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भारत में बढ़ती आय असमानता के कारण !

उत्तर प्रदेश | हाल के वर्षों में, भारत में आय असमानता एक बढ़ती हुई चिंता बन गई है। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी गरीबी में जी रहा है और अमीर और गरीब के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है। संपत्ति वितरण के मामले में भारत सबसे असमान देशों में से एक है। शीर्ष 1% आबादी देश की कुल संपत्ति के 40% से अधिक को नियंत्रित करती है, जबकि समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नीचे की आधी आबादी के पास केवल 3% संपत्ति है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दशक में भारत में आय असमानता में काफी वृद्धि हुई है। समान अवसरों की कमी और वैश्वीकरण के प्रभाव के अलावा, सरकारी नीतियों की विफलता भी भारत में आय असमानता में योगदान करती है। सरकार उन नीतियों को लागू करने में विफल रही है जो अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को कम कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसे कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के बावजूद, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबों के लिए काम के अवसर प्रदान करना है, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय असमानता में वृद्धि जारी है। इसके अलावा, सरकार उन नीतियों को लागू करने में विफल रही है जो गरीबी के मूल कारणों को दूर कर सकती हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार के अवसरों की कमी। भारत में बढ़ती आय असमानता के प्राथमिक कारणों में से एक संसाधनों और अवसरों का असमान वितरण है। देश की एक विशाल आबादी है, और उपलब्ध सीमित संसाधन और अवसर समान रूप से वितरित नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुछ व्यक्तियों और समूहों को देश की संपत्ति और आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मिल रहा है। उदाहरण के लिए, केवल कुछ व्यक्तियों और समूहों के पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं, जबकि अधिकांश आबादी इन अवसरों से बाहर है। इसने अमीरों और वंचितों के बीच एक महत्वपूर्ण आय अंतर पैदा कर दिया है। आय असमानता में योगदान देने वाला एक अन्य कारक वैश्वीकरण का प्रभाव है। वैश्वीकरण ने बहुराष्ट्रीय निगमों का विकास किया है, जो अक्सर भारत सहित विकासशील देशों में श्रमिकों को कम वेतन देते हैं। इन कंपनियों के कर्मचारी अक्सर खराब परिस्थितियों में काम करते हैं और उन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलता है, जिससे धन का असमान वितरण होता है। इसके अलावा, वैश्वीकरण ने औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों की संख्या में कमी की है, जो अक्सर उच्च वेतन का भुगतान करते हैं, क्योंकि कई कंपनियां कम वेतन की तलाश में अनौपचारिक क्षेत्र में चली गई हैं। भारत में बढ़ती आय असमानता का एक अन्य कारण प्रगतिशील कर नीतियों का अभाव है। देश की कर प्रणाली प्रतिगामी है, जिसका अर्थ है कि कर का बोझ असमान रूप से गरीब और मध्यम वर्ग पर पड़ता है, जबकि अमीर और अमीर कर से बचने और कर छूट का आनंद लेने में सक्षम हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि अमीर और अमीर देश के धन और आय के बड़े हिस्से का आनंद ले रहे हैं, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। एक प्रगतिशील कर प्रणाली की अनुपस्थिति के परिणामस्वरूप अधिकांश आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की कमी हुई है। बढ़ती आय असमानता में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का भी प्रमुख योगदान है। देश के राजनीतिक और आर्थिक अभिजात वर्ग के भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के परिणामस्वरूप कुछ व्यक्तियों और समूहों को देश के धन और आय का अनुपातहीन हिस्सा मिल रहा है, जबकि अधिकांश आबादी इन लाभों से बाहर रहती है। देश के राजनीतिक और आर्थिक अभिजात वर्ग के भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के परिणामस्वरूप निष्पक्ष और पारदर्शी नीतियों और विनियमों का अभाव भी हुआ है, जिसने देश में संसाधनों और अवसरों के असमान वितरण में योगदान दिया है। आय असमानता के मुद्दे को हल करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि देश के राजनीतिक और आर्थिक अभिजात वर्ग समानता औरसमावेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों और नियमों को लागू करें, और यह सुनिश्चित करें कि आर्थिक विकास के लाभ सभी नागरिकों के बीच उचित और समान रूप से साझा किए जाएं। भारत में वर्तमान कर प्रणाली अमीरों के पक्ष में है, जिसमें शीर्ष 1% आबादी कुल आयकर का केवल 3% भुगतान करती है। इसने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जहां अमीर और अमीर हो गए हैं जबकि गरीब पीछे रह गए हैं। बढ़ती हुई आय असमानता का समग्र रूप से अर्थव्यवस्था और समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। शोध से पता चला है कि आय असमानता के उच्च स्तर से सामाजिक और राजनीतिक अशांति हो सकती है, आर्थिक विकास में कमी आ सकती है और गरीबों के लिए आवश्यक सेवाओं तक पहुंच कम हो सकती है। भारत सरकार को इस बढ़ती हुई समस्या के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। इसमें प्रगतिशील कराधान को लागू करना, ग्रामीण विकास में निवेश करना, सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करना शामिल है। केवल आय असमानता के मूल कारणों को संबोधित करके ही हमसभी के लिए अधिक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज बना सकते हैं। अंत में, भारत में बढ़ती आय असमानता एक बड़ी चिंता का विषयहै जिसे तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है। ऐसा करने में विफल रहने से भविष्य में और अधिक सामाजिक और आर्थिक समस्याएं पैदा होंगी। यह सरकार के लिए सार्थक कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने का समय है कि आर्थिक विकास का लाभ आबादी के सभी वर्गों द्वारा साझा किया जाए| अंत में, आय असमानता एक जटिल मुद्दा है, जिसके कई कारण और निहितार्थ है| सरकार को सभी के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए काम करना चाहिए, गरीबी के मूल कारणों को दूर करने वाली नीतियों को लागू करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बहुराष्ट्रीय निगम अपने कर्मचारियों को उचित वेतन दें। इसके अतिरिक्त, निजी क्षेत्र को भी समान अवसरों को बढ़ावा देकर और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में निवेश करके आय असमानता को कम करने में भूमिका

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BAFTA अवार्ड्स (British Academy Film and Television Awards) के सभी विजेताओं की पूरी लिस्ट

नई दिल्ली | ब्रिटिश अकैडमी फिल्म अवॉर्ड्स (BAFTA) का आयोजन 19 फरवरी को इंग्लैंड के लंदन में रॉयल फेस्टिवल हॉल में किया गया। जर्मन फिल्म ‘All Quiet on the Western Front’ का अवॉर्ड सेरेमनी में दबदबा रहा. फिल्म ने बेस्ट फिल्म और बेस्ट डायरेक्टर समेत कुल सात अवॉर्ड अपने नाम किए। भारतीय फिल्म ‘All That Breathes’ को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म में नॉमिनेट किया गया था, लेकिन ये ‘Navalny’ से हार गई। All That Breathes को शौनक सेन ने डायरेक्ट किया है। इसे ऑस्कर्स में भी नॉमिनेशन मिला है। BAFTA अवॉर्ड्स के सभी विजेताओं की पूरी लिस्ट : बेस्ट फिल्म : All Quiet on the Western Front बेस्ट डायरेक्टर : Edward Berger (All Quiet on the Western Front) बेस्ट लीड एक्ट्रेस : Cate Blanchett (TAR) बेस्ट लीड एक्टर : Austin Butler (Elvis) बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस : Kerry Condon (The Banshees of Inisherin) बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर : Barry Keoghan (The Banshees of Inisherin) बेस्ट ओरिजिनल स्क्रीनप्ले : Martin McDonagh (The Banshees of Inisherin) बेस्ट एडैप्टेड स्क्रीनप्ले : Edward Berger, Ian Stokell और Leslie Patterson (All Quiet on the Western Front) आउटस्टैंडिंग ब्रिटिश फिल्म : The Banshees of Inisherin बेस्ट ब्रिटिश शॉर्ट एनिमेशन : The Boy, the mole, the Fox and the Horse बेस्ट ब्रिटिश शॉर्ट फिल्म : An Irish Goodbye EE राइजिंग स्टार : Emma Mackey ब्रिटिश राइटर, डायरेक्टर या प्रोड्यूसर का आउटस्टैंडिंग डेब्यू : Aftersun के लिए Charlotte Wells (राइटर/डायरेक्टर) बेस्ट नॉन-इंग्लिश लैंग्युएज फिल्म : All Quiet on the Western Front बेस्ट डॉक्यूमेंट्री : Navalny स्पेशल विजुअल इफेक्ट्स : Avatar: The Way of Water बेस्ट एनिमेटेड फिल्म : Guillermo del Toro के डायरेक्शन में बनी Pinocchio बेस्ट ओरिजिनल स्कोर : Volker Bertelmann (All Quiet on the Western Front) बेस्ट कास्टिंग : Nikki Barrett, Denise Chamian (Elvis) बेस्ट एडिटिंग : Paul Rogers (Everything Everywhere All At Once) बेस्ट प्रोडक्शन डिजाइन : Florencia Martin, Anthony Carlino (Babylon) बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन : Catherin Martin (Elvis) बेस्ट साउंड : Lars Ginzsel, Frank Kruse, Viktor Prášil और Markus Stemler (All Quiet on the Western Front) बेस्ट मेकअर एंड हेयर : Shane Thomas, Louise Coulston, Mark Coulier और Barrie Gower (Elvis)  

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मेरठ : लड़की के बैडरूम में मिला उसका और उसके बॉयफ्रेंड का शव, गोली मारकर हत्या की जाने का शक

मेरठ | उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक सनसनीखेज वारदात सामने आई है। यहां के जानी थाना क्षेत्र के पीपला गांव में एक प्रेमी युगल का शव प्रेमिका के घर से बरामद हुआ। उन्हें गोली मारे जाने के निशान मिले हैं। मृतकों की पहचान पीपला गांव निवासी शुभम और साक्षी के रूप में हुई है। 2 साल से चल रहा था प्रेम-प्रसंग जानकारी के अनुसार, शुभम कक्षा 12 का छात्र था और उसकी साक्षी के भाई से दोस्ती थी. दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे. साक्षी B.com सेंकेड ईयर की छात्रा थी. घर आने-जाने के दौरान शुभम और साक्षी के बीच प्रेम-प्रसंग शुरू हो गया और दोनों दो साल से रिलेशनशिप में थे, लेकिन जैसे ही ये सूचना लड़की के घरवालों को हुई तो उन्होंने दोनों को मौत के घाट उतार दिया. साक्षी के बेडरूम में मिला दोनों का शव शुभम के परिजनों के मुताबिक, रविवार को साक्षी का भाई ध्रुव उसे बुलाकर अपने घर ले गया था, इसके बाद से उसका पता नहीं था. दोपहर तीन बजे पुलिस को सूचना मिली कि शुभम और साक्षी का शव लड़की के बेडरूम में पड़ा है. घटना के 40 मिनट पहले बदला था Whatsapp Status लड़की के परिजनों ने पूरे मामले को आत्महत्या से जोड़ने की कोशिश की है लेकिन शुभम के What’s app Status पर घटना के 40 मिनट पर साक्षी के साथ आपत्तिजनक पुराने फोटो अपलोड मिले हैं. घटनास्थल पर मिला तमंचा, 2 हिरासत में मामले में पुलिस ने साक्षी के भाई और पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है. मेरठ के SSP रोहित सिंह साजवान ने कहा कि घटनास्थल पर मिले सबूतों के आधार पर पुलिस सभी एंगल से जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि मौके पर पुलिस को एक तमंचा मिला है जिससे गोली चलाई गई है. तमंचे से किया गया शूट बताया जा रहा है कि साक्षी और शुभम एक ही जाति (अनुसूचित जाति) के थे लेकिन दोनों के रिश्ते की जानकारी होने पर लड़की के परिजन नाराज हो गए. इस दौरन साक्षी के परिजनों ने दोनों की आपत्तिजनक फोटो भी देख ली थी, जिसके बाद घटना को अंजाम दिया गया. साक्षी की सीने में गोली मारकर हत्या की गई है तो वहीं शुभम के कनपटी पर गोली मारी गई है.  

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कानपुर के फिजियोथिरेपिस्ट डाॅ. अमित मिश्रा होंगे फिजियो कनेक्ट के 3 इण्टरनेशनल काॅन्फ्रेन्स में सम्मानित

उत्तर प्रदेश | फ़रीदाबाद के मानवरचना इण्टरनैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिसर्च एण्ड स्टडीजमें 19 फरवरी 2023 को फिजियोथैरेपी की इण्टरनेशनल कॉन्फ्रेन्स फिजियोकनेक्ट 3 का आयोजन होने जा रहा है। जिसमें कानपुर के टच एंड क्योर फिजियोथेरेपी क्लीनिक के डायरेक्टर व चीफ फिजियो डॉ. अमित मिश्रा को फिजियोथैरेपी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए क्लीनिकल एमिनेन्स एवार्ड (सीनियर) से सम्मानित किया जायेगा। काॅन्फ्रेन्स का आयोजन मुख्य रूप से आयोजन डॉ सर्वाेत्तम चैहान कर रहे है। काॅन्फ्रेन्स में वरिष्ट स्पाइन सर्जन डाॅ. सुदीप जैन स्पाइन सर्जरी की नई तकनीक व फिजियोथिरेपी की महत्वता के बारे में अपना व्याख्यान देंगे।काॅन्फ्रेन्स में देश विदेश से आये वरिष्ठ फिजियोथिरेपिस्ट, वरिष्ठ ऑर्थाे पेडिक ज्वाइन्ट रिप्लेसमेंट सर्जन व वरिष्ठ स्पाइन सर्जन स्पीकर्स अपना अनुभव साझा करेंगे, जिससे स्पाइन की बढ़ती समस्याओं व दर्द, ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट व रीहैब्लीटेशन, पैरालिसिस, माइग्रेन व अन्य शारिरिक समस्या ओंसे मरीजों को जल्द आराम मिल जायेगा। काॅन्फ्रेन्स में देश-विदेश के फिजियोथिरेपिस्ट व फिजियोथिरेपी छात्र हिस्सा लेंगे।

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महज़ 200 रूपए के विवाद के चलते चाचा ने की भतीजे की हत्या

बस्ती | उत्तर प्रदेश के बस्ती से रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। जहां महज 200 रुपये के लिए चाचा ने रिश्ते में लगने वाले भतीजे की चाकू से गोदकर हत्या कर दी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची शव को कब्जे में लिया और मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना नगर थानाक्षेत्र के गांव कुड़ी है। मृतक की पत्नी ने पुलिस को बताया कि 14 फरवरी की शाम करीब साढ़े बजे गांव के रहने वाले प्रदीप का उसकी चचेरी सास से 200 रुपये के लेन-देन को लेकर विवाद हुआ था. प्रदीप रुपये लौटाने से इनकार कर रहा था। विवाद को बढ़ता देखे पति सूरज ने बीच बचाव किया और प्रदीप से रुपये लौटाने लिए कहा। इस पर प्रदीप गुस्सा गया और उसने चाकू से सूरज पर हमला कर दिया. इसमें सूरज गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया, जहां रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। आरोपी गिरफ्तार इस मामले पर अपर पुलिस अधीक्षक दीपेंद्रनाथ चौधरी ने बताया 14 फरवरी को 200 रुपये के लिए सूरज नाम के शख्स की हत्या कर दी गई। जांच के दौरान पता चला कि शराब के लिए रुपये मांगने पर विवाद हुआ था। इसके बाद आरोपी ने रिश्ते में लगने वाले भतीजे पर वार कर उसकी हत्या कर दी। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और मामले की जांच की जा रही है।  

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UP Board Exams: CM Yogi orders fool-proof arrangements to conduct cheating-free examinations

Lucknow, February 15 : Ensuring cheating-free UP Board examinations with utmost transparency, the Yogi Adityanath government has made foolproof arrangements, ranging from setting up two control rooms for live monitoring of each examination centre to placing strict rules and regulations. Moreover, Chief Minister Yogi Adityanath has issued firm instructions, including the imposition of the NSA against those involved in these unfair practices during the examinations. An FIR will also be lodged against the room invigilators and centre administrators involved in activities of cheating. For the schools where any disturbance is found in online monitoring, the nodal officer has been made responsible to inquire regarding the same by establishing contact with the administrator of the concerned examination centre. The State Board Examinations are set to begin on February 16. Control rooms in all 75 districts as well Two control rooms have been set up in Lucknow for monitoring the examination. The first control room is working as a camp office in the Secondary Education department while the second has been set up in Vidya Samiksha Kendra. Here, the nodal officers have been given divisional responsibility. For example, the officer looking after Varanasi division is monitoring online the arrangement of each examination centre in each district of that division. Apart from the state level, there are many other layers of monitoring. A control room has also been set up in all 75 districts, which is directly monitoring the examination centres of their districts online. An observer attached to each district For monitoring of examinations, a supervisor has been appointed in all 75 districts of the state, who will review the entire examination and report to the government. Apart from this, more than 26,000 people have been engaged in the arrangements of the centre. Apart from the centre administrator, an external centre administrator and static magistrate have been appointed in each of these centres. Not only this, 1390 sector magistrates, 455 zonal magistrates, 521 mobile teams have also been deployed. It is noteworthy that there are 16 districts in the state which have been kept in the most sensitive category. These include Ballia, Azamgarh, Mau, Ghazipur, Chandauli, Jaunpur, Deoria, Gonda, Mathura, Aligarh, Mainpuri, Etah, Baghpat, Hardoi, Prayagraj and Kaushambi. At the same time, a total of 936 sensitive and 242 highly sensitive examination centres have been identified in the state. Steps/Efforts made by the Govt to ensure cheating-free examinations -With the system of online centre determination implemented in 2018, the number of examination centres has decreased by about 25 percent due to the creation of examination centres by software. -In the past years, intermediate examinations have been conducted on 25 working days, but this time the examinations will be conducted starting from February 16 till March 4 i.e. in a total of 14 working days. -About 3 lakh CCTV cameras with voice recorders, DVR router devices and high-speed internet connections have been provided in about 1.43 lakh examination rooms of all examination centres. -Arrangements have been made for live monitoring of all 8753 examination centres through webcasting in all 75 districts and through the control and monitoring centre at the state level. -STF and LIU have been activated to monitor all sensitive and highly sensitive examination centres. Specialities -In view of the security arrangement of question papers at the examination centres, for the first time a strong room has been set up for the maintenance of question papers in a double lock almirah in a secure room separate from the Principal’s room. -Except the main entrance of the strong room, all other doors and windows have been sealed. -Centre Administrator, Additional Centre Administrator and Static Magistrate have been made jointly responsible for the maintenance, handling and opening of question paper envelopes. -For the first time, packaging has been done in tamper-proof envelopes in four layers. -For the first time this year, stitched answer sheets have been arranged in all the districts of the state. -QR code and logo of the board have been printed on the answer sheets printed in four colours. -For the first time in high school, the examination of 20 marks multiple choice questions is being conducted on an OMR sheet. This time, 170 jailed prisoners will also appear in the UP board exams. Centres have been made in different districts for the examination. 79 candidates are registered in high school and 91 in intermediate. Last time, 116 candidates were registered in high school and 116 in intermediate. This time the maximum number of 49 prisoners are from District Jail Ghaziabad. These include 23 high school and 26 intermediate candidates. Total Exam Centers: 8753 Registered candidate: Total Students: 5885745 Boys: 3246780 Girls: 2638965

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पूर्वोत्तर राज्यों से आए विद्यार्थियों के समूह ने की मुख्यमंत्री से भेंट

लखनऊ | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत की एकता और अखण्डता अक्षुण्ण रखने में पूर्वोत्तर राज्यों की राष्ट्रवादी भावना की सराहना की है। पूर्वोत्तर राज्यों से आए विद्यार्थियों के प्रतिनिधिमंडल से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि पराधीनता काल से लेकर आजादी के बाद भी पुर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से अलग-थलग रखने के अनेक प्रयास हुए। वर्षों तक वहां के लोगों को मूलभूत संसाधनों तक से वंचित रखा गया। लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रंग, रूप, वेश, भाषा का भेद त्याग कर पूरा देश एकजुट होकर ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ ‘विकसित भारत’ के लिए अपना योगदान कर रहा है। पूर्वोत्तर के युवा आज जेईई, नीट और सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की वार्षिक ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन (सील) कार्यक्रम के तहत आयोजित राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा-2023 के दौरान बुधवार को 27 विद्यार्थियों के समूह ने मुख्यमंत्री से भेंट की। राजधानी लखनऊ आगमन पर विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्यों के प्राचीन सांस्कृतिक व आध्यात्मिक संबंधों पर भी चर्चा की तो उनसे यात्रा के अनुभव के साथ- साथ पूर्वोत्तर के बारे में भी जानने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। लखनऊ इसकी राजधानी है। यहां भ्रमण के दौरान विधान भवन जरूर देखें। यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट का आधुनिक माध्यम मेट्रो है, सभी उसका अनुभव प्राप्त करें। आजादी की लड़ाई ने असम, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश की वीरगाथा का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने विद्यार्थी समूह को लखनऊ के निकट काकोरी भ्रमण का सुझाव भी दिया। सील प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस ‘एक भारत- श्रेष्ठ भारत’ के लिए काम करने की बात करते हैं वह कार्य अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बहुत पहले यानि वर्ष 1966 से सील यात्रा के माध्यम से कर रहा है। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता का जीवन्त अनुभव लेने का नाम है सील यात्रा। पूर्वोतर और भारत के शेष राज्यों के बीच मन की दूरी को समाप्त कर हृदय को हृदय से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम इस सील यात्रा ने किया है। किसी होटल, गेस्ट हाउस आदि में रुकने की व्यवस्था से दूर इन विद्यार्थियों को विभिन्न परिवारों के बीच रहते हुए, अपने परिवार से दूर अपने एक नए परिवार का अनुभव प्राप्त होता है। यही आतिथ्य पूर्वोत्तर को शेष भारत के साथ आत्मीय जुड़ाव का कारण बनता है। पूर्वोत्तर को भारत की मुख्य धारा में लाने का सबसे सार्थक व उत्तम प्रयास अभाविप ने किया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के राष्ट्रों में भारतीय संस्कृति के प्रसार में पूर्वोत्तर के लोगों की बड़ी भूमिका रही है। अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही ने कहा कि 166 प्रकार की जनजाति, अलग-अलग बोली, वेश भूषा और खान-पान, रहन-सहन जैसे विविधता से परिपूर्ण पूर्वोतर को शेष भारत से परिचय कराने की यात्रा का नाम है सील। इस यात्रा के माध्यम से भारत के पारंपरिक व सांस्कृतिक मूल्यों को जानने के साथ ही पूर्वोतर के सुंदर पर्यटन क्षेत्र, जैव विविधता, विविध लोक संस्कृति की विशेषता के बारे में समग्र भारत में प्रसार पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों द्वारा किया जाता है। भारत के आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में इसबार पूर्वोतर के 482 छात्र-छात्रा भारत के 21 राज्यों में 64 स्थान पर जा रहे हैं । वर्ष 2004 में अभाविप द्वारा पूर्वोतर के युवाओं हेतु रोजगार सृजन के लिए युवा विकास केंद्र की स्थापना की गई। इसके माध्यम से अब तक पूर्वोत्तर के हजारों युवाओं को रोजगार का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने कहा कि विद्यार्थी परिषद ही एकमात्र ऐसा छात्र संगठन है जो अपने स्थापना काल से ही देश-समाज की प्रत्येक समस्या के समाधान हेतु सदैव अग्रणी भूमिका में खड़ा रहा है। भारत की तत्कालीन समस्या को जड़ से समाप्त करने हेतु अभाविप ने जो छोटे स्तर से प्रयास किया था, वह अब पूर्वोत्तर में विराट परिवर्तन ला चुका है। वहां के विद्यार्थी अब अपने मूल पहचान को समझकर, राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ कर नए भारत के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। अब तक 1500 से ज्यादा पूर्वोतर के विद्यार्थी और भारत के 500 से अधिक अन्य राज्यों के छात्र-छात्रा इस यात्रा में भाग लेकर राष्ट्रीय एकात्मता का अनुभव ले चुके हैं। इस कड़ी में 4000 से ज्यादा आतिथ्य परिवार में छात्र-छात्रा निवास कर चुके हैं। वर्ष 2105 में पूर्वोतर युवा संसद, दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसमें पूर्वोतर के 53 अलग-अलग युवा, छात्र संगठन के 150 से ज्यादा सदस्यों ने पूर्वोतर के विकास के बारे में एक साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया था।

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रिकॉर्ड निवेश प्रस्ताव प्राप्त करने के बाद अब जमीनी क्रियान्वयन पर मुख्यमंत्री का जोर

उत्तर प्रदेश | ₹33 लाख 50 हजार करोड़ के औद्योगिक निवेश के प्रस्ताव प्राप्त करने के साथ देश-दुनिया में हो रही उत्तर प्रदेश की प्रशंसा के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। मंगलवार को सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव तथा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के सीईओ के साथ विशेष बैठक कर मुख्यमंत्री जी ने विभागवार निवेश प्रस्तावों की समीक्षा की और क्रियान्वयन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री का निर्देश, लंबित न हो जीआईएस में मिले निवेश प्रस्तावों से जुड़ी फाइल ● माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी की प्रेरणा एवं यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 का सफल आयोजन हुआ। इस आयोजन में 10 कन्ट्री पार्टनर, 40 देशों के 1000 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों, पार्टनर कंट्री के 04 मंत्रीगण, 17 केंद्रीय मंत्रीगणों, 05 राजदूतों/उच्चायुक्तों और 25000 से अधिक डेलीगेट्स सहित राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों तथा अन्य गणमान्य महानुभावों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता कर उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाया। यह आयोजन हमारी 25 करोड़ जनता की आकांक्षाओं, युवाओं की अपेक्षाओं को पूरा करने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को $1 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होने वाला है। ● 16 देशों के 21 नगरों और देश के 10 शहरों में रोड शो सहित प्रदेश के सभी 75 जनपदों में निवेशक सम्मेलन के उपरांत तीन दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से ₹33.50 लाख करोड़ के औद्योगिक निवेश प्रस्ताव होना अभूतपूर्व है। असमान विकास और उपेक्षा का दंश झेलने वाले बुंदेलखंड और पूर्वांचल के लिए व्यापक निवेश प्रस्ताव मिले हैं। मैन्युफैक्चरिंग, ग्रीन एनर्जी, ईवी, टेक्सटाइल, फ़ूड प्रोसेसिंग, सर्कुलर इकॉनमी, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित हर सेक्टर में उद्यमियों ने रुचि दर्शायी है।इससे प्रदेश के औद्योगिक विकास को नयी गति मिलेगी और सबका साथ-सबका विकास का मंत्र साकार होगा। मुख्यमंत्री का निर्देश, ‘सिक यूनिट’ की उपयोगिता के लिए शीघ्र तैयार करें नीति ● आदरणीय प्रधानमंत्री जी के विज़न रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म को आत्मसात करते हुए उत्तर प्रदेश में बेहतर कानून-व्यवस्था के साथ ही विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हुआ है और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बना है। जीआईएस-2023 की आशातीत सफलता इसी का परिणाम है। अब उत्तर प्रदेश इन निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए पूरी तरह से तैयार है और इस दिशा में तीव्र गति से अग्रसर होगा। ● जीआईएस के दौरान हमें 16 लाख करोड़ से अधिक राशि के 13 हजार से अधिक ऐसे प्रस्ताव मिले हैं, जिन्हें निवेशकर्ता द्वारा तत्काल जमीन पर उतारने की तैयारी कर ली गई है। ₹2.80 लाख करोड़ मूल्य के 29 एमओयू पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू कंपनी) की ओर से मिले हैं। निवेशकर्ता इन प्रोजेक्ट पर तत्काल काम शुरू करने को तैयार हैं। सरकार के साथ मिलकर पीपीपी मोड पर विकास कार्यों के लिए 2.45 लाख करोड़ के 99 एमओयू हुए हैं। क्रियान्वयन सूची में इन्हें शीर्ष प्राथमिकता दी जाए। जीआईएस में 10 कन्ट्री पार्टनर, 40 देशों के 1000 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों, पार्टनर कंट्री के 04 मंत्रीगण, 17 केंद्रीय मंत्रीगणों, 05 राजदूतों/उच्चायुक्तों और 25000 से अधिक डेलीगेट्स सहित राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों ने किया सहभाग ● चरणबद्ध रूप से संचालित होने वाली परियोजनाओं में ₹3 लाख 90 हजार करोड़ निवेश मूल्य के 34 औद्योगिक प्रस्ताव अगले दो वर्ष के भीतर क्रियान्वित होने को तैयार हैं। इसी प्रकार बड़े औद्योगिक समूहों की ओर से ₹4.11 लाख करोड़ के 782 निवेश प्रस्ताव मिले हैं। निवेशकर्ता संस्था/फर्म/कंपनी की जरूरतों के अनुसार इनका समयबद्ध क्रियान्वयन शुरू कराया जाए। ● निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने के लिए यह अति आवश्यक है कि निवेशकर्ता से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखा जाए। उनकी जरूरतों, अपेक्षाओं का तत्काल समाधान हो। प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित हो कि हर निवेशकर्ता को यथोचित रिस्पॉन्स मिले। कोई भी फाइल लंबित न रहे। निर्णय में कतई देरी न हो। हर एक एमओयू की नियमित अंतराल पर समीक्षा की जाए। हर निवेश प्रस्तावों के लिए तय करें टाइमलाइन, विदेशी निवेशकों के लिए स्थापित करें कॉल सेंटर: मुख्यमंत्री ● सभी अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अपने विभागीय मंत्रीगण के नेतृत्व में अपने सम्बंधित विभागों को प्राप्त औद्योगिक निवेश प्रस्तावों की तत्काल समीक्षा करें। हमें अगले छह माह की अवधि में एक बड़ी संख्या में निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारते हुए ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन करना है। औद्योगिक विकास विभाग, इन्वेस्ट यूपी से आवश्यकतानुसार सहयोग लें। ● निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन, सतत मॉनीटरिंग के लिए सभी विभागों में ‘इन्वेस्टमेंट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट” का गठन किया जाए। सचिव स्तर के अधिकारी को इसका मुखिया नामित किया जाना चाहिए। हर एमओयू के लिए नोडल अधिकारी नामित करें। यह यूनिट अपने विभाग से जुड़े हर निवेश प्रस्ताव के क्रियान्वयन और निवेशकों से संवाद-संपर्क के लिए जिम्मेदार होगी। इसके साथ ही, विशेष सचिव और इससे ऊपर स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को सेक्टरवार अथवा निवेश प्रस्ताव वार मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी दी जाए। कार्य की प्रगति संबंधित अधिकारी की दक्षता का प्रमाण बनेगी। हर एक प्रस्ताव की टाइमलाइन तय कर दी जाए। निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को मिलेगी जिम्मेदारी, तय होगी जवाबदेही ● निवेशकों की सुगमता के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी मित्र योजना अंतर्गत ‘उद्यमी मित्रों की तैनाती तत्काल कर दी जाए। 10 उद्यमी मित्र राष्ट्रीय स्तर पर तैनात करें, अथॉरिटी लेवल पर न्यूनतम 25 और हर जिले में न्यूनतम एक उद्यमी मित्र की तैनाती कर दी जाए। ● विदेशी निवेशकों की सुविधा को देखते हुए औद्योगिक विकास विभाग द्वारा एक कॉल सेंटर की स्थापना भी की जाए। यहां दक्ष प्रोफेशनल की तैनाती की जानी चाहिए। 16 लाख करोड़ से अधिक के 13 हजार से अधिक ऐसे प्रस्ताव, जो तत्काल जमीन पर उतरने को तैयार ● औद्योगिक विकास एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति सहित सभी सेक्टोरल नीतियों का लाभ निवेशकर्ता को बिना विलंब, न्यूनतम ह्यूमन इन्टरफेयरेन्स, के मिले, इसके लिए नीति के अनुरूप शासनादेश और नोटिफिकेशन जारी कर पोर्टल आदि में तकनीकी प्रबंध कर लिया जाए। ताकि निवेशक को कहीं कोई असुविधा न हो और निवेश प्रस्ताव सरलता के साथ क्रियान्वित हो सकें। ● एमओयू के क्रियान्वयन के लिए सभी विभागों में आवेदन का प्रारूप एक जैसा हो तो उद्यमियों को सुविधा होगी। विभाग की नीतियों के अनुरूप यथावश्यक बदलाव किया जा सकता है। निवेशकों को देय इंसेंटिव समय पर मिलें।

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कानपुर देहात : कब्ज़ा हटाने के दौरान माँ-बेटी की ज़िंदा जलकर मौत

उत्तर प्रदेश | उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां अतिक्रमण हटाने पहुंची जिला प्रशासन की टीम ने एक परिवार की झोपड़ी पर बुलडोजर चलवा दिया। इसी दौरान उसमें आग लग गई है और मां-बेटी की मौत हो गई। साथ ही पिता और पुत्र गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना की सूचना पर कमिश्नर, एडीजी, आईजी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया। उधर, घटना की जानकारी होने पर प्रदेश सरकार की राज्य मंत्री भी मौके पर पहुंच गईं और जिलाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए। घटना जिले के रूरा थाना क्षेत्र के मड़ौली गांव की है। यहां रहने वाले कृष्ण गोपाल दीक्षित के यहां तहसील प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने गई थी। इसी दौरान परिजनों से नोकझोंक हो गई। आरोप है कि झोपड़ी में कृष्ण गोपाल की पत्नी और बेटी थी. तभी उस झोपड़ी पर तहसील प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलवा दिया गया। जैसे ही बुलडोजर झोपड़ी पर चला, उसमें आग लग गई। इससे कृष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला दीक्षित और उनकी 23 साल की बेटी जिंदा जल गई। आक्रोशित ग्रामीणों ने टीम को खदेड़ा आग को बुझाने में कृष्ण गोपाल बुरी तरह से झुलस गए और बेटा शिवम भी मामूली जल गया। घटना की जानकारी पर ग्रामीण आक्रोशित हो उठे और टीम को मौके से खदेड़ दिया। इस दौरान ग्रामीणों ने लेखपाल की गाड़ी भी पलट दी। गांव में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल के साथ पीएसी की भी तैनाती कर दी गई है। इसी झोपड़ी में मां-बेटी की जलकर हुई मौत सूचना पर कानपुर कमिश्नर ADG और आईजी भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को शांत करवाते हुए ग्रामीणों को समझाया और कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यह परिवार एक महीने पहले अपनी समस्या को लेकर जिलाधिकारी नेहा जैन के कार्यालय पहुंचा था। घटना को लेकर पुलिस अधीक्षक कानपुर देहात का बयान घटना के संबंध में पुलिस अधीक्षक कानपुर देहात का कहना है एक टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची थी. टीम कार्रवाई कर रही थी तभी महिला और उसकी बेटी ने खुद को झोपड़ी में बंद करके आग लगा ली। दोनों की मौत हो गई है। इस मामले में जांच की जा रही है। पूछताछ की जा रही है, जो भी आरोपी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।  

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क्या सोशल मीडिया है देश के युवाओं के बीच बढ़ते डिप्रेशन का कारण ?

नई दिल्ली | आज से २०-२५ साल पहले जब हम घर के बड़ों को देखते थे तो उनके व्यवहार और चरित्र में थोड़ी गंभीरता, थोड़ी गहराई, थोड़ा बड़प्पन होता था पर आज की युवा पीढ़ी ऊपर से तो कॉन्फिडेंट, एग्रेसिव और डिमाँडिंग हैं, पर भीतर से डरी हुई और कमज़ोर है | यह सिर्फ एक घर की कहानी नहीं है बल्कि पूरे भारत और दुनिया भर की है | अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने पाया कि १२-१३ साल की अवधि में ही टीनएजर्स में और जवान लोगों में डिप्रेशन के मामले ५२ प्रतिशत से ६३ प्रतिशत तक बढ़े हैं। बहुत चौकाने वाला आंकड़ा है ये। क्यों डिप्रेशन इतने ज़बरदस्त तरीक़े से फैला है युवाओं में और किशोरों में, टीनेजर्स में? तो स्टडी कहती है कि संभवतया कारण है सोशल-मीडिया | प्रोफेसर जीन ट्वेंगे ने अपनी पुस्तक “Confident, assertive & entitled, & more miserable than ever before (आत्मविश्वासी, निश्चयात्मक, अधिकारी, और पहले से ज़्यादा दुखी)” में बताया है कि ग्रेट इकोनोमिक डिप्रेशन १९३० के समय से भी पाँच गुना ज़्यादा तनाव है आज के युवा में। हर सौ मिनट में डिप्रेशन के कारण एक किशोर, आत्महत्या कर रहा है | जहाँ पोषण और ज्ञान के स्रोत पहले से कई ज़्यादा बेहतर हो गए हैं, वहीँ हमारी युवा पीढ़ी का आईक्यू लगातार घटता ही जा रहा है | तो यहाँ भी कारण सोशियल मीडिया ही है | युवा वयस्क जल्दी प्रभावित हो जाते हैं और बहुत उत्सुक होते हैं। ये दुनिया की ओर देख रहे होते हैं कुछ जानने के लिए, कुछ सीखने के लिए। और अभी उनमें इतनी बुद्धि, इतना विवेक नहीं होता है कि ये साफ़ समझ पाएँ कि इनके लिए क्या अच्छा है, क्या बुरा है। लेकिन संगति इनको चाहिए, और यही संगती इन्हे मिलती है सोशल मीडिया से । यहाँ टीनएजर को दूसरों की बहुत ग्लोरीफाइड और नकली छवि दिखाई जाती है और फिर उसके ऊपर दबाव पड़ता है कि वो अपनी भी एक बड़ी सुंदर, ताकतवर और नकली छवि प्रदर्शित करे। यह छवि ज़िन्दगी की ठोकरों और सवालों का सामना न कर पाने के कारण बड़ा दुःख देती है, जिससे हमारा टीनएजर कई तरीक़े के रोगों से ग्रस्त हो सकता है, डिप्रेशन में जा सकता है। इसी सोशल मीडिया में बहुत सारे औसत लोग (इन्फ्लुएंसर), युवाओं में और टीनएजर्स में ज़हरीले शब्द, विचार और छवियाँ बेचकर, प्रचारित करके, ज़िंदगी में खूब पैसा बना ले गए, लेकिन उससे जो नुक़सान हुआ है टीनएजर को, उसको ठीक होने में हो सकता है बहुत साल लग जाएँ | ग़लत आदर्शों के ज़हरीले प्रभाव में हैं हमारे टीनएजर्स, जिनका ऐतिहासिक या वर्तमान समय के वास्तविक महान लोगों से कोई संबंध नहीं है | बहुत ही गैरज़िम्मेदार और मूर्ख क़िस्म के लोग युवाओं में बहुत प्रसिद्ध होकर के यूथ-आइकन बन गए हैं | भारत के भविष्य के लिए ये बहुत ख़तरनाक बात है। तुम्हारी सारी ज़िन्दगी इसी बात से तय हो जाती है कि तुमने किसको अपना आदर्श बना लिया और किसकी संगति स्वीकार कर ली। और एक जवान आदमी ज़बरदस्त तरीक़े से इंप्रेशनेबल होता है, वल्नरेबल होता है। उसको जिसकी संगति मिल गई वो वैसा ही हो जाएगा | ऊपर उठने में हमेशा मेहनत लगती है, नीचे गिरना तो आसान ही होता है| जिस देश की जवान पीढ़ी बर्बाद हो गई, उस देश को अब दुश्मनों की ज़रूरत नहीं है। जो दुश्मन सीमा पार होता है वो कम खतरनाक होता है; जो दुश्मन आपके ही समाज में बैठ गया है आपमें से ही एक बनकर, बल्कि रोल मॉडल और सेलिब्रिटी बनकर, वो ज़्यादा खतरनाक होता है। सचेत रहिए। ऐसे में समझदार लोगों का फर्ज होता है कि वो घर के बच्चों को, टीनएजर्स को, दिशा देकर के उनको सही संगति में लगाएँ | नज़र रखिए कि किसकी तरफ जा रहा है आपके घर का टीनएजर, और दूसरी बात, जिधर को जाना चाहिए उधर जाने के लिए उसे प्रेरित भी करें। आदमी के इतिहास में विवेकानन्द, आदिशंकर, नचिकेता, भगत सिंह, कल्पना दत्त, ब्लेज़ पास्कल, मेरी क्युरी जैसे एक से बढ़कर एक ज़बरदस्त किशोर जवान लड़के-लड़कियां हुए हैं, जिन्होंने बहुत छोटा ही जीवन जिया है, पर उनका वो छोटा जीवन भी आग की लपट की तरह रहा है। उनके संपर्क में आकर के आपके घर का बच्चा भी प्रकाशित हो जाएगा। आचार्य प्रशांत संस्थापक, प्रशांतअद्वैत संस्था वेदांत मर्मज्ञ, पूर्व सिविल सेवा अधिकारी

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