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July 2023

2017 से पहले जिन विद्यालयों में बच्चे आने से डरते थे, 6 वर्ष में वहां 55 से 60 लाख अतिरिक्त बच्चों की बढ़ी है संख्याः सीएम योगी

लखनऊ। 2017 से पहले बेसिक शिक्षा स्कूलों में बच्चे आने से डरते थे, लोगों में उत्साह नहीं था। स्कूलों में पेड़ों की जगह झाड़ियां जमा रहती थीं। आज उन्हीं विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती हुई दिखाई देती है। स्कूलों की दीवारों पर बच्चों की रचनात्मक अभिव्यक्ति पेंटिंग के रूप में दिखाई देती है। आज अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल भेजना चाहता है। उसके मन में जिज्ञासा पैदा हुई है। विगत 6 वर्षों में 55 से 60 लाख अतिरिक्त बच्चे बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में आए हैं। आज बेसिक स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 1 करोड़ 91 लाख को पार कर चुकी है। जब इस संख्या को देखता हूं तो सोचता हूं कि कई देशों की आबादी इतनी नहीं है। विगत 6 वर्षों में उत्तर प्रदेश में समग्र विकास की भावना को साकार करते हुए क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया है। यह बातें सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को शिक्षा सत्र 2023-24 में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ड्रेस, स्वेटर, स्कूल बैग, जूता-मोजा एवं स्टेशनरी की खरीद के लिए प्रति छात्र-छात्रा 1200 रुपए की धनराशि उनके माता-पिता के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से जारी करते हुए कहीं। खास बात ये रही कि प्रदेश सरकार के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 12 हजार से अधिक लोगों ने पूरे प्रदेश में इस कार्यक्रम को लाइव देखा, जबकि अन्य माध्यमों से भी हजारों लोग इस कार्यक्रम से जुड़े। -मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा सत्र 2023-24 के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से प्रति छात्र जारी की 1200 रुपए की धनराशि – सीएम योगी ने कहा- विगत 6 वर्षों में उत्तर प्रदेश में समग्र विकास की भावना को साकार करते हुए क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया – उत्तर प्रदेश में शिक्षा आयोग बनाने की प्रक्रिया जारी, बहुत जल्द होगा गठन: सीएम योगी – यूपी के बेसिक स्कूलों में पढ़ रहे 1 करोड़ 91 लाख से अधिक छात्र, कई देशों की तो आबादी भी इतनी नहींः योगी आदित्यनाथ – प्रदेश सरकार के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 12 हजार से अधिक लोगों ने कार्यक्रम को लाइव देखा, अन्य संचार माध्यमों से भी हजारों लोग जुड़े गरीबी को दूर करने में प्रमुख पैरामीटर साबित हुई है शिक्षा सीएम योगी ने नीति आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश को गरीबी से मुक्त करने के जिस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की गई है, वह बड़ी उपलब्धि है। उत्तर प्रदेश में जो लोग गरीबी से मुक्त हुए हैं वो सक्षम हुए हैं। नीति आयोग ने जो पैरामीटर तय किए थे, उसमें सबसे पहला पैरामीटर शिक्षा ही था। शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं और आने वाले 5-10 साल में इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे। इसके लिए उन सभी शिक्षकों व गुरुजनों का आभार है जिन्होंने आगे आकर इसे नेतृत्व दिया, आज उसके परिणाम सबको देखने को मिल रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में खासतौर पर आकांक्षात्मक जिलों में काफी परिवर्तन देखने को मिला है। इसके लिए वे सभी विभाग जिन्होंने इसे मिशन बनाकर अपना योगदान दिया है वो धन्यवाद के पात्र हैं। डीबीटी के माध्यम से जारी की गई राशि की निगरानी करें शिक्षक सीएम योगी ने कहा कि डीबीटी के माध्यम से जो पैसा यूनिफॉर्म, जूते-मोजे और स्टेशनरी के लिए भेजा गया है, उसमें हमारे शिक्षकों की भी जिम्मेदारी है कि वो सुनिश्चित करें कि बच्चे नियमित रूप से यूनिफॉर्म में स्कूल आएं। उम्मीद की जाती है कि हर शिक्षक बच्चे के लिए यूनिफॉर्म बनवाने को अभिभावक के साथ बैठक कर चर्चा करेगा, ताकि समयसीमा में बच्चे यूनिफॉर्म, किताबें, जूते-मोजे पा सकें। दो-तीन वर्ष पहले तक यह शिकायत आती थी कि यूनिफॉर्म नहीं मिल पा रहा, बुक्स नहीं मिल पा रही है। आज पैसा अभिभावक के खाते में जा रहा है, जो पारदर्शिता का नमूना है। इसकी मॉनीटरिंग विद्यालय स्तर पर प्रधानाचार्य के माध्यम से, शिक्षकों के माध्यम से होनी चाहिए। अभिभावकों के साथ जब संवाद होगा तो समस्या के समाधान के साथ सही आंकड़े भी हमारे पास आ पाएंगे कि वास्तव में कितने बच्चे बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अध्ययन कर रहे हैं। इसी तरह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि जो बच्चे आधे में स्कूल छोड़ देते हैं इसके लिए अभिभावकों से बातचीत की जाए। ये बच्चे पढ़ लिख जाएंगे तो सकारात्मक योगदान दे पाएंगे। 6 वर्ष में की गईं 1.64 लाख शिक्षकों की भर्ती सीएम योगी ने कहा कि 2017 के पहले की स्थिति क्या थी, शिक्षकों की भारी कमी थी। मुझे आश्चर्य होता है कि कुछ लोग इस बात की चर्चा करते हैं कि 5 वर्ष से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। पिछले 6 वर्ष में एक लाख 64 हजार शिक्षकों की भर्ती बेसिक और माध्यमिक शिक्षा परिषद में हुई है। जो लोग रिटायर हो रहे हैं,जहां अतिरिक्त शिक्षकों की आवश्यकता होती है, वहां पर निरंतर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी के लिए प्रदेश के अंदर एक शिक्षा आयोग बनाने की प्रक्रिया वर्तमान में प्रचलित है और बहुत जल्द हम इसका गठन करने जा रहे हैं। इसके साथ ही समय समय पर शिक्षकों के रिफ्रेशर कोर्स चलाने चाहिए। शिक्षक यदि अपडेट होगा तो वो पूरी पीढ़ी को अपडेट कर देगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि डायट खाली न हो, योग्य शिक्षक जाएं। उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं दीजिए। शिक्षकों को और पारंगत करने के लिए वहां जो भी गैप है उसे पूरा करना होगा। आज जो किताबें यहां विमोचित हुई हैं, वो हर विद्यालय में उपलब्ध कराई जाएं और शिक्षक भी उसे अवश्य पढ़ें। सीएसआर की राशि से मजबूत होगी प्रदेश की नींव सीएम योगी ने उन संस्थानों का धन्यवाद किया जिन्होंने सीएसआर के मद में बेसिक शिक्षा परिषद के ऑपरेशन कायाकल्प को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। ऐसे 6 संस्थानों को उन्होंने सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों के साथ-साथ अनेक समाज से जुड़े लोगों ने भी रुचि लेकर ऑपरेशन कायाकल्प के कार्यक्रम को सफलता की नई ऊंचाइयां दी हैं। उन्होंने कहा कि पहले कोई बेसिक शिक्षा परिषद को धनराशि देने की बात करता था क्या, आज 250 करोड़ की सीएसआर की राशि

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UP:Safe City Project,CM Yogi directs implementation of AI technology for women’s safety

Lucknow: The Yogi government is launching a significant initiative to ensure safety and holistic development of women, senior citizens, children, and the disabled. In the first phase, 17 municipal corporations and Gautam Budh Nagar will be transformed into safe cities, utilizing cutting-edge Artificial Intelligence (AI) technology. The integration of AI technology aims to achieve 100 percent security for women, identify criminals, combat criminal activities, and provide prompt assistance to women and children during emergencies. Additionally, the initiative seeks to prevent suicides. The helpline number, 112, will play a crucial role in this, connecting to both government and private CCTVs. AI empowers Safe City project The implementation of Artificial Intelligence (AI) technology in the Safe City project is revolutionizing the prevention of heinous crimes like acid attacks and violence against women. AI will issue a warning immediately after sensing suspicious gestures, such as someone holding a bottle or glass containing acid. When a similar warning is received at the emergency helpline (dial 112), nearby police response vehicles (PRVs) are promptly directed to the scene to assist the victim. Simultaneously, the local police station is informed about the situation, ensuring a swift response to address the threat. Furthermore, AI is useful in issuing SOS signals when individuals, including women, senior citizens, children and persons with disabilities, raise their hands for help. Along with this, the technology is also useful in identifying the robbers by capturing the plates of the vehicles and analyzing stolen things such as chains, purses, and jewels. In addition to this, AI proves invaluable in tracking stalkers, identifying drug peddlers near educational institutions, and monitoring as well as recording the activities of criminals accused of sexual exploitation who are on parole or bail. Such individuals’ facial data will be registered in the National Database, bolstering efforts to monitor their activities. Besides, AI technology will be used to identify groups engaging in activities like smoking, traffic violations, and public drinking in areas where women frequent. Along with this, AI can help identify those performing stunts on roads and locating missing persons through relevant databases. Additionally, AI-based systems can facilitate the analysis of road accidents and incidents, providing valuable insights. Artificial Intelligence will also identify the trend of suicide attempt on bridges, flyovers, railway tracks etc. There will also be ease in the analysis of the road accident and the events that happened during any incident. Artificial Intelligence will also identify the trend of suicide attempt on bridges, flyovers, railway tracks etc. AI will keep an eye on these too: – on those carrying weapons – Open toilet areas – Detection of injuries with intent to murder – Molestation of women by boys/men near paan shop – Behavior of men in various places, chasing women, garments shop and market

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फिजा के सदस्यों को पूरे यूपी के फिजियोथिरेपिस्ट देंगे मुफ्त परामर्श

द इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथिरेपी और फेडरेशन ऑफ इंडियन जर्नलिस्ट्स एंड एक्टिविस्ट्स (फिजा) के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को साकेत नगर स्थित एक होटल में फिजियोथिरेपी की आधुनिक तकनीकों पर परिचर्चा हुई। इसमें यह सूचना दी गई कि निःशुल्क परामर्श देने के लिए जल्द ही एक ऑनलाइन पोर्टल लांच किया जाएगा।द इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथिरेपिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजीव झा ने कहा कि फिजियोथिरेपी के माध्यम से काफी शारीरिक दिक्कतों से निजात पाई जा सकती है। लोगों को इसका लाभ मिले, इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल वर्ल्ड फिजियोथिरेपी डे (8 सितंबर) के अवसर पर लांच किया जाएगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन जर्नलिस्ट्स एंड एक्टिविस्ट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष शान्तनु चैतन्य ने आईएपी अध्यक्ष से इस अवसर पर फिजा के सदस्यों व सभी पत्रकारों को फिजियो सेंटरों पर मुफ्त परामर्श और सेवाएं देने के लिए आह्वान किया। जिस पर आईएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हामी भरते हुए एक माह में उत्तर प्रदेश के फिजियोथिरेपिस्टों की सूची उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया और कहा कि उत्तर प्रदेश में इसे लागू करा दिया जाएगा। आईएपी के प्रदेश सचिव डॉ. केके शर्मा ने संगठन विस्तार पर चर्चा की। वरिष्ठ फिजियोथिरेपिस्ट डॉ. उमेश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हम फिजा के सदस्यों की सेवा करने के लिए तैयार हैं। घुटनों-जोड़ों-कमर का दर्द जड़ से दूर किया जा सकता है। फिजा के प्रदेश संयोजक अरुण अवस्थी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रमुख डॉ. अंजनी तिवारी, डॉ. नरेंद्र पांडेय, डॉ. सत्येंद्र उपाध्याय, डॉ. सुधीर द्विवेदी, डॉ. चन्द्रमणि शुक्ला, डॉ. आराधना गुप्ता, एड.कमल मिश्रा, सचिन शर्मा, विपिन सिंह, आनंद प्रकाश, उमेश शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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उत्तर प्रदेश,कानपुर में लेसिक सर्जरी जागरूकता कार्यशाला का हुआ समापन

कानपुर का आंखो के इलाज के लिए जाना माना नाम आई लेसिक हाउस जो अशोक नगर में है स्पष्ट दृष्टि एवं सफल आधुनिकतम इलाज के लिये प्रसिद्ध है। जहां पर डॉ उमा अग्रवाल ने लेसिक सर्जरी की दो दिनों की कार्यशाला में डॉ उमा अग्रवाल ने जूनियर डॉक्टर्स और सपोर्ट स्टाफ व मरीजों को आंखों का ख्याल कैसे रखे और लेसिक सर्जरी की जानकारी दी। आई लेसिक हाउस की अनुभवी डॉक्टर उमा अग्रवाल ने बताया कि लेसिक सर्जरी रिफ्रैक्टिव एरर के कारण दिखने की समस्याओं के इलाज के लिए की जाती है। जबकि कुछ मरीज इससे सौंदर्य प्रयोजनों के लिए करवाते हैं, रिफ्रैक्टिव एरर वाले लोग आमतौर पर सर्जरी से सबसे अधिक लाभान्वित होते हैं। फेम्टो लेसिक की सुविधा देने वाला ये कानपुर का एक मात्र स्थान है। ये तकनीकि खासतौर पर पतली काली पुतली एवं ज्यादा चश्में के नम्बर वाले मरीज़ों के लिए वरदान है। और ये सर्वाेत्तम अत्याधुनिक एवं सुरक्षित तकनीक है। इसमें बिना ब्लेड का इस्तेमाल किये केवल लेजर की सहायता से चश्में का नम्बर हटाया जाता है। मरीज़ चार से पाँच घण्टों मे ही अपने काम पर वापस आ जाता है। आई लेसिक हाउस में फेम्टो लेसिक के साथ अन्य सभी प्रकार का चश्मा हटाने की सुविधायें उपलब्ध है। यहाँ बहुत से ऐसे युवा जिनका चश्मा उनकी तरक्की में बाधित है, का सफलतापूर्वक इलाज कर रहा है। डायरेक्टर वी.के. अग्रवाल ने बताया कि समय-समय पर ऐसे और भी ईवेन्ट ऑर्गेनाइज़ करते रहेंगे।

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उत्तर प्रदेश- AI के जरिए बेसिक के बच्चे सीख रहे कविताएं एवं पहाड़े, शिवेंद्र ने तैयार किए AI शिक्षक

हरदोई। टेक्नोलॉजी जैसे जैसे एडवांस होती जा रही है, वैसे वैसे लोग भी इसका जमकर फायदा उठा रहे है। जहां पहले सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते थे वहीं दूसरी ओर अब जमकर प्रशंसा भी हो रही है। टेक्नोलॉजी का सही प्रयोग करते हुए हरदोई के शिक्षक शिवेंद्र सिंह आजकल अपने छात्रों को AI शिक्षक के माध्यम से पढ़ाई करवा रहे हैं। जहां इस पढ़ाई से बच्चों को अच्छा भी लग रहा है वहीं बच्चे बड़े ध्यान से इन चीजों को याद भी कर रहे हैं। कैसे हुई इसकी शुरुवात शिक्षक शिवेंद्र ने बताया की गर्मियों की छुट्टियों में लगातार कंप्यूटर पर कुछ नया सीखने का सोचा था। इस पर जब रिसर्च की तो AI की जानकारी हुई। मैंने सोचा कि क्यों ना AI को ही शिक्षक बनाकर बच्चों को पढ़ाया जाए। इसके लिए पहले खुद से कुछ कार्टून वाले करेक्टर निकाले और उनका नामकरण किया। साथ ही उनके जरिए हर कक्षा का एक शिक्षक बनाया। अब ये शिक्षक ही उस कक्षा के बच्चों को उनके सेलेबस से जुड़ी चीजें पढ़ाते और समझाते चले आ रहे है। शिवेंद्र ने आगे बताया कि इस वीडियो को वो अपने यूट्यूब चैनल पर भी डाल रहे है। जिससे प्रदेश के अन्य बच्चों तक आसानी से पहुंच सके और सभी इसके लाभ ले सकें। क्यों चर्चा में थे शिवेंद्र सरकारी स्कूल से स्थानानंतरण के बाद शिवेंद्र जब अपने स्कूल से निकल रहे थे तो बच्चे उनसे लिपटकर बहुत रो रहे थे और उनका वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद लोगों ने शिवेंद्र को वायरल गुरु का नाम दे दिया। शिवेंद्र लगातार अपनी पढ़ाई के तकनीक के लिए जाने जाते है। बच्चों से कैसे जुड़ाव हो इसका भी खयाल रखते है।

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