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November 2, 2022

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी निगरानी में दिया मूर्त रूप

वाराणसी | दुनिया भर के सनातन धर्म को मानने वालों के आस्था का केंद्र काशी में भगवान विश्वेश्वर खुद विराजते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी निगरानी व निर्देशन में मूर्त रूप दिया, जो नित्य नए कीर्तिमान बना रहा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण के बाद देवों के देव महादेव का आंगन दिव्य व भव्य होने के साथ सुविधायुक्त हुआ तो शिव भक्तों का रिकॉर्ड आवागमन होने लगा। भगवान विश्वनाथ के धाम में लोकार्पण के बाद बाबा की आरती में शामिल होने वालो की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। चारों दैनिक आरती में शामिल होते हैं श्रद्धालु श्री काशी विश्वनाथ धाम में बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। विशेश्वर के दर्शन के साथ ही उनके आरती में शमिल होने का भी विशेष महत्त्व है। विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण के बाद सावन के महीने में जहां 1 करोड़ श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई वहीं धाम के लोकार्पण के बाद बाबा की आरती में शामिल होने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। भोलेनाथ की पांच दैनिक आरती होती है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रधान ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ के दिन की शुरुआत मंगला आरती से होती है। दोपहर में भोग आरती, शाम को सप्तऋषि आरती और उसके बाद बाद श्रृंगार भोग आरती होती है। रात्रि में महादेव के शयन के समय शयन आरती होती है ,जिसमें टिकट बिक्री नहीं होती है। काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि टिकट के माध्यम से सुगम दर्शन के द्वारा काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के पहले दिसंबर 2020 से सितंबर 2021 तक चारों दैनिक आरती में शामिल होने वाले भक्तों की संख्या 58,096 थी जबकि लोकार्पण के बाद चारों आरती में शामिल होने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक होकर 1,26,510 हो गई। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में आरती में शामिल होने वालों भक्तों की संख्या और बढ़ने की संभावना है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के अर्चक नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि श्री विश्वनाथ भगवान की आरती चारों वेदों पर आधारित है। उन्होंने बताया कि महादेव के दर्शन के साथ भक्तों को आरती का विशेष फल मिलता है। लोकार्पण के पहले दिसंबर 2020 से सितंबर 2021 तक आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मंगला आरती –27175 भोग आरती –10824 सप्तऋषि आरती –14655 श्रृंगार भोग आरती -5442 लोकार्पण के बाद दिसंबर 2021 से सितंबर 2022 तक आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मंगला आरती –74302 भोग आरती –12475 सप्तऋषि आरती –26794 श्रृंगार आरती –12939

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महिला सुरक्षा के लिए लगभग पांच सौ करोड़ खर्च करेगी योगी सरकार

लखनऊ । प्रदेश की आधी आबादी को सुरक्षा देने की दिशा में योगी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस दिशा में सरकार लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके तहत महिला बीट प्रणाली के लिए 10, 417 स्कूटी का क्रय किया जाएगा। गृह विभाग की हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को लागू करने का निर्देश दे दिया है। यही नहीं इस योजना के तहत सरकार प्रदेश के प्रत्येक जनपद में 40 पुलिस पिंक बूथ भी खोलेगी। इस तरह प्रदेश के 75 जिलों में कुल तीन हजार पुलिस पिंक बूथ स्थापित किए जाएंगे। इनमें 20 पिंक बूथ धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर स्थापित होंगे। इन बूथों पर तैनात होने वाली महिला पुलिसकर्मियों की पेट्रोलिंग के लिए 20 स्कूटी भी खरीदी जाएगी। बूथ के निर्माण और स्कूटी खरीदने के लिए सरकार तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि खर्च करेगी। इस पूरी योजना के लिए सरकार 195 करोड़ रुपये से ज्यादा पूंजीगत व्यय करेगी। वहीं योजना के संचालन व्यय पर 297 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। 2022 के विधनसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के हर जनपद में पुलिस पिंक बूथ खोलने का वायदा किया था। सीएम योगी अब उसी घोषणा को पूरा करने जा रहे हैं। गुलाबी रंग में रंगे इन बूथों में महिलाओं की सुविधा का खासा ख्याल रखा जाएगा। इन बूथों में महिलाओं के लिए रेस्ट रूम, वॉशरूम, शिकायत कक्ष, किचन से लेकर प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की जाएगी। सभी जनपदों और धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों में पिंक बूथ के स्थापित होने से एक तरफ जहां प्रदेश की महिलाओं को मनचलों से छुटकारा मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ वह घरेलू हिंसा सहित अपने खिलाफ हुई अन्य हिंसा और बदसलूकी के बारे में महिलाएं खुलकर अपनी पुलिस को बता सकेंगी। साथ ही उन वर्किंग वुमेन के मन में सुरक्षा का भाव पैदा होगा, जो देर शाम या रात में अपने दफ्तर से छूटती हैं। इसके अलावा पुलिस को भी महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने में आसानी होगी। इन धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर भी खुलेंगे पुलिस पिंक बूथ मथुरा- कृष्ण जन्म भूमि, गोवर्धन मंदिर, वृंदावन बांके बिहार मंदिर और इस्कॉन मंदिर। वाराणसी- काशी विश्वनाथ धाम, बीएचयू (विश्वनाथ मंदिर), दुर्गा कुंड, संकट मोचन और सारनाथ। अयोध्या- श्री राम जन्मभूमि स्थल, हनुमान गढ़ी और कनक भवन। प्रयागराज- अलोपी देवी मंदिर और बड़े हनुमान जी मंदिर। चित्रकूट- रामघाट और कामदगिरी। मिर्जापुर- विंध्यवासिनी मंदिर। बलरामपुर- देवी पाटन मंदिर। आगरा- राधास्वामी मंदिर। गोरखपुर- गोरखनाथ मंदिर।

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इस साल कालानमक धान के बम्पर पैदावार के आसार

गोरखपुर | सरकार से मिले प्रोत्साहन के चलते बुवाई का रकबा बढ़ने के साथ अंतिम समय में भरपूर पानी की उपलब्धता से इस साल कालानमक धान के बम्पर पैदावार के आसार हैं। खेतों में लहलहाती फसल को देखकर कृषि वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि कालानमक धान का उत्पादन दोगुना तक हो सकता है। भौगोलिक सूचकांक वाले गोरखपुर, बस्ती व देवीपाटन मंडलों के 11 जिलों में कालानमक धान का क्षेत्रफल 70 हजार हेक्टेयर में पहुंच चुका है। जबकि पांच साल पहले यह सिमट कर करीब 10 हजार हेक्टेयर तक रह गया था। रकबे में इस वृद्धि का श्रेय योगी सरकार को जाता है। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किए जाने के बाद इसकी ब्रांडिंग के कारण किसानों का रुझान कालानमक की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा। इस साल सिद्धार्थनगर जिले में 12 हजार हेक्टेयर, गोरखपुर में 10 हजार, बस्ती में 9 हजार, कुशीनगर में 8 हजार, महराजगंज में 8 हजार, देवरिया में 7 हजार, संतकबीरनगर में 6 हजार, बहराइच में 4 हजार, गोंडा में 4 हजार, बलरामपुर में 3 हजार तथा श्रावस्ती में 2 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में कालानमक धान की खेती हुई है। इन जिलों के अलावा अयोध्या और बाराबंकी के किसानों ने भी कालानमक धान की खेती के प्रति उत्साह दिखाया है। कृषि और खासतौर पर कालानमक धान के क्षेत्र में शोध-अनुसंधान करने वाली संस्था पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन (पीआरडीएफ) की टीम ने सर्वे के बाद यह अनुमान लगाया है कि इस साल कालानमक की अबतक की रिकार्ड पैदावार होगी। टीम ने यह अनुमान फसल की बालियों की औसतन 30 सेमी लंबाई देखकर लगाया है। कालानमक की चार प्रजातियों केएन 3, बौना कालानमक 101, बौना कालानमक 102 तथा कालानमक किरण किसानों के खेतों में लहलहा रही हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ आरसी चौधरी का कहना है कि इस साल कालानमक की खेती करने वाले किसानों की आमदनी गत वर्षों की तुलना में तिगुनी तक हो सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यही मंशा भी है कि किसानों की आय में अभूतपूर्व इजाफा हो। डॉ चौधरी कालानमक की खेती के संरक्षण और संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई ओडीओपी योजना को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि करीब तीन हजार साल पुराने बुद्धकालीन कालानमक चावल को इसके मूल स्थल सिद्धार्थनगर की ओडीओपी में शामिल कर इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया। कालानमक महोत्सव का आयोजन हो या फिर मेहमानों को इस चावल को गिफ्ट के रूप में देना, इसकी जबरदस्त ब्रांडिंग की। अब तो सिद्धार्थनगर में कालानमक के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की स्थापना भी हो गई है। उपभोक्ताओं की पहली पसंद बनेगा कालानमक पड़ोसी के घर तक पहुंचने वाली खुश्बू, बेजोड़ स्वाद एवं पौष्टिकता के लिहाजा से आप कालानमक चावल को दुनिया का श्रेष्ठतम चावल माना जाता है। बुद्ध के प्रसाद के रूप में विख्यात कालानमक चावल अपने निहित पोषक तत्वों के चलते उपभोक्ताओं की पहली पसंद बनेगा। कालानमक में अन्य प्रजाति के चावल की तुलना में तीन गुना अधिक आयरन, चार गुना अधिक जिंक के साथ ही प्रचुर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। कम ग्लूकोज के कारण इसे मधुमेह के रोगी भी भरपेट खा सकते हैं।

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MORBI हादसे में जान गवाने वाले बच्चों के परिवार वालों का दर्द

उत्तर प्रदेश | इरफ़ान कासमानी (41) जब 29 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी से शादी में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के मालेगांव जाने के लिए निकले थे, तो उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वे जब अपने घर वापस लौटेंगे तो उन्हें सबसे छोटे बेटे की मौत की खबर मिलेगी। अपने घर में परिवारवालों और दोस्तों के साथ बैठे इरफान ने कहा – “हमारा तो जिंदगी उजड़ गया।” मोरबी में केबल ब्रिज गिरने से जान गंवाने वालों में उनका 14 साल बेटा अरमान भी शामिल है। जैसे ही इरफान ने अपनी आपबीती सुनाई तभी पास की एक मस्जिद से अजान की आवाज आई जिसके बाद वे एक क्षण रुके और अपनी आंखें बंद की और रोते हुए प्रार्थना करने लगे. 29 अक्टूबर को इरफान अपने चचेरे भाई-बहन यूनुस कासमानी (43) और फेमिदा इकबाल (38) और अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र के मालेगांव में एक शादी में शामिल होने के लिए निकल गए थे. तब उनके बच्चे रियाज (16), अरमान (14) और निसार (18) मोरबी में ही रुक गए थे. फिर अरमान के बड़े भाई शाहिल (18) ने उन्हें शादी में यह बताने के लिए फोन किया कि तीनों लड़के और उनका दोस्त एजाज अब्दुल मोहम्मद (18) मोरबी पुल पर गए थे जो गिर गए हैं. उस दिन मोरबी पुल पर जाने वाले चार लड़कों अरमान, निसार, रियाज और एजाज में से केवल रियाज ही इस हादसे में बच गया, लेकिन वह बुरी तरह से घायल हो गया है और मोरबी के एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. निसार के माता-पिता फेमिदा और इकबाल ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. इकबाल ने हाथ जोड़कर कहा – “फिलहाल बात नहीं कर सकते हैं।” फेमिदा अभी भी सदमे में हैं और लगातार रो रही थी। मृतक लड़कों के माता-पिता जब घर लौटे तभी उनके बच्चों के शव मुर्दा घर से लाए गए थे हादसे का शिकार हुए लड़कों के माता-पिता तो मालेगांव गए हुए थे। इस बीच उनके रिश्तेदारों ने लड़कों की तलाश की. दो लड़कों को ढूंढने में तो करीब 9 घंटे लग गए। अरमान उन्हें तड़के 3.30 बजे मिला और निसार की लाश उन्हें तड़के 4 बजे मुर्दा घर से मिली। सुबह 9 बजे जब मृतक लड़कों के माता-पिता घर लौटे तब उनके शवों को घर लाया गया। इस हादसे में बाल बाल बचे रियाज की कंधे की हड्डी में चोट आई है, दाहिने हाथ में फ्रैक्चर है और सिर और चेहरे पर कई टांके लगे हैं। इरफान ने कहा – “अरमान पढ़ना चाहता था। वह 12वीं कक्षा खत्म करने के बाद आगे और पढ़ना चाहता था।” उन्होंने बताया कि निसार 12वीं कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए नौकरी की तलाश में था। इरफान ने कहा – “जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिवारों को न्याय मिलना चाहिए. इस पुल को हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए। पुल पर केवल 100 लोगों तो झेलने की क्षमता थी लेकिन उन्होंने 500-700 लोगों को जाने दिया।” पड़ोस में भी छाया माताम जहां अरमान और निसार को 31 अक्टूबर की सुबह दफनाया गया, वहीं कासमानी परिवार से महज 20 मीटर की दूरी पर रहने वाले एजाज के लिए एक ताबूत तैयार था। एजाज के पिता अब्दुल मोहम्मद (45) ने केवल इतना कहा कि, “अभी ले जाना है उससे थोड़ी देर में।” एजाज के चाचा रजाक ने कहा – “वो बहुत शरारती था पर नेक लड़का था, सबकी बहुत मदद करता था.” एजाज के परिवार वालों से ज्यादा बात नहीं पाई. पास में ही रहने वाले एक व्यक्ति हनीफ ने कहा – “किसे पता था कि एक दिन में चार परिवारों के घर माताम छा जाएगा। भले ही आप अपने आसपास रहने वाले लोगों के साथ रोजाना बातचीत नहीं करते पर आप उन सभी को जानते हो, आप उन्हें त्योहारों पर मिलते हो।” मृतकों के घरवालों को न्याय की दरकार शोक और दुख में कासमानी अब जिम्मेदार लोगों से जवाब और अपने बच्चों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। इरफान के भाई अल्ताफ ने कहा – “वे पुल पर 400-500 लोगों को कैसे अनुमति दे सकते हैं, जो केवल 100-150 लोगों का भार झेल सकता है? छह महीने की अवधि में सिर्फ 2 करोड़ रुपये में पुल की मरम्मत कैसे की गई? जवाबदेही होनी चाहिए।” यह पुल सात महीने तक बंद रहा इसे फिर से खोलने की प्रक्रिया में चूक का आरोप लगाया जा रहा है, वहीं इस मामले में मोरबी पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक कमेटी कथित उल्लंघन की जांच कर रही है। आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 134 है, जिनमें से कम से कम 50 की उम्र 18 वर्ष से कम है। दो लोग अभी भी लापता हैं, मच्छू नदी में लगातार दूसरे दिन तलाशी अभियान जारी है।  

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शाहरुख़ के 57वें जन्मदिन पर हमेशा की तरह उनके घर मन्नत के बाहर उमड़ी फैंस की भीड़, देखें तस्वीरें

मुंबई, महाराष्ट्र | आज बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ खान का 57वां जन्मदिन है और हमेशा की तरह उनके घर के बाहर फैंस की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। शाहरुख़ के मन्नत के बाहर बड़ी तादाद में फैंस अपना प्यार व्यक्त करने पहुंचे और हमेशा की तरह शाहरुख़ ने भी बहार आकर अपनी झलकी से फैंस को नवाज़ा। यहां देखिये तस्वीरें ! शाहरुख़ के जन्मदिन के इस ख़ास मौके पर उनकी आने वाली फिल्म “पठान” का टीज़र भी रिलीज़ हुआ है, जिसको देख कर ऑडियंस फूले नहीं समां रही है।

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