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Yogi Aditynath

कैटल डंग व कृषि अपशिष्टों को बायोगैस व स्लरी में परिवर्तित कर ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने पर है सीएम योगी का फोकस

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में गांवों के कायाकल्प के विजन को ध्यान में रखकर कार्य कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ अब राज्य के सभी गांवों की स्वच्छता और स्वावलंबन को ध्यान में रखकर नए एप्रोच के साथ कार्ययोजना पर आगे बढ़ रहे हैं। प्रदेश के सभी गांवों को ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री) बनाने के अतिरिक्त ओडीएफ प्लस केटेगरीज में गांवों को अपडेट करने के लिए प्रयासरत प्रदेश सरकार ने गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए गांवों की तस्वीर बदलने की दिशा में तेजी कदम बढ़ाए हैं। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप, प्रदेश के सभी गांवों में गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए स्वच्छता को बढ़ावा देने के साथ ही आय को बढ़ाने के प्रयासों पर भी बल दिया जा रहा है। इसी के फलस्वरूप, राज्य के सभी गांवों में कैटल डंग व कृषि अपशिष्टों को बायोगैस व स्लरी में परिवर्तित किए जाने की कार्ययोजना का क्रियान्वयन युद्धस्तर पर जारी है। इतना ही नहीं, गांवों में प्लास्टिक समेत अन्य अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर भी वृहद स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इन सब प्रयासों के जरिए प्रदेश के सभी गांवों को स्वच्छता की रैंकिंग में ऊपर लाने और उन्हें जिले, राज्य व देश स्तर पर पुरस्कृत किए जाने के लिए प्रयासरत योगी सरकार एक विस्तृत कार्ययोजना के अंतर्गत सिलसिलेवार पूरा करने की ओर बढ़ रही है। गोबरधन बनेगा स्वच्छता और आय का साधन प्रदेश के सभी गांवों में कैटल डंग व कृषि अपशिष्टों को बायोगैस व स्लरी में परिवर्तित कर ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने की मंशा से गोबरधन योजना को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही योगी सरकार द्वारा इस विषय में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत प्रति जिले 50 लाख रुपए धनराशि आवंटन की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में, बायोगैस प्लांट का निर्माण गांव की सरकारी गौशालाओं से जोड़कर किया जा रहा है जिससे कि प्लांट के लिए फीड स्टॉक सुनिश्चित किया जा सके। कार्ययोजना के मुताबिक, प्लांट से निर्मित होने वाली गैस से जेनरेटर संलग्न कर गांवों के सामुदायिक स्थानों पर प्रकाश की व्यवस्था भी की जा रही है। इसके अतिरिक्त, इन प्लांटों से बनने वाली ऊर्जा से आटा चक्की के संचालन की व्यवस्था भी की जा रही है, जिससे कि सस्ती दरों पर ग्रामीण जनों को आटा पीसने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं, चिह्नित परिवारों को रसोई में प्रयोग के लिए चूल्हे भी लगाकर देने के संबंध में भी वितरण की व्यवस्था की जा रही है। फिलहाल, प्रदेश में 20 जिलों में गोबरधन से संबंधित प्लांट पूर्ण किए जा चुके हैं, जबकि 38 जिलों में 60 प्लांट निर्माणाधीन हैं। जिन 17 जिलों के 22 प्लांटों का कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है उन्हें भी क्रियान्वित करने की दिशा में प्रयास शुरू हो गए हैं। कचरा प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने पर जोर स्वच्छ भारत मिशन के एक महत्वपूर्ण घटक के तौर पर राज्य के सभी गांवों के मलीय कचरे के निस्तारण प्रबंधन को सुचारू बनाने और इसमें वृद्धि करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार वृहद स्तर पर कार्य कर रही है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्य के लिए कुल 763 नगरीय निकायों में स्थापित व प्रस्तावित एफएसटीपी से 20 से 25 किमी की त्रिज्या में आने वाले गांवों को उस निकाय की एफएसटीपी से संबद्ध करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इसके बाद, बचे हुए गांवों में एफएसटीपी निर्माण की कार्रवाई पंचायती राज विभाग द्वारा की जाएगी। वहीं, गांवों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 35 जिलों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई का निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्य के लिए कुल 763 नगरीय निकायों में स्थापित प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्य के लिए कुल 763 नगरीय निकायों में स्थापित व प्रस्तावित एमआरएफ सेंटर्स से 15 से 20 किमी में आने वाले गांवों को उस निकाय के एमआरएफ सेंटर से संबद्ध किया जाएगा। बचे हुए गांवों में पीडब्ल्यूएम इकाई का निर्माण पंचायती राज विभाग द्वारा किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण से मिलेगी गांवों को नई पहचान स्वच्छता के क्षेत्र में ओडीएफ प्लस के विभिन्न घटकों पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों के चयन के लिए पेयजल व स्वच्छता विभाग, जलशक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2023 का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में, प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में प्रत्येक विकास खंड की सभी ग्राम पंचायतों की सहभागिता पंजीयन के बाद जनसंख्या के आधार पर तीन केटेगरीज में बांटा जाएगा। 2000 तक, 2001 से 5000 तक व 5000 से ज्यादा आबादी वाली 5-5 ग्राम पंचायतों के रूप में कुल 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों का चयन किया जाएगा। इसी तरह, प्रत्येक विकास खंड से चयनित 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों में से जिला स्तर 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों का भी चयन किया जाएगा। ऐसे में, सभी जिलों से चयनित ग्राम पंचायतों को केंद्र सरकार द्वारा थर्ड पार्टी सत्यापन कराकर उत्कृष्ट पंचायत चयनित करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। 2 अक्तूबर को मिलेगा सम्मान प्रदेश में स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2023 में सहभागी सत्यापन को पूर्ण करने की विकास खंड स्तर समयावधि पर इस वर्ष एक मई से 15 जून के बीच तय की गई है। जबकि, जनपद स्तर पर 16 जून से 30 जून, राज्य स्तर पर एक जुलाई से 15 जुलाई तक और जिले स्तर पर उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर पुरस्कृत किए जाने के लिए 31 जुलाई तक की समयसीमा तय की गई है। वहीं, राज्य स्तर पर उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर पुरस्कृत करने की समयावधि 15 अगस्त तक निर्धारित की गई है। राज्य द्वारा नामित उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय स्वतंत्र संस्था द्वारा सत्यापित करने की समयसीमा 16 जुलाई से 15 अगस्त के मध्य निर्धारित है। इसी प्रकार, सभी आवेदनों की समीक्षा के बाद चयनित ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत करने के लिए 2 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की गई है। जाहिर है, इन मानकों पर खरा उतरकर प्रदेश के गांवों को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने के लिए राज्य सरकार ने युद्धस्तर पर प्रयास जारी कर दिए हैं।

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मुख्यमंत्री का निर्देश, फील्ड विजिट करें अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, योजनाओं के प्रगति की करें समीक्षा

● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने बुधवार को शासन स्तर के सभी अपर मुख्य सचिवों/प्रमुख सचिवों के साथ जनशिकायतों के निस्तारण को लेकर विभागीय कार्यप्रणाली की समीक्षा की। जनसमस्याओं और जनशिकायतों का मेरिट आधारित त्वरित समाधान पर बल देते हुए मुख्यमंत्री जी ने लोकहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। ● राज्य सरकार के सभी लोककल्याणकारी प्रयासों के मूल में आम आदमी की संतुष्टि और प्रदेश की उन्नति है। शासन-प्रशासन से जुड़े सभी अधिकारियों/कार्मिकों को इसे समझना चाहिए। आम जन की शिकायतों/समस्याओं के सहज समाधान के लिए जनसुनवाई समाधान प्रणाली (आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन) अत्यंत उपयोगी माध्यम है। शासन में तैनात वरिष्ठ अधिकारी हों या फील्ड में नियुक्त अधिकारी, हर किसी की यह जिम्मेदारी है कि आईजीआरएस पर प्राप्त आवेदनों का प्राथमिकता के साथ त्वरित निस्तारण किया जाए। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता/लापरवाही/देरी स्वीकार नहीं की जाएगी। ● अपराध और अपराधियों के खिलाफ हमने ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। आईजीआरएस में मिलने वाले आवेदन हों या सीएम हेल्पलाइन अथवा थाना/तहसील/विकास खंड में पहुंचने वाले शिकायतकर्ता, सबकी सुनवाई की जाए। पीड़ित/परेशान व्यक्ति की मनोदशा को समझें, उसकी भावना का सम्मान करें और पूरी संवेदनशीलता के साथ समाधान किया जाए। शिकायतकर्ता की संतुष्टि और उसका फीडबैक ही अधिकारियों के प्रदर्शन का मानक होगा। शासन से लेकर विकास खंड तक के अधिकारी मिशन मोड में जनसुनवाई को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए आमजन की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित कराएं। ● आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन पर आने वाले आवेदनों को लेकर थाना, तहसील और जिला स्तर हो रही कार्यवाहियों पर शासन से लगातार नजर रखी जा रही है। थाना दिवस और तहसील दिवस को और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि शिकायतों का निस्तारण अगले थाना/तहसील दिवस से पूर्व जरूर हो जाए। जनसुनवाई की इन तिथियों और उसमें उपस्थित रहने वाले अधिकारी के नाम का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। यहां आने वाले मामले कतई लंबित न रहें। ● आईजीआरएस/सीएम हेल्प लाइन को लेकर संवेदनशील विभागों ने अच्छा कार्य किया है। ऐसे विभागों, जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तानों, थानों और तहसीलों से औरों को प्रेरणा लेनी चाहिए, संतोषजनक प्रदर्शंन न करने वाले जिलों, थानों और तहसीलों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है। जनता से सीधा जुड़ाव रखने वाले विभाग के फील्ड में तैनात अधिकारी हर दिन न्यूनतम एक घंटा जनसुनवाई के लिए जरूर नियत करें। ● सभी अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव फील्ड में जाएं। अगले दो माह के भीतर सभी मंडलों का भ्रमण करें। फील्ड विजिट के दौरान अपने विभाग की लोककल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करें। लंबित शिकायतों का तत्काल मेरिट के आधार पर निस्तारण कराएं। जहां गड़बड़ी हो, वहां जवाबदेही तय करें। विजिट के बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को उपलब्ध कराएं। ● विभिन्न कार्यों में तैनात आउटसोर्सिंग कार्मिकों ने उत्कृष्ट कार्य किया है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी कार्मिकों का मानदेय समय पर मिले, पूरा मिले। किसी भी दशा में एक भी कर्मचारी का आर्थिक अथवा मानसिक शोषण नहीं होना चाहिए। ● वित्तीय बजट में विभागों को आवंटित धनराशि का सही और समयबद्ध उपयोग सुनिश्चित करें। हर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अपने विभागीय योजनाओं की समीक्षा करते हुए समय से धनराशि आवंटन कराएं। विभाग के लिए प्राविधानित बजट का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए। भारत सरकार से मिलने वाले अनुदान/अंशदान के संबंध में अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव स्वयं भी भारत सरकार के मंत्रालयों से संवाद/संपर्क करें।वर्तमान वित्तीय बजट की समाप्ति से पूर्व सभी विभागों द्वारा वर्तमान बजट में प्राविधानित धनराशि का यथोचित खर्च किया जाना सुनिश्चित किया जाए। विभाग स्तर भी पर खर्च की समीक्षा भी जाए। ● सचिवालय में फाइलों के लिए ई-ऑफिस की व्यवस्था है। इसे समस्त विभागाध्यक्ष/निदेशक कार्यालयों में भी लागू किया जाए। फिजिकल फाइलों का उपयोग अपरिहार्य स्थिति में ही किया जाना चाहिए। ई-ऑफिस को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। ● राज्य सरकार ने अपनी नवीन स्थानांतरण नीति घोषित कर दी है। इस नीति का कड़ाई से अनुपालन किया जाए। सभी अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अपने विभागीय मंत्रीगणों से संवाद करते हुए नीति के अनुरूप स्थानान्तरण करें। यह ध्यान रखें कि आकांक्षात्मक जनपदों में मैनपॉवर कम न हो। ● अंतरराज्यीय/अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र हमारे ब्रांड एम्बेसेडर हैं। यहां अच्छे स्कूल-कॉलेज, स्तरीय चिकित्सा संस्थान विकसित किये जाने चाहिए। सीमावर्ती क्षेत्रों में औद्योगीकरण को लेकर भी हमें और बेहतर प्रयास करने होंगे। प्रदेश के दूर-दराज के गांवों तक टेलीकन्सल्टेशन सेवा का विस्तार किया जाए।

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प्रशिक्षण से‘स्वच्छ भारत’ का सपना साकार करेगी योगी सरकार

लखनऊ । प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा देने और राज्य के सभी ग्रामों में स्वच्छता को स्थायी रूप से प्रभावी बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार वृहद स्तर पर कार्यरत है। स्वच्छता कार्यक्रम सुचारू रूप से काम करता रहे, इसके लिए प्रदेश सरकार ने 2023-24 के लिए रणनीति तैयार की है। स्वच्छता को बढ़ावा देने की गतिविधियों के कुशल संचालन के लिए ग्राम पंचायत के प्रधानों, सचिवों, पंचायत सदस्यों व सफाई कर्मियों का प्रशिक्षण कराया जा रहा है। प्रदेश में कुल 100437 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना प्रस्तावित की गई है। इस क्रम में पूरे राज्य में 22 डीपीआरसी (डिस्ट्रक्ट पंचायती राज रिसोर्स सेंटर) में कुल 135 प्रशिक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं जो कि सभी सम्बंधित ट्रेनिंग प्रक्रिया को अंजाम देंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में स्वच्छ भारत के अंतर्गत पहले फेज में साल 2014 से 2018 के बीच जो कार्य हुए उन्हीं को सेकेंड फेज (साल 2020 से 2025 तक) में आगे बढ़ाते हुए साल 2025 तक प्रदेश के सभी 57,704 ग्राम पंचायतों की 95,826 राजस्व गांवों को मॉडल ग्राम बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। – उत्तर प्रदेश में‘स्वच्छ भारत मिशन’ के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीएम योगी के निर्देश पर शासन ने कसी कमर  73 प्रतिशत प्रशिक्षण हुआ पूरा योजना के मुताबिक, प्रदेश में कुल कुल 22 डीपीआरसी केंद्र बनाए जा रहे हैं जिसमें प्रति केंद्र 6 प्रशिक्षक के रूप में कुल 135 प्रशिक्षक तैयार किए गए हैं। इसमें से ग्राम पंचायत की टीम के कुल 90837 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रस्तावित है। इसमें से अब तक 73 परसेंट यानी 65604 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण पूरा हो गया है। वहीं, वर्ष 2023-24 के लक्ष्य के अनुसार प्रदेश में चयनित 43252 गांवों में एक राजगीर का चयन प्रस्तावित है। राज मिस्त्रियों का प्रशिक्षण भी जारी इसके अतिरिक्त, प्रत्येक चयनित गांवों में ऑनसाइट प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी जारी है। वहीं, स्वच्छता मिशन के तमाम गतिविधियों को अमलीजामा पहनाने के लिए कुल 43252 राजमिस्त्रियों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी जारी है जिसमें से 28000 यानी कि 65 परसेंट की प्रशिक्षण प्रक्रिया खत्म हो गई है। इनमें से क्रियान्वयन व संचालन के सापेक्ष ग्राम पंचायत टीम द्वारा 45 जिलों व निर्माण के सापेक्ष राजमिस्त्रियों का 61 जिलों में प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। जून माह के अंत तक प्रशिक्षण संबंधित सभी निर्धारित लक्ष्यों को पूरी तरह से अमलीजामा पहनाने में सफलता मिल सकती है। – प्रदेश में कुल 100437 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना प्रस्तावित, राज्य में 22 डीपीआरसी में कुल 135 प्रशिक्षक किए जाएंगे नियुक्त – वर्ष 2025 तक राज्य के सभी ग्राम पंचायतों के 95826 राजस्व ग्रामों को ओडीएफ प्लस गांव बनाने की योजना पर तेजी से हो रहा कार्य कार्य योजना, प्रस्तुतिकरण व व्यय निर्धारण पर फोकस दूसरी ओर, प्रदेश में स्वच्छता मिशन के लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से जारी गतिविधियों की निगरानी के लिए सभी जिलों द्वारा निदेशालय स्तर पर कार्य योजना निर्माण, प्रस्तुतिकरण व व्यय निर्धारण की प्रक्रिया पर भी कार्य हो रहा है। इस क्रम में अब तक 46 जिलों के 11,924 गांवों व 8368 ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव मिल चुके हैं। इनमें से 2,268 ग्राम पंचायतों की लिमिट निर्धारित कर दी गई है। दो चरण में हो रहा है कार्य प्रदेश में पंचायती राज विभाग द्वारा स्टेट सैनिटेशन मिशन के अंतर्गत दो फेज में स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। यूं तो, प्रदेश के सभी जिले 2 अक्टूबर 2018 तक पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं, मगर अब इसे एक स्तर और ऊपर बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी 57,704 ग्राम पंचायतों में सम्मिलित 95,826 गांवों को ओडीएफ प्लस (ओपन डेफिकेशन फ्री) के अंतर्गत उदीयमान, उज्ज्वल और उत्कृष्ट केटेगरी में बांटा जा रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश में पहले फेज में कुल 2.16 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया था। ऐसे में, इनके रख-रखाव, पात्र परिवारों तक पहुंच और ठोस व तरल अपशिष्ट के सुचारू प्रबंधन को स्थायी बनाकर प्रदेश के सभी गांवों को इसका लाभ पहुंचाने की दिशा में राज्य सरकार वृहद स्तर पर कार्य कर रही है

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उत्तर प्रदेश : घर बैठे बनवा सकते हैं परिवार आईडी

लखनऊ | हर परिवार के न्यूनतम एक सदस्य को रोजगार से जोड़ने की बड़ी योजना पर काम कर रही योगी सरकार ने ‘परिवार आईडी- एक परिवार एक पहचान’ बनवाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल https://familyid.up.gov.in जारी कर दिया है। ऐसे सभी परिवार जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के पात्र नहीं हैं, यानी जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, वह परिवार आईडी बनवा सकेंगे, जबकि राशन कार्ड धारक परिवारों की राशन कार्ड आईडी ही उनकी परिवार आईडी मानी जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार, एक परिवार एक पहचान योजना के तहत प्रत्येक परिवार को एक विशिष्ट पहचान जारी की जा रही है, जिससे राज्य की परिवार इकाइयों का एक लाइव व्यापक डेटाबेस स्थापित होगा। यह डेटाबेस लाभार्थीपरक योजनाओं के बेहतर प्रबंधन, समयबद्ध लक्ष्यीकरण, पारदर्शी संचालन एवं योजना का शत-प्रतिशत लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाने और जनसामान्य के लिए सरकारी सुविधाओं के सरलीकरण करने में सहायक होगा। परिवार आईडी के माध्यम से प्राप्त एकीकृत डेटाबेस के आधार पर रोजगार से वंचित परिवारों का चिन्हांकन कर उन्हें रोजगार के समुचित अवसर प्राथमिकता पर उपलब्ध कराए जा सकेंगे। बीते दिनों परिवार आईडी प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने परिवार पासबुक तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार, हर एक परिवार को मिल रहे शासकीय योजनाओं के लाभ का पूरा विवरण दर्शाते हुए परिवार का पासबुक भी तैयार कराया जाएगा। इससे प्रदेश के हर परिवार के स्वावलम्बन और सशक्तिकरण का अभियान पूरा किया जा सकेगा। पास-बुक और परिवार आईडी जारी करने से पूर्व परिवार के संबंध में सभी जानकारी को विधिवत प्रमाणित किया जाएगा। 3.61 करोड़ परिवारों को नहीं बनवानी होगी परिवार आईडी वर्तमान में उत्तर प्रदेश में निवासरत लगभग 3.61 करोड़ परिवार के 15.06 करोड़ व्यक्ति राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ पा रहे हैं। फैमिली आईडी के लिए लागू व्यवस्था के अनुसार इन परिवारों की राशनकार्ड संख्या ही फैमिली आईडी होगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से आच्छादित न होने वाले परिवार जो राशनकार्ड के पात्र नहीं हैं, उन्हें फैमिली आईडी पोर्टल https://familyid.up.gov.in/portal/index.html के माध्यम से फैमिली आईडी उपलब्ध कराई जाएगी। यह पोर्टल उन परिवारों को 12 अंकों की विशिष्ट परिवार आईडी प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है जो राशन कार्ड धारक नहीं हैं, यहां वे स्वयं को और अपने परिवार के सदस्यों को पोर्टल पर जोड़कर आवेदन कर सकते हैं। भविष्य में सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने हेतु फैमिली आईडी से सहूलियत होगी। जो परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले रहे हैं, वे भी स्वेच्छा से फैमिली आईडी प्राप्त कर सकते हैं। अब तक पोर्टल पर 78 हजार आवेदन मिल चुके हैं, जिसमें से 37 हजार के आवेदनों को स्वीकृति भी मिल चुकी है। परिवार आईडी के लिए बनाई गई कार्ययोजना के अनुसार विभिन्न विभागों के डेटाबेस को जोड़ा जाएगा। ऐसे में विभिन्न सरकारी योजनाओं में आवेदन करते समय वांछित अभिलेखों को स्कैन कर अपलोड करने की आवश्यकता नहीं होगी। परिवार आईडी पोर्टल पर आधार आधारित ई-केवाईसी की सुविधा उपलब्ध है। ऐसे बनेगी परिवार आईडी ● परिवार का कोई वयस्क सदस्य जो फैमिली आईडी हेतु स्वयं एवं परिवार के अन्य सदस्यों की ओर से परिवार आईडी पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। ● यदि कोई आवेदक फैमिली आईडी निर्मित करने के लिये स्वयं आवेदन करता है, तो किसी भी प्रकार का यूजर चार्ज देय नहीं होगा। जनसेवा केन्द्रों के माध्यम से आवेदन करने पर ₹30 का शुल्क देना होगा। ● परिवार आईडी बनवाने के लिए आवेदन के सत्यापन की प्रक्रिया ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल की तरह होगी, जिसके अन्तर्गत उल्लिखित परिवार एवं परिवार के सदस्यों का सत्यापन शहरी क्षेत्रों में उप जिलाधिकारी द्वारा संबंधित लेखपाल के माध्यम से तथा ग्रामीण क्षेत्रों में खंड विकास अधिकारी द्वारा सम्बन्धित ग्राम पंचायत अधिकारी/ग्राम विकास अधिकारी के माध्यम से किया जाएगा। ● राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन कार्ड धारकों को परिवार आईडी बनवाने की जरूरत नहीं होगी। उनकी राशन कार्ड आईडी ही परिवार आईडी होगी।

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बाढ़ से निपटने को जून में ही ‘सुकून’ देने को तत्पर योगी सरकार

लखनऊ | बाढ़ से निपटने को जून में ही योगी सरकार ‘सुकून’ देने को तत्पर है। बाढ़ से निपटने की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं या अंतिम दौर में हैं। पिछले दिनों सीएम योगी ने खुद इसकी समीक्षा कर 15 जून तक सारी तैयारियों को पूरा करने का निर्देश दिया था। इसके बाद मातहतों ने बाढ़ से निपटने की तैयारियों में काफी तेजी भी ला दी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित 73 जनपदों में स्टीयरिंग ग्रुप की बैठक भी संपन्न कर ली गई है। लखनऊ में केंद्रीय व जनपदों में 50 बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना की जा चुकी है। 15 जून से बाढ़ की संपूर्ण अवधि (संभावित अक्टूबर) तक यह कक्ष क्रियाशील रहेंगे। 51 बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना, 2022-23 में 282 परियोजनाएं हुईं पूरी बाढ़ से निपटने के लिए योगी सरकार ने सारी व्यवस्था पहले ही कर ली है। लखनऊ में केंद्रीय व 50 जनपदों में बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना हो चुकी है। 15 जून से यह सतत क्रियाशील हो जाएंगे। आमजन की सुरक्षा को शीर्ष पर रखते हुए 2022-23 में इससे जुड़ीं 282 परियोजनाएं और योगी सरकार के कार्यकाल में कुल 982 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं। वर्तमान में 265 नई परियोजनाएं, 07 ड्रेजिंग संबंधी परियोजना और पूर्व से संचालित 140 परियोजनाओं सहित कुल 412 परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। 325 से अधिक परियोजनाओं का 50फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय लखनऊ द्वारा बाढ़ सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान हेतु महत्वपूर्ण 113 बेतार केंद्र भी बाढ़ अवधि में सतत क्रियाशील रहेंगे। 24 अति व 16 संवेदनशील जिलों पर भी विशेष नजर बाढ़ की दृष्टि से 24 अति संवेदनशील जिलों पर भी सीएम योगी की नजर है। इन जिलों में महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोंडा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर व कासगंज समेत 16 जिले संवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण करने का निर्देश सीएम ने दिया है। इन स्थलों पर प्रकाश व आवश्यक उपकरणों का भी प्रबंध किया जा रहा है। सभी 780 बाढ़ सुरक्षा समितियां गठित कर ली गई हैं। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबंधों का जिलाधिकारी निरीक्षण कर इसे दुरुस्त भी करा रहे हैं। मॉनसून पूर्व कई तटबंधों पर कार्य किया जा चुका पूर्ण मॉनसून के पहले ही कई तटबंधों पर कार्य पूरा किया जा चुका है। फर्रुखाबाद में कोसी नदी पर निर्मित कडक्का तटबंध, सिद्धार्थनगर में बूढ़ी राप्ती पर अशोगवा-नगवां तटबंध, मदरहवा-अशोगवा बांध व लखनापार बैदौला तटबंध के क्षतिग्रस्त भाग का मरम्मत कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मऊ में सरयू नदी पर चिऊटीडाड़ तटबंध, बदायूं में गंगा नदी पर जौरीनगपाल तटबंध, गंगा-महावां तटबंध, उसहैत तटबंध, उसवां तटबंध और आजमगढ़ में सरयू नदी पर निर्मित महुला गढ़वाल व जोकहरा तटबंध का कार्य पूर्ण। जोकहरा में क्षतिग्रस्त भाग का मरम्मत पूरा कर लिया गया। संतकबीरनगर समेत अन्य जिलों में भी कई कार्यों को मॉनसून पूर्व कर लिया गया। अतिसंवेदनशील तटबंधों पर प्रभारी अधिकारी व सहायक अभियंता भी नामित किए जा चुके हैं। जनप्रतिनिधियों संग मौके पर निरीक्षण का निर्देश सीएम ने पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अतिसंवेदनशील और संवेदनशील प्रकृति वाले जिलों में जिलाधिकारियों को सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगरीय निकाय के चेयरमैन/अध्यक्ष की उपस्थिति में बाढ़ से पहले निरीक्षण का निर्देश दिया था। आपदा प्रबंधन के लिए जिलों की अपनी कार्ययोजना होनी चाहिए। एनडीआरएफ/एसडीआरएफ के सहयोग से युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए। जिलाधिकारीगण जनप्रतिनिधियों के साथ संवेदनशील स्थलों का भौतिक निरीक्षण जरूर करें। समस्त अतिसंवेदनशील तटबंधों पर नामित प्रभारी अधिकारी 24×7 अलर्ट मोड पर हैं। तटबन्धों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत् निगरानी की जाती रहे। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता लेकर इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

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पर्यावरण दिवस पर जन्म और पर्यावरण से योगी के सरोकार

लखनऊ | अमूमन पहले से घोषित किसी खास दिन और किसी के जन्मदिन में संबंध एक संयोग ही होता है। नाथपंथ के मुख्यालय माने जाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी एक ऐसा ही संयोग जुड़ा है। 5 जून को, जिस दिन पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, उसी दिन योगी का जन्मदिन भी पड़ता है। जन्मदिन, विश्व पर्यावरण दिवस और जन, जंगल एवं जल संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस अवसर को खास बना देती है। विरासत में मिला है पर्यावरण प्रेम पर्यावरण से योगी का यह प्रेम पुराना है। संभवतः यह उनको विरासत में मिला है। 5 जून 1972 को उनका जन्म प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर तहसील के पंचुर नामक गांव में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय आनंद सिंह विष्ट वन विभाग में रेंजर थे। प्राकृतिक संपदा के लिहाज से समृद्धतम देवभूमि में जन्म और पिता की वन विभाग की सर्विस की वजह से प्रकृति के प्रति उनका लगाव स्वाभाविक है। गोरखनाथ मंदिर भी प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न बाद में जब वह गोरखपुर आए और नाथपंथ में दीक्षित होकर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने, तब भी उनको प्रकृति के लिहाज से एक बेहद सुंदर माहौल मिला। गोरखपुर स्थित करीब 50 एकड़ में विस्तृत गोरखनाथ मंदिर परिसर की लकदक हरियाली, बीच-बीच में खूबसूरत फुलवारी, भीम सरोवर के रूप में खूब सूरत पक्का जलाशय, पॉलीथिन रहित परिसर इस सबका सबूत है। पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर के रूप में योगी ने इसे और सवारा योगी ने पीठ के उत्तराधिकारी एवं बाद में पीठाधीश्वर के रूप में इस परिसर को और सजाया-संवारा। साथ ही जमाने के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए नवाचार भी किये। करीब 400 गोवंश वाली देसी गायों की गोशाला में वर्मी कम्पोस्ट की इकाई के अलावा जल संरक्षण (वाटर हार्वेस्टिंग) के लिए बने आधुनिक टैंक (सोख्ता) का निर्माण इसका सबूत है। यही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद मंदिर में चढ़ावे के फूलों से बनने वाली अगरबत्ती की एक इकाई भी उनकी पहल पर लगी। मुख्यमंत्री बनने के बाद पद के अनुरूप सरोकार का फलक भी बढ़ा मुख्यमंत्री बनने के बाद पर्यावरण के प्रति यह प्रेम और प्रतिबद्धता और भी व्यापक रूप में समग्रता में दिखती है। पौधरोपण के साथ वह बार-बार उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा का जिक्र करते हुए विष रहित जैविक खेती की पुरजोर पैरवी करते हैं। पर्यावरण के प्रति उनकी समग्र सोच का नतीजा भी दिखने लगा है। मसलन, यहां के पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 25 से बढ़कर 65 हो गई। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बाघ के संरक्षण के नाते दुधवा टाइगर रिजर्व को यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेन्ट प्रोगाम) एवं आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर) द्वरा कैट्स पुरस्कार मिला। परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तितलियों के लिए प्रदेश के तीनों चिड़ियाघरों (शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान गोरखपुर, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान लखनऊ, कानपुर प्राणि उद्यान) में बटरफ्लाई पार्क की स्थापना की गई। पहली बार ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन हुआ। ब्रजकालीन सौभरी वन का विकास, जैविक विविधता से भरपूर (इटावा, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव, गोंडा, मैनपुरी, आगरा, बिजनौर, संतकबीरनगर) वेट लैंड्स के संरक्षण के उपाय किये गए। प्राकृतिक सफाईकर्मी कहे जाने वाले और लुप्तप्राय हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए महराजगंज जिले के भारीवैसी में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र बनाया गया। कुकरैल (लखनऊ) में देश की पहली नाइट सफारी के निर्माण की प्रकिया चल रही है। पौधरोपण पर खासा जोर बतौर मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल में प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल रिकॉर्ड पौधरोपण के क्रम में 135 करोड़ से अधिक पौधरोपण हुआ, इसका नतीजा भी सामने है। स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसद हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसद था। रिपोर्ट के अनुसार 2019 के दौरान कुल वनावरण एवं वृक्षावरण में 91 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए योगी सरकार 2.0 ने अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 35 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं। अगले चार साल तक हर साल इतने ही पौधरोपण का लक्ष्य है। इसके लिए अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधे लगेंगे। इस वर्ष का लक्ष्य 35 करोड़ पौधरोपण का है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग पौधरोपण से जुड़ें। यह जन आंदोलन बने। नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं के पीछे भी यही मकसद है। योगी की मॉनिटरिंग में पौधरोपण में कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) के अनुरूप पौधों का चयन किया जाता है। बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे देशज पौधों को वरीयता मिलती है। अलग-अलग जिलों के लिए चिन्हित 29 प्रजाति और 943 विरासत वृक्षों को केंद्र में रखकर पौधरोपण का ये अभियान चलाया जाता है। मंदिर परिसर में किया हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोरखनाथ मन्दिर परिसर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ गो सेवा केन्द्र में योगी आदित्यनाथ ने हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण किया।

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प्रदेश की लाखों एमएसएमई को मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की एमएसएमई को पहचान देने के लिए एमएसएमई तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग ने पूरे प्रदेश में एमएसएमई उद्यम पोर्टल पर पंजीयन महाअभियान की शुरुआत की है। यह अभियान पूरे प्रदेश में 15 जून तक संचालित किया जाएगा। इसके माध्यम से प्रत्येक जिले में उद्योग निदेशालय एमएसएमई के पंजीकरण के लिए कैंप लगाएगा। साथ ही, एमएसएमई खुद भी पोर्टल पर जाकर अपना पंजीकरण करा सकेंगे। इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश में कार्यरत एमएसएमई को पहचान दिलाने के लिए मंच प्रदान करना है, ताकि वो एमएसएमई के लिए योगी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से लाभान्वित हो सकें। पंजीकरण के लिए सभी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम पात्र होंगे। उल्लेखनीय है कि पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार अभी 14 लाख एमएसएमई पंजीकृत हैं, जबकि प्रदेश में बड़ी संख्या में एमएसएमई क्रियाशील हैं जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए पंजीकरण कराया जाना है। असंगठित क्षेत्रों में फैली हैं बहुत सी एमएसएमई एमएसएमई तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अधिकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में 90 लाख से ज्यादा एमएसएमई क्रियाशील हैं, लेकिन इसके बावजूद पोर्टल पर सिर्फ 14 लाख एमएसएमई ही पंजीकृत हैं। ये सभी इकाइयां प्रदेश की जीडीपी में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देती हैं। प्रदेश सरकार द्वारा द्वारा इन सभी का उद्यम पंजीकरण करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस अभियान की शुरुआत एक जून से 15 जून तक पूरे प्रदेश के समस्त जिलों में एक साथ प्रारंभ की गई है। यह भी उल्लेखनीय है कि बहुत सारी एमएसएमई इकाइयां असंगठित क्षेत्र में फैली हैं। इस अभियान के प्रारंभ होने से पड़े पैमाने पर पंजीकरण से इकाइयों को सरकारी योजनाओं का लाभ एवं अन्य सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी। एमएसएमई इकाइयों को मिलेगी प्रदेश में पहचान योगी सरकार की मंशा है कि अधिक से अधिक एमएसएमई पोर्टल पर पंजीकृत हों और एमएसएमई से संबंधित योजनाओं का लाभ ले सकें। पंजीकरण से इन एमएसएमई को एक पहचान मिलती है, जो उनके उद्यम को संचालित करने में काफी महत्वपूर्ण होती है। इसके अलावा एक फैसिलिटेशन काउंसिल की भी व्यवस्था है, जिसमें भुगतान संबंधी विवादों का निपटारा किया जाता है। इसका लाभ पंजीकृत एमएसएमई को ही मिल सकेगा। इसमें सबसे बड़ी राहत ये है कि हमने सूक्ष्म उद्यमियों को 5 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा प्रदान करने की भी व्यवस्था की है, जिसे कैबिनेट से मंजूरी के बाद प्रदान किया जा सकेगा। इस सभी फायदों के बारे में बताकर गैर पंजीकृत एमएसएमई को पंजीकरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पंजीयन के लिए ये उद्यम होंगे पात्र -सूक्ष्म उद्यम में उनका पंजीकरण होगा, जिनका पूंजी निवेश एक करोड़ तक तथा टर्न ओवर 5 करोड़ तक होगा। -लघु उद्यम के अंतर्गत वो उद्यम पात्र होंगे, जिनका पूंजी निवेश 10 करोड़ तक और टर्न ओवर 50 करोड़ तक होगा। -इसी तरह मध्यम श्रेणी में वही उद्यम पंजीकरण करा सकेंगे जिनका पूंजी निवेश 50 करोड़ और टर्न ओवर 250 करोड़ तक होगा। पंजीकरण से एमएसएमई को ये होगा लाभ -शीघ्र लागू होने वाली दुर्घटना बीमा योजना में 5 लाख तक का मुफ्त बीमा। -सरकारी क्रय में ईएमडी एवं सरकारी निविदाओं में छूट का लाभ। -बैंकों से ऋण प्राप्त करने में सुगमता। -फैसिलिटेशन काउंसिल से लंबित देयों के भुगतान में सुगमता।

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स्कूलों में बच्चों के शोषण पर योगी सरकार सख्त, जारी की गाइडलाइंस

लखनऊ | उत्तर प्रदेश की योगी सरकार छात्रों की शिक्षा के साथ ही उनकी सुरक्षा को लेकर भी संवेदनशील है। इसी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों के शारीरिक व मानसिक शोषण एवं यौन उत्पीड़न संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए तय गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के खिलाफ होने वाली घटनाओं के संबंध में 2015 में एक विस्तृत गाइडलाइंस तैयार की गई थी। अब योगी सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों से इस गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करने को कहा है। सभी बीएसए को जारी किए गए निर्देश राज्य परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद ने प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर इस संबंध में कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि समस्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट विद्यालयों एवं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में गाइडलाइंस का पालन किया जाए। साथ ही सभी प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, स्टाफ, वार्डेन एवं विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को भी इन गाइडलाइंस का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं। गाइडलाइंस जारी करने का उद्देश्य प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा संरक्षित करने तथा बाल अपराध एवं असंवैधानिक कृतियों की रोकथाम और स्कूल जाने वाले बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न से रक्षा करना है। साथ ही इसमें शैक्षणिक संस्थानों का उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया गया है। स्कूल कैंपस समेत सभी जगह सुरक्षित माहौल के लिए दिए गए सुझाव गाइडलाइंस में कहा गया है कि प्रत्येक विद्यालय प्रबंधतंत्र/स्कूल मैनेजमेंट कमेटी एवं प्रधानाचार्यो का यह दायित्व है कि विद्यालय परिसर में या विद्यालय आते-जाते अथवा विद्यालय से बाहर फील्ड विजिट में इस प्रकार का वातावरण तैयार करें जो बच्चों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे और छात्र/छात्राओं का किसी प्रकार का शारीरिक/मानसिक एवं यौन शोषण न हो। इसमें विद्यालय प्रांगण को सुरक्षित बनाने के लिए भी कई तरह के उपाय बताए गए हैं। इसमें स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम के साथ ही ड्राइवर व हेल्पर के वेरिफिकेशन की अनिवार्यता रखी गई है। साथ ही बस के अंदर चाइल्ड हेल्पलाइन और वूमेन हेल्पलाइन नंबर तथा पुलिस स्टेशन का नंबर लिखा होना चाहिए। प्रत्येक बस में दो टीचर की इस प्रकार व्यवस्था होनी चाहिए जो बच्चों के साथ स्कूल में बस से आवागमन करेंगे। इसके अलावा शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का व्यवहार संतुलित हो, इस संबंध में भी व्याख्या की गई है। बच्चों में परस्पर समन्वय एवं जागरूकता के लिए अभियान चलाने के भी निर्देश हैं, जबकि विभिन्न संस्थाओं की मदद लेने और अन्य उपायों की जानकारी दी गई है।

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इस बार भी टूटेगा पौधरोपण का रिकॉर्ड, एक दिन में 35 करोड़ पौधरोपण का योगी सरकार का लक्ष्य

लखनऊ | प्रदेश में हरियाली बढ़ाने, बेहतर आबोहवा एवं पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बारिश के आगामी सीजन में योगी सरकार एक बार फिर एक दिन में पौधरोपण का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेगी। इस बार लक्ष्य एक दिन में 35 करोड़ पौधरोपण का है। पौधरोपण की नोडल एजेंसी वन विभाग की निगरानी में सरकार के 27 विभाग मिलकर रिकॉर्ड पौधरोपण के इस अभियान को सफल बनाएंगे। संबंधित विभागों को कितना पौधरोपण करना है, इसका लक्ष्य पहले से तय है। पौधरोपण के लिए वन विभाग एवं उसकी देखरेख में कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) की नर्सरियों में करीब 54 करोड़ स्वस्थ्य पौधे तैयार हैं। जुलाई में किसी दिन चलेगा पौधरोपण का यह महाअभियान किस दिन पौधरोपण का यह रिकॉर्ड बनेगा, यह समय अभी तय नहीं है। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार मानसून के रुख को देखकर यह तय होगा। अधिक उम्मीद इस बात की है कि जुलाई में किसी दिन यह महाअभियान चलेगा। ऐसा इसलिए कि पर्याप्त मात्रा में नमी मिलने से रोपे गये पौधों में से अधिकतम का सर्वाइवल हो। उल्लेखनीय है कि अपने पहले कार्यकाल से ही प्रदेश में हरीतिमा बढ़ाने एवं इससे होने वाले अन्य दूरगामी लाभों के मद्देजर योगी सरकार का जोर अधिक्तम पौधरोपण पर रहा है। इस क्रम में अब तक अपने पहले कार्यकाल में प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल रिकॉर्ड पौधरोपण के क्रम में 100 करोड़ से अधिक का पौधरोपण हुआ। इसका नतीजा भी सामने है। 8 साल में वनावरण का क्षेत्र 8.82 से बढ़कर 9.23 फीसद हुआ स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसद हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसद था। रिपोर्ट के अनुसार 2019 के दौरान कुल वनावरण एवं वृक्षावरण में 91 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। योगी-2.0 में 175 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए योगी सरकार-2.0 ने अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा है। इस क्रम में पिछले साल भी 35 करोड़ पौधे लगाए गए थे। इस साल और इसके अगले चार साल के लिए लिए भी 35-35 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य है। देखें तो यह लक्ष्य बहुत बड़ा है। इसीलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग पौधरोपण से जुड़ें। यह जन आंदोलन बने।नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं के पीछे भी यही मकसद है। बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे देशज पौधों को मिलेगी वरीयता सरकार की मंशा है कि वर्षा काल में जो पौधरोपण हो वह संबंधित क्षेत्र के एग्रो क्लाइमेट जोन (कृषि जलवायु क्षेत्र) के अनुसार हो। अलग-अलग जिलों के लिए चिन्हित 29 प्रजाति और 943 विरासत वृक्षों को केंद्र में रखकर पौधरोपण का अभियान चलेगा। इसमें राष्ट्रीय वृक्ष बरगद के साथ देशज पौधे पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे औषधीय पौधों को वरीयता दी जाएगी। पर्यावरण सेनानियों की भी होगी महत्वपूर्ण भूमिका इस अभियान को सफल बनाने में पर्यावरण सेनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। पर्यावरण सेनानी में कृषक एवं प्रधानमंत्री सम्मान के लाभार्थी, गंगा प्रहरी, सशक्त बल, महिलाएं, दिव्यांग, कम आय समूह, दृष्टिबाधित, मनरेगा जॉब कार्ड धारक, स्वयंसहायता समूह, ग्राम स्तरीय एवं नगर विकास कर्मी, वनकर्मी, आदिवासी-वनवासी, मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के लाभार्थी, शिक्षक-विद्यार्थी और महिलाएं शामिल हैं।

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UP will play a crucial role in making India the world’s largest economy: CM Yogi

Lucknow | Chief Minister Yogi Adityanath unveiled the statue of Madhavrao Scindia on Friday at the ScindiaTiraha in Mainpuri. Speaking on the occasion, the Chief Minister stated that everyone was shocked by his untimely death in 2001 because he was a rising star in the nation’s politics. “People from every caste, creed, religion, sect, and political party gathered to pay their heartfelt tributes to him.” Stating that UP has progressed under the guidance of Prime Minister Narendra Modi, the Chief Minister said, “In the last 6 years the network of highways, expressways, and roads is being laid at the same speed with which air connectivity has progressed in the state.” Earlier, benefits were only provided to a select group of people, but now all poor people are receiving benefits from government schemes without any discrimination, he added. The Chief Minister informed that in six years, free houses have been given to 54 lakh poor people, and 1,21,000 ‘majras’ have been electrified in the state. “In every district of the state, new opportunities for skill development and employment are being provided by linking the institution with the industry,” the chief minister said. The relationship between Gwalior and Gorakhpur is centuries old: Yogi Assuring the people of Mainpuri, the CM said, “The government is working toward a zero-tolerance policy to get rid of corruption and corrupt people. Our goal is to establish India as the world’s largest economy by associating with Prime Minister Modi’s resolutions.” Besides, the foundation stones of several development projects worth Rs 411.49 crores were laid down while some other projects were dedicated to the people. Of these, the CM inaugurated 23 industrial projects worth Rs 238.30 crore and laid the foundation stone of 40 development projects worth Rs 173.19 crore. Union Minister Jyotiraditya Scindia said that the Scindia family’s relationship with Mainpuri is 250 years old. “During the historical period, when foreign forces were encroaching on India and the Rohilla Afghans launched a campaign to oppress this area, my forefather Dattaji Maharaj Scindia and after him, Maharishi Maharaj worked to preserve the unity and integrity of ‘Mother India’ in this entire region.” It was 1770, and the Rohilla Afghans terrorized not only Mainpuri but also Etawah, Meerut, Budaun, and Nazirabad. The task of uprooting them was carried out by the Scindia family’s ancestors. A strong bond exists between this land and the Scindia family. While the Scindia family liberated this area, my father breathed his last on this soil, he said. Under the leadership of CM Yogi, ‘gundaraj’ and ‘mafia raj’ have been completely eradicated in UP: Jyotiraditya Scindia Under the leadership of the prime minister and CM Yogi, Uttar Pradesh is quickly advancing toward development and progress, he said, adding that Uttar Pradesh is the shining star of India and has firmly established its presence on the international stage. The “goondaraj” and “mafiaraj,” which existed in the state prior to the year 2017, have been completely eradicated under the direction of CM Yogi.

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