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February 6, 2024

Uniform Civil Code: उत्तराखंड में होगा ऐतिहासिक काम…कई दशक बाद धरातल पर उतरेगा यूसीसी, जानें अब तक की कहानी

कई दशक बाद यूसीसी धरातल पर उतरेगी। समान नागरिक संहिता की कानूनी जंग लड़ने वाले अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहना है कि उत्तराखंड में यह ऐतिहासिक काम होगा। यह देश के लिए नजीर बनेगा और संविधान निर्माता यही चाहते थे। उनका कहना है कि भारतीय संस्कृति महिला-पुरुष के भेदभाव का विरोध करती है। दुर्भाग्यवश भारत में आज भी बहुत सारी कुरीतियां जारी हैं। कुछ कुप्रथाओं के खिलाफ कानून बनें, लेकिन अब भी समाज कई ऐसी कुरीतियां विद्यमान हैं, जिन्हें खत्म करने की जरूरत है। जानें कब से शुरू हुई थी यूसीसी के लिए लड़ाई -1962 में जनसंघ ने हिंदू मैरिज एक्ट और हिंदू उत्तराधिकार विधेयक वापस लेने की बात कही। इसके बाद जनसंघ ने 1967 के उत्तराधिकार और गोद लेने के लिए एक समान कानून की वकालत की। -1971 में भी वादा दोहराया। हालांकि 1977 और 1980 में इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई। -1980 में भाजपा का गठन हुआ। भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने। पार्टी ने 1984 में पहली बार चुनाव लड़ा, जिसमें केवल दो सीटें मिली। -1989 में 9वां लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा ने राम मंदिर, यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किया। पार्टी की सीटों की संख्या बढ़कर 85 पहुंची। -1991 में देश में 10वां मध्यावधि चुनाव हुआ। इस बार भाजपा को और लाभ हुआ। उसकी सीटों की संख्या बढ़कर 100 के पार हो गई। इन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड, राम मंदिर, धारा 370 के मुद्दों को जमकर उठाया। ये सभी मुद्दे बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल थे, मगर संख्या बल के कारण ये पूरे नहीं हो पाए थे। -इसके बाद 1996 में भाजपा ने 13 दिन के लिए सरकार बनाई। 1998 में पार्टी ने 13 महीने सरकार चलाई। 1999 में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ बहुमत से सरकार बनाई। तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। -वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई और केंद्र में मोदी सरकार आई। मोदी सरकार ने पूरे जोर-शोर से अपने चुनावी वादों पर काम करना शुरू किया। अब केंद्र की सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसी कड़ी में यूसीसी को लागू कर उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है। -उत्तराखंड में 2022 में भाजपा ने यूसीसी के मुद्दे को सर्वोपरि रखते हुए वादा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम किया जाएगा। धामी सरकार ने यूसीसी के लिए कमेटी का गठन किया। जिसने डेढ़ साल में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया। अब विधानसभा का विशेष सत्र पांच फरवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें पास होने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।

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उत्तराखंड में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश ने ड्रोन मेडिकल सेवा शुरू की

आधुनिक तकनीक की मदद से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश ने ड्रोन मेडिकल सेवा शुरू की है। ड्रोन के जरिये पर्वतीय क्षेत्रों में जरूरी दवाइयां, वैक्सीन समेत अन्य चिकित्सीय सामग्री बेहद कम समय में पहुंचाई जा सकती है। आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्य में ड्रोन मेडिकल सेवा गंभीर रोगियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी ऋषिकेश एम्स ने नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा शुरू कर दी है और ऐसा करने वाला देश का पहला चिकित्सा संस्थान बन गया है। ड्रोन की मदद से उत्तरखंड के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में आपात स्थिति में गंभीर बीमारी की दवाएं या दुर्घटना में गंभीर घायल व्यक्ति के इलाज के लिए ब्लड कंपोनेंट कुछ ही देर में पहुंचाया जा सकेगा। संस्थान की निदेशक डॉ मीनू सिंह ने कहा कि ड्रोन सेवा पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने में बेहद मददगार साबित होगी। ड्रोन सेवा शुरू करने से पहले एम्स प्रशासन ने पिछले वर्ष इसका ट्रायल किया। इसकी शुरुआत उत्तराखंड के टिहरी जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से की गई है। राज्य के पौड़ी और उत्तरकाशी में भी ड्रोन की मदद से दवाएं पहुंचाई जा चुकी हैं। ऋषिकेश एम्स की ड्रोन सेवा 50 किलोमीटर की एरियल दूरी कवर कर सकती है। समय के साथ इसका विस्तार किया जाएगा। पहाड़ी गांवों के स्वास्थ्य केंद्रों में ड्रोन से सामान उतारने, चढ़ाने और संचालन में महिलाओं की अहम भूमिका होगी। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इन महिलाओं को नमो ड्रोन दीदी का नाम दिया गया है।

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उत्तर प्रदेश,बस्ती में विकसित किए गए 1085 केला+मछली तालाब

लखनऊ/बस्ती। उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती के साथ नए-नए तरीकों से किसानों की आय में वृद्धि के प्रयास कर रही योगी सरकार के मार्गदर्शन में बस्ती जनपद ने बेहद अनूठा प्रयास किया है। राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (एनआरईजीएस) के तहत, बस्ती जिले ने ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही जगह केले की खेती और मछली पालन के लिए तालाबों को विकसित किया है। इन तालाबों में जहां मत्स्य पालन किया जा रहा है तो वहीं इसके चारों ओर बाड़ लगाकर केले के पेड़ भी लगाए गए हैं। पूरे जिले में अब तक ऐसे 1085 केला+मछली तालाबों को विकसित किया गया है। इस महत्वपूर्ण पहल के माध्यम से जिले के ग्रामीणों को आर्थिक सुरक्षा, रोजगार, और आजीविका के नए स्रोत प्राप्त होंगे। यह अनूठी परियोजना एकीकृत खेती के साथ बागवानी और मछलीपालन को एक समन्वित तरीके से समर्थ बनाएगी। इसके अलावा, यह प्रकल्प स्थानीय ग्रामीणों को निरंतर आय का स्त्रोत प्रदान करेगा और साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित करेगा। सीएम योगी के मार्गदर्शन में जनपद बस्ती ने बागवानी और मछलीपालन के लिए की नई पहल एकीकृत खेती के साथ बागवानी और मछलीपालन को समन्वित तरीके से समर्थ बनाएगा यह प्रयास जिले के किसानों और समुदाय को आर्थिक सुरक्षा, रोजगार, और आजीविका के प्राप्त होंगे नए स्रोत इस अनूठी पहल के माध्यम से नरेगा के तहत अब तक 9150 जॉब कार्ड धारकों को मिला रोजगार 14 विकास खंडों में किया गया विकास बस्ती जिले के डीएम आंद्रा वामसी ने इस पहल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस स्मार्ट पहल के माध्यम से, बस्ती जिले की समृद्धि और समृद्धि को सुनिश्चित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत अब तक पूरे जिले में कुल 1085 तालाबों का निर्माण किया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत जिले के 1085 गांवों का संवर्धन किया गया है। यानी 14 विकास खंडों में गांवों में एक केला+मछली तालाब विकसित किया गया है। प्रति तालाब खर्च की गई राशि 1.28 लाख से 6 लाख रुपए के बीच है, जो तालाब के आकार पर निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि परियोजना के लिए कुल 1111 तालाबों को चिन्हित किया गया था, जिनमें से 1085 में परियोजना को पूर्ण कर लिया गया है। कुल मिलाकर इन तालाबों में 9761 किग्रा मछलियों का संचयन किया गया है। प्रति तालाब प्रति वर्ष 1364 किलोग्राम मछली उत्पादन की संभावना डीएम आंद्रा वामसी के अनुसार, इस परियोजना के दौरान 547129 मानव दिवस सृजित किए गए हैं। इसके माध्यम से कुल 9150 जॉब कार्ड धारकों को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इन तालाबों की मेड़ पर कुल 42493 केले के पौधे रोपे गए हैं। इनके माध्यम से बड़ी संख्या में केलों का उत्पादन सुनिश्चित होगा। इसके साथ ही, प्रत्येक तालाब से अगले वर्ष 682 किलोग्राम का अपेक्षित मछली उत्पादन होने की उम्मीद है। वहीं, प्रति तालाब प्रति वर्ष 1364 किलोग्राम का अपेक्षित मछली उत्पादन होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण पहल को सफल बनाने में अग्रिम स्तर पर शामिल सभी अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, और स्थानीय निवासियों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। इस प्रकल्प से न केवल आर्थिक विकास होगा, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।

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