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Uttar Pradesh

गंगा के चंगा होने की चर्चा में योगी की अहम भूमिका

उत्तर प्रदेश | गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है। इसका धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हमारे धर्मशास्त्रों एवं पुराणों में गंगा के महात्म्य का खूब जिक्र किया गया है। इसे नदियों में श्रेष्ठ (नदिसू गंगा) के साथ मोक्षदायिनी, पतितपावनी कहा गया है। गंगा का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हाल ही में जर्मनी में हुए एक शोध में पता चला कि गंगाजल स्नायु एवं जल जनित रोगों का नाशक है। कुछ समय पहले देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा एवं शोध संस्था आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) नई दिल्ली के एक शोध में भी गंगाजल की खूबियों का जिक्र किया गया। गंगा के अपवाह का अधिकतम हिस्सा उत्तर प्रदेश में पड़ता है। निर्मल एवं अविरल गंगा के जरिये गंगा जल की ये खूबियां बनीं रहें, इसकी सर्वाधिक जवाबदेही उत्तर प्रदेश सरकार की है। नदी संस्कृति के मुखर पैरोकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से इसके लिए हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर गंगा के चंगा होने की चर्चा है। करीब छह महीने पहले कनाडा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से आयोजित जैव विविधता सम्मेलन में “नमामि गंगे परियोजना” की सराहना की गई थी। स्वाभाविक है कि इस तरह की सराहना का सर्वाधिक श्रेय भी योगी को ही जाता है। धर्म के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार कर रही योगी सरकार हर संभव मौके पर योगी गंगा के धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व की चर्चा जरूर करते हैं। मसलन 30 दिसंबर 2022 को कोलकाता में आयोजित “राष्ट्रीय गंगा परिषद” की बैठक में उन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुसार गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार करने का संभव प्रयास कर रहे हैं। इसके कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को व्यापक बाजार दिलाने एवं वहां तक सस्ते में परिवहन की सुविधा मुहैया कराने के लिए योगी सरकार वाराणसी से बलिया तक 15 जेटी (छोटे बंदरगाह) बनाने की घोषणा को गंगा को अर्थगंगा से जोड़ने के प्रयासों की ही एक कड़ी है। प्रदूषण से बचाने के लिए गंगा के तटवर्ती जिलों में जैविक खेती पर जोर यही नहीं गंगा को रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों से मुक्ति दिलाने के लिए तटवर्ती गावों के सभी जिलों में जैविक/प्राकृतिक खेती, गंगा वन के पीछे भी यही मकसद है। अनुपूरक बजट में भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराते हुए 2025 तक एसटीपी के सभी कार्यों को पूरा करने की बात सरकार की ओर से कही जा चुकी है। निर्मल एवं अविरल गंगा को जन आंदोलन बनाने के लिए हुई गंगा यात्रा निर्मल एवं अविरल गंगा की मुहिम एक जन आंदोलन बने, इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर गंगा यात्रा भी निकाली जा चुकी है। उस यात्रा और योगी के लिए गंगा की अहमियत क्या है, यह इससे लगाया जा सकता है कि यात्रा के एक छोर (बलिया) की शुरुआत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की तो बिजनौर (उत्तर प्रदेश में गंगा का प्रवेश द्वार) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यात्रा की शुरुआत की। मुख्यमंत्री तो मीरजापुर, प्रयागराज और यात्रा के समापन के मौके पर कानपुर में भी इसके साझीदार बने थे। जाना तो उनको वाराणसी भी था, पर मौसम आड़े आ गया। इस यात्रा के पहले सरकार ने गंगा के तटवर्ती शहरों, कस्बों और गांवों के लिए जिन योजनाओं (गंगा मैदान, गंगा पार्क, औषधीय पौधों की खेती, गंगा नर्सरी, पौधरोपण, बहुउद्देशीय गंगा तालाब, जैविक खेती) की घोषणा की थी, अब उनपर तेजी से अमल हो रहा है। आस्था और अर्थ के इस संगम का लाभ गंगा की गोद में बसे करोड़ों लोगों को होगा। उनको सर्वाधिक, जिनकी आजीविका का साधन कभी गंगा ही हुआ करती रही। सरकार के प्रयासों से जैसे-जैसे गंगा निर्मल और अविरल होगी यह वर्ग खुशहाल होता जाएगा।

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सियालदह से अजमेर जा रही एक्सप्रेस ट्रेन में लगी आग, यात्रियों में मचा हड़कंप

कौशाम्बी | उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में कोखराज थाना क्षेत्र के भरवारी रेलवे स्टेशन के पास सियालदह से अजमेर जा रही 12987 एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगने की सूचना से हड़कंप मच गया। राहत की बात यह रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। सियालदह अजमेर (12987) एक्सप्रेस में लगी आग शार्ट सर्किट से लगी ट्रेन में आग आग देख कर यात्रियों में मचा हड़कंप रेलवे कर्मचारियों ने आग पर पाया काबू कोखराज थाना इलाके के भरवारी रेलवे स्टेशन का मामला बताया जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी। आग लगने की सूचना पर ट्रेन को चेन पुलिंग रोका गया। इस दौरान यात्रियों में हड़कंप मच गया। आनन फानन में लोग खिड़की दरवाजे से कूदने लगे। फिलहाल आग पर काबू पर लिया गया है।

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लखनऊ : रिटायर्ड डीजी ने खुद को गोली मारकर की आत्महत्या, सुसाइड नोट बरामद

उत्तर प्रदेश | राजधानी लखनऊ में मंगलवार की सुबह सेवानिवृत्त डीजी दिनेश शर्मा ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। वह 73 वर्ष के थे और डिप्रेशन के मरीज थे। दिनेश शर्मा 1975 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और अपनी पत्नी व बेटे के साथ गोमती नगर के विशालखंड में बने आवास में रहते थे। मंगलवार को उन्होंने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने डिप्रेशन में होने की बात लिखी। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि मैं एंजाइटी के कारण डिप्रेशन में हूं इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं। मेरी मौत का कोई भी जिम्मेदार नहीं है। परिजनों को उनका शव खून से लथपथ हालत में उनके कमरे में मिला।

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यूपी पुलिस चीफ के जिले में पुलिस ने नहीं सुनी रेप पीड़िता की फरियाद, बेबस पिता फांसी पर झूला

जालौन (यूपी) | यूपी पुलिस चीफ विजय कुमार के जिले जालौन में ही पुलिस के एक्शन न होने से कुपित रेप पीड़िता के पिता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। इस घटना से पूरे पुलिस महकमें के कामकाज पर सवाल उठाना लाजिमी है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार बार जोर देते हैं माफिया, बलात्कारी और गुण्डों का पुलिस दमन करे किन्तु अपने पुराने ढर्रे से हटने का नाम नहीं ले रही है। वादात जालौन के एट कोतवाली के अकोढी बैरागढ़ की है जहां दो युवकों ने एक युवती से रेप किया। एफआईआर कराने जब पिता थाने पहुंचा तो पुलिस ने टरका दिया। वारदात के बाद 30 मई बेबस पिता और रेप पीड़िता बेटी को साथ लेकर थाना-चौकी के चक्कर काट रहा था किन्तु पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। इस बीच पिता ने जनसुनवाई पोर्टल पर भी अपनी शिकायत दर्ज कराई किन्तु इससे भी पुलिस हरकत में नहीं आयी। कर्रवाई न होने से और आगे कोई रास्ता दिखने के कारण उसने फांसी के फंदे को ही गले लगा लिया। BYTE : पीड़िता की माँ  BYTE : असीम चौधरी ASP जालौन मृतक की बेटी से दो युवकों ने किया था रेप 30 मई से थाने के चक्कर लगा रहा था मृतक और पीड़िता पुलिस आरोपियों के खिलाफ नहीं कर रही थी कार्रवाई उलटा पुलिस पर धमकी देकर बयान बदलवाने के आरोप पीड़िता के पिता ने जनसुनवाई पोर्टल पर भी दर्ज कराई थी शिकायत इसके बावजूद नही हुई कार्यवाही

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Ballia News : सूचना छुपाने पर रसड़ा एसडीएम सहित तीन पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज

उत्तर प्रदेश | जन सूचना में गलत जानकारी देने के आरोप में रसड़ा एसडीएम सदानंद सरोज सहित तीन पर धोखाधड़ी के आरोप में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। सदर तहसील के कोठिया सुरही निवासी परशुराम राय ने जनसूचना में गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में वाद दाखिल किया था। कोर्ट के निर्देश पर सदर कोतवाली पुलिस ने तत्कालीन तहसीलदार सदानन्द सरोज, सर्किल कानूनगो रणजीत सिंह व लेखपाल तारा राकेश आनंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। कोठिया सुरही निवासी परशुराम राम ने आरोप लगाया है कि नौ मार्च 2022 को उपजिलाधिकारी से छह बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। सहायक जनसूचना अधिकारी तहसीलदार की ओर से 11 मई को बिंदु पांच व छह की सूचना प्रश्नवाचक कहकर देने से इंकार कर दिया गया। जबकि मेरी सूचना प्रश्नवाचक नहीं थी। वहीं, बिंदु एक से तीन तक के सवालों का एक ही जवाब दिया गया था। तहसीलदार सदर ने सूचना देने से इंकार कर दिया गया। परशुराम राय ने तहसीलदार सदर पर मानचित्र में मौजूद कुआं व बोमा निशान को छिपाकर गुमराह करने के उद्देश्य से गलत सूचना देकर आरटीआई एक्ट की अवज्ञा का आरोप लगाया। खसरा में अतिक्रमण अंकित न कर आरोपियों को संरक्षण देकर लाभ अर्जित करने का आरोप लगाया। कहा कि उक्त आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए थाने पर शिकायत की गई थी। एसपी से भी शिकायत की गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। कोतवाली प्रभारी राजीव सिंह ने कहा कि कोर्ट के निर्देश पर संबंधित आरोपियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, जांच के बाद कोर्ट में रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी।

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पर्यावरण दिवस पर जन्म और पर्यावरण से योगी के सरोकार

लखनऊ | अमूमन पहले से घोषित किसी खास दिन और किसी के जन्मदिन में संबंध एक संयोग ही होता है। नाथपंथ के मुख्यालय माने जाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी एक ऐसा ही संयोग जुड़ा है। 5 जून को, जिस दिन पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, उसी दिन योगी का जन्मदिन भी पड़ता है। जन्मदिन, विश्व पर्यावरण दिवस और जन, जंगल एवं जल संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस अवसर को खास बना देती है। विरासत में मिला है पर्यावरण प्रेम पर्यावरण से योगी का यह प्रेम पुराना है। संभवतः यह उनको विरासत में मिला है। 5 जून 1972 को उनका जन्म प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर तहसील के पंचुर नामक गांव में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय आनंद सिंह विष्ट वन विभाग में रेंजर थे। प्राकृतिक संपदा के लिहाज से समृद्धतम देवभूमि में जन्म और पिता की वन विभाग की सर्विस की वजह से प्रकृति के प्रति उनका लगाव स्वाभाविक है। गोरखनाथ मंदिर भी प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न बाद में जब वह गोरखपुर आए और नाथपंथ में दीक्षित होकर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने, तब भी उनको प्रकृति के लिहाज से एक बेहद सुंदर माहौल मिला। गोरखपुर स्थित करीब 50 एकड़ में विस्तृत गोरखनाथ मंदिर परिसर की लकदक हरियाली, बीच-बीच में खूबसूरत फुलवारी, भीम सरोवर के रूप में खूब सूरत पक्का जलाशय, पॉलीथिन रहित परिसर इस सबका सबूत है। पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर के रूप में योगी ने इसे और सवारा योगी ने पीठ के उत्तराधिकारी एवं बाद में पीठाधीश्वर के रूप में इस परिसर को और सजाया-संवारा। साथ ही जमाने के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए नवाचार भी किये। करीब 400 गोवंश वाली देसी गायों की गोशाला में वर्मी कम्पोस्ट की इकाई के अलावा जल संरक्षण (वाटर हार्वेस्टिंग) के लिए बने आधुनिक टैंक (सोख्ता) का निर्माण इसका सबूत है। यही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद मंदिर में चढ़ावे के फूलों से बनने वाली अगरबत्ती की एक इकाई भी उनकी पहल पर लगी। मुख्यमंत्री बनने के बाद पद के अनुरूप सरोकार का फलक भी बढ़ा मुख्यमंत्री बनने के बाद पर्यावरण के प्रति यह प्रेम और प्रतिबद्धता और भी व्यापक रूप में समग्रता में दिखती है। पौधरोपण के साथ वह बार-बार उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा का जिक्र करते हुए विष रहित जैविक खेती की पुरजोर पैरवी करते हैं। पर्यावरण के प्रति उनकी समग्र सोच का नतीजा भी दिखने लगा है। मसलन, यहां के पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 25 से बढ़कर 65 हो गई। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बाघ के संरक्षण के नाते दुधवा टाइगर रिजर्व को यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेन्ट प्रोगाम) एवं आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर) द्वरा कैट्स पुरस्कार मिला। परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तितलियों के लिए प्रदेश के तीनों चिड़ियाघरों (शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान गोरखपुर, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान लखनऊ, कानपुर प्राणि उद्यान) में बटरफ्लाई पार्क की स्थापना की गई। पहली बार ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन हुआ। ब्रजकालीन सौभरी वन का विकास, जैविक विविधता से भरपूर (इटावा, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव, गोंडा, मैनपुरी, आगरा, बिजनौर, संतकबीरनगर) वेट लैंड्स के संरक्षण के उपाय किये गए। प्राकृतिक सफाईकर्मी कहे जाने वाले और लुप्तप्राय हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए महराजगंज जिले के भारीवैसी में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र बनाया गया। कुकरैल (लखनऊ) में देश की पहली नाइट सफारी के निर्माण की प्रकिया चल रही है। पौधरोपण पर खासा जोर बतौर मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल में प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल रिकॉर्ड पौधरोपण के क्रम में 135 करोड़ से अधिक पौधरोपण हुआ, इसका नतीजा भी सामने है। स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसद हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसद था। रिपोर्ट के अनुसार 2019 के दौरान कुल वनावरण एवं वृक्षावरण में 91 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए योगी सरकार 2.0 ने अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 35 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं। अगले चार साल तक हर साल इतने ही पौधरोपण का लक्ष्य है। इसके लिए अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधे लगेंगे। इस वर्ष का लक्ष्य 35 करोड़ पौधरोपण का है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग पौधरोपण से जुड़ें। यह जन आंदोलन बने। नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं के पीछे भी यही मकसद है। योगी की मॉनिटरिंग में पौधरोपण में कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) के अनुरूप पौधों का चयन किया जाता है। बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे देशज पौधों को वरीयता मिलती है। अलग-अलग जिलों के लिए चिन्हित 29 प्रजाति और 943 विरासत वृक्षों को केंद्र में रखकर पौधरोपण का ये अभियान चलाया जाता है। मंदिर परिसर में किया हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोरखनाथ मन्दिर परिसर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ गो सेवा केन्द्र में योगी आदित्यनाथ ने हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण किया।

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Lucknow Nagar Nigam : अधिकारीयों ने कर दिया गलत सर्वे , पहले हाउस टैक्स देते थे 4953, अब मांगे जा रहे 2.24 लाख रुपये

उत्तर प्रदेश | गलत जीआईएस सर्वे से से एक लाख गृहकरदाता पीड़ित । पहले 4953 रुपये था हाउस टैक्स, अब सवा दो लाख रुपये मांगा जा रहा है। परेशान लोग निगम के चक्कर काट रहे हैं। गलत और मनमाने तरीके से किए गए गृहकर जीआईएस सर्वे का खामियाजा एक लाख से अधिक भवनस्वामियों को भुगतना पड़ रहा है। सर्वे करने वाली निजी कंपनी का काम सही नहीं होने पर नगर निगम सदन ने पिछले साल 17 नवंबर को इस पर दो महीने के लिए रोक लगा दी थी। इसके बाद नगर निगम दो महीने चुप्पी साधे रहा। अब निगम प्रशासन ने आपत्ति और नोटिस की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही उसी सर्वे के आधार पर एकतरफा सुनवाई (एक्स पार्टी) करके टैक्स बढ़ा दिया है। अप्रैल से शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष में अब भवनस्वामी गृहकर जमा करने आ रहे हैं, तो बढ़ा हुआ टैक्स देखकर वे दंग रह जा रहे हैं। गलत टैक्स से त्रस्त लोग , काट रहे नगर निगम के चक्कर 2903 रुपये चुकाती थीं गृहकर, अब 14,688 रुपये हजरतगंज रामतीरथ वार्ड में शिरीन हनीफ का मकान है। इनके मकान का आईडी-9157ए27049 है। बीते साल तक 800 वर्ग फीट के इनके मकान का टैक्स महज 2903 रुपये सालाना था। गलत जीआईएस सर्वे की वजह से यह अब 14,688 रुपये हो गया है। शिरीन अब नगर निगम का चक्कर काट रही हैं। 4953 रुपये देते थे गृहकर, अब 2.24 लाख मांगा जा रहा राममोहन राय वार्ड में राजेश कुमार भल्ला और ज्योति भल्ला का मकान है। इनका भवन आईडी 9157ए06291 है। बीते साल तक इनके मकान का 3500 वर्ग फीट कवर्ड एरिया का टैक्स 4953 रुपये सालाना था। गलत जीआईएस सर्वे से अब यह 2.24 लाख रुपये सालाना हो गया है। राजेश टैक्स दुरुस्त कराने के लिए नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं। गलत सर्वे कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप सपा के वरिष्ठ पार्षद व पूर्व नेता सपा पार्षद दल यावर हुसैन रेशू का आरोप है कि निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए शासन ने जीआईएस सर्वे कराया। यही बात कांग्रेस की वरिष्ठ पार्षद व पूर्व नेता कांग्रेस पार्षद दल ममता चौधरी भी कहती हैं। दोनों का कहना है कि जब नगर निगम के पास खुद टैक्स इंस्पेक्टर हैं, तो फिर क्यों 10 करोड़ रुपये सर्वे पर खर्च किए गए? दोनों कहते हैं, सदन में यह मामला उठाया गया था। ऐेसे में अफसरों को नए सदन का इंतजार करना चाहिए था। जब मामला सदन का था, तो फिर सदन में ही इस पर बात होनी चाहिए थी।

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Ekana Stadium: आंधी से गिरा स्टेडियम का बोर्ड , मलबे में दबकर दो की मौत

उत्तर प्रदेश | लखनऊ में इकाना स्टेडियम का बोर्ड नीचे गिर जाने से कई लोग दब गए। घटना में एक गाड़ी भी नीचे दब गई है। बोर्ड को हटाने के लिए क्रेन की मदद ली जा रही है। राजधानी लखनऊ के इकाना स्टेडियम का बोर्ड सोमवार की शाम को गिर गया। जिसके नीचे कई लोग दब गए। मामले में बचाव कार्य जारी है। फ़िलहाल दो लोगों की मौत की खबर है। पुलिस मौके पर मौजूद है। स्पेशल डीजी एलओ का कहना है कि दो से तीन लोग नीचे दबे हैं। क्रेन की मदद ली जा रही है। मलबे में एक कार भी नीचे दब गई है। राहत व बचाव कार्य जारी है।

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मुख्यमंत्री ने किया रुद्राभिषेक, भोलेनाथ से की लोकमंगल की प्रार्थना

गोरखपुर, 5 जून। गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह रुद्राभिषेक कर भगवान भोलेनाथ से लोकमंगल की प्रार्थना की। मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में सीएम योगी ने देवाधिदेव महादेव को विल्व पत्र, कमल पुष्प आदि अर्पित करने कर बाद रुद्राभिषेक किया। मठ के मुख्य पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी व अन्य पुरोहितगण एवं ने शुक्ल यजुर्वेद संहिता के रुद्राष्टाध्यायी के महामंत्रों द्वारा रुद्राभिषेक का अनुष्ठान पूर्ण कराया। रुद्राभिषेक के बाद उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन व आरती की। विधि विधान से पूर्ण हुए अनुष्ठान के उपरांत उन्होंने प्रदेशवासियों के आरोग्यमय, सुखमय, समृद्धमय व शांतिमय जीवन की मंगलकामना की।

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Yogi govt will offer a variety of facilities and subsidies to investors setting up the food processing industry in UP

Lucknow | In an attempt to boost the food processing sector in the state, Chief Minister Yogi Adityanath has launched Uttar Pradesh Food Processing Industry Policy 2023. Under this scheme, all kinds of subsidies and other facilities are being given for setting up the food processing industry. The Uttar Pradesh government led by Yogi Adityanath is providing additional facilities to encourage investors which include subsidy, interest subvention, and transport subsidy. It has been divided into four parts, first is the grant of projects, second is interest subvention, the third is transport grant and the fourth is major incentives. Under the New Food Processing Policy-2023, the Yogi government is giving a grant of 35 percent of the project cost (on plant, machinery and technical civil work) or a maximum of Rs 5 crores on the establishment of new food processing units. Apart from this, 35 percent of the project cost or a maximum of Rs 1 crore is being given for expansion, modernization and upgradation of units. On the other hand, for Integrated Cold Chain and Value Addition Infrastructure (primary equipment, plant machinery, and 50 frozen irradiation facilities), 35 percent of the project cost, or a maximum grant of Rs 10 crore, is being given. Similarly, 35 percent of the project cost of a minimum investment of Rs 25 crores (5 units) or a maximum of Rs 10 crores by the agro-processing group, a grant of 35 percent of the project cost or a maximum of Rs 5 crores for the development of a priority processing center at the farm gate, collection center, cold storage, dry warehouse, mobile pre-cooling unit, reefer trucks, IQF facility distribution centers, and retail outlets under backward and forward linkage. Not only this, a maximum of Rs 5 crores of the project cost is being given for agricultural promotion chain development study, 50 percent of the project cost or a maximum of Rs 50 lakhs is being given on the construction of decentralized procurement storage and processing The Yogi government is providing interest subsidies to investors to attract investment in the food processing industry. Interest subvention of Rs 50 lakh is being given for a maximum period of five years on the loan of Mobile Pre Cooling Unit Refer Van. 25 percent transport subsidy is given on the cost of transport from the food processing unit to the exporting country. Under major incentives, exemption of 2 percent fee on the declaration of non-agricultural use, 25 percent on circle rate on exchange of government land, 50 percent on change fee on land use conversion, 75 percent on external development fee. Percentage discount, reimbursement of stamp duty for land purchase, market fee on raw material purchased for processing in the state, exemption in tax, exemption in market fee, and cess on agricultural produce purchased directly from farmers by processing units. Investors do not have to visit the department, rather can take advantage of these facilities by applying online at ‘http://niveshmitra.up.nic.in’.

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