीपी के सभी कार्यों को पूरा करने की बात सरकार की ओर से कही जा चुकी है। दरअसल अक्सर अपने संबोधनों में मुख्यमंत्री नदी सांस्कृति एवं गंगा के उर्वर मैदानों की वजह से प्रदेश की कृषि क्षेत्र की संभवनाओं की बात करते हैं। वह यू ही नहीं है। दरअसल गंगा के तटवर्ती इलाको में देश के करीब 52 करोड़ लोग रहते हैं। कृषि एवं पर्यटन आदि को शामिल कर लें तो देश की जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान करीब 40 फीसद है। देश के भौगोलिक रकबे का मात्र 11 फीसद होने के बाद अगर उत्तर प्रदेश कुल पैदा होने वाले अनाज का 20 फीसद पैदा करता है तो इसकी वजह इंडो गंगेटिक बेल्ट की वह जमीन है जिसका शुमार दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में होता है। दरअसल अगर नमामि गंगे परियोजना की विश्व स्तर पर सराहना हो रही है तो इसमें उत्तर प्रदेश और यहां की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। क्योंकि गंगा का सर्वाधिक अपवाह क्षेत्र उत्तर में ही पड़ता है। बिजनौर से लेकर बलिया तक। औद्योगिक लिहाज से प्रदेश का कभी सबसे महत्वपूर्ण महानगर रहा कानपुर एवं धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से पूरी दुनियां में अपनी अलग पहचान रखने वाला तीर्थराज प्रयागराज एवं तीन लोकों से न्यारी दुनियां के प्राचीनतम शहरों में शुमार काशी भी गंगा के ही किनारे हैं। मालूम हो कि चंद रोज पहले कनाडा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से आयोजित जैव विविधता सम्मेलन में नमामि गंगे परियोजना की सराहना की गई थी। स्वाभाविक रूप से इसमें योगी सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। गंगा यात्रा के जरिए आस्था को अर्थ से जोड़ने की सफल कोशिश कर चुके हैं योगी करीब दो साल पहले गंगा की महत्ता के साथ इसके आर्थिक अहमियत को जागरूक करने के लिए योगी सरकार बिजनौर से बलिया बाया कानपुर तक। पांच दिवसीय गंगा यात्रा भी निकाली चुकी है। करीब 1358 किमी की इस यात्रा के दौरान गंगा की गोद में बसे 27 जिलों, 21 नगर निकायों, 1038 ग्राम पंचायतों के करोड़ों लोगों को इस अभियान से जोडऩे की सफल कोशिश की गई थी। उस यात्रा और योगी के लिए गंगा की अहमियत क्या है यह इससे लगाया जा सकता है कि यात्रा के एक छोर (बलिया) की शुरुआत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की तो बिजनौर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यात्रा की शुरुआत की। मुख्यमंत्री तो मीरजापुर, प्रयागराज और यात्रा के समापन के मौके पर कानपुर में भी इसके साझीदार बने थे। जाना तो उनको वाराणसी भी था, पर मौसम आड़े आ गया। इस यात्रा के पहले सरकार ने गंगा के तटवर्ती शहरों, कस्बों और गांवों के लिए जो योजनाएं (गंगा मैदान, गंगा पार्क, औषधीय पौधों की खेती, गंगा नर्सरी, पौधरोपण, बहुउद्देशीय गंगा तालाब, जैविक खेती) की घोषणा की थी अब उनपर तेजी से अमल हो रहा है। आस्था और अर्थ के इस संगम का लाभ गंगा की गोद में बसे करोड़ों लोगों का होगा। उनको सर्वाधिक जिनकी आजीविका का साधन कभी गंगा ही हुआ करती है। सरकार के प्रयासों से जैसे-जैसे गंगा निर्मल और अविरल होगी यह वर्ग खुशहाल होता जाएगा।

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योगी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन नगरीय के अंतर्गत सभी 750 निकायों में शुरू किया गया ‘स्वच्छ ढाबा’ अभियान

लखनऊ | उत्तर प्रदेश को स्वच्छ प्रदेश बनाने जुटी योगी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-नगरीय के अंतर्गत पूरे प्रदेश के 750 निकायों में ‘स्वच्छ ढाबा’ अभियान शुरू किया है। इस अभियान के माध्यम से सबसे स्वच्छ ढाबों को चिन्हित किया जाएगा और फिर उन्हें स्टार रैंकिंग प्रदान की जाएगी। स्वच्छता के आधार पर यह रैंकिंग निर्धारित होगी। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार ने 5 जनवरी से 12 जनवरी के बीच सभी 750 निकायों में रोड साइड स्थित ढाबों पर एक उद्देश्यपूर्ण कार्यवाही की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य सोर्स सेग्रीगेशन और वेस्ट टू वेल्थ विजन को प्रोत्साहित करना है। साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करके प्लास्टिक फ्री जोन बनाना है। इस अभियान के तहत मॉस मोबिलाइजेशन और जन जागरूकता का भी प्रसार किया जाएगा। साथ ही ढाबों में स्वच्छ शौचालय बनाए रखने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। सबसे स्वच्छ ढाबों को मिलेगा पुरस्कार राज्य मिशन निदेशक नेहा शर्मा की ओर से इस संबंध में समस्त नगर आयुक्तों को एक एसओपी जारी की गई है। इसके अनुसार नगरीय निकायों से अपेक्षा की जाती है कि वो अपने निकाय के अंतर्गत आने वाले रोड साइड ढाबों को चिन्हित करते हुए 12 जनवरी 2023 तक संचालित इस अभियान में ढाबों के आसपास के जनमानस को जागरूक करेंगे। इसके अलावा 13 जनवरी से 30 मार्च तक चिन्हित ढाबों की स्थिरता, रखरखाव बनाए रखने के लिए मॉनीटरिंग की जाएगी। 20 मार्च से 31 मार्च तक रैंकिंग के आधार पर सबसे स्वच्छ ढाबों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। ढाबों पर स्पिनिंग व्हील भी लगाया जाएगा, जो व्यक्ति पहिया घुमाएगा और सही जवाब देगा उसे जूट या अन्य रिसाइकिल से बने हैंडबैग देकर सम्मानित किया जाएगा। ढाबों को ऐसे मिलेगी स्टार रैंकिंग मार्च के अंत में अभियान में प्रतिभाग करने वाले ढाबों की रैंकिंग का कार्य किया जाएगा। रैंकिंग का आधार निम्नवत होगा। एक स्टार सिंगल यूज प्लास्टिक और प्लास्टिक कटलरी का प्रयोग ढाबे में नहीं किया जाना चाहिए। सार्वजनिक उपयोग के लिए 2 डिब्बे (हरे और नीले) ढाबे में लगे होने चाहिए। ढाबे द्वारा गीले और सूखे कचरे में अलग-अलग करना चाहिए और अलग-अलग निपटान भी करना चाहिए। ढाबे में लोगों के लिए शौचालय साफ एवं उपलब्ध होना चाहिए। ढाबे द्वारा ओडीएफ श्रेणी की सभी शर्तों को पूरा करना चाहिए। गूगल मैप या टॉयलेट लोकेटर पर ढाबे के शौचालय की लोकेशन अपलोड होनी चाहिए। ढ़ाबों के आसपास कुड़े का ढेर नहीं होना चाहिए। ढाबों पर चित्रों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश होना चाहिए। तीन स्टार ढाबे द्वारा 1 स्टार की सभी शर्तों को पूरा करना होगा। ढाबे में गीले अपशिष्ट (कम्पोस्टिंग या कॉम्पैक्ट बायोगॅस) की उपलब्धता होनी चाहिए। ढाबे में साफ पार्किंग, ब्यूटीफिकेशन होना चाहिए। पांच स्टार ढाबे द्वारा 1 और 3 स्टार की सभी शर्तों को पूरा करना होगा। ढाबे द्वारा गीला और सूखा दोनों प्रकार के कचरे का पुनः उपयोग स्वयं के स्तर पर करना होगा। ढाबा जीरो वेस्ट और 3 आर (रिड्यूस, री-यूज और रिसाइकिल) को फॉलो करना होगा। ढाबे पर वेस्ट टू वंडर (आइटम) / सेल्फी पॉइंट (कचरे से) बना बना होना चाहिए। ढाबे पर बेकार सामग्री से बने सामान को बेचने के लिए छोटा स्टॉल लगाना होगा, जिससे ढाबे पर आने वाले लोग उसको देखें और प्रोत्साहित हो। स्टेकहोल्डर की भूमिका और जिम्मेदारियां स्वच्छ भारत मिशन के अनुसार ODF + और ODF++ प्रोटोकॉल और स्वच्छता को समझने के लिए ढाबा कर्मचारियों की सहायता करना। सामुदायिक भागीदारी और जुड़ाव में कर्मचारियों की सहायता करना। आईईसी गतिविधियों के निष्पादन में ढाबा का सहयोग करना। उच्च स्टार रंकिंग श्रेणी हेतु आवेदन करने के लिए ढाबों को प्रेरित करना। मूल्यांकन के दौरान ढाबे को प्रदर्शन की उच्च श्रेणी में रखने में मदद करना। ढाबा को कंपोस्टिंग (तकनीकों के प्रकार, विधियां आदि) के लिए प्रेरित करना। पेट्रोल पंपों के लिए: होर्डिंग्स के माध्यम से स्वच्छ ढाबा अभियान को बढ़ावा देना। गूगल मैप या टॉयलेट लोकेटर पर अपने शौचालय की लोकेशन अपलोड करना। शौचालय समुदाय के लोगों के लिए हर समय खुला होना चाहिए और उसे साफ और स्वच्छ रखना। मार्केट एसेसिएशन के लिएः ढाबा को सिंगल यूज प्लास्टिक प्रयोग ना करने के लिए प्रोत्साहित करना। जूट या पुनः प्रयोज्य पैकेजिंग में सामान की आपूर्ति कराने और पैकेजिंग को कम से कम करने में सहायता प्रदान करना। ढाबे द्वारा तैयार खाद बेचने में ढाबे का सहयोग करना। स्वच्छ ढाबा अभियान का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करना। लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर कपड़े का झोला प्रयोग करने हेतु प्रेरित करना। अभियान का समर्थन करने के लिए धन के माध्यम से निकायों की सहायता करना। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने में निकायों की सहायता करना। एनसीसी / एनएसएस कैडेट के लिए :  ढाबा के साथ प्रचार करना और स्वच्छता से लोगो को जोड़ने हेतु गतिविधियों का आयोजन करना। आगंतुकों को 3 आर (रिड्यूस, री-यूज और रिसाइकिल) सिद्धांत का पालन करने और कचरे को अलग-अलग करने के लिए प्रेरित करना। निदेशालय और निकाय के सोशल मीडिया चैनलों को फॉलो करने के लिए लोगों को प्रेरित करना।

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अगले 24 से 48 घंटों में शीतलहर बढ़ने की सम्भावना, हाल फ़िलहाल ठण्ड से कोई राहत नहीं

नई दिल्ली | दिल्ली में शुक्रवार को दूसरे दिन भी शीतलहर का प्रकोप जारी रहा और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के आयानगर में न्यूनतम तापमान गिरकर 1.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत और देश के मध्य तथा पूर्वी हिस्सों में कोहरे की घनी चादर छाई रही, जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित हुआ। रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि कोहरे के कारण कम से कम 26 ट्रेनों के पहुंचने में एक से 10 घंटे की देरी हुई। लोधी रोड में 3.8 डिग्री सेल्सियस तापमान दिल्ली के प्रमुख मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला में न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बृहस्पतिवार को न्यूनतम तापमान तीन डिग्री सेल्सियस, बुधवार को 4.4 डिग्री सेल्सियस और मंगलवार को 8.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। दिल्ली में शुक्रवार सुबह लोधी रोड, आयानगर और रिज मौसम केंद्र में न्यूनतम तापमान 3.8 डिग्री सेल्सियस, 1.8 डिग्री सेल्सियस और 3.3 डिग्री सेल्सियस रहा। राहत के आसार ? बृहस्पतिवार को दिल्ली में न्यूनतम तापमान तीन डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो पिछले दो साल में जनवरी में दर्ज सबसे कम तापमान था। इससे कई हिल स्टेशन के मुकाबले दिल्ली अधिक ठंढी रही। शीत लहर का असर पावर ग्रिड पर भी देखा जा रहा है, जिससे बेघरों और जानवरों के लिए चुनौती पैदा हो गई है। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास पालम वेधशाला में सुबह साढ़े पांच बजे दृश्यता 200 मीटर दर्ज की गई। आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सात जनवरी से उत्तर-पश्चिम भारत में एक नए पश्चिमी विक्षोभ के कारण ठंड से थोड़ी राहत मिलने के आसार हैं।

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