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July 14, 2023

उत्तर प्रदेश,कानपुर में लेसिक सर्जरी जागरूकता कार्यशाला का हुआ समापन

कानपुर का आंखो के इलाज के लिए जाना माना नाम आई लेसिक हाउस जो अशोक नगर में है स्पष्ट दृष्टि एवं सफल आधुनिकतम इलाज के लिये प्रसिद्ध है। जहां पर डॉ उमा अग्रवाल ने लेसिक सर्जरी की दो दिनों की कार्यशाला में डॉ उमा अग्रवाल ने जूनियर डॉक्टर्स और सपोर्ट स्टाफ व मरीजों को आंखों का ख्याल कैसे रखे और लेसिक सर्जरी की जानकारी दी। आई लेसिक हाउस की अनुभवी डॉक्टर उमा अग्रवाल ने बताया कि लेसिक सर्जरी रिफ्रैक्टिव एरर के कारण दिखने की समस्याओं के इलाज के लिए की जाती है। जबकि कुछ मरीज इससे सौंदर्य प्रयोजनों के लिए करवाते हैं, रिफ्रैक्टिव एरर वाले लोग आमतौर पर सर्जरी से सबसे अधिक लाभान्वित होते हैं। फेम्टो लेसिक की सुविधा देने वाला ये कानपुर का एक मात्र स्थान है। ये तकनीकि खासतौर पर पतली काली पुतली एवं ज्यादा चश्में के नम्बर वाले मरीज़ों के लिए वरदान है। और ये सर्वाेत्तम अत्याधुनिक एवं सुरक्षित तकनीक है। इसमें बिना ब्लेड का इस्तेमाल किये केवल लेजर की सहायता से चश्में का नम्बर हटाया जाता है। मरीज़ चार से पाँच घण्टों मे ही अपने काम पर वापस आ जाता है। आई लेसिक हाउस में फेम्टो लेसिक के साथ अन्य सभी प्रकार का चश्मा हटाने की सुविधायें उपलब्ध है। यहाँ बहुत से ऐसे युवा जिनका चश्मा उनकी तरक्की में बाधित है, का सफलतापूर्वक इलाज कर रहा है। डायरेक्टर वी.के. अग्रवाल ने बताया कि समय-समय पर ऐसे और भी ईवेन्ट ऑर्गेनाइज़ करते रहेंगे।

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उत्तर प्रदेश- AI के जरिए बेसिक के बच्चे सीख रहे कविताएं एवं पहाड़े, शिवेंद्र ने तैयार किए AI शिक्षक

हरदोई। टेक्नोलॉजी जैसे जैसे एडवांस होती जा रही है, वैसे वैसे लोग भी इसका जमकर फायदा उठा रहे है। जहां पहले सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते थे वहीं दूसरी ओर अब जमकर प्रशंसा भी हो रही है। टेक्नोलॉजी का सही प्रयोग करते हुए हरदोई के शिक्षक शिवेंद्र सिंह आजकल अपने छात्रों को AI शिक्षक के माध्यम से पढ़ाई करवा रहे हैं। जहां इस पढ़ाई से बच्चों को अच्छा भी लग रहा है वहीं बच्चे बड़े ध्यान से इन चीजों को याद भी कर रहे हैं। कैसे हुई इसकी शुरुवात शिक्षक शिवेंद्र ने बताया की गर्मियों की छुट्टियों में लगातार कंप्यूटर पर कुछ नया सीखने का सोचा था। इस पर जब रिसर्च की तो AI की जानकारी हुई। मैंने सोचा कि क्यों ना AI को ही शिक्षक बनाकर बच्चों को पढ़ाया जाए। इसके लिए पहले खुद से कुछ कार्टून वाले करेक्टर निकाले और उनका नामकरण किया। साथ ही उनके जरिए हर कक्षा का एक शिक्षक बनाया। अब ये शिक्षक ही उस कक्षा के बच्चों को उनके सेलेबस से जुड़ी चीजें पढ़ाते और समझाते चले आ रहे है। शिवेंद्र ने आगे बताया कि इस वीडियो को वो अपने यूट्यूब चैनल पर भी डाल रहे है। जिससे प्रदेश के अन्य बच्चों तक आसानी से पहुंच सके और सभी इसके लाभ ले सकें। क्यों चर्चा में थे शिवेंद्र सरकारी स्कूल से स्थानानंतरण के बाद शिवेंद्र जब अपने स्कूल से निकल रहे थे तो बच्चे उनसे लिपटकर बहुत रो रहे थे और उनका वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद लोगों ने शिवेंद्र को वायरल गुरु का नाम दे दिया। शिवेंद्र लगातार अपनी पढ़ाई के तकनीक के लिए जाने जाते है। बच्चों से कैसे जुड़ाव हो इसका भी खयाल रखते है।

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