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गंगा के चंगा करने में नदी संस्कृति को महत्व देने वाले योगी महत्वपूर्ण कड़ी

लखनऊ | कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुसार गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार करने का संभव प्रयास कर रहे हैं।

इसके कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को व्यापक बाजार दिलाने एवं वहां तक सस्ते में परिवहन की सुविधा मुहैया कराने के लिए योगी सरकार वाराणसी से बलिया तक 15 जेटी (छोटे बंदरगाह) बनाने की घोषणा को इसीसे जोड़कर देखा जा रहा है।

यही नहीं गंगा को रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों से मुक्ति दिलाने के लिए तटवर्ती गावों के सभी जिलों में जैविक/प्राकृतिक खेती, गंगा वन के पीछे भी यही मकसद है। अनुपूरक बजट में भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराते हुए 2025 तक एसटीपी के सभी कार्यों को पूरा करने की बात सरकार की ओर से कही जा चुकी है।

दरअसल अक्सर अपने संबोधनों में मुख्यमंत्री नदी सांस्कृति एवं गंगा के उर्वर मैदानों की वजह से प्रदेश की कृषि क्षेत्र की संभवनाओं की बात करते हैं।

वह यू ही नहीं है। दरअसल गंगा के तटवर्ती इलाको में देश के करीब 52 करोड़ लोग रहते हैं। कृषि एवं पर्यटन आदि को शामिल कर लें तो देश की जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान करीब 40 फीसद है। देश के भौगोलिक रकबे का मात्र 11 फीसद होने के बाद अगर उत्तर प्रदेश कुल पैदा होने वाले अनाज का 20 फीसद पैदा करता है तो इसकी वजह इंडो गंगेटिक बेल्ट की वह जमीन है जिसका शुमार दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में होता है।

दरअसल अगर नमामि गंगे परियोजना की विश्व स्तर पर सराहना हो रही है तो इसमें उत्तर प्रदेश और यहां की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। क्योंकि गंगा का सर्वाधिक अपवाह क्षेत्र उत्तर में ही पड़ता है। बिजनौर से लेकर बलिया तक। औद्योगिक लिहाज से प्रदेश का कभी सबसे महत्वपूर्ण महानगर रहा कानपुर एवं धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से पूरी दुनियां में अपनी अलग पहचान रखने वाला तीर्थराज प्रयागराज एवं तीन लोकों से न्यारी दुनियां के प्राचीनतम शहरों में शुमार काशी भी गंगा के ही किनारे हैं।
मालूम हो कि चंद रोज पहले कनाडा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से आयोजित जैव विविधता सम्मेलन में नमामि गंगे परियोजना की सराहना की गई थी। स्वाभाविक रूप से इसमें योगी सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

गंगा यात्रा के जरिए आस्था को अर्थ से जोड़ने की सफल कोशिश कर चुके हैं योगी
करीब दो साल पहले गंगा की महत्ता के साथ इसके आर्थिक अहमियत को जागरूक करने के लिए योगी सरकार बिजनौर से बलिया बाया कानपुर तक।

पांच दिवसीय गंगा यात्रा भी निकाली चुकी है। करीब 1358 किमी की इस यात्रा के दौरान गंगा की गोद में बसे 27 जिलों, 21 नगर निकायों, 1038 ग्राम पंचायतों के करोड़ों लोगों को इस अभियान से जोडऩे की सफल कोशिश की गई थी। उस यात्रा और योगी के लिए गंगा की अहमियत क्या है यह इससे लगाया जा सकता है कि यात्रा के एक छोर (बलिया) की शुरुआत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की तो बिजनौर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यात्रा की शुरुआत की। मुख्यमंत्री तो मीरजापुर, प्रयागराज और यात्रा के समापन के मौके पर कानपुर में भी इसके साझीदार बने थे। जाना तो उनको वाराणसी भी था, पर मौसम आड़े आ गया।

इस यात्रा के पहले सरकार ने गंगा के तटवर्ती शहरों, कस्बों और गांवों के लिए जो योजनाएं (गंगा मैदान, गंगा पार्क, औषधीय पौधों की खेती, गंगा नर्सरी, पौधरोपण, बहुउद्देशीय गंगा तालाब, जैविक खेती) की घोषणा की थी अब उनपर तेजी से अमल हो रहा है।

आस्था और अर्थ के इस संगम का लाभ गंगा की गोद में बसे करोड़ों लोगों का होगा। उनको सर्वाधिक जिनकी आजीविका का साधन कभी गंगा ही हुआ करती है। सरकार के प्रयासों से जैसे-जैसे गंगा निर्मल और अविरल होगी यह वर्ग खुशहाल होता जाएगा।

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लैंड फॉर जॉब केस में लालू प्रसाद को बड़ा झटका

रेलवे में नौकरी के बदले जमीन के मामले में सीबीआई की तरफ से दायर केस को रद्द कराने के लिए तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कोर्ट में य़ाचिका दाखिल कर सीबीआई के लैंड फॉर जॉब केस को रद्द करने की मांग की थी लेकिन उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद की याचिका को खारिज कर दिया है।

“ठग्स ऑफ गोवा” से बड़े पर्दे पर धमाल मचाने आ रहे हैं कानपुर के सूर्यांश त्रिपाठी

कानपुर के होनहार युवक सूर्यांश त्रिपाठी अब बड़े पर्दे पर धमाकेदार एंट्री करने जा रहे हैं। फिल्म “ठग्स ऑफ गोवा” में लीड रोल निभा रहे सूर्यांश की यह फिल्म 30 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। मूल रूप से कानपुर के रहने वाले सूर्यांश ने मुंबई में अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर विज्ञापन फिल्मों, मॉडलिंग और वेब सीरीज में अपनी खास पहचान बनाई है। अब वे एक बार फिर सुर्खियों में हैं, इस बार एक मुख्य अभिनेता के रूप में। फिल्म “ठग्स ऑफ गोवा” उनके करियर का एक नया और बड़ा मुकाम साबित हो सकती है। दर्शकों को उनसे काफी उम्मीदें हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सूर्यांश बड़े पर्दे पर क्या जादू बिखेरते हैं। क्राइम थ्रिलर सिनेमा जगत में एक ऐसा जॉनर रहा है जिसे दर्शकों का बहुत बड़ा वर्ग पसन्द करता आया है. इसी शैली का एक सिनेमा “ठग्स ऑफ गोवा” 30 मई 2025 को सिनेमाघरों मे रिलीज के लिए तैयार है. साई पाटिल फिल्म फैक्ट्री के बैनर तले बनी इस पिक्चर के निर्माता साई पाटिल, सह निर्माता योजना पाटिल हैं. फिल्म के निर्देशक साई पाटिल ने इसकी कहानी, पटकथा और संवाद भी लिखे हैँ. गोवा में शूट की गई इस फिल्म का संगीत रवि ने दिया है. इस फिल्म में सूर्यांश त्रिपाठी, गायत्री बंसोडे, रुचिका सिंह, मनवीर सिंह, अंकिता देसाई, विक्की मोटे, गिरिराज कुलकर्णी, सागर पब्बाले, हर्षित उपाध्याय, प्रणय तेली, सुनील कुसेगांवकर, राजदेव जमदादे, योगेश कुमावत, नवनाथ श्रीमंडिलकर जैसे कलाकारों ने अभिनय किया है. गोवा में सेट यह कहानी अमर अग्निहोत्री के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक कुख्यात ठग है. वह अपने तीन साथियों सलोनी, नेहा और विक्की के साथ मिलकर लोगों को ठगकर मौज करता है। धोखे के खेल में तब एक बुरा मोड़ आता है जब क्राइम ब्रांच ऑफिसर विजय नेहा को धमकाता है और उसे भ्रष्ट मंत्री के बेटे राकेश के करीबी लोगों के बीच घुसकर काले धन से जुड़े दस्तावेज चुराने के लिए मजबूर करता है। जब नेहा अमर को इस खतरनाक काम के बारे में बताती है, तो तनाव बढ़ जाता है। अमर और ऑफिसर विजय के बीच एक भयंकर लड़ाई शुरू हो जाती है. अंत में क्या होता है इसके लिए आपको फिल्म देखने का इन्तेज़ार करना पड़ेगा.

कानपुर में एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी में आधुनिक तकनीकों से स्किन, हेयर और फैट की उपचार सेवाएं उपलब्ध

कानपुर: शहरवासियों के लिए खुशखबरी है कि अब स्किन और हेयर से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित इलाज एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी में उपलब्ध है। डॉ. गौरी मिश्रा ने बताया कि क्लिनिक में मेड इन कोरिया की न्यू रिच मशीन द्वारा बॉडी लेज़र हेयर रिडक्शन किया जाता है, जिससे अनचाहे बालों के साथ-साथ स्किन पर मौजूद दाग-धब्बों और पिग्मेंटेशन से भी छुटकारा पाया जा सकता है। स्किन टोन को निखारने और फ्लॉलेस लुक पाने के लिए यह मशीन अत्यंत प्रभावी साबित हो रही है। साथ ही, बालों की समस्याओं के समाधान के लिए PRP थैरेपी, GFC थैरेपी और हेयर रीग्रोथ थैरेपी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे हेयर फॉल, हेयर थिनिंग और गंजेपन जैसी समस्याओं में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। यह क्लिनिक अब हेयर और स्किन हेल्थ के लिए एक भरोसेमंद सेंटर बनकर उभरा है। एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी अब संपूर्ण बॉडी के सौंदर्य और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए वन-स्टॉप सेंटर बन गया है। यहां उपलब्ध कायो लेज़र मशीन की मदद से शरीर के किसी भी हिस्से से फैट को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से कम किया जा सकता है। यह प्रक्रिया न केवल वजन घटाने में सहायक है, बल्कि बॉडी शेप को भी आकर्षक बनाती है। स्किन, हेयर और बॉडी फैट से जुड़ी सभी आधुनिक थैरेपीज़ अब एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग जगह भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ती। विशेष रूप से शादी या अन्य विशेष अवसरों को ध्यान में रखते हुए, ‘ग्लोइंग स्किन’ के लिए आवश्यक स्किन क्लीनिंग, ब्राइटनिंग और हाइड्रेशन थैरेपीज़ अब स्थानीय स्तर पर सुलभ हैं। डॉ. गौरी मिश्रा के मार्गदर्शन में संचालित यह सेंटर कानपुर में कॉस्मेटोलॉजी और एस्थेटिक उपचार का नया केंद्र बिंदु बनता जा रहा है, जहां हर व्यक्ति को उनकी ज़रूरत के अनुसार व्यक्तिगत देखभाल मिल रही है।

आई० ए० पी० कानपुर और पारस हेल्थ ने ऑर्थोपेडिक्स और न्यूरोसर्जरी पर विशेष मेडिकल (सी.एम.ई.) का आयोजन किया

पारस हेल्थ, कानपुर एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट (आई० ए० पी०), कानपुर सेंट्रल शाखा के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (CME) प्रोग्राम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम रॉयल क्लिफ होटल में संपन्न हुआ, जिसमें शहर के प्रमुख सर्जन एवं फिजियोथैरेपिस्ट्स ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य चिकित्सा के क्षेत्र में आपसी संवाद को बढ़ावा देना, नवीनतम तकनीकों की जानकारी साझा करना तथा समन्वित रूप से मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराना था। कार्यक्रम में सहभागियों को ऑर्थोपेडिक्स और न्यूरोसर्जरी के अद्यतन पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अलीगढ़ से पधारे डॉ. के. के. वर्मा (सेक्रेटरी, आई० ए० पी० उत्तर प्रदेश) एवं वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक न्यूरोसर्जन डॉ. गोपाल शुक्ल उपस्थित रहे। डॉ. शुक्ल ने अपने सत्र में कमर दर्द से जुड़े विभिन्न जटिल मामलों पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि किस प्रकार फिजियोथैरेपी की मदद से मरीजों को शीघ्र राहत मिल सकती है। इस सफल आयोजन ने फिजियोथैरेपिस्ट एवं चिकित्सकों को एक साझा मंच प्रदान किया, जिससे भविष्य में और बेहतर चिकित्सा सेवा की दिशा में प्रयास संभव होंगे।

BR:पीएम मोदी 29 को बिहार दौरे पर, विकास की सौगात संग चुनावी मंथन

Patna : . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 मई को दो दिवसीय बिहार दौरे पर आ रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह प्रधानमंत्री की पहली बिहार यात्रा है. इस यात्रा के दौरान वे पटना और विक्रमगंज में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. भाजपा प्रधानमंत्री के स्वागत की तैयारियों में जुटी है. पीएम मोदी सबसे पहले पटना एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे, उसके बाद बिहटा एयरपोर्ट की आधारशिला रखेंगे. 30 मई को वे विक्रमगंज में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे और लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देंगे.   पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के अनुसार, प्रधानमंत्री पटना एयरपोर्ट से बीजेपी कार्यालय तक रोड शो करेंगे. जगह-जगह पुष्पवर्षा के साथ कार्यकर्ता उनका स्वागत करेंगे. बीजेपी कार्यालय में पीएम मोदी सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों और प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जमीनी स्तर पर संगठन की स्थिति की समीक्षा भी करेंगे. यह बैठक आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही

BR:बिहार में दिव्यांग कोटे में डोमिसाइल नीति लागू

बिहार सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांग आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब दिव्यांग कोटे का लाभ केवल बिहार के मूल निवासियों को ही मिलेगा। इसके तहत डोमिसाइल (स्थानीय निवासी) नीति को लागू कर दिया गया है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिया है। निर्णय के अनुसार, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मिलने वाला आरक्षण अब केवल बिहार के दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए ही मान्य होगा। जानकारी के मुताबिक, अधिनियम के तहत दिव्यांगजन को सरकारी नौकरियों में 4% क्षैतिज आरक्षण, उच्च शिक्षा संस्थानों में 5% क्षैतिज आरक्षण दिया जाता है। अब तक इस आरक्षण का लाभ दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को भी मिल रहा था, जिससे बिहार के दिव्यांग उम्मीदवारों को उचित अवसर नहीं मिल पा रहा था। राज्य सरकार ने इसको समाप्त करने के लिए डोमिसाइल नीति लागू करने का निर्णय लिया। सरकारी नौकरियों के सामान्य कोटे में पूर्ववत व्यवस्था लागू रहेगी, उसमें डोमिसाइल नीति लागू नहीं की गई है। बता दें है कि 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में 23 लाख से अधिक दिव्यांगजन हैं, जिनमें से लगभग 16 लाख को दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया जा चुका है।