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लखनऊ : रिटायर्ड डीजी ने खुद को गोली मारकर की आत्महत्या, सुसाइड नोट बरामद

उत्तर प्रदेश | राजधानी लखनऊ में मंगलवार की सुबह सेवानिवृत्त डीजी दिनेश शर्मा ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। वह 73 वर्ष के थे और डिप्रेशन के मरीज थे। दिनेश शर्मा 1975 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और अपनी पत्नी व बेटे के साथ गोमती नगर के विशालखंड में बने आवास में रहते थे। मंगलवार को उन्होंने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने डिप्रेशन में होने की बात लिखी। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि मैं एंजाइटी के कारण डिप्रेशन में हूं इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं। मेरी मौत का कोई भी जिम्मेदार नहीं है। परिजनों को उनका शव खून से लथपथ हालत में उनके कमरे में मिला।

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Ballia News : सूचना छुपाने पर रसड़ा एसडीएम सहित तीन पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज

उत्तर प्रदेश | जन सूचना में गलत जानकारी देने के आरोप में रसड़ा एसडीएम सदानंद सरोज सहित तीन पर धोखाधड़ी के आरोप में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। सदर तहसील के कोठिया सुरही निवासी परशुराम राय ने जनसूचना में गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में वाद दाखिल किया था। कोर्ट के निर्देश पर सदर कोतवाली पुलिस ने तत्कालीन तहसीलदार सदानन्द सरोज, सर्किल कानूनगो रणजीत सिंह व लेखपाल तारा राकेश आनंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। कोठिया सुरही निवासी परशुराम राम ने आरोप लगाया है कि नौ मार्च 2022 को उपजिलाधिकारी से छह बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। सहायक जनसूचना अधिकारी तहसीलदार की ओर से 11 मई को बिंदु पांच व छह की सूचना प्रश्नवाचक कहकर देने से इंकार कर दिया गया। जबकि मेरी सूचना प्रश्नवाचक नहीं थी। वहीं, बिंदु एक से तीन तक के सवालों का एक ही जवाब दिया गया था। तहसीलदार सदर ने सूचना देने से इंकार कर दिया गया। परशुराम राय ने तहसीलदार सदर पर मानचित्र में मौजूद कुआं व बोमा निशान को छिपाकर गुमराह करने के उद्देश्य से गलत सूचना देकर आरटीआई एक्ट की अवज्ञा का आरोप लगाया। खसरा में अतिक्रमण अंकित न कर आरोपियों को संरक्षण देकर लाभ अर्जित करने का आरोप लगाया। कहा कि उक्त आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए थाने पर शिकायत की गई थी। एसपी से भी शिकायत की गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। कोतवाली प्रभारी राजीव सिंह ने कहा कि कोर्ट के निर्देश पर संबंधित आरोपियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, जांच के बाद कोर्ट में रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी।

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पर्यावरण दिवस पर जन्म और पर्यावरण से योगी के सरोकार

लखनऊ | अमूमन पहले से घोषित किसी खास दिन और किसी के जन्मदिन में संबंध एक संयोग ही होता है। नाथपंथ के मुख्यालय माने जाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी एक ऐसा ही संयोग जुड़ा है। 5 जून को, जिस दिन पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, उसी दिन योगी का जन्मदिन भी पड़ता है। जन्मदिन, विश्व पर्यावरण दिवस और जन, जंगल एवं जल संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस अवसर को खास बना देती है। विरासत में मिला है पर्यावरण प्रेम पर्यावरण से योगी का यह प्रेम पुराना है। संभवतः यह उनको विरासत में मिला है। 5 जून 1972 को उनका जन्म प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर तहसील के पंचुर नामक गांव में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय आनंद सिंह विष्ट वन विभाग में रेंजर थे। प्राकृतिक संपदा के लिहाज से समृद्धतम देवभूमि में जन्म और पिता की वन विभाग की सर्विस की वजह से प्रकृति के प्रति उनका लगाव स्वाभाविक है। गोरखनाथ मंदिर भी प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न बाद में जब वह गोरखपुर आए और नाथपंथ में दीक्षित होकर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने, तब भी उनको प्रकृति के लिहाज से एक बेहद सुंदर माहौल मिला। गोरखपुर स्थित करीब 50 एकड़ में विस्तृत गोरखनाथ मंदिर परिसर की लकदक हरियाली, बीच-बीच में खूबसूरत फुलवारी, भीम सरोवर के रूप में खूब सूरत पक्का जलाशय, पॉलीथिन रहित परिसर इस सबका सबूत है। पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर के रूप में योगी ने इसे और सवारा योगी ने पीठ के उत्तराधिकारी एवं बाद में पीठाधीश्वर के रूप में इस परिसर को और सजाया-संवारा। साथ ही जमाने के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए नवाचार भी किये। करीब 400 गोवंश वाली देसी गायों की गोशाला में वर्मी कम्पोस्ट की इकाई के अलावा जल संरक्षण (वाटर हार्वेस्टिंग) के लिए बने आधुनिक टैंक (सोख्ता) का निर्माण इसका सबूत है। यही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद मंदिर में चढ़ावे के फूलों से बनने वाली अगरबत्ती की एक इकाई भी उनकी पहल पर लगी। मुख्यमंत्री बनने के बाद पद के अनुरूप सरोकार का फलक भी बढ़ा मुख्यमंत्री बनने के बाद पर्यावरण के प्रति यह प्रेम और प्रतिबद्धता और भी व्यापक रूप में समग्रता में दिखती है। पौधरोपण के साथ वह बार-बार उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा का जिक्र करते हुए विष रहित जैविक खेती की पुरजोर पैरवी करते हैं। पर्यावरण के प्रति उनकी समग्र सोच का नतीजा भी दिखने लगा है। मसलन, यहां के पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 25 से बढ़कर 65 हो गई। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बाघ के संरक्षण के नाते दुधवा टाइगर रिजर्व को यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेन्ट प्रोगाम) एवं आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर) द्वरा कैट्स पुरस्कार मिला। परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तितलियों के लिए प्रदेश के तीनों चिड़ियाघरों (शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान गोरखपुर, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान लखनऊ, कानपुर प्राणि उद्यान) में बटरफ्लाई पार्क की स्थापना की गई। पहली बार ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन हुआ। ब्रजकालीन सौभरी वन का विकास, जैविक विविधता से भरपूर (इटावा, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव, गोंडा, मैनपुरी, आगरा, बिजनौर, संतकबीरनगर) वेट लैंड्स के संरक्षण के उपाय किये गए। प्राकृतिक सफाईकर्मी कहे जाने वाले और लुप्तप्राय हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए महराजगंज जिले के भारीवैसी में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र बनाया गया। कुकरैल (लखनऊ) में देश की पहली नाइट सफारी के निर्माण की प्रकिया चल रही है। पौधरोपण पर खासा जोर बतौर मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल में प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल रिकॉर्ड पौधरोपण के क्रम में 135 करोड़ से अधिक पौधरोपण हुआ, इसका नतीजा भी सामने है। स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसद हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसद था। रिपोर्ट के अनुसार 2019 के दौरान कुल वनावरण एवं वृक्षावरण में 91 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए योगी सरकार 2.0 ने अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 35 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं। अगले चार साल तक हर साल इतने ही पौधरोपण का लक्ष्य है। इसके लिए अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधे लगेंगे। इस वर्ष का लक्ष्य 35 करोड़ पौधरोपण का है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग पौधरोपण से जुड़ें। यह जन आंदोलन बने। नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं के पीछे भी यही मकसद है। योगी की मॉनिटरिंग में पौधरोपण में कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) के अनुरूप पौधों का चयन किया जाता है। बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे देशज पौधों को वरीयता मिलती है। अलग-अलग जिलों के लिए चिन्हित 29 प्रजाति और 943 विरासत वृक्षों को केंद्र में रखकर पौधरोपण का ये अभियान चलाया जाता है। मंदिर परिसर में किया हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोरखनाथ मन्दिर परिसर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ गो सेवा केन्द्र में योगी आदित्यनाथ ने हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण किया।

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Lucknow Nagar Nigam : अधिकारीयों ने कर दिया गलत सर्वे , पहले हाउस टैक्स देते थे 4953, अब मांगे जा रहे 2.24 लाख रुपये

उत्तर प्रदेश | गलत जीआईएस सर्वे से से एक लाख गृहकरदाता पीड़ित । पहले 4953 रुपये था हाउस टैक्स, अब सवा दो लाख रुपये मांगा जा रहा है। परेशान लोग निगम के चक्कर काट रहे हैं। गलत और मनमाने तरीके से किए गए गृहकर जीआईएस सर्वे का खामियाजा एक लाख से अधिक भवनस्वामियों को भुगतना पड़ रहा है। सर्वे करने वाली निजी कंपनी का काम सही नहीं होने पर नगर निगम सदन ने पिछले साल 17 नवंबर को इस पर दो महीने के लिए रोक लगा दी थी। इसके बाद नगर निगम दो महीने चुप्पी साधे रहा। अब निगम प्रशासन ने आपत्ति और नोटिस की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही उसी सर्वे के आधार पर एकतरफा सुनवाई (एक्स पार्टी) करके टैक्स बढ़ा दिया है। अप्रैल से शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष में अब भवनस्वामी गृहकर जमा करने आ रहे हैं, तो बढ़ा हुआ टैक्स देखकर वे दंग रह जा रहे हैं। गलत टैक्स से त्रस्त लोग , काट रहे नगर निगम के चक्कर 2903 रुपये चुकाती थीं गृहकर, अब 14,688 रुपये हजरतगंज रामतीरथ वार्ड में शिरीन हनीफ का मकान है। इनके मकान का आईडी-9157ए27049 है। बीते साल तक 800 वर्ग फीट के इनके मकान का टैक्स महज 2903 रुपये सालाना था। गलत जीआईएस सर्वे की वजह से यह अब 14,688 रुपये हो गया है। शिरीन अब नगर निगम का चक्कर काट रही हैं। 4953 रुपये देते थे गृहकर, अब 2.24 लाख मांगा जा रहा राममोहन राय वार्ड में राजेश कुमार भल्ला और ज्योति भल्ला का मकान है। इनका भवन आईडी 9157ए06291 है। बीते साल तक इनके मकान का 3500 वर्ग फीट कवर्ड एरिया का टैक्स 4953 रुपये सालाना था। गलत जीआईएस सर्वे से अब यह 2.24 लाख रुपये सालाना हो गया है। राजेश टैक्स दुरुस्त कराने के लिए नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं। गलत सर्वे कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप सपा के वरिष्ठ पार्षद व पूर्व नेता सपा पार्षद दल यावर हुसैन रेशू का आरोप है कि निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए शासन ने जीआईएस सर्वे कराया। यही बात कांग्रेस की वरिष्ठ पार्षद व पूर्व नेता कांग्रेस पार्षद दल ममता चौधरी भी कहती हैं। दोनों का कहना है कि जब नगर निगम के पास खुद टैक्स इंस्पेक्टर हैं, तो फिर क्यों 10 करोड़ रुपये सर्वे पर खर्च किए गए? दोनों कहते हैं, सदन में यह मामला उठाया गया था। ऐेसे में अफसरों को नए सदन का इंतजार करना चाहिए था। जब मामला सदन का था, तो फिर सदन में ही इस पर बात होनी चाहिए थी।

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Ekana Stadium: आंधी से गिरा स्टेडियम का बोर्ड , मलबे में दबकर दो की मौत

उत्तर प्रदेश | लखनऊ में इकाना स्टेडियम का बोर्ड नीचे गिर जाने से कई लोग दब गए। घटना में एक गाड़ी भी नीचे दब गई है। बोर्ड को हटाने के लिए क्रेन की मदद ली जा रही है। राजधानी लखनऊ के इकाना स्टेडियम का बोर्ड सोमवार की शाम को गिर गया। जिसके नीचे कई लोग दब गए। मामले में बचाव कार्य जारी है। फ़िलहाल दो लोगों की मौत की खबर है। पुलिस मौके पर मौजूद है। स्पेशल डीजी एलओ का कहना है कि दो से तीन लोग नीचे दबे हैं। क्रेन की मदद ली जा रही है। मलबे में एक कार भी नीचे दब गई है। राहत व बचाव कार्य जारी है।

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मुख्यमंत्री ने किया रुद्राभिषेक, भोलेनाथ से की लोकमंगल की प्रार्थना

गोरखपुर, 5 जून। गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह रुद्राभिषेक कर भगवान भोलेनाथ से लोकमंगल की प्रार्थना की। मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में सीएम योगी ने देवाधिदेव महादेव को विल्व पत्र, कमल पुष्प आदि अर्पित करने कर बाद रुद्राभिषेक किया। मठ के मुख्य पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी व अन्य पुरोहितगण एवं ने शुक्ल यजुर्वेद संहिता के रुद्राष्टाध्यायी के महामंत्रों द्वारा रुद्राभिषेक का अनुष्ठान पूर्ण कराया। रुद्राभिषेक के बाद उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन व आरती की। विधि विधान से पूर्ण हुए अनुष्ठान के उपरांत उन्होंने प्रदेशवासियों के आरोग्यमय, सुखमय, समृद्धमय व शांतिमय जीवन की मंगलकामना की।

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उत्तर प्रदेश : PWD के 200 इंजीनियर्स का होगा डिमोशन, डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ को लड़ाई जीतने में लगे 13 साल

लखनऊ | पीडब्ल्यूडी विभाग में 200 इंजीनियर अब साहब से जूनियर इंजीनियर बन जाएंगे। दरअसल, पीडब्ल्यूडी विभाग के 200 इंजीनियरों को डिमोट करने के आदेश हुए हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग में कई इंजीनियर वर्ष 2010 में नियम विरुद्ध प्रमोशन प्राप्त किए थे, इनको सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता पर प्रमोशन मिला था। डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने इस पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने 13 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नति के परिप्रेक्ष्य में डिग्री-डिप्लोमा विवाद हेतु योजित 40 रिट याचिका के बंच की सुनवाई के लिए बनी विशेष बेंच में लगभग एक माह नियमित सुनवाई हुई। उसके बाद फैसला डिप्लोमा इंजीनियर संघ के पक्ष में आया। उच्च न्यायालय द्वारा डिप्लोमा इंजीनियर संघ की सभी रिट याचिकाओ को एलाऊ कर दिया गया है। शासन एवं विभाग द्वारा सहायक अभियंता पद पर दिनांक 2 अगस्त 2008 को की गई 95 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को निरस्त कर दिया गया है। वर्तमान में अधिशासी अभियंता पद पर पदोन्नति प्राप्त कर चुके सभी पदावनत होंगे। इसी प्रकार सहायक अभियंता पद पर 3 जुलाई 2009 को की गई 27 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को भी निरस्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त 5 फरवरी 2010 को 78 पदों पर की गई डीपीसी को भी निरस्त कर दिया गया है। कोर्ट के इस आदेश के लागू होने पर पीडब्ल्यूडी विभाग में इन 200 इंजीनियरों में कई इंजीनियर ऐसे हैं जो जिलों में अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं। यानी कि कई इंजीनियर जिलों की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग की संभाल रहे हैं। अब यह सभी डिमोट हो कर जूनियर इंजीनियर हो जाएंगे। डिप्लोमा इंजीनियर संघ के अध्यक्ष एनडी द्विवेदी ने बताया कि डिप्लोमा होल्डर की जगह नियम विरुद्ध डिग्री होल्डर का प्रमोशन कर दिया गया था। जिसका हमने विरोध किया और यहां लंबी लड़ाई चली। डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने इस लड़ाई को हाईकोर्ट से लगाकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा, जिसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए निर्देश दिया है कि इन सभी दो सौ इंजीनियर को डिमोट किया जाए। अभी संबंध में शासन को भी हमारे साथ न्याय करना चाहिए और कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच में सुनवाई जारी थी, जिसने अपना फैसला हमारे पक्ष में दिया है।  

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लखीमपुर खीरी : झोलाछाप डॉक्टर ने बेहोशी का इंजेक्शन देकर किया महिला के साथ दुष्कर्म

Uttar Pradesh | खबर लखीमपुर खीरी से है, जहां एक झोलाछाप डॉक्टर ने एक क्रूर घटना को अंजाम दिया। एक महिला को बेहोशी का इंजेक्शन दे कर इस डॉक्टर ने उसके साथ दुष्कर्म किया। तहरीर में दुष्कर्म के बजाय महज़ छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कर इस माले में स्थानीय पुलिस ने बड़ा खेल किया। बाइट दुष्कर्म पीड़िता महिला का पति   मामला निघासन कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है जहां एक झोला चाप डॉक्टर ने एक महिला को बेहोशी का इंजेक्शन देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और महिला के होश में आने के बाद उसे डराया और धमकाया, कि अगर उसने शिकायत करने की कोशिश की तो उसे जान से मार दिया जाएगा। घटना के बाद पीड़ित महिला ने SP से शिकायत की मगर पुलिस ने तहरीर में बदलाव कर दुष्कर्म की जगह महज़ छेड़खानी का मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद पीड़ित महिला ने पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों से शिकायत की।  

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फिरोजाबाद : गुनाह के 42 साल बाद मिली 90 साल के बुज़ुर्ग को आजीवन कारावास की सज़ा

फिरोजाबाद | उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिला जज हरवीर सिंह ने 42 साल पहले देश और प्रदेश में हड़कंप मचाने वाली 10 दलितों के नरसंहार मामले में सजा सुनाई है. इसमें शामिल आरोपी को आजीवन कारावास और 55 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई है. अर्थदण्ड न देने पर 11 महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी. यह मामला थाना शिकोहाबाद के ग्राम सादूपुर का है. पूरा मामला साल 1981 के दौरान फिजोराबाद में दस दलितों की निर्मम हत्या की गई थी. इस वारदात में दो अन्य लोग घायल हुए थे. इस मामले में दस आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. जब यह वारदात हुई थी, उस वक्त शिकोहाबाद थाना मैनपुरी जिले के अंतर्गत आता था और साल 1989 में फिरोजाबाद जिला घोषित होने के बाद यह फिरोजाबाद में शामिल हो गया. पुलिस ने विवेचना बाद दस आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. इसके अलावा मुकदमा चलने के दौरान 9 आरोपियों की मौत हो चुकी है और एक आरोपी गंगा सहाय को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई है, जिसकी उम्र 90 वर्ष है और वो गढ़ी दानसहाय थाना शिकोहाबाद का रहने वाला है. जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव उपाध्याय ने कहा कि मैनपुरी जिले में 1981 में 10 हरिजनों की निर्मम हत्या कर दी गई थी, इसमें दो महिलाएं घायल हुई थीं. 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. उसके सारे आरोपियों की मौत हो चुकी है और एक जिंदा है. गंगा सहाय नाम के मुल्जिम को सजा हुई है. जिला शासकीय ने कहा कि माननीय जनपद न्यायाधीश के नेतृत्व में पुराने मुकदमों के त्वरित विचारण का जो अभियान चल रहा है, उसी क्रम में माननीय जिला अधिकारी महोदय और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का इसमें योगदान है. इस मामले में मैंने पैरवी की है. यह मुकदमा कोर्ट के आदेश के बाद फिरोजबाद ट्रांसफर हुआ था. सरकार ने पूरे नहीं किये वादे गांव में रहने वाले राम मरोसी ने कहा कि मेरे घर के पांच लोग मारे गए थे और गांव में कुल दस लोग मारे गए थे. मेरे तीन बच्चे, भतीजे और भौजाई मारी गई थी. पीड़ितों के परिजन कहते हैं कि… नरसंहार में मेरे तीन भाई और बहन मारे गए थे. सरकार ने घोषणा की थी कि बच्चों के बालिग होने पर नौकरी दी जाएगी लेकिन सरकार ने कोई नौकरी नहीं दी. हम लोग मुख्यमंत्री के पास गए और शिकायत किए लेकिन आज हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई. बड़े-बड़े नेता आए थे उन्होंने भी कहा था कि बिजली फ्री देंगे…लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. गांव में ही रहने वाले राम लोहित ने कहा कि वारदात के बाद बहुत सारी सुविधाओं की घोषणा की गई थी लेकिन कुछ नहीं दी गई है. कुछ सुविधाएं जो मिली भी थीं उन पर दबंग लोगों ने कब्जा कर रखा है. हॉस्पिटल के पास दुकानें मिली थीं, वो हमें नहीं मिल सकीं. नौकरी वगैरह सांत्वना के तौर पर दी गई थी, जिनको बाद में हटा लिया गया.

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प्रदेश की लाखों एमएसएमई को मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की एमएसएमई को पहचान देने के लिए एमएसएमई तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग ने पूरे प्रदेश में एमएसएमई उद्यम पोर्टल पर पंजीयन महाअभियान की शुरुआत की है। यह अभियान पूरे प्रदेश में 15 जून तक संचालित किया जाएगा। इसके माध्यम से प्रत्येक जिले में उद्योग निदेशालय एमएसएमई के पंजीकरण के लिए कैंप लगाएगा। साथ ही, एमएसएमई खुद भी पोर्टल पर जाकर अपना पंजीकरण करा सकेंगे। इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश में कार्यरत एमएसएमई को पहचान दिलाने के लिए मंच प्रदान करना है, ताकि वो एमएसएमई के लिए योगी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से लाभान्वित हो सकें। पंजीकरण के लिए सभी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम पात्र होंगे। उल्लेखनीय है कि पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार अभी 14 लाख एमएसएमई पंजीकृत हैं, जबकि प्रदेश में बड़ी संख्या में एमएसएमई क्रियाशील हैं जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए पंजीकरण कराया जाना है। असंगठित क्षेत्रों में फैली हैं बहुत सी एमएसएमई एमएसएमई तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अधिकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में 90 लाख से ज्यादा एमएसएमई क्रियाशील हैं, लेकिन इसके बावजूद पोर्टल पर सिर्फ 14 लाख एमएसएमई ही पंजीकृत हैं। ये सभी इकाइयां प्रदेश की जीडीपी में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देती हैं। प्रदेश सरकार द्वारा द्वारा इन सभी का उद्यम पंजीकरण करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस अभियान की शुरुआत एक जून से 15 जून तक पूरे प्रदेश के समस्त जिलों में एक साथ प्रारंभ की गई है। यह भी उल्लेखनीय है कि बहुत सारी एमएसएमई इकाइयां असंगठित क्षेत्र में फैली हैं। इस अभियान के प्रारंभ होने से पड़े पैमाने पर पंजीकरण से इकाइयों को सरकारी योजनाओं का लाभ एवं अन्य सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी। एमएसएमई इकाइयों को मिलेगी प्रदेश में पहचान योगी सरकार की मंशा है कि अधिक से अधिक एमएसएमई पोर्टल पर पंजीकृत हों और एमएसएमई से संबंधित योजनाओं का लाभ ले सकें। पंजीकरण से इन एमएसएमई को एक पहचान मिलती है, जो उनके उद्यम को संचालित करने में काफी महत्वपूर्ण होती है। इसके अलावा एक फैसिलिटेशन काउंसिल की भी व्यवस्था है, जिसमें भुगतान संबंधी विवादों का निपटारा किया जाता है। इसका लाभ पंजीकृत एमएसएमई को ही मिल सकेगा। इसमें सबसे बड़ी राहत ये है कि हमने सूक्ष्म उद्यमियों को 5 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा प्रदान करने की भी व्यवस्था की है, जिसे कैबिनेट से मंजूरी के बाद प्रदान किया जा सकेगा। इस सभी फायदों के बारे में बताकर गैर पंजीकृत एमएसएमई को पंजीकरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पंजीयन के लिए ये उद्यम होंगे पात्र -सूक्ष्म उद्यम में उनका पंजीकरण होगा, जिनका पूंजी निवेश एक करोड़ तक तथा टर्न ओवर 5 करोड़ तक होगा। -लघु उद्यम के अंतर्गत वो उद्यम पात्र होंगे, जिनका पूंजी निवेश 10 करोड़ तक और टर्न ओवर 50 करोड़ तक होगा। -इसी तरह मध्यम श्रेणी में वही उद्यम पंजीकरण करा सकेंगे जिनका पूंजी निवेश 50 करोड़ और टर्न ओवर 250 करोड़ तक होगा। पंजीकरण से एमएसएमई को ये होगा लाभ -शीघ्र लागू होने वाली दुर्घटना बीमा योजना में 5 लाख तक का मुफ्त बीमा। -सरकारी क्रय में ईएमडी एवं सरकारी निविदाओं में छूट का लाभ। -बैंकों से ऋण प्राप्त करने में सुगमता। -फैसिलिटेशन काउंसिल से लंबित देयों के भुगतान में सुगमता।

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