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इस साल से महंगी हो जाएगी पीलीभीत टाइगर रिज़र्व की सैर, जानिए क्या होगी नई कीमत

उत्तर प्रदेश | उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में स्थित पीलीभीत टाइगर रिजर्व अपनी नदियों-नहरों व टाइगर के दीदार के लिए जाना जाता है। पर्यटन सत्र के दौरान देश दुनिया से हजारों पर्यटक जंगल की सैर करने के लिए पीलीभीत आते हैं। लेकिन 15 नवंबर से शुरू हो रहे नए पर्यटन सत्र के दौरान सैलानियों को पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सैर के लिए पहले की अपेक्षा अधिक दाम चुकाने होंगे। वन निगम ने सत्र किरायों में बढ़ोतरी की है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट। बता दें कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व में स्थित चूका बीच अपने आप में एक अनूठा पर्यटन स्थल है। चूका बीच को मिनी गोवा के नाम से भी जाना जाता है। चूका बीच स्थित थारू और ट्री हट के किराए में इस पर्यटन सत्र में वृद्धि की गई है। पहले यहां ठहरने के लिए 2 लोगों को 4032 रुपए चुकाने होते थे. इस सत्र इसका शुल्क 7080 रुपए कर दिया गया है। महंगी हुई जंगल सफारी पिछले पर्यटन सत्र में मुस्तफाबाद की एंट्री प्वाइंट से शुरू होने वाली सफारी के लिए पर्यटकों को 2832 रुपए चुकाने होते थे। वहीं इस बार सफारी का शुल्क 4130 रुपए निर्धारित किया गया है। शहर के नेहरू पार्क से शुरू होने वाले सफारी के लिए पर्यटकों को 4130 रुपए अदा करने पड़ते थे। लेकिन इस सत्र शुल्क बढ़ाकर 4720 रुपए कर दिया गया है। ऐसे करिये पीलीभीत तिगफ्रेसेर्वे की सैर 15 नवंबर से पीलीभीत टाइगर रिजर्व का पर्यटन सत्र शुरू हो रहा है। फिर भी टैग्रेसर की सैर करने के लिए सैलानी पीलीभीत शहर स्थित नेहरू पार्क से सफारी बुक कर सकते हैं। इसके साथ ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व की वेबसाइट https://pilibhittigerreserve.in/ पर भी ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।

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प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी निगरानी में दिया मूर्त रूप

वाराणसी | दुनिया भर के सनातन धर्म को मानने वालों के आस्था का केंद्र काशी में भगवान विश्वेश्वर खुद विराजते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी निगरानी व निर्देशन में मूर्त रूप दिया, जो नित्य नए कीर्तिमान बना रहा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण के बाद देवों के देव महादेव का आंगन दिव्य व भव्य होने के साथ सुविधायुक्त हुआ तो शिव भक्तों का रिकॉर्ड आवागमन होने लगा। भगवान विश्वनाथ के धाम में लोकार्पण के बाद बाबा की आरती में शामिल होने वालो की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। चारों दैनिक आरती में शामिल होते हैं श्रद्धालु श्री काशी विश्वनाथ धाम में बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। विशेश्वर के दर्शन के साथ ही उनके आरती में शमिल होने का भी विशेष महत्त्व है। विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण के बाद सावन के महीने में जहां 1 करोड़ श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई वहीं धाम के लोकार्पण के बाद बाबा की आरती में शामिल होने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। भोलेनाथ की पांच दैनिक आरती होती है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रधान ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ के दिन की शुरुआत मंगला आरती से होती है। दोपहर में भोग आरती, शाम को सप्तऋषि आरती और उसके बाद बाद श्रृंगार भोग आरती होती है। रात्रि में महादेव के शयन के समय शयन आरती होती है ,जिसमें टिकट बिक्री नहीं होती है। काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि टिकट के माध्यम से सुगम दर्शन के द्वारा काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के पहले दिसंबर 2020 से सितंबर 2021 तक चारों दैनिक आरती में शामिल होने वाले भक्तों की संख्या 58,096 थी जबकि लोकार्पण के बाद चारों आरती में शामिल होने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक होकर 1,26,510 हो गई। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में आरती में शामिल होने वालों भक्तों की संख्या और बढ़ने की संभावना है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के अर्चक नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि श्री विश्वनाथ भगवान की आरती चारों वेदों पर आधारित है। उन्होंने बताया कि महादेव के दर्शन के साथ भक्तों को आरती का विशेष फल मिलता है। लोकार्पण के पहले दिसंबर 2020 से सितंबर 2021 तक आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मंगला आरती –27175 भोग आरती –10824 सप्तऋषि आरती –14655 श्रृंगार भोग आरती -5442 लोकार्पण के बाद दिसंबर 2021 से सितंबर 2022 तक आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मंगला आरती –74302 भोग आरती –12475 सप्तऋषि आरती –26794 श्रृंगार आरती –12939

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महिला सुरक्षा के लिए लगभग पांच सौ करोड़ खर्च करेगी योगी सरकार

लखनऊ । प्रदेश की आधी आबादी को सुरक्षा देने की दिशा में योगी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस दिशा में सरकार लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके तहत महिला बीट प्रणाली के लिए 10, 417 स्कूटी का क्रय किया जाएगा। गृह विभाग की हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को लागू करने का निर्देश दे दिया है। यही नहीं इस योजना के तहत सरकार प्रदेश के प्रत्येक जनपद में 40 पुलिस पिंक बूथ भी खोलेगी। इस तरह प्रदेश के 75 जिलों में कुल तीन हजार पुलिस पिंक बूथ स्थापित किए जाएंगे। इनमें 20 पिंक बूथ धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर स्थापित होंगे। इन बूथों पर तैनात होने वाली महिला पुलिसकर्मियों की पेट्रोलिंग के लिए 20 स्कूटी भी खरीदी जाएगी। बूथ के निर्माण और स्कूटी खरीदने के लिए सरकार तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि खर्च करेगी। इस पूरी योजना के लिए सरकार 195 करोड़ रुपये से ज्यादा पूंजीगत व्यय करेगी। वहीं योजना के संचालन व्यय पर 297 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। 2022 के विधनसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के हर जनपद में पुलिस पिंक बूथ खोलने का वायदा किया था। सीएम योगी अब उसी घोषणा को पूरा करने जा रहे हैं। गुलाबी रंग में रंगे इन बूथों में महिलाओं की सुविधा का खासा ख्याल रखा जाएगा। इन बूथों में महिलाओं के लिए रेस्ट रूम, वॉशरूम, शिकायत कक्ष, किचन से लेकर प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की जाएगी। सभी जनपदों और धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों में पिंक बूथ के स्थापित होने से एक तरफ जहां प्रदेश की महिलाओं को मनचलों से छुटकारा मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ वह घरेलू हिंसा सहित अपने खिलाफ हुई अन्य हिंसा और बदसलूकी के बारे में महिलाएं खुलकर अपनी पुलिस को बता सकेंगी। साथ ही उन वर्किंग वुमेन के मन में सुरक्षा का भाव पैदा होगा, जो देर शाम या रात में अपने दफ्तर से छूटती हैं। इसके अलावा पुलिस को भी महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने में आसानी होगी। इन धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर भी खुलेंगे पुलिस पिंक बूथ मथुरा- कृष्ण जन्म भूमि, गोवर्धन मंदिर, वृंदावन बांके बिहार मंदिर और इस्कॉन मंदिर। वाराणसी- काशी विश्वनाथ धाम, बीएचयू (विश्वनाथ मंदिर), दुर्गा कुंड, संकट मोचन और सारनाथ। अयोध्या- श्री राम जन्मभूमि स्थल, हनुमान गढ़ी और कनक भवन। प्रयागराज- अलोपी देवी मंदिर और बड़े हनुमान जी मंदिर। चित्रकूट- रामघाट और कामदगिरी। मिर्जापुर- विंध्यवासिनी मंदिर। बलरामपुर- देवी पाटन मंदिर। आगरा- राधास्वामी मंदिर। गोरखपुर- गोरखनाथ मंदिर।

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इस साल कालानमक धान के बम्पर पैदावार के आसार

गोरखपुर | सरकार से मिले प्रोत्साहन के चलते बुवाई का रकबा बढ़ने के साथ अंतिम समय में भरपूर पानी की उपलब्धता से इस साल कालानमक धान के बम्पर पैदावार के आसार हैं। खेतों में लहलहाती फसल को देखकर कृषि वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि कालानमक धान का उत्पादन दोगुना तक हो सकता है। भौगोलिक सूचकांक वाले गोरखपुर, बस्ती व देवीपाटन मंडलों के 11 जिलों में कालानमक धान का क्षेत्रफल 70 हजार हेक्टेयर में पहुंच चुका है। जबकि पांच साल पहले यह सिमट कर करीब 10 हजार हेक्टेयर तक रह गया था। रकबे में इस वृद्धि का श्रेय योगी सरकार को जाता है। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किए जाने के बाद इसकी ब्रांडिंग के कारण किसानों का रुझान कालानमक की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा। इस साल सिद्धार्थनगर जिले में 12 हजार हेक्टेयर, गोरखपुर में 10 हजार, बस्ती में 9 हजार, कुशीनगर में 8 हजार, महराजगंज में 8 हजार, देवरिया में 7 हजार, संतकबीरनगर में 6 हजार, बहराइच में 4 हजार, गोंडा में 4 हजार, बलरामपुर में 3 हजार तथा श्रावस्ती में 2 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में कालानमक धान की खेती हुई है। इन जिलों के अलावा अयोध्या और बाराबंकी के किसानों ने भी कालानमक धान की खेती के प्रति उत्साह दिखाया है। कृषि और खासतौर पर कालानमक धान के क्षेत्र में शोध-अनुसंधान करने वाली संस्था पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन (पीआरडीएफ) की टीम ने सर्वे के बाद यह अनुमान लगाया है कि इस साल कालानमक की अबतक की रिकार्ड पैदावार होगी। टीम ने यह अनुमान फसल की बालियों की औसतन 30 सेमी लंबाई देखकर लगाया है। कालानमक की चार प्रजातियों केएन 3, बौना कालानमक 101, बौना कालानमक 102 तथा कालानमक किरण किसानों के खेतों में लहलहा रही हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ आरसी चौधरी का कहना है कि इस साल कालानमक की खेती करने वाले किसानों की आमदनी गत वर्षों की तुलना में तिगुनी तक हो सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यही मंशा भी है कि किसानों की आय में अभूतपूर्व इजाफा हो। डॉ चौधरी कालानमक की खेती के संरक्षण और संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई ओडीओपी योजना को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि करीब तीन हजार साल पुराने बुद्धकालीन कालानमक चावल को इसके मूल स्थल सिद्धार्थनगर की ओडीओपी में शामिल कर इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया। कालानमक महोत्सव का आयोजन हो या फिर मेहमानों को इस चावल को गिफ्ट के रूप में देना, इसकी जबरदस्त ब्रांडिंग की। अब तो सिद्धार्थनगर में कालानमक के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की स्थापना भी हो गई है। उपभोक्ताओं की पहली पसंद बनेगा कालानमक पड़ोसी के घर तक पहुंचने वाली खुश्बू, बेजोड़ स्वाद एवं पौष्टिकता के लिहाजा से आप कालानमक चावल को दुनिया का श्रेष्ठतम चावल माना जाता है। बुद्ध के प्रसाद के रूप में विख्यात कालानमक चावल अपने निहित पोषक तत्वों के चलते उपभोक्ताओं की पहली पसंद बनेगा। कालानमक में अन्य प्रजाति के चावल की तुलना में तीन गुना अधिक आयरन, चार गुना अधिक जिंक के साथ ही प्रचुर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। कम ग्लूकोज के कारण इसे मधुमेह के रोगी भी भरपेट खा सकते हैं।

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MORBI हादसे में जान गवाने वाले बच्चों के परिवार वालों का दर्द

उत्तर प्रदेश | इरफ़ान कासमानी (41) जब 29 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी से शादी में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के मालेगांव जाने के लिए निकले थे, तो उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वे जब अपने घर वापस लौटेंगे तो उन्हें सबसे छोटे बेटे की मौत की खबर मिलेगी। अपने घर में परिवारवालों और दोस्तों के साथ बैठे इरफान ने कहा – “हमारा तो जिंदगी उजड़ गया।” मोरबी में केबल ब्रिज गिरने से जान गंवाने वालों में उनका 14 साल बेटा अरमान भी शामिल है। जैसे ही इरफान ने अपनी आपबीती सुनाई तभी पास की एक मस्जिद से अजान की आवाज आई जिसके बाद वे एक क्षण रुके और अपनी आंखें बंद की और रोते हुए प्रार्थना करने लगे. 29 अक्टूबर को इरफान अपने चचेरे भाई-बहन यूनुस कासमानी (43) और फेमिदा इकबाल (38) और अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र के मालेगांव में एक शादी में शामिल होने के लिए निकल गए थे. तब उनके बच्चे रियाज (16), अरमान (14) और निसार (18) मोरबी में ही रुक गए थे. फिर अरमान के बड़े भाई शाहिल (18) ने उन्हें शादी में यह बताने के लिए फोन किया कि तीनों लड़के और उनका दोस्त एजाज अब्दुल मोहम्मद (18) मोरबी पुल पर गए थे जो गिर गए हैं. उस दिन मोरबी पुल पर जाने वाले चार लड़कों अरमान, निसार, रियाज और एजाज में से केवल रियाज ही इस हादसे में बच गया, लेकिन वह बुरी तरह से घायल हो गया है और मोरबी के एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. निसार के माता-पिता फेमिदा और इकबाल ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. इकबाल ने हाथ जोड़कर कहा – “फिलहाल बात नहीं कर सकते हैं।” फेमिदा अभी भी सदमे में हैं और लगातार रो रही थी। मृतक लड़कों के माता-पिता जब घर लौटे तभी उनके बच्चों के शव मुर्दा घर से लाए गए थे हादसे का शिकार हुए लड़कों के माता-पिता तो मालेगांव गए हुए थे। इस बीच उनके रिश्तेदारों ने लड़कों की तलाश की. दो लड़कों को ढूंढने में तो करीब 9 घंटे लग गए। अरमान उन्हें तड़के 3.30 बजे मिला और निसार की लाश उन्हें तड़के 4 बजे मुर्दा घर से मिली। सुबह 9 बजे जब मृतक लड़कों के माता-पिता घर लौटे तब उनके शवों को घर लाया गया। इस हादसे में बाल बाल बचे रियाज की कंधे की हड्डी में चोट आई है, दाहिने हाथ में फ्रैक्चर है और सिर और चेहरे पर कई टांके लगे हैं। इरफान ने कहा – “अरमान पढ़ना चाहता था। वह 12वीं कक्षा खत्म करने के बाद आगे और पढ़ना चाहता था।” उन्होंने बताया कि निसार 12वीं कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए नौकरी की तलाश में था। इरफान ने कहा – “जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिवारों को न्याय मिलना चाहिए. इस पुल को हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए। पुल पर केवल 100 लोगों तो झेलने की क्षमता थी लेकिन उन्होंने 500-700 लोगों को जाने दिया।” पड़ोस में भी छाया माताम जहां अरमान और निसार को 31 अक्टूबर की सुबह दफनाया गया, वहीं कासमानी परिवार से महज 20 मीटर की दूरी पर रहने वाले एजाज के लिए एक ताबूत तैयार था। एजाज के पिता अब्दुल मोहम्मद (45) ने केवल इतना कहा कि, “अभी ले जाना है उससे थोड़ी देर में।” एजाज के चाचा रजाक ने कहा – “वो बहुत शरारती था पर नेक लड़का था, सबकी बहुत मदद करता था.” एजाज के परिवार वालों से ज्यादा बात नहीं पाई. पास में ही रहने वाले एक व्यक्ति हनीफ ने कहा – “किसे पता था कि एक दिन में चार परिवारों के घर माताम छा जाएगा। भले ही आप अपने आसपास रहने वाले लोगों के साथ रोजाना बातचीत नहीं करते पर आप उन सभी को जानते हो, आप उन्हें त्योहारों पर मिलते हो।” मृतकों के घरवालों को न्याय की दरकार शोक और दुख में कासमानी अब जिम्मेदार लोगों से जवाब और अपने बच्चों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। इरफान के भाई अल्ताफ ने कहा – “वे पुल पर 400-500 लोगों को कैसे अनुमति दे सकते हैं, जो केवल 100-150 लोगों का भार झेल सकता है? छह महीने की अवधि में सिर्फ 2 करोड़ रुपये में पुल की मरम्मत कैसे की गई? जवाबदेही होनी चाहिए।” यह पुल सात महीने तक बंद रहा इसे फिर से खोलने की प्रक्रिया में चूक का आरोप लगाया जा रहा है, वहीं इस मामले में मोरबी पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक कमेटी कथित उल्लंघन की जांच कर रही है। आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 134 है, जिनमें से कम से कम 50 की उम्र 18 वर्ष से कम है। दो लोग अभी भी लापता हैं, मच्छू नदी में लगातार दूसरे दिन तलाशी अभियान जारी है।  

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शाहरुख़ के 57वें जन्मदिन पर हमेशा की तरह उनके घर मन्नत के बाहर उमड़ी फैंस की भीड़, देखें तस्वीरें

मुंबई, महाराष्ट्र | आज बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ खान का 57वां जन्मदिन है और हमेशा की तरह उनके घर के बाहर फैंस की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। शाहरुख़ के मन्नत के बाहर बड़ी तादाद में फैंस अपना प्यार व्यक्त करने पहुंचे और हमेशा की तरह शाहरुख़ ने भी बहार आकर अपनी झलकी से फैंस को नवाज़ा। यहां देखिये तस्वीरें ! शाहरुख़ के जन्मदिन के इस ख़ास मौके पर उनकी आने वाली फिल्म “पठान” का टीज़र भी रिलीज़ हुआ है, जिसको देख कर ऑडियंस फूले नहीं समां रही है।

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दो से चार नवंबर तक आईजीपी में होगा कृषि आधारित एमएसएमई उद्यमी महासम्मेलन

लखनऊ | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपने पहले कार्यकाल से यह मानना रहा है कि उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा है। दुनियां की सबसे उर्वर भूमि में शुमार इंडो गंगेटिक बेल्ट का विस्तृत भूभाग, इसको सींचने वाली गंगा, यमुना एवं सरयू जैसी सदानीरा नदियां और 9 तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र खेतीबाड़ी की संभवनाओं को और बढ़ा देते हैं। अगर हम अपनी उपज का प्रसंस्करण कर उनका मूल्य संवर्धन कर दें तो कई लाभ होंगे। मसलन किसानों को उनकी उपज का दाम मिलेगा। प्रसंस्करण संबंधी उद्योग स्थापित होने से स्थानीय स्तर पर उपज की ग्रेडिंग,पैकिंग, ट्रांसपोर्टेशन, लोडिंग,अनलोडिंग, मार्केटिंग के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। किसानों की आय तो बढ़ेगी। साथ ही ये इकाइयां हर परिवार, एक रोजगार एवं प्रेदश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुचाने में भी मददगार होंगी। खेतीबाड़ी से जुड़े करीब 15 उत्पादों के उपज में यूपी नंबर वन है। इस वजह से यहां खाद्य प्रसंस्करण की संभावना और बढ़ जाती है। – फ़ूड एक्सपो-2022 से प्रसंस्करण क्षेत्र की संभावनाओं को मिलेगा व्यापक फलक – इस क्षेत्र की 15000 इकाईयां, राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थान लेंगे भाग सरकार भी इन संभावनाओं से भलीभांति वाकिफ है। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 2 से 4 नवम्बर को आयोजित कृषि आधारित एमएसएमई उद्यमी महासम्मेलन एवं इंडिया फ़ूड एक्सपो 2022 की तैयारियों के बाबत आयोजित पत्रकारवार्ता में प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यूपी की अर्थव्यवस्था लगभग 250 बिलियन डॉलर की है। इसमें से 4.5 लाख करोड़ रुपये कृषि और 50 हजार करोड़ रुपये का योगदान फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र का है। प्रदेश में हजार 70 पंजीकृत और लाख 20 गैर पंजीकृत एमएसएमई इकाइयां हैं। टेक्सटाइल सेक्टर के बाद फूड सेक्टर में ही सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध है। प्रदेश पूरे देश में एमएसएमई सेक्टर के तहत लोगों को राेजगार उपलब्ध कराने में दूसरा स्थान रखता है। ऐसे में प्रदेश को वन ट्रिलियन इकॉनमी बनाने में फूड प्रोसेसिंग का अहम रोल है। आयोजन में भाग लेने वाले संस्थान (कार्यक्रम में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ पैकेजिंग, केन्द्रीय खाद्य प्रोद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, फ्लेवर्स एंड फ्रेगरेंस विकास केंद्र कन्नौज, यूपीसीडा, योजना विभाग) एवं इस क्षेत्र से जुड़ी 1500 इकाइयों के डेमो, एवं विषय विशेषज्ञों के सेमिनार से प्रदेश के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को अपने विस्तार का एक नया फलक मिलेगा। क्या कहती है ग्रैंडथार्टन की रिपोर्ट देश के शीर्षस्थ औद्योगिक संगठन एसोचैम और चार्टर्ड एकाउंटेंट की वैश्विक संस्था ग्रैंडथार्टन की एक रिपोर्ट में भी इस क्षेत्र की संभावनाओंभी चर्चा की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 तक इस क्षेत्र में करीब एक करोड़ रोजगार के मौके सृजित होंगे। इसमें से करीब 10 लाख लोगों को तो सीधे रोजगार मिलेगा। शहरीकरण, एकल परिवार के बढ़ते चलन के कारण प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मांग बढनी ही है। विदेशी बाजारों में भी ऐसे गुणवत्ता युक्त उत्पादों की अच्छी मांग है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपने पहले कार्यकाल से ही यह मानना रहा है कि खाद्य पदार्थों, सब्जियों और फलों के मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) से ही किसानों की आय बढ़ेगी। योगी 2.0 की शुरुआत में भी खेतीबाड़ी से जुड़े सात विभागों की मंत्री परिषद के समक्ष हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि पहले चरण में वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, बुलन्दशहर और लखीमपुर खीरी के लिए इस बाबत योजना तैयार की जाय। प्रदेश की लगभग सभी मंडियों में इतनी जमीन है कि उनमें वहां की जरूरत के अनुसार प्रसंस्करण इकाइयां लगाई जाय। लिहाजा मंडियों में पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की जाय। ऐसी ही पहल हर जिले में बने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के लिए भी की जाय। यही नहीं तैयार और कच्चे माल के सुरक्षित भंडारण के लिए स्टोरेज बनाने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिया था। उत्तर प्रदेश में संभावनाएं चूंकि यूपी गेंहू,गोभी, तरबूज, आम, अमरुद, आवला, शाक भांजी, मेंथा, दूध और मांस आदि के उत्पादन में देश में नंबर एक है। सर्वाधिक आबादी के नाते श्रम और बाजार भी कोई समस्या नहीं है। 9 तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र और भरपूर पानी की उपलब्धता की वजह से किसानों को प्रसंस्करण इकाइयों की मांग के अनुसार फसल उगाना आसान है। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार का जोर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने का है। दो से चार नवम्बर तक होने वाले आयोजन का मकसद भी यही है। योगी सरकार की अब तक की पहल भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 6 मेगा फ़ूड पार्क लगाने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी थी। उसी प्रतिबद्धता के क्रम में गत दिनों खेतीबाड़ी से जुड़े सात विभागों की मंत्री परिषद के समक्ष हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया। इसी क्रम में सरकार सहारनपुर, लखनऊ, हापुड़, कुशीनगर, चन्दौली व कौशाम्बी में आलू और क्षेत्र विशेष की फसलों को ध्यान में रखते हुए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजनांतर्गत 14 नए इन्क्यूबेशन सेंटरों का निर्माण शुरू करने की तैयारी है। अब तक के कार्य और नतीजे अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति जारी कर सीएम योगी ने संभावनाओं से भरे इस सेक्टर को एक दिशा दी थी। लगातार कोशिशों के नतीजे भी सकारात्मक रहे। इस दौरान उद्यान (हॉर्टिकल्चर) सेक्टर में जहां फल, शाकभाजी, फूल, मसाला फसलों आच्छादन में 1.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का विस्तार हुआ तो उत्पादन में भी 07 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई। इंडो-इजराइल तकनीक पर आधारित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बस्ती (फल) और कन्नौज (सब्जी) में स्वीकृत हुआ तो संरक्षित खेती से पुष्प और सब्जी उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 554 किसानों द्वारा पॉलीहाउस/शेडनेट हाउस भी तैयार कराया गया। आलू के भंडारण की क्षमता में 30 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हुई तो प्याज भंडारण के लिए करीब 200 भंडारण केंद्र बनाए गए। योगी सरकार-2 की कार्ययोजना कृषि उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन देने की रणनीति के तहत जल्द ही फसल विशेष के लीड 4000 नए एफपीओ बनाने की तैयारी है। इन्हें 18 लाख रुपए तक का अनुदान भी देय होगा। रोजगारोन्मुखी कोशिशों के तहत

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ग्रेटर नाेएडा में आयोजित पांच दिवसीय इंडिया वाटर वीक-2022 के उद्धाटन समारोह में हुए शामिल

ग्रेटर नाेएडा/लखनऊ | प्रदेश में पहले गंगा का सबसे क्रिटिकल प्वाइंट कानुपर हुआ करता था, लेकिन आज नमामि गंगे प्रोजेक्ट से कानपुर का सीसामऊ सीवर प्वाइंट सेल्फी प्वाइंट बन गया है। इतना ही नहीं नमामि गंगे परियोजना के पहले और बाद के बदलाव का असर अब अविनाशी काशी में भी दिखाई पड़ता है। पहले  गंगा का जल आचमन करने योग्य नहीं होता था, आज गंगा में डॉल्फिन भी दिखाई पड़ती हैं। गंगा की अविरलता और निर्मलता दोबारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट से प्राप्त हुई है। वहीं दिसंबर तक बुंदेलखंड के हर घर में नल से जल पहुंच जाएगा। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ग्रेटर नोएडा में आयोजित पांच दिवसीय इंडिया वाटर वीक-2022 के उद्धाटन समारोह में कही। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दीप जलाकर किया। कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आदि मौजूद रहे। प्रदेश में जल की पर्याप्त उपलब्धता  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही कुछ संकल्प लिए थे, उनमें से जल संचयन भी एक संकल्प था, जिसके परिणाम आज सबके सामने हैं। उत्तर प्रदेश में जल की पर्याप्त उपलब्धता के साथ पर्याप्त जल संसाधन भी हैं। पहले प्रदेश के विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र को जल संचयन के मामले में डार्क क्षेत्र माना जाता था। इन क्षेत्राें में हमने पिछले कुछ वर्षों में जल संचयन को लेकर पर्याप्त उपाय कर आज हर घर में साफ पानी पहुंचाने का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है। सीएम योगी ने कहा कि विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हर घर नल योजना को दिसंबर-2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। प्रदेश में 60 से ज्यादा नदियों को किया जा चुका है पुनर्जीवित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के एक बड़े भूभाग पर हिमालय से आने वाली नदियां हैं, जो अपने साथ पर्याप्त सिल्ट लेकर आती हैं, जिससे कई नदियां लुप्त होने की कगार पर आ गई थी। हमें उनके पुर्नोद्धार कर उन्हे नया जीवन दिया। अब तक प्रदेश में 60 से ज्यादा नदियों को पुनर्जीवित किया जा चुका है। प्रयागराज में कुम्भ गंगा के संगम तट पर सम्पन्न हुआ, जिसमें दशकों बाद श्रद्धालुओं और संतों ने यह पहली बार अहसास किया कि गंगा का जल भी आचमन योग्य है। सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जहां प्लास्टिक थर्माकोल को प्रतिबंधित कर दिया गया है। बढ़ती हुई आबादी हमको जल संकट के लिए आगाह कर रही है ऐसे में प्रदेश में जल संरक्षण के लिए अलग-अलग स्तर पर पर्याप्त प्रयास और कार्य किए जा रहे हैं। शुद्ध पेयजल आज जीवन को बचाने की सबसे बड़ी जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश में अब तक 58 ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर के कार्य को पूरा किया जा चुका है और इसे युद्धस्तर पर तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।

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प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों का बिछा जाल, 14 शहरों में दौड़ रहीं 583 इलेक्ट्रिक बसें

लखनऊ | उत्तर प्रदेश के नागरिकों को प्रदूषण रहित और सुविधाओं से लैस पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए गंतव्य तक पहुंचाने के लिए योगी सरकार ने बड़ी तैयारी की है। 2020 में इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इलेक्ट्रिक बस की संकल्पना को मूर्त रूप दिया गया था और देखते ही देखते 2 साल में यह 14 बड़े शहरों में लागू हो चुकी है। इन शहरों में शुरुआत में कुल 700 बसों की फ्लीट चलाने का लक्ष्य रखा गया था, जिनमें से 2 लॉट में कुल 614 बसों की डिलीवरी हो चुकी है। वहीं, 583 बसों का संचालन भी हो रहा है। जल्द ही 86 बसें भी डिलीवर हो जाएंगी, जिसके बाद इन शहरों में पूरी फ्लीट कंप्लीट हो जाएगी। वहीं, जिन शहरों में अभी इलेक्ट्रिक बसों की शुरूआत नहीं हो सकी है, वहां भी इसकी संभावनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है। गौरतलब है कि इन बसों के जरिए प्रदेश के नागरिक तुलनात्मक रूप से कम किराए में वातानुकूलित बसों में आरामदायक सफर तय कर रहे हैं। वहीं, पर्यावरण को भी डीजल-पेट्रोल बसों के खतरनाक धुएं से निजात मिल रही है। आगरा, लखनऊ और कानपुर में सबसे बड़ी फ्लीट प्रदेश में सबसे ज्यादा आगरा, लखनऊ और कानपुर में बसों की फ्लीट दौड़ रही है। इन शहरों में 100-100 बसें चलाने का लक्ष्य है, जिसमें से आगरा में 76, लखनऊ में 100 और कानपुर में 82 बसें संचालित हो रही हैं। लखनऊ और कानपुर में सभी 100 बसों की डिलीवरी की जा चुकी है तो आगरा में 89 बसों की डिलीवरी हो चुकी है। अन्य शहरों की बात करें तो मथुरा-वृंदावन, वाराणसी और प्रयागराज में 50-50 बसों की फ्लीट संचालित हो रही है। वहीं, गाजियाबाद और मेरठ में 30-30, अलीगढ़, गोरखपुर और झांसी में 25-25 व बरेली, मुरादाबाद और शाहजहांपुर में 10 बसों की फ्लीट दौड़ रही है। कुल मिलाकर प्रदेश के 14 शहरों में 583 बसें संचालित हो रही हैं, जबकि कुल 614 बसों की डिलीवरी पूरी हो चुकी है। – आगरा, लखनऊ और कानपुर में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें हो रहीं संचालित -जल्द ही इन सभी 14 शहरों में पूरी हो जाएगी 700 इलेक्ट्रिक बसों की फ्लीट – 966 करोड़ की लागत से शुरू हुई योजना, सरकार की ओर से दी जा रही 315 करोड़ रुपए की सब्सिडी 315 करोड़ की दी गई सब्सिडी बीते दिनों मुख्य सचिव डीएस मिश्रा की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से जुड़ा प्रस्तुतिकरण किया गया। इसके मुताबिक, 11 मार्च 2020 को बस ऑपरेटर एग्रीमेंट के तहत यूपी में इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का फैसला लिया गया था। इस पूरे प्रोजेक्ट की कुल कॉस्ट 966 करोड़ है जिसमे 315 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान की गई है। इसमें भारत सरकार की ओर से 270 करोड़ तो यूपी सरकार की ओर से 45 करोड़ रुपए की सब्सिडी शामिल है। यह पूरा प्रोजेक्ट फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाईब्रिड व्हीकल्स इन इंडिया (फेम-2) के तहत शुरू किया गया है। फेम-1 की शुरुआत 2010 में हुई थी जब जेएनएनयूआरएम के तहत सिटी बस सर्विस की जिम्मेदारी यूपीएसआरटीसी को दी गई। इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 1140 बसों की फ्लीट को सड़क पर उतारा गया था। हालांकि, इसमें इलेक्ट्रिक बसें महज 40 ही थीं, जिन्हें 2018 में सबसे पहले लखनऊ में उतारा गया। यह प्रोजेक्ट सिर्फ 7 शहरों के लिए था, जिसमे कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, आगरा और मथुरा शामिल थे। फेम-2 में इस योजना को विस्तार दिया गया है और सिर्फ इलेक्ट्रिक बसों को ही प्राथमिकता दी गई। फेम-2 में जोड़े गए 7 शहर फेम-1 में जहां सिर्फ 7 शहरों को शामिल किया गया था तो फेम-2 में 7 अन्य शहरों को भी इसमें जोड़ दिया गया। इसके तहत जो 700 इलेक्ट्रिक बसें प्रस्तावित की गई थीं, उनमें से 600 को फेम-2 के तहत सैंक्शन किया गया तो 100 बसें उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सैंक्शन हुई। प्रदेश सरकार की ओर से सैंक्शन बसों को मथुरा-वृंदावन, शाहजहांपुर और गोरखपुर में संचालित किया जा रहा है। सुरक्षित हो रही आबो-हवा भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में इलेक्ट्रिक बसों का प्रचलन बढ़ रहा है। भारत ने 2070 में शून्य उत्सर्जन को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की जा रही हैं। इसी के अनुरूप प्रदेश सरकार ने सिटी ट्रांसपोर्ट के रूप में इलेक्ट्रिक बसों को तरजीह दी है। इससे न सिर्फ शहरों की आबो-हवा दुरुस्त होगी, बल्कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए डीजल-पेट्रोल की निर्भरता भी कम होगी। साथ ही, लोगों को भी आरामदायक और वातानुकूलित बसों में कम पैसों में सफर का आनंद मिलेगा।

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सनसनी ख़ेज़ ट्रिपल मर्डर से दहला बदायूं, घर में घुसकर सपा नेता व उनकी पत्नी और माँ की गोली मारकर हत्या

उत्तर प्रदेश | यूपी के बदायूं जिले में गोली मारकर तीन लोगों की हत्या की बड़ी वारदात सामने आई है. यहां पूर्व ब्लॉक प्रमुख/जिला पंचायत सदस्य, उनकी पत्नी और मां की राजनीतिक रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी गई है. हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश मौके से फरार हो गए हैं. ट्रिपल मर्डर की वारदात से इलाके में दहशत का माहौल है. पूरा मामला ! मामला उसहैत थाना क्षेत्र के सथरा गांव का है. यहां के रहने वाले पूर्व ब्लाक प्रमुख/ जिला पंचायत सदस्य और एसपी नेता राकेश गुप्ता अपने घर में अपनी मां और पत्नी के साथ थे. इस दौरान राकेश के घर में कुछ बदमाश घुस आए. इस दौरान उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग कर दी, जिसमें पूर्व ब्लाक प्रमुख राकेश गुप्ता उनकी पत्नी शारदा और मां शांति देवी की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई. ट्रिपल मर्डर की वारदात के बाद कई थानों की पुलिस और पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे. सबसे पहले पुलिस ने तीनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और मामले की पड़ताल शुरू कर दी. ट्रिपल मर्डर के पीछे राजनीतिक रंजिश बताई जा रही है, क्योंकि पूर्व ब्लाक प्रमुख के परिवार में कई लोग ग्राम प्रधान भी रहे हैं. मामले में एसएसपी डॉक्टर ओपी सिंह ने बताया परिजनों की ओर से अभी तक कोई तहरीर नहीं दी गई है. गोली लगने से 3 लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है. फिलहाल, तीनों शवों के पोस्टमार्टम कराए जा रहे हैं. परिजन जो भी तहरीर देंगे उसके आधार पर और जांच में जो भी तथ्य निकल कर आएंगे सख्त कार्रवाई की जाएगी. बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से दुख व्यक्त किया और जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है. बताया जा रहा है कि पूर्व ब्लाक प्रमुख/जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता समाजवादी पार्टी के सक्रिय नेता थे. वहीं, समाजवादी पार्टी ने इस वारदात पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. एसपी ने ट्वीट कर लिखा कि “बदायूं में राजनीतिक रंजिश के चलते सत्ता संरक्षित बदमाशों के द्वारा सपा के पूर्व ब्लाक प्रमुख, उनकी पत्नी और मां की गोली मारकर नृशंस हत्या प्रदेश में हाशिए पर जा चुकी कानून व्यवस्था की देन है. शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना. हत्यारों के खिलाफ हो कठोरतम कार्रवाई.  

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