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MORBI हादसे में जान गवाने वाले बच्चों के परिवार वालों का दर्द

उत्तर प्रदेश | इरफ़ान कासमानी (41) जब 29 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी से शादी में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के मालेगांव जाने के लिए निकले थे, तो उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वे जब अपने घर वापस लौटेंगे तो उन्हें सबसे छोटे बेटे की मौत की खबर मिलेगी।

अपने घर में परिवारवालों और दोस्तों के साथ बैठे इरफान ने कहा –
“हमारा तो जिंदगी उजड़ गया।” मोरबी में केबल ब्रिज गिरने से जान गंवाने वालों में उनका 14 साल बेटा अरमान भी शामिल है।

जैसे ही इरफान ने अपनी आपबीती सुनाई तभी पास की एक मस्जिद से अजान की आवाज आई जिसके बाद वे एक क्षण रुके और अपनी आंखें बंद की और रोते हुए प्रार्थना करने लगे.

29 अक्टूबर को इरफान अपने चचेरे भाई-बहन यूनुस कासमानी (43) और फेमिदा इकबाल (38) और अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र के मालेगांव में एक शादी में शामिल होने के लिए निकल गए थे. तब उनके बच्चे रियाज (16), अरमान (14) और निसार (18) मोरबी में ही रुक गए थे. फिर अरमान के बड़े भाई शाहिल (18) ने उन्हें शादी में यह बताने के लिए फोन किया कि तीनों लड़के और उनका दोस्त एजाज अब्दुल मोहम्मद (18) मोरबी पुल पर गए थे जो गिर गए हैं.

उस दिन मोरबी पुल पर जाने वाले चार लड़कों अरमान, निसार, रियाज और एजाज में से केवल रियाज ही इस हादसे में बच गया, लेकिन वह बुरी तरह से घायल हो गया है और मोरबी के एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है.

निसार के माता-पिता फेमिदा और इकबाल ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. इकबाल ने हाथ जोड़कर कहा – “फिलहाल बात नहीं कर सकते हैं।” फेमिदा अभी भी सदमे में हैं और लगातार रो रही थी।

मृतक लड़कों के माता-पिता जब घर लौटे तभी उनके बच्चों के शव मुर्दा घर से लाए गए थे
हादसे का शिकार हुए लड़कों के माता-पिता तो मालेगांव गए हुए थे। इस बीच उनके रिश्तेदारों ने लड़कों की तलाश की. दो लड़कों को ढूंढने में तो करीब 9 घंटे लग गए। अरमान उन्हें तड़के 3.30 बजे मिला और निसार की लाश उन्हें तड़के 4 बजे मुर्दा घर से मिली।

सुबह 9 बजे जब मृतक लड़कों के माता-पिता घर लौटे तब उनके शवों को घर लाया गया।

इस हादसे में बाल बाल बचे रियाज की कंधे की हड्डी में चोट आई है, दाहिने हाथ में फ्रैक्चर है और सिर और चेहरे पर कई टांके लगे हैं।

इरफान ने कहा – “अरमान पढ़ना चाहता था। वह 12वीं कक्षा खत्म करने के बाद आगे और पढ़ना चाहता था।”

उन्होंने बताया कि निसार 12वीं कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए नौकरी की तलाश में था।

इरफान ने कहा – “जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिवारों को न्याय मिलना चाहिए. इस पुल को हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए। पुल पर केवल 100 लोगों तो झेलने की क्षमता थी लेकिन उन्होंने 500-700 लोगों को जाने दिया।”

पड़ोस में भी छाया माताम
जहां अरमान और निसार को 31 अक्टूबर की सुबह दफनाया गया, वहीं कासमानी परिवार से महज 20 मीटर की दूरी पर रहने वाले एजाज के लिए एक ताबूत तैयार था।
एजाज के पिता अब्दुल मोहम्मद (45) ने केवल इतना कहा कि, “अभी ले जाना है उससे थोड़ी देर में।”

एजाज के चाचा रजाक ने कहा – “वो बहुत शरारती था पर नेक लड़का था, सबकी बहुत मदद करता था.” एजाज के परिवार वालों से ज्यादा बात नहीं पाई.

पास में ही रहने वाले एक व्यक्ति हनीफ ने कहा – “किसे पता था कि एक दिन में चार परिवारों के घर माताम छा जाएगा। भले ही आप अपने आसपास रहने वाले लोगों के साथ रोजाना बातचीत नहीं करते पर आप उन सभी को जानते हो, आप उन्हें त्योहारों पर मिलते हो।”

मृतकों के घरवालों को न्याय की दरकार
शोक और दुख में कासमानी अब जिम्मेदार लोगों से जवाब और अपने बच्चों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।

इरफान के भाई अल्ताफ ने कहा – “वे पुल पर 400-500 लोगों को कैसे अनुमति दे सकते हैं, जो केवल 100-150 लोगों का भार झेल सकता है? छह महीने की अवधि में सिर्फ 2 करोड़ रुपये में पुल की मरम्मत कैसे की गई? जवाबदेही होनी चाहिए।”

यह पुल सात महीने तक बंद रहा इसे फिर से खोलने की प्रक्रिया में चूक का आरोप लगाया जा रहा है, वहीं इस मामले में मोरबी पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक कमेटी कथित उल्लंघन की जांच कर रही है। आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 134 है, जिनमें से कम से कम 50 की उम्र 18 वर्ष से कम है। दो लोग अभी भी लापता हैं, मच्छू नदी में लगातार दूसरे दिन तलाशी अभियान जारी है।

 

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