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June 2, 2023

Yogi govt will offer a variety of facilities and subsidies to investors setting up the food processing industry in UP

Lucknow | In an attempt to boost the food processing sector in the state, Chief Minister Yogi Adityanath has launched Uttar Pradesh Food Processing Industry Policy 2023. Under this scheme, all kinds of subsidies and other facilities are being given for setting up the food processing industry. The Uttar Pradesh government led by Yogi Adityanath is providing additional facilities to encourage investors which include subsidy, interest subvention, and transport subsidy. It has been divided into four parts, first is the grant of projects, second is interest subvention, the third is transport grant and the fourth is major incentives. Under the New Food Processing Policy-2023, the Yogi government is giving a grant of 35 percent of the project cost (on plant, machinery and technical civil work) or a maximum of Rs 5 crores on the establishment of new food processing units. Apart from this, 35 percent of the project cost or a maximum of Rs 1 crore is being given for expansion, modernization and upgradation of units. On the other hand, for Integrated Cold Chain and Value Addition Infrastructure (primary equipment, plant machinery, and 50 frozen irradiation facilities), 35 percent of the project cost, or a maximum grant of Rs 10 crore, is being given. Similarly, 35 percent of the project cost of a minimum investment of Rs 25 crores (5 units) or a maximum of Rs 10 crores by the agro-processing group, a grant of 35 percent of the project cost or a maximum of Rs 5 crores for the development of a priority processing center at the farm gate, collection center, cold storage, dry warehouse, mobile pre-cooling unit, reefer trucks, IQF facility distribution centers, and retail outlets under backward and forward linkage. Not only this, a maximum of Rs 5 crores of the project cost is being given for agricultural promotion chain development study, 50 percent of the project cost or a maximum of Rs 50 lakhs is being given on the construction of decentralized procurement storage and processing The Yogi government is providing interest subsidies to investors to attract investment in the food processing industry. Interest subvention of Rs 50 lakh is being given for a maximum period of five years on the loan of Mobile Pre Cooling Unit Refer Van. 25 percent transport subsidy is given on the cost of transport from the food processing unit to the exporting country. Under major incentives, exemption of 2 percent fee on the declaration of non-agricultural use, 25 percent on circle rate on exchange of government land, 50 percent on change fee on land use conversion, 75 percent on external development fee. Percentage discount, reimbursement of stamp duty for land purchase, market fee on raw material purchased for processing in the state, exemption in tax, exemption in market fee, and cess on agricultural produce purchased directly from farmers by processing units. Investors do not have to visit the department, rather can take advantage of these facilities by applying online at ‘http://niveshmitra.up.nic.in’.

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काशी में देश की समृद्ध संगीतमय सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होंगे जी-20 मेहमान

लखनऊ | गीतं वाद्यं तथा नृत्यं त्रयं संगीतमुच्यते। संगीत की तीनों कलाओं के देवता, भगवान नटराज (शिव) की नगरी काशी में जी-20 के मेहमानों का स्वागत भी पूरी तरह से संगीतमय होने जा रहा है। वसुधैव कुटुम्बकम् के ध्येय वाक्य के साथ भारत के विभिन्न शहरों में जी-20 बैठकों का आयोजन हो रहा है। इसी क्रम में वाराणसी में दो महीने में दूसरी बार 11 से 13 जून तक जी-20 की बैठक होने जा रही है। डेवलपमेंट मिनिस्टर्स मीटिंग के लिए विश्व के दिग्गज देशों के नेताओं का आगमन दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी में होगा। अतिथियों की मेहमाननवाजी के लिए योगी सरकार ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को संभावित काशी दौरे के वक्त इसे लेकर अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर सकते हैं। तीन दिन में होंगे 15 संगीतमय आयोजन मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस बार भी विदेशी मेहमानों के आतिथ्य में कहीं कोई कोर कसर नहीं रहेगी। जी-20 प्रतिनिधिमंडल की अगवानी से लेकर विदाई तक उनकी हर सुख-सुविधा और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने के साथ ही प्रदेश की अनूठी संस्कृति के साथ जोड़ते हुए मनोरंजन की भी व्यवस्था की गई है। योगी सरकार विदेशी मेहमानों के आतिथ्य में तीन दिन के भीतर 15 विशेष प्रकार के संगीतमय सांस्कृतिक आयोजन करेगी। इसमें एयरपोर्ट पर उनके आगमन से लेकर सारनाथ संग्रहालय के अवलोकन तक के लिए रंगारंग कार्यक्रमों की पूरी रूपरेखा तय की गई है। बता दें कि जी-20 बैठक के लिए दुनियाभर से 160 विदेशी डेलीगेट्स वाराणसी पहुंच रहे हैं। इनके साथ ही 100 विदेशी पत्रकार भी वाराणसी में कार्यक्रम के कवरेज के लिए मौजूद होंगे। डमरुओं की नाद, पाई डंडा, कर्मा, धोबिया, राई और फरुवाही लोकनृत्यों से होगा स्वागत 11 जून को वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर सभी जी-20 डेलीगेट्स का भव्य तरीके पारंपरिक स्वागत किया जाएगा। इस दौरान शिव की नगरी काशी में डमरुओं के नाद से विदेशी मेहमानों का जोरदार स्वागत होगा तो वहीं बुंदेलखंड का मशहूर ‘दिवारी पाई डंडा नृत्य’ भी जी-20 प्रतिनिधियों को आकर्षित करेगा। एयरपोर्ट से शहर के रास्ते में तरना नामक स्थान पर ‘कर्मा लोकनृत्य’ विदेशी नेताओं को भारत की अनादिकालीन विरासत से रूबरू कराएगा। वाराणसी शहर में प्रवेश के साथ ही शिवपुर तिराहे पर विदेशी आगंतुक पूर्वांचल के प्रसिद्ध ‘धोबिया लोकनृत्य’ का लुत्फ उठाएंगे। वहीं ताज होटल में उनका स्वागत बुंदेलखंड के दूसरे लोकनृत्य ‘राई’ और पूर्वांचल के भोजपुरी इलाकों के प्रसिद्ध ‘फरुवाही लोकनृत्य’ से होगा। गंगातट पर बमरसिया ढोल की थाप बढ़ाएगा मेहमानों की धड़कन 12 जून को विदेशी डेलीगेट्स वाराणसी में नये बने नमो घाट पहुंचेंगे। मोदी-योगी सरकार के द्वारा वाराणसी की खूबसूरती में इजाफा करते हुए निर्मित नमो घाट पर मेहमानों का स्वागत मशहूर ढोल नृत्य बमरसिया से होगा। ढोल की थाप पर थिरकते कलाकार अनूठे अंदाज में विदेशी दिग्गजों का स्वागत गंगातट पर करेंगे। यहीं पर विदेशी डेलीगेट्स के लिए कहरवा लोकनृत्य का भी आयोजन होगा। वाराणसी के ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर में प्रदेश की शिल्पकारी का अवलोकन करने के दौरान विदेशी मेहमानों के लिए थारू लोकनृत्य और ढेडिया लोकनृत्य का आयोजन किया जाएगा। जबकि होटल ताज में दोबारा आगमन पर ब्रिटिश बैगपाइपर की तर्ज पर उत्तराखंड की मस्कबीन की सुमधुर ध्वनि मेहमानों को आकर्षित करेगी। इसके उपरांत शाम को होटल ताज में स्टेट डिनर के दौरान बांसुरी, वायलिन और तबले की मंत्रमुग्ध कर देने वाली ध्वनि संगीत भरे माहौल में भोजन के स्वाद को और बढ़ा देगी। इस दौरान थीम बेस्ड क्लासिकल डांस का भी आयोजन किया जाएगा। वहीं 13 जून को सारनाथ स्थित संग्रहालय में विदेशी अतिथियों का स्वागत ‘हुड़क मजीरा’ और ‘मयूर लोकनृत्य’ के जरिए होगा।

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मोहन भागवत का राहुल गांधी पर तंज-विदेश में देश की छवि खराब करने वाले शत्रु

नई दिल्ली | RSS चीफ मोहन भागवत ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का बिना नाम लिये निशाना साधा है. भागवत ने कहा कि ऐसी ताकतें देश की छवि को खराब करना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि हमें ऐसा कोई मौका किसी को नहीं देना चाहिए. अपने स्वार्थ के लिए ये काम करने वाले लोग देश के शत्रु हैं. भागवत ने कहा, इस तरह का काम एक व्यक्ति के अहंकार का परिणाम हैं. ऐसी बेहूदा टिप्पणियों को जनता करीब से देख रही है.” अमेरिका में राहुल गांधी ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में पूरा विपक्ष मौजूदा समय में संघर्ष कर रहा है. उन्होंने कहा था कि, “भारत में अगर कोई विपक्षी सरकार के खिलाफ बोलने की कोशिश करता है तो उसकी आवाज को दबा दिया जाता है. इस दौरान राहुल गांधी ने मुसलमानों को लेकर भी टिप्पणी की थी. भागवत ने एकता का किया आह्ववान यह रेखांकित करते हुए कि देश की प्रगति के लिए हिंदू-मुस्लिम एकता आवश्यक है, आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार (1 जून) को कहा कि “कुछ समुदाय बाहर से आए थे” और “हम उनसे लड़े जो उन्हें लाए”, वे “अपने” हैं और यह “हमारी सामूहिक जिम्मेदारी” है कि अगर कोई “कमी” है तो उनकी सोच को बदलें. नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग के एक समारोह में बोलते हुए, मोहन भागवत ने कहा, “कुछ संप्रदाय बाहर से आए. उनके लाने वाले जो बाहर से थे, उनके साथ हमारी लड़ाई हुई. लेकिन वो बाहर वाले तो चले गए, सब अंदर वाले हैं.” उन बाहर वालों का संबंध भूलकर इस देश में रहना, और अभी भी वहां के प्रभाव में यहां जो लोग हैं, वो बाहर वाले नहीं वो अपने ही हैं, ये समझ के उनके साथ व्यवहार करना. अगर उनके सोचने में कोई कमी है तो उनका योग्य प्रबोधन करना, हम सबकी जिम्मेवारी है. मोहन भागवत, RSS प्रमुख ‘अलग पहचान कौन चाहता है’ मोहन भागवत ने आगे कहा, “हमारे अहंकार और अतीत के बोझ के कारण, हम एकजुट होने से डरते हैं. हमें लगता है कि अगर हम सबकी मातृभूमि की पूजा में शामिल हो गए तो हम अपनी पहचान खो देंगे. अलग पहचान कौन चाहता है? कोई अलग पहचान नहीं है.” भारत के अंदर हमारी अलग पहचान सुरक्षित है. बाहर, अगर आप किसी राष्ट्र की मूल पहचान से अलग हैं, तो आपके लिए खुशहाल जीवन जीना मुश्किल है. मोहन भागवत, RSS प्रमुख संघ प्रमुख ने संवाद पर जोर दिया और कहा, “हमें अपने पारस्परिक संबंधों में संयम बरतना होगा. हमें विवाद के बजाय संवाद को अपनाना होगा. हमारी विविधता विभाजन नहीं बल्कि हमारी एकता है.” भागवत ने कहा कि एक समय स्पेन से मंगोलिया तक इस्लाम के प्रसार के दौरान पूरी दुनिया को हमलों का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा,”धीरे-धीरे और लगातार, लोग जाग गए और हमलावरों को हरा दिया. इसने इस्लाम को अपने ही क्षेत्र में सीमित कर दिया. उपद्रवी चले गए, यहां इस्लाम सबसे सुरक्षित है. यह शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व सदियों से है.” RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा, “हमारी प्रार्थना के तरीके अलग हो सकते हैं, लेकिन हम इस देश के हैं. हमारे पूर्वज इसी देश के थे. हम इस वास्तविकता को स्वीकार क्यों नहीं कर पा रहे हैं?”

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लखीमपुर खीरी : घटिया सड़क निर्माण पर पत्रकारों के सवालों से बचकर भागते नज़र आए PWD मंत्री जितिन प्रसाद, देखें वायरल वीडियो

उत्तर प्रदेश | PWD मंत्री जितिन प्रसाद का एक वीडियो बड़ा वायरल हो रहा है। जिसमें वो पत्रकारों के सवालों से बचकर भागते हुए नक़ाज़ार आ रहे हैं। पत्रकारों ने मंत्री जी से घटिया सड़क के निर्माण को लेकर सवाल किये थे। दरअसल, उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद अपने निर्धारित भ्रमण कार्यक्रम के अनुसार बुधवार को जनपद खीरी पहुंचे जहां। कलेक्ट्रेट स्थित निरीक्षण भवन में जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह व मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह ने पुष्पगुच्छ देकर मंत्री का स्वागत किया। इस समीक्षा में मंत्री जी ने विभागीय अधिकारियों को कई मानकों को लेकर निर्देशित किया। हालाँकि, यहां जो हुआ उसकी उम्मीद शायद मंत्री जी को नहीं होगी। क्या है मामला ? मामला थाना खुटार गोला बाईपास से रसवां कला गाँव तक बनाई गई है डामर रोड का है। बताया जा रहा है कि इंजीनियर और ठेकेदारों ने मिलकरलाखों सरकार का लाखों रुपया लगाकर इस सड़क का निर्माण किया है। लेकिन 1 माह बीतने के बाद ही यह सड़क हाथों से ही टूटने लगी है। सड़क निर्माण कार्य में घटिया सामग्री लगाए जाने से यह सड़क हाथों से उखड़ रही है। स्थानीय ग्रामीणों ने पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद से शिकायत कर की जांच कराने की मांग की है। पीडब्ल्यूडी मंत्री के जिले में ही घोटाले की सड़क बनाने पर स्थानीय लोगों ने हाथों से टूटी सड़क का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया है अभी वीडियो जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसी मुद्दे को लेकर जब वहाँ मौजूद पत्रकारों ने PWD मंत्री जितिन प्रसाद से सवाल पूछने चाहे तो वह उन सवालों से बचकर भागते नज़र आए।

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उत्तर प्रदेश : PWD के 200 इंजीनियर्स का होगा डिमोशन, डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ को लड़ाई जीतने में लगे 13 साल

लखनऊ | पीडब्ल्यूडी विभाग में 200 इंजीनियर अब साहब से जूनियर इंजीनियर बन जाएंगे। दरअसल, पीडब्ल्यूडी विभाग के 200 इंजीनियरों को डिमोट करने के आदेश हुए हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग में कई इंजीनियर वर्ष 2010 में नियम विरुद्ध प्रमोशन प्राप्त किए थे, इनको सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता पर प्रमोशन मिला था। डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने इस पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने 13 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नति के परिप्रेक्ष्य में डिग्री-डिप्लोमा विवाद हेतु योजित 40 रिट याचिका के बंच की सुनवाई के लिए बनी विशेष बेंच में लगभग एक माह नियमित सुनवाई हुई। उसके बाद फैसला डिप्लोमा इंजीनियर संघ के पक्ष में आया। उच्च न्यायालय द्वारा डिप्लोमा इंजीनियर संघ की सभी रिट याचिकाओ को एलाऊ कर दिया गया है। शासन एवं विभाग द्वारा सहायक अभियंता पद पर दिनांक 2 अगस्त 2008 को की गई 95 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को निरस्त कर दिया गया है। वर्तमान में अधिशासी अभियंता पद पर पदोन्नति प्राप्त कर चुके सभी पदावनत होंगे। इसी प्रकार सहायक अभियंता पद पर 3 जुलाई 2009 को की गई 27 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को भी निरस्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त 5 फरवरी 2010 को 78 पदों पर की गई डीपीसी को भी निरस्त कर दिया गया है। कोर्ट के इस आदेश के लागू होने पर पीडब्ल्यूडी विभाग में इन 200 इंजीनियरों में कई इंजीनियर ऐसे हैं जो जिलों में अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं। यानी कि कई इंजीनियर जिलों की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग की संभाल रहे हैं। अब यह सभी डिमोट हो कर जूनियर इंजीनियर हो जाएंगे। डिप्लोमा इंजीनियर संघ के अध्यक्ष एनडी द्विवेदी ने बताया कि डिप्लोमा होल्डर की जगह नियम विरुद्ध डिग्री होल्डर का प्रमोशन कर दिया गया था। जिसका हमने विरोध किया और यहां लंबी लड़ाई चली। डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने इस लड़ाई को हाईकोर्ट से लगाकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा, जिसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए निर्देश दिया है कि इन सभी दो सौ इंजीनियर को डिमोट किया जाए। अभी संबंध में शासन को भी हमारे साथ न्याय करना चाहिए और कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच में सुनवाई जारी थी, जिसने अपना फैसला हमारे पक्ष में दिया है।  

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Dehradoon News :पूर्व प्रधानमंत्री VP सिंह जी के पुत्र और उनकी 2 पोतियों पर SC/ST एक्ट में केस दर्ज

Dehradoon | पूर्व प्रधानमंत्री VP सिंह जी के पुत्र और उनके 2 पोतियों पर SC/ST एक्ट में केस दर्ज हुआ है . पूर्व PM की पोती अद्रीजा सिंह का ससुराल पक्ष के साथ पारिवारिक विवाद हाल ही में चर्चा में था. इस बीच अद्रीजा के पति अर्केश नारायण की हेल्पर ने अद्रीजा और उनके परिवार पर SC/ST एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया है . हाईप्रोफाइल इस मामले में उत्तराखंड की राजपुर पुलिस ने जांच शुरू की है। आपको बता दें की भारत के पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह की पोती अद्रीजा सिंह की की शादी ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री आरएन सिंह के पोते अरकेश नारायण सिंह से 2017 में हुई थी। अर्केश राजपुर क्षेत्र में स्थित अपने मकान में पत्नी अंद्रीजा के साथ रहते थे। वर्ष 2019 से सभी इस मकान में रह रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले दोनों पति-पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया। बात तलाक तक पहुंच गई। इस बीच अंद्रीजा ने अपने पति पर मारपीट और दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मुदकमे दर्ज कराए थे।इनमें उन्होंने पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप भी लगाया था। एसओ राजपुर जितेंद्र चौहान ने बताया कि अंद्रीजा सिंह के पति के घर पर रविता झा नाम की महिला काम करती है। रविता का कहना है कि अंद्रीजा ने पारिवारिक विवाद के चलते उसके साथ भी गाली गलौज और जातिसूचक शब्द कहे गए। उन्होंने न्यायालय में अंद्रीजा सिंह, उनके पिता अजय सिंह, बहन ऋचा मंजरी और ड्राइवर के खिलाफ शिकायत की थी। न्यायालय के आदेश पर तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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लखीमपुर खीरी : झोलाछाप डॉक्टर ने बेहोशी का इंजेक्शन देकर किया महिला के साथ दुष्कर्म

Uttar Pradesh | खबर लखीमपुर खीरी से है, जहां एक झोलाछाप डॉक्टर ने एक क्रूर घटना को अंजाम दिया। एक महिला को बेहोशी का इंजेक्शन दे कर इस डॉक्टर ने उसके साथ दुष्कर्म किया। तहरीर में दुष्कर्म के बजाय महज़ छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कर इस माले में स्थानीय पुलिस ने बड़ा खेल किया। बाइट दुष्कर्म पीड़िता महिला का पति   मामला निघासन कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है जहां एक झोला चाप डॉक्टर ने एक महिला को बेहोशी का इंजेक्शन देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और महिला के होश में आने के बाद उसे डराया और धमकाया, कि अगर उसने शिकायत करने की कोशिश की तो उसे जान से मार दिया जाएगा। घटना के बाद पीड़ित महिला ने SP से शिकायत की मगर पुलिस ने तहरीर में बदलाव कर दुष्कर्म की जगह महज़ छेड़खानी का मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद पीड़ित महिला ने पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों से शिकायत की।  

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Sedition Law News : लॉ कमीशन ने की राजद्रोह कानून बनाए रखने की सिफारिश,दुरुपयोग रोकने के लिए दिए सुझाव

नई दिल्ली | लॉ कमीशन ने आईपीसी की धारा 124A बनाए रखने की सिफारिश की है. राजद्रोह से जुड़े इस कानून के दुरुपयोग को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इसे निष्प्रभावी बना दिया था. अब केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में लॉ कमीशन ने कहा है कि भारत की जमीनी हकीकत को देखते हुए धारा 124A को खत्म नहीं किया जाना चाहिए. इसके साथ ही कमीशन ने कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए कुछ उपाय अपनाए जाने की सिफारिश की है. लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में राजद्रोह क़ानून (IPC 124A) को बनाए रखने की सिफारिश की है।आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी तत्वों से निपटने के लिए क़ानून की ज़रूरत है। हालांकि क़ानून में और ज़्यादा स्पष्टता लाने के लिए आयोग ने कुछ सुझाव भी दिए गये है। कमीशन ने कहा है कि न्यूनतम सज़ा 3 साल की जगह 7 साल होनी चाहिए। कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस की जरूरत है। इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की शुरुआती जांच और जांच रिपोर्ट को सरकार की मंजूरी के बाद ही FIR दर्ज होनी चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में इस कानून को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि राजद्रोह कानून के तहत कोई भी मामला फिलहाल दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। वहीं केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई टालने का आग्रह यह कहते हुए किया था कि सरकार ने लॉ कमिशन से इस मामले में सुझाव मांगे हैं।

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Unclaimed Deposits : बैंकों में लावारिस पड़े हैं हजारों करोड़ रुपए, RBI ने शुरू किया ‘100 डेज 100 पे’ अभियान…जानिए क्या है यह

नई दिल्ली | भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 100 दिनों के भीतर हर जिले में प्रत्येक बैंक की टॉप 100 अनक्लेम्ड डिपॉजिट का पता लगाने और उसके निपटाने के लिए ‘100 दिन 100 भुगतान’ (100 Days 100 Pays) अभियान को शुरू किया है।आरबीआई यह अभियान बैंकिंग प्रणाली में लावारिस जमा की मात्रा को कम करने और ऐसी जमा राशि को उनके सही मालिकों/दावेदारों को वापस करने के लिए कर रहा है। किसी जमा को लावारिस यानी अनक्लेमड तब माना जाता है, जब उस डिपॉजिट पर 10 साल या उससे ज्यादा समय तक कोई गतिविधि (डिपॉजिट या निकासी) नहीं हुई हो। इसके बाद बैंक ऐसे जमा राशियों को आरबीआई द्वारा बनाए गए “जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता” (DEA) फंड में ट्रांसफर कर देते हैं। कड़ी में सबसे ज़्यादा अनक्लेम्ड डिपॉजिट SBI के पास हैं। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने संसद में एक लिखित उत्तर के मुताबिक, फरवरी 2023 तक पब्लिक सेक्टर बैंकों ने आरबीआई को कुल 35,012 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की है। SBI के पास सबसे ज्यादा लावारिस जमा वर्तमान में, देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पास लावारिस जमा राशि सबसे ज्यादा है। एसबीआई के पास 8,086 करोड़ रुपये की लावारिस जमा राशि है। दूसरे नंबर पर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) है जिसके पास 5,340 करोड़ रुपये का लावारिस जमा है। इसके बाद केनरा बैंक 4,558 करोड़ रुपये और उसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा है, जिसके पास 3,904 करोड़ रुपये का लावारिस जमा है।

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10वीं की NCERT किताबों में अब नहीं दिखेगा Periodic Table और डेमोक्रेसी का चैप्टर

नई दिल्ली | राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद ने 10वीं क्लास से पीरियोडिक टेबल हटा दिया है। कोविड-19 के समय में सिलेबस कम करने के लिए अस्थाई रूप से पीरियोडिक टेबल को हटाया गया था। लेकिन अब इसे सिलेबस से स्‍थाई तौर पर हटाने का फैसला किया गया है। ‘छात्रों का बोझ कम करने के लिए हटाए गए चैप्टर’ – NCERT आपको बता दें कि इस साल के शुरू में NCERT ने थियरी ऑफ इवोल्यूशन चैप्टर को 10वीं क्लास से हटा दिया था। अब NCERT ने नई किताबों से कुछ चैप्टर को हटाने का फैसला लिया है, जिसमें पीरियोडिक टेबल वाला चैप्टर भी है। साइंस की किताब से इन्वॉयरमेंटल सस्टेनबलिटी और सोर्स ऑफ एनर्जी के अलावा डेमोक्रेसी पर शामिल चैप्टर को भी 10वीं क्लास की पुस्तकों से हटा दिया गया है। NCERT ने इन चैप्टर को हटाने को जरूरी बताते हुए कहा इससे छात्रों बोझ कम होगा। परिषद ने कहा कि डिफकल्टी लेवल, एक ही चीज अलग-अलग चैप्टर में होना और मौजूदा परिस्थिति में गैर-जरुरी कंटेंट होने के कारण भी यह फैसला किया गया है। हालांकि छात्र इन चैप्टर को आगे पढ़ सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें 11वीं और 12वीं क्लास में इस सब्जेक्ट को चुनना होगा। कोविड के कारण कोर्स को तार्किक बनाया जा रहा है और बच्चों का बोझ कम किया जा रहा है. अगर बच्चे डार्विन का सिद्धांत पढ़ना चाहते हैं तो वो वेबसाइट पर जाकर इसे पढ़ सकते हैं. कक्षा 12 में पहले से ही डार्विन का सिद्धांत किताब में है. इसलिए ऐसे झूठा प्रोपेगैंडा नहीं फैलाया जाना चाहिए. सुभाष सरकार, केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री इसी साल जब NCERT ने विज्ञान की किताब से थियरी ऑफ इवोल्यूशन को हटाने का फैसला लिया था तो इसका काफी विरोध हुआ। करीब 1800 वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने इस मुद्दे पर खुला पत्र लिखा था।

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