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June 7, 2023

सुपारी लेकर भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या करने वाले गैंगस्टर संजीव जीवा की लखनऊ कोर्ट में हत्या, बच्ची समेत 5 को गोली लगी

लखनऊ ब्यूरो । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सिविल कोर्ट में दोपहर बाद शूट आउट में पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता ब्र्ह्मदत्त दि्वेदी हत्याकाण्ड के मुख्य अभियुक्त गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गयी। शूआउट में एक बच्ची के भी मरने और पुलिस कर्मी समेत कई लोगों के घायल होने की खबर मिली है। हत्यारे कौन हैं और उनकी जीवा के क्या दुश्मनी है यह जानकारी अभी आना बाकी है। उत्तर प्रदेश के ही मुजफ्फर नगर का रहने वाला जीवा ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकाण्ड में ही उम्र कैद सजा जेल में काट रहा था। जीवा पर सुपारी किलिंग, हत्या, अपहरण, लूट समेत दो दर्जन मुकदमें हैं जिसमें 17 मुकदमों में वह बरी हो चुका था। जीवा का इतना खौफ था कि उसके खिलाफ गवाह टिकता नहीं था। जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी है। पायल ने भारत के मुख्य न्यायधीश को चिट्टी लिखकर आशंका जताई थी कि कोर्ट में पेशी के दौरान उनके पति की हत्या करवाई जा सकती है और हत्या हो गयी। सभी हमलावर वकीलों के वेष में आए थे। वकीलों ने एक हमलावर को दबोच लिया। वह कम उम्र का ही है जैसे अतीक-असरफ के हत्यारे थे। पुलिस ने जीवा का मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी से भी जोड़ा और इनके गिरोह का सदस्य बताया। मुन्ना बजरंगी की पहले ही बागपत जेल में हत्या हो चुकी है और मुख्तार जेल में हैं। यह भी कहा गया कि गैंगस्टर संजीव उर्फ जीवा भाजपा विधायक कृष्णानन्त राय हत्याकाण्ड में भी आरोपी था। इस हत्या काण्ड में मुख्तार को सजा हो चुकी है। हालांकि अपराध की दुनिया में जीवा भाजपा के कद्दावर नेता और कल्याण सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी की फर्रुखाबाद में हत्या के बाद सुर्खियों में आया था। पूर्व विधायक विजय सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने शूटर जीवा को ब्रह्मदत्त की हत्या की सुपारी दी थी। फिलहाल लखनऊ कोर्ट में हत्याकाण्ड के बाद विपक्षी दल यूपी सरकार पर हमलावर हैं और यहां की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। पूर्व मुख्मंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। यादव में कहा कि न बेटियां सुरक्षित हैं और न कोर्ट-कचहरी।

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साथ पढ़ाई कर रहे थे हिन्दू लड़की-मुस्लिम लड़का, पड़ोसियों ने बुला ली पुलिस, फिर जानिए क्या हुआ

मेरठ | उत्तर प्रदेश के मेरठ में शास्त्री नगर के एक घर में पड़ोस के लोगों ने हंगामा किया। पड़ोस के लोगों का आरोप है कि दो अलग-अलग समुदाय के छात्र-छात्रा एक ही कमरे में थे। छात्र और छात्रा का कहना था कि वह दोनों पढ़ रहे थे। इलाके के लोगों ने घर में पहुंचकर हंगामा किया और पुलिस को बुला लिया इसके बाद मामला थाने पहुंचा, लेकिन किसी की तरफ से भी कोई तहरीर नहीं दी गई और पुलिस ने छात्र छात्रा के घरवालों को बुलाकर उनके हवाले कर दिया। पूरा मामला मामला मेरठ के नौचंदी थाना क्षेत्र के शास्त्री नगर सेक्टर 8 का है। रविवार दोपहर एक छात्र और छात्रा के एक घर के कमरे में होने की सूचना मिली। जिसके बाद सूचना पर इलाके के कुछ लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने कमरे को खोला। आरोप है कि घर के अंदर छात्र-छात्रा बैठे हुए थे लड़का मुस्लिम था और लड़की हिंदू थी जिसको लेकर के इलाके के लोगों ने आपत्ति जताई। छात्र- छात्रा ने आपस में एक दूसरे से जानकारी होने की बात कही और पढ़ाई करने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह कमरे में बैठकर पढ़ रहे थे, लेकिन इलाके के लोगों ने उनकी बात नहीं सुनी और पुलिस को बुला लिया। पुलिस दोनों को साथ ले गई। छात्रा 16 साल की है और वह मेरठ के एक ही कोचिंग में पढ़ रही है और वह गढ़मुक्तेश्वर की रहने वाली है। वही छात्र भी गढ़मुक्तेश्वर का ही रहने वाला है दोनों एक दूसरे से परिचित हैं और साथ कोचिंग कर रहे हैं। इस मामले में थाना नौचंदी के थाना अध्यक्ष का कहना है कि दोनों को थाने लाया गया था कोई भी आपत्तिजनक बात नहीं थी। जांच में पता चला कि दोनों बैठ कर पढ़ाई कर रहे थे और दोनों के ही घरवालों ने एक दूसरे से जानकारी होना बताया, यह लोग किसी आपत्तिजनक स्थिति में नहीं थे। दोनों ही परिवार की तरफ से कोई तहरीर नहीं दी गई और लिख कर दिया गया कि दोनों ही आपस में एक दूसरे को जानते हैं जिसके बाद दोनों को ही उनके परिवार को सुपुर्द कर दिया गया।

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Parveen Babi का किरदार निभाएंगी Urvashi Rautela, सोशल मीडिया पर लिखा ‘Bollywood हुआ फेल …’

मुंबई, महाराष्ट्र | उर्वशी रौतेला जल्द ही परवीन बाबी के किरदार में नजर आएंगीं. परवीन पर बायोपिक बन रही है, जिसमें उर्वशी उनके रोल में नजर आएंगीं. यह खबर शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने लिखा “बॉलीवुड फेल हुआ लेकिन मैं आपको गर्व करने का मौका दूंगी, Bollywood failed you #ParveenBabi but I will make you proud परवीन बाबी की भूमिका में उर्वशी रौतेला उर्वशी रौतेला ने यह खबर शेयर करते हुए पोस्ट किया स्क्रिप्ट का पहला पन्ना जिस पर लिखा था आ फिल्म बाय – वसीम एस खान, और फिर नीचे बोल्ड शब्दों में लिखा था परवीन बाबी, स्टोरी लाइन. वहीं फिल्म की कहानी बताते हुए पोस्ट में लिखा है “वैसे तो बॉलीवुड में बहुत से ऐसे हादसे हुए है, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके है. उन्हीं इतिहास के पन्नों में एक और स्टार की कहानी शामिल है, जिसे पूरी दुनिया परवीन बाबी के नाम से जानती है. परवीन बाबी बॉलीवुड की जितनी मशहूर अदाकारा थी, उतनी ही मशहूर उनकी जातीय जिंदगी भी थी. यह कहानी भी परवीन बाबी के फिल्मी करियर के साथ उनकी निजी जिंदगी के पहलुओ पर रोशनी डालते हुए, इसे सुनहरे परदे के जरिये दुनिया के सामने पेश करने की कवायद है. 70 और 80 के दशक की स्टार एक्ट्रेस, परवीन बाबी बॉलीवुड की वो अदाकारा जिसने 1970 और 80 के दशक में अपने ग्लैमरस और बोल्ड अंदाज से दर्शकों के दिलों पर राज किया. परवीन बाबी जिन्होनें अपने करियर की शुरूआत साल 1972 में मॉडलिंग से की थी. उन्होनें चरित्र फिल्म से सिनेमा की दुनिया में कदम रखा और उसके बाद दीवार, क्रांति, दो और दो पांच जैसी कई सुपरहिट फिल्में बॉलीवुड को दी. परवीन बाबी ने साल 2005 में ही अपनी जिंदगी की कहानी को अधूरा ही छोड़ इस दुनिया से रुखस्त ली और महज 51 साल की उम्र में उनका निधन होगया.

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लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट परिसर में चली गोली, गैंगस्टर संजीव महेश्वरी जीवा की हत्या

लखनऊ | पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी संजीव जीवा की लखनऊ सिविल कोर्ट के बाहर गोली मारकर हत्‍या कर दी गई। अचानक हुई इस घटना से पूरे कोर्ट पर‍िसर में हड़कंप मच गया। बता दें क‍ि हत्‍यारे वकील के भेष में आए थे। वो लंबे समय से लखनऊ जेल में ही सिक्योरिटी बैरक में बंद था। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा ने वर्ष 1995 से संगीन घटनाओं को अंजाम दिया। संजीव जीवा अंतर राज्य गैंग का लीडर था। उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी, लूट, डकैती, अपहरण, गैंगस्टर जैसी संगीन धाराओं में दो दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। कोलकाता के एक व्यापारी के बेटे का अपहरण कर दो करोड़ की फिरौती मांगने से लेकर पूर्वांचल के विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी और कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी नाम आया था। संजीव जीवा लखनऊ जेल में बंद था। जीवा माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के बेहद करीबी माना जाता था। जीवा पर विधायक कृष्णानंद राय तथा पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का भी आरोप है। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोपी मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के बाद से ही सह अभियुक्त संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई थी। हाल ही में उसकी संपत्ति भी प्रशासन द्वारा कुर्क की गई थी। जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद है, लेकिन साल 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि उनकी (जीवा) जान को खतरा है। बता दें कि, पायल 2017 में आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं और उन्हें हार मिली थी। संजीव की पत्नी पायल महेश्वरी ने कुछ दिन पहले ही जताई थी हत्या की आशंका जताते हुए सुरक्षा की मांग की थी  भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में जेल में बंद संजीव जीवा की पत्नी ने अपने पति की हत्या की आशंका जताई संजीव जीवा की पत्नी और रालोद नेता पायल माहेश्वरी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से अपने पति की सुरक्षा की गुहार की है. पायल का कहना है कि पेशी के दौरान षड्यंत्र के तहत उनके पति की हत्या कराई जा सकती है. उन्होंने पति की सुरक्षा के लिए सीजेआई से उच्चाधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया है 2017 में पायल महेश्वरी लड़ चुकी है रालोद के टिकट पर विधानसभा का चुनाव वकील की ड्रेस में क़ातिल। मौके पर पुलिस ने धर दबोचा है।

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मुख्यमंत्री का निर्देश, फील्ड विजिट करें अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, योजनाओं के प्रगति की करें समीक्षा

● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने बुधवार को शासन स्तर के सभी अपर मुख्य सचिवों/प्रमुख सचिवों के साथ जनशिकायतों के निस्तारण को लेकर विभागीय कार्यप्रणाली की समीक्षा की। जनसमस्याओं और जनशिकायतों का मेरिट आधारित त्वरित समाधान पर बल देते हुए मुख्यमंत्री जी ने लोकहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। ● राज्य सरकार के सभी लोककल्याणकारी प्रयासों के मूल में आम आदमी की संतुष्टि और प्रदेश की उन्नति है। शासन-प्रशासन से जुड़े सभी अधिकारियों/कार्मिकों को इसे समझना चाहिए। आम जन की शिकायतों/समस्याओं के सहज समाधान के लिए जनसुनवाई समाधान प्रणाली (आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन) अत्यंत उपयोगी माध्यम है। शासन में तैनात वरिष्ठ अधिकारी हों या फील्ड में नियुक्त अधिकारी, हर किसी की यह जिम्मेदारी है कि आईजीआरएस पर प्राप्त आवेदनों का प्राथमिकता के साथ त्वरित निस्तारण किया जाए। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता/लापरवाही/देरी स्वीकार नहीं की जाएगी। ● अपराध और अपराधियों के खिलाफ हमने ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। आईजीआरएस में मिलने वाले आवेदन हों या सीएम हेल्पलाइन अथवा थाना/तहसील/विकास खंड में पहुंचने वाले शिकायतकर्ता, सबकी सुनवाई की जाए। पीड़ित/परेशान व्यक्ति की मनोदशा को समझें, उसकी भावना का सम्मान करें और पूरी संवेदनशीलता के साथ समाधान किया जाए। शिकायतकर्ता की संतुष्टि और उसका फीडबैक ही अधिकारियों के प्रदर्शन का मानक होगा। शासन से लेकर विकास खंड तक के अधिकारी मिशन मोड में जनसुनवाई को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए आमजन की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित कराएं। ● आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन पर आने वाले आवेदनों को लेकर थाना, तहसील और जिला स्तर हो रही कार्यवाहियों पर शासन से लगातार नजर रखी जा रही है। थाना दिवस और तहसील दिवस को और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि शिकायतों का निस्तारण अगले थाना/तहसील दिवस से पूर्व जरूर हो जाए। जनसुनवाई की इन तिथियों और उसमें उपस्थित रहने वाले अधिकारी के नाम का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। यहां आने वाले मामले कतई लंबित न रहें। ● आईजीआरएस/सीएम हेल्प लाइन को लेकर संवेदनशील विभागों ने अच्छा कार्य किया है। ऐसे विभागों, जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तानों, थानों और तहसीलों से औरों को प्रेरणा लेनी चाहिए, संतोषजनक प्रदर्शंन न करने वाले जिलों, थानों और तहसीलों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है। जनता से सीधा जुड़ाव रखने वाले विभाग के फील्ड में तैनात अधिकारी हर दिन न्यूनतम एक घंटा जनसुनवाई के लिए जरूर नियत करें। ● सभी अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव फील्ड में जाएं। अगले दो माह के भीतर सभी मंडलों का भ्रमण करें। फील्ड विजिट के दौरान अपने विभाग की लोककल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करें। लंबित शिकायतों का तत्काल मेरिट के आधार पर निस्तारण कराएं। जहां गड़बड़ी हो, वहां जवाबदेही तय करें। विजिट के बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को उपलब्ध कराएं। ● विभिन्न कार्यों में तैनात आउटसोर्सिंग कार्मिकों ने उत्कृष्ट कार्य किया है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी कार्मिकों का मानदेय समय पर मिले, पूरा मिले। किसी भी दशा में एक भी कर्मचारी का आर्थिक अथवा मानसिक शोषण नहीं होना चाहिए। ● वित्तीय बजट में विभागों को आवंटित धनराशि का सही और समयबद्ध उपयोग सुनिश्चित करें। हर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अपने विभागीय योजनाओं की समीक्षा करते हुए समय से धनराशि आवंटन कराएं। विभाग के लिए प्राविधानित बजट का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए। भारत सरकार से मिलने वाले अनुदान/अंशदान के संबंध में अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव स्वयं भी भारत सरकार के मंत्रालयों से संवाद/संपर्क करें।वर्तमान वित्तीय बजट की समाप्ति से पूर्व सभी विभागों द्वारा वर्तमान बजट में प्राविधानित धनराशि का यथोचित खर्च किया जाना सुनिश्चित किया जाए। विभाग स्तर भी पर खर्च की समीक्षा भी जाए। ● सचिवालय में फाइलों के लिए ई-ऑफिस की व्यवस्था है। इसे समस्त विभागाध्यक्ष/निदेशक कार्यालयों में भी लागू किया जाए। फिजिकल फाइलों का उपयोग अपरिहार्य स्थिति में ही किया जाना चाहिए। ई-ऑफिस को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। ● राज्य सरकार ने अपनी नवीन स्थानांतरण नीति घोषित कर दी है। इस नीति का कड़ाई से अनुपालन किया जाए। सभी अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अपने विभागीय मंत्रीगणों से संवाद करते हुए नीति के अनुरूप स्थानान्तरण करें। यह ध्यान रखें कि आकांक्षात्मक जनपदों में मैनपॉवर कम न हो। ● अंतरराज्यीय/अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र हमारे ब्रांड एम्बेसेडर हैं। यहां अच्छे स्कूल-कॉलेज, स्तरीय चिकित्सा संस्थान विकसित किये जाने चाहिए। सीमावर्ती क्षेत्रों में औद्योगीकरण को लेकर भी हमें और बेहतर प्रयास करने होंगे। प्रदेश के दूर-दराज के गांवों तक टेलीकन्सल्टेशन सेवा का विस्तार किया जाए।

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प्रशिक्षण से‘स्वच्छ भारत’ का सपना साकार करेगी योगी सरकार

लखनऊ । प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा देने और राज्य के सभी ग्रामों में स्वच्छता को स्थायी रूप से प्रभावी बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार वृहद स्तर पर कार्यरत है। स्वच्छता कार्यक्रम सुचारू रूप से काम करता रहे, इसके लिए प्रदेश सरकार ने 2023-24 के लिए रणनीति तैयार की है। स्वच्छता को बढ़ावा देने की गतिविधियों के कुशल संचालन के लिए ग्राम पंचायत के प्रधानों, सचिवों, पंचायत सदस्यों व सफाई कर्मियों का प्रशिक्षण कराया जा रहा है। प्रदेश में कुल 100437 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना प्रस्तावित की गई है। इस क्रम में पूरे राज्य में 22 डीपीआरसी (डिस्ट्रक्ट पंचायती राज रिसोर्स सेंटर) में कुल 135 प्रशिक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं जो कि सभी सम्बंधित ट्रेनिंग प्रक्रिया को अंजाम देंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में स्वच्छ भारत के अंतर्गत पहले फेज में साल 2014 से 2018 के बीच जो कार्य हुए उन्हीं को सेकेंड फेज (साल 2020 से 2025 तक) में आगे बढ़ाते हुए साल 2025 तक प्रदेश के सभी 57,704 ग्राम पंचायतों की 95,826 राजस्व गांवों को मॉडल ग्राम बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। – उत्तर प्रदेश में‘स्वच्छ भारत मिशन’ के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीएम योगी के निर्देश पर शासन ने कसी कमर  73 प्रतिशत प्रशिक्षण हुआ पूरा योजना के मुताबिक, प्रदेश में कुल कुल 22 डीपीआरसी केंद्र बनाए जा रहे हैं जिसमें प्रति केंद्र 6 प्रशिक्षक के रूप में कुल 135 प्रशिक्षक तैयार किए गए हैं। इसमें से ग्राम पंचायत की टीम के कुल 90837 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रस्तावित है। इसमें से अब तक 73 परसेंट यानी 65604 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण पूरा हो गया है। वहीं, वर्ष 2023-24 के लक्ष्य के अनुसार प्रदेश में चयनित 43252 गांवों में एक राजगीर का चयन प्रस्तावित है। राज मिस्त्रियों का प्रशिक्षण भी जारी इसके अतिरिक्त, प्रत्येक चयनित गांवों में ऑनसाइट प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी जारी है। वहीं, स्वच्छता मिशन के तमाम गतिविधियों को अमलीजामा पहनाने के लिए कुल 43252 राजमिस्त्रियों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी जारी है जिसमें से 28000 यानी कि 65 परसेंट की प्रशिक्षण प्रक्रिया खत्म हो गई है। इनमें से क्रियान्वयन व संचालन के सापेक्ष ग्राम पंचायत टीम द्वारा 45 जिलों व निर्माण के सापेक्ष राजमिस्त्रियों का 61 जिलों में प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। जून माह के अंत तक प्रशिक्षण संबंधित सभी निर्धारित लक्ष्यों को पूरी तरह से अमलीजामा पहनाने में सफलता मिल सकती है। – प्रदेश में कुल 100437 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना प्रस्तावित, राज्य में 22 डीपीआरसी में कुल 135 प्रशिक्षक किए जाएंगे नियुक्त – वर्ष 2025 तक राज्य के सभी ग्राम पंचायतों के 95826 राजस्व ग्रामों को ओडीएफ प्लस गांव बनाने की योजना पर तेजी से हो रहा कार्य कार्य योजना, प्रस्तुतिकरण व व्यय निर्धारण पर फोकस दूसरी ओर, प्रदेश में स्वच्छता मिशन के लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से जारी गतिविधियों की निगरानी के लिए सभी जिलों द्वारा निदेशालय स्तर पर कार्य योजना निर्माण, प्रस्तुतिकरण व व्यय निर्धारण की प्रक्रिया पर भी कार्य हो रहा है। इस क्रम में अब तक 46 जिलों के 11,924 गांवों व 8368 ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव मिल चुके हैं। इनमें से 2,268 ग्राम पंचायतों की लिमिट निर्धारित कर दी गई है। दो चरण में हो रहा है कार्य प्रदेश में पंचायती राज विभाग द्वारा स्टेट सैनिटेशन मिशन के अंतर्गत दो फेज में स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। यूं तो, प्रदेश के सभी जिले 2 अक्टूबर 2018 तक पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं, मगर अब इसे एक स्तर और ऊपर बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी 57,704 ग्राम पंचायतों में सम्मिलित 95,826 गांवों को ओडीएफ प्लस (ओपन डेफिकेशन फ्री) के अंतर्गत उदीयमान, उज्ज्वल और उत्कृष्ट केटेगरी में बांटा जा रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश में पहले फेज में कुल 2.16 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया था। ऐसे में, इनके रख-रखाव, पात्र परिवारों तक पहुंच और ठोस व तरल अपशिष्ट के सुचारू प्रबंधन को स्थायी बनाकर प्रदेश के सभी गांवों को इसका लाभ पहुंचाने की दिशा में राज्य सरकार वृहद स्तर पर कार्य कर रही है

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यूपी में संभावनाओं की खेती बनीं फल एवं सब्जियां

लखनऊ । उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फलों एवं सब्जियों की खेती संभावनाओं की खेती बन रही है। 2023 की कृषि वानिकी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार फलों एवं सब्जियों की खेती में एक दशक में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 7.2 फीसद से बढ़कर 9.2 हो गई। इसी क्रम में इनसे प्राप्त ग्रास वैल्यू आउटपुट (जीवीओ) 20.6 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 38 हजार करोड़ रुपये हो गया। दरअसल, इसमें योगी सरकार द्वारा कृषि विविधीकरण एवं बाजार की मांग के अनुरूप खेती करने की अपील, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एवं मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में गुणवत्तापूर्ण पौधों का उत्पादन कर किसानों को न्यूनतम रेट में देना, संरक्षित तापमान एवं नमी नियंत्रित कर संरक्षित खेती को बढ़ावा एवं मंडियों के आधुनिकरण आदि का महत्वपूर्ण योगदान है। हर जिले में बनेंगे हॉर्टिकल्चर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस उल्लेखनीय है कि फल एवं सब्जियों (शाकभाजी) की खेती और इनका प्रसंस्करण व्यापक संभावनाओं का क्षेत्र है। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही लगातार इनकी खेती को हर संभव प्रोत्साहन दे रही है। करीब साल भर पहले लगातार दूसरी बार योगी बनने के बाद ही अगले 5 साल के लिए इनकी खेती के क्षेत्रफल में विस्तार, उपज में वृद्धि और प्रसंस्करण के बाबत महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी विभाग के सामने रख दिया गया था। उसी के अनुरूप काम भी हो रहा है। लक्ष्य के मुताबिक 2027 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6 फीसद से बढ़ाकर 16 फीसद तथा खाद्य प्रसंस्करण 6 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद किया जाना है। इसके लिए लगने वाली प्रसंस्करण इकाइयों के लिए बड़े पैमाने पर कच्चे माल के रूप में फलों एवं सब्जियों की जरूरत होगी। 2027 तक हर जिले में होगी हॉर्टिकल्चर की बुनियादी संरचना हॉर्टिकल्चर में तय लक्ष्य प्राप्त करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका गुणवत्तापूर्ण प्लांटिंग मैटिरियल (पौध एवं बीज) की है। इसके लिए सरकार तय समयावधि में हर जिले में एक्सीलेंस सेंटर, मिनी एक्सीलेंस सेंटर या हाईटेक नर्सरी की स्थापना करेगी। इस बाबत काम भी जारी है। मसलन चंदौली, कौशाम्बी, सहारनपुर, लखनऊ, कुशीनगर और हापुड़ में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस निर्माणाधीन है। इसी तरह बहराइच, अम्बेडकरनगर, मऊ, फतेहपुर, अलीगढ़, रामपुर, और हापुड़ में मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस क्रियाशील हैं। सोनभद्र, मुरादाबाद, आगरा, संतकबीरनगर, महोबा, झांसी, बाराबंकी, लखनऊ, चंदौली, गोंडा, बलरामपुर, बदायूं, फिरोजाबाद, शामली और मीरजापुर में भी मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस/हाईटेक नर्सरी निर्माणाधीन हैं। 2027 तक इस तरह की बुनियादी संरचना हर जिले में होगी। सरकार के प्रोत्साहन से बागवानी के रकबे और उपज में वृद्धि सरकार से मिले प्रोत्साहन एवं इन्हीं संभावनाओं के चलते पिछले 6 वर्षों में किसानों को प्रोत्साहित कर फलों एवं सब्जियों की खेती के रकबे में 1.01 लाख हेक्टेयर से अधिक और उपज में 0.7 फीसद से अधिक की वृद्धि की गई। किसानों को गुणवत्ता पूर्ण पौध मिलें, इसके लिए फलों एवं सब्जियों के लिए क्रमशः बस्ती एवं कन्नौज में इंडो इजराइल सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना हुई। बेमौसम सब्जियां उगाने के लिए संरक्षित खेती को भी बढ़ावा दे रही सरकार नमी और तापमान नियंत्रित कर बेमौसम गुणवत्तापूर्ण पौध और सब्जियां उगाने के लिए इंडो इजराइल तकनीक पर ही संरक्षित खेती को बढ़ावा देने का काम भी लगातार जारी है। पिछले 5 वर्षों में फूल एवं सब्जी के उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर में पॉली हाउस/शेडनेट का विस्तार हुआ जिससे 5549 किसान लाभान्वित हुए। योगी-2.0 में भी यह सिलसिला जारी रहे, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक “उत्तर प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने का सबसे प्रभावी जरिया फलों, सब्जियों और मसालों की ही खेती है। 9 तरह का कृषि जलवायु क्षेत्र होने के नाते अलग-अलग क्षेत्रों में हर तरह के फल, सब्जियों और फूलों की खेती संभव है। इसमें लघु-सीमांत किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इनकी संख्या कुल किसानों की संख्या में करीब 90 फीसद है। अमूमन ये धान, गेहूं, गन्ने आदि की परंपरागत खेती ही करते हैं। अगर सरकार की मंशा के अनुसार इनकी आय बढ़ानी है तो इनको फलों, सब्ज़ियों एवं फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा।” डॉ. एसपी सिंह, सब्जी वैज्ञानिक

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-उत्तर प्रदेश में एम सैंड को प्रोत्साहित करने के लिए पॉलिसी लाने जा रही योगी सरकार

लखनऊ । देश में बढ़ते शहरीकरण और बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधियों के कारण रेत की मांग में वृद्धि को देखते हुए योगी सरकार मैन्युफैक्चर्ड सैंड (एम सैंड) को इसके विकल्प के तौर पर देख रही है। सरकार प्रदेश में एम सैंड का निर्माण करने वाले उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए सभी एम सैंड यूनिट्स को इंडस्ट्री स्टेटस प्रदान करने पर विचार कर रही है। साथ ही इन यूनिट्स को एमएसएमई का लाभ दिए जाने का भी प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त फिक्स्ड पावर कॉस्ट और मिनरल रॉयल्टी पर भी विचार किया जा रहा है। इन सभी बातों को एम सैंड पॉलिसी में समाहित किया गया है। स्टेकहोल्डर्स से मिले सुझावों पर गौर करते हुए जल्द ही एम सैंड पॉलिसी का फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा और कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे प्रदेश में लागू किए जाने की योजना है। एमएसएमई नीति के लाभ होंगे लागू प्रदेश सरकार के भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय ने हाल ही में एम सैंड पॉलिसी के एक ड्राफ्ट पर प्रदेश और देश के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की है। निदेशालय के अपर निदेशक विपिन कुमार जैन के अनुसार, पॉलिसी में एम सैंड यूनिट्स को इंडस्ट्री स्टेटस दिए जाने का प्रावधान है। इसके अंतर्गत सभी एम सैंड यूनिट्स को उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय उत्तर प्रदेश की ओर से इंडस्ट्री स्टेटस के लाभ दिया जाएगा। साथ ही एमएसएमई प्रोत्साहन नीति 2022 के भी लाभ प्रदान किए जाने का प्रावधान प्रस्तावित है। इसमें कैपिटल सब्सिडी, स्टांप ड्यूटी में छूट और ब्याज में छूट का प्रावधान है। कैपिटल सब्सिडी के तहत बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल की माइक्रो यूनिट्स को 25 प्रतिशत, स्माल यूनिट्स को 20 प्रतिशत और मीडियम इंटरप्राइज को 15 प्रतिशत तक कैपिटल सब्सिडी का लाभ देगी। वहीं, मध्यांचल एवं पश्चिमांचल में यह 20 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 10 प्रतिशत होगा। स्टांप ड्यूटी में छूट का जो प्रावधान किया गया है, उसमें बुंदेलखंड व पूर्वांचल के लिए 100 प्रतिशत और मध्यांचल व पश्चिमांचल के लिए 75 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही माइक्रो इंटरप्राइज को 5 साल तक 25 लाख की कैपिंग के साथ 50 प्रतिशत तक ब्याज में सब्सिडी प्रदान किए जाने की भी योजना है। सरकारी इंजीनियरिंग विभागों में 25 प्रतिशत की खपत इसके अतिरिक्त एम सैंड यूनिट्स को कई और लाभ दिए जाने की भी योजना है। स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा में रखे गए पॉलिसी ड्राफ्ट के अनुसार एम सैंड निर्माता यूनिट्स को फिक्स्ड पावर कॉस्ट का लाभ मिलेगा। इसके तहत कॉमर्शियल प्रोडक्शन की तारीख प्रदान किए जाने के बाद से 5 वर्षों के लिए 1 रुपए प्रति यूनिट की दर से प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसके अतिरिक्त मिनरल रॉयल्टी का भी प्रावधान है, जिसके अंतर्गत स्रोत चट्टान पर रॉयल्टी में छूट प्रदान की जाएगी। यही नहीं, सरकार की ओर से ये भी राहत दी गई है कि पीडब्ल्यूडी समेत सभी सरकारी इंजीनियरिंग विभागों में इस्तेमाल होने वाली कुल सैंड का 25 प्रतिशत एम सैंड ही इस्तेमाल किया जाएगा। धीरे-धीरे इस प्रतिशत को 25 से बढ़ाकर 50 किया जाएगा, ताकि एम सैंड यूनिट्स की खपत बढ़ सके। क्या है एम सैंड? एम सैंड दरअसल कृत्रिम रेत का एक रूप है, जिसे बड़े कठोर पत्थरों मुख्य रूप से चट्टानों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में कुचलकर निर्मित किया जाता है। इसे बाद में धोया जाता है और बारीक वर्गीकृत किया जाता है। यह व्यापक रूप से निर्माण उद्देश्यों के लिए नदी की रेत के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे तरीकों से एम सैंड बनाया जा सकता है।

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