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UP crime news

Lucknow News :सर्वेंट क्वॉर्टर में मिली शख्स की लाश, शक के घेरे में बेटा

उत्तर प्रदेश | लखनऊ के हजरतगंज स्थित एक मकान के सर्वेंट क्वॉर्टर में 60 साल के विनोद कश्यप की लाश मिली है। पुलिस ने बेटे पर ही हत्या की आशंका जताई है। बेटा मौके से फरार है। दरअसल, विनोद कश्यप अपने परिवार के साथ एक वकील के घर में सर्वेंट क्वॉर्टर में रहता था। वकील का परिवार इस समय उत्तराखंड गया हुआ है। विनोद की पत्नी भी उनके साथ गई है। घर में विनोद और उनका बेटा सोनू था। बुधवार रात सोनू ने मां को फोन करके पिता की मौत होने की सूचना दी। वो ठीक से ये नहीं बता सका कि मौत कैसे हो गई। सोनू की मां ने वकील को पूरी बात बताई। वकील को शक हुआ। उन्होंने हजरतगंज पुलिस को फोन किया। सूचना मिलते ही कोतवाली से टीम मौके पर पहुंच गई। वहां सर्वेंट क्वॉर्टर में विनोद का शव पड़ा मिला। ACP अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि बेटा सोनू घर पर नहीं था। पूछताछ करने पर पता चला कि वह काफी देर से गायब है। विनोद के शरीर पर चोट के निशान हैं। अंदेशा है कि गला दबा कर पिता की हत्या करने के बाद बेटा फरार हो गया। एसीपी वर्मा ने बताया कि मृतक की पत्नी लखनऊ लौट रही हैं। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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Khan Mubarak: यूपी के टॉप टेन अपराधियों में से एक खान मुबारक की अस्पताल में मौत, प्रदेश के टॉप टेन अपराधियों की सूची में शामिल था

हरदोई । यूपी के टॉप टेन अपराधियों में से एक और बड़ा आपराधिक साम्राज्य खड़ा करने वाले माफिया सरगना खान मुबारक की बीमारी के चलते रविवार सुबह हरदोई में मौत हो गई। वहां उसे जिला जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। वह निमोनिया से पीड़ित था। जिले के हंसवर थाना क्षेत्र अंतर्गत हरसम्हार गांव निवासी खान मुबारक प्रदेश के टॉप टेन अपराधियों की सूची में शामिल था। उस पर करीब तीन दर्जन मुकदमे कई जिलों में दर्ज थे। मुख्य रूप से फिरौती और रंगदारी जैसे अपराध में लिप्त खान ने कई हत्या की वारदातों को भी अंजाम दिया था। पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट में उसकी करोड़ों की संपत्ति को जब्त कर लिया था। उसका बड़ा भाई खान जफर सुपारी मुंबई के डी गैंग से जुड़ा रहा है।

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कुख्यात गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी (जीवा) का क़त्ल करने वाला विजय यादव कौन है ?

उत्तर प्रदेश | लखनऊ की एक अदालत में गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या कर दी गई है। जब संजीव जीवा को सुनवाई के लिए कोर्ट लाया गया तो वहां वकील की शक्ल में मौजूद एक हमलावर ने उसे गोलियों से भून दिया। इसके बाद हमलावर विजय यादव को पकड़ लिया गया है। क्या विजय यादव कोई नामी गैंगस्टर है? विजय पर कितने आपराधिक मामले हैं? फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। लेकिन मीडिया से हुई बातचीत में विजय यादव के पिता ने अपने बेटे के बारे में काफी कुछ बताया है। लखनऊ कोर्ट परिसर में गोली मारकर संजीव जीवा की हत्या करने वाला आरोपी शूटर विजय यादव उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के केराकत थाना क्षेत्र का रहने वाला है। घटना की जानकारी लगते ही केराकत थाने के सीओ और इंस्पेक्टर पुलिस फोर्स के साथ सरकी चौकी क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव पहुंचे। वहां विजय के परिवार से पूछताछ की गई। विजय के पिता ने बताया आरोपी विजय यादव के पिता श्यामा यादव ने बताया कि, उन्हें विजय को लेकर कोई जानकारी नहीं थी, हाल में उनका विजय से कोई संपर्क भी नहीं हो पा रहा था। उन्होंने बताया कि, विजय ने शहर के एक डिग्री कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की जिसके बाद वह काम की तलाश में मुंबई गया। मुंबई में वह टाटा की कंपनी में काम करता था, लेकिन काम में मन न लगने की वजह से उसने नौकरी छोड़ दी थी। श्यामा यादव ने बताया – 11 मई को विजय सुल्तानपुर से लखनऊ गया था। वहां भी वो नए काम की तलाश में गया था. श्यामा ने बताया कि, एक दिन विजय का फोन आया और उसने कहा कि, उसे नौकरी मिल गई है। उसने बताया कि, वह जलापूर्ति के लिए पाइप बिछाने वाली किसी कंपनी में काम करता है। विजय यादव का व्यक्तित्व विजय के पिता ने बताया कि, उसे नौकरी मिलने की मुझे खुशी. लेकिन उलसे बाद विजय से हमारा कोई संपर्क नहीं हो पाया, उसे हमने कई बार फोन किया लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ ही आता था। विजय के पिता ने बताया कि, जब मैं बाहर चाय पीने निकला तो मुझे प्रधानजी ने बताया कि आपका बेटे गोलीबारी के कारण सूर्खियों में हैं। मुझे इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ। मुझे विश्वास ही नहीं था कि मेरा बेटा भी ऐसा कर सकता है. मुझे हमारे परिचित ने भी मोबाइल में उसकी फोटो बता कर पूछा कि क्या ये आपका बेटा है, मैंने उनसे कहा, हां ये मेरा बेटा है। विजय यादव के भाई ने बताया कि उसका भी विजय से कोई संपर्क नहीं हुआ था। उसने कहा कि, जब भी भाई (विजय) घर पर आता था वो किसी से बातचीत नहीं करता है, उसे खुद में ही रहने की आदत है। वह गांव में ही किसी से बात नहीं करता था। यहां तक कि वह अपने घर से भी ज्यादा बाहर नहीं निकलता था।  

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संजीव जीवा : वेस्ट यूपी का एक कुख्यात अपराधी जो कभी हुआ करता था कंपाउंडर, अपने ही मालिक का कर लिया था किडनैप

उत्तर प्रदेश | आज बात पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की इसलिए क्योंकि बीते दिनों शामली पुलिस ने उसी के गैंग के एक शख्स को एके-47,करीब 1300 कारतूस व तीन मैगजीन के साथ पकड़ा है। शामली पुलिस ने रास्ते में चेकिंग के दौरान अनिल नाम के शख्स को धर दबोचा था। दरअसल, जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था। 7 जून 2023… शाम के करीब 4 बजे थे। कैसरबाग कोर्ट रूम के अंदर कुछ पुलिसवाले मुख्तार अंसारी से खास शूटर संजीव जीवा को लेकर पहुंचे। हत्या के मामले में उसकी कोर्ट में सुनवाई होनी थी। संजीव एक कुर्सी पर बैठा था। आस पास कई पुलिसवाले और वकील घूम रहे थे। तभी वकीलों की तरह काला कोट पहने एक शख्स आता है और धड़ाधड़ गोलियां चलाना शुरू कर देता है। संजीव को 4 गोलियां लगीं, जिससे उसकी मौत हो गई। संजीव पहले से उम्रकैद काट रहा था…। वेस्ट यूपी का मोस्ट-वॉन्टेड क्रिमिनल रहा संजीव जीवा कभी घर चलाने के लिए प्राइवेट क्लीनिक में कंपाउंडर का काम करता था। लेकिन पैसों के लालच और अपने ईगो के कारण उसने उसी डॉक्टर को किडनैप कर लिया, जिसने उसे नौकरी पर रखा था। इस घटना के बाद उसके हौसले बुलंद हो गए। धीरे-धीरे उसके अपराध इतने बढ़े कि वह पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया। लखनऊ की जेल में बंद था। उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा जितना खेती-किसानी के लिए प्रख्यात है, उतना ही गैंगस्टर और अपराधियों के लिए कुख्यात रहा है। भाटी गैंग, बदन सिंह बद्दो, मुकीम काला गैंग और न जाने कितने अपराधियों के बीच संजीव माहेश्वरी का भी नाम जुर्म की दुनिया में पनपा। 90 के दशक में संजीव माहेश्वरी ने अपना खौफ पैदा शुरू किया, फिर धीरे-धीरे वह पुलिस व आम जनता के लिए सिर दर्द बनता चला गया। आज बात पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की इसलिए क्योंकि बीते दिनों शामली पुलिस ने उसी के गैंग के एक शख्स को एके-47,करीब 1300 कारतूस व तीन मैगजीन के साथ पकड़ा है। शामली पुलिस ने रास्ते में चेकिंग के दौरान अनिल नाम के शख्स को धर दबोचा था। दरअसल, जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था। इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। उस वक्त किसी से दो करोड़ की फिरौती की मांग होना भी अपने आप में बहुत बड़ी होती थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी। इसके बाद उसका नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया। जिसमें बाद में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। फिर जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआ और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया। मुजफ्फरनगर…एक ऐसी जगह जो हमेशा से ही असलहों की खेती के लिए मशहूर रहा है। वहां के एक हाई प्रोफाइल अपराधी रवि प्रकाश तक संजीव का किस्सा पहुंचा तो उसने संजीव को अपना शागिर्द बना लिया। यहीं से संजीव का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा। हालांकि, कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। वहीं, संजीव पर जेल से भी गैंग ऑपरेट करने के आरोप लगते रहे हैं। मायावती की जान बचाने वाले नेता की हत्या 90 के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिमी यूपी तक मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह, मुन्ना बजरंगी, बदन सिंह बद्दो और भोला जाट जैसे माफियाओं का दबदबा था। उस वक्त संजीव जीवा अपने छोटे से गैंग को ऑपरेट कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचना चाह रहा था। इसके लिए उसने ऐसा काम किया, जिसने उत्तर प्रदेश में भूचाल ला दिया। संजीव जीवा ने उस बीजेपी नेता की हत्या कर दी, जिसने कभी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की जान बचाई थी। साल 1997. तारीख 10 फरवरी। बीजेपी के उभरते हुए नेता और विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी फर्रुखाबाद के शहर कोतवाली में अपने घर से कुछ दूर एक तिलक समारोह में शामिल होने गए थे। लौटते वक्त जैसे ही वो अपनी गाड़ी में बैठने लगे, तभी संजीव जीवा ने अपने साथियों रमेश ठाकुर और बलविंदर सिंह के साथ मिलकर उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी। इस हमले में ब्रह्मदत्त द्विवेदी के गनर बीके तिवारी की मौत हो गई। जिन ब्रह्मदत्त की हत्या संजीव जीवा ने की थी। उनके सियासी कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी अंतिम यात्रा में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेता शामिल हुए थे। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के सीने में दागीं 400 गोलियां उत्तर प्रदेश अब एक ऐसी घटना का गवाह बनने वाला था, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। जिस राज्य में 10 साल पहले एक भाजपा विधायक को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। वहीं एक बार फिर गोलियों की बारिश होने वाले थी। 10 नहीं 100 नहीं, बल्कि 400 राउंड गोलियां चलने वाली थीं और इस वारदात को अंजाम देने वाला था वही लोगों का ‘डॉक्टर’ संजीव जीवा। हाल ही में प्रशासन ने की उसकी संपत्ति कुर्क जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को

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लखीमपुर खीरी : झोलाछाप डॉक्टर ने बेहोशी का इंजेक्शन देकर किया महिला के साथ दुष्कर्म

Uttar Pradesh | खबर लखीमपुर खीरी से है, जहां एक झोलाछाप डॉक्टर ने एक क्रूर घटना को अंजाम दिया। एक महिला को बेहोशी का इंजेक्शन दे कर इस डॉक्टर ने उसके साथ दुष्कर्म किया। तहरीर में दुष्कर्म के बजाय महज़ छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कर इस माले में स्थानीय पुलिस ने बड़ा खेल किया। बाइट दुष्कर्म पीड़िता महिला का पति   मामला निघासन कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है जहां एक झोला चाप डॉक्टर ने एक महिला को बेहोशी का इंजेक्शन देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और महिला के होश में आने के बाद उसे डराया और धमकाया, कि अगर उसने शिकायत करने की कोशिश की तो उसे जान से मार दिया जाएगा। घटना के बाद पीड़ित महिला ने SP से शिकायत की मगर पुलिस ने तहरीर में बदलाव कर दुष्कर्म की जगह महज़ छेड़खानी का मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद पीड़ित महिला ने पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों से शिकायत की।  

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फरीदाबाद में 14 वर्षीय बहन ने ही की अपने 12 वर्षीय छोटे भाई की गला घोटकर हत्या

फरीदाबाद | नाबालिग बहन ने ही कर दी अपने भाई की हत्या। मामला फरीदाबाद के बल्लभगढ़ का है जहां हत्या की वजह सामने आने के बाद हर कोई सदमें में है। दरअसल  बहन को लगता था कि उसके मां-बाप उसके भाई से ज्यादा प्यार करते हैं और इसी के चलते उसने गला घोट कर उसकी हत्या कर दी । फिलहाल पुलिस नाबालिग बच्ची से उसके परिजनों की मौजूदगी में पूछताछ कर रही है जिसके बाद उसे जुनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा । बल्लभगढ़ में एक 15 साल की नाबालिक बच्ची ने अपने 12 साल के मासूम भाई ओमजी की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी कि उसे लगता था कि उसके मां-बाप उसके भाई से ज्यादा प्यार करते हैं । पूरा मामला कुछ यू है की मंगलवार देर शाम बल्लभगढ़ में सनसनी फैल गई जब यह पता चला कि एक 12 साल के बच्चे की गला दबाकर उसके घर में ही हत्या कर दी गई है । बच्ची की मां के मुताबिक वह और उसके पति दोनों नौकरी करते हैं । मंगलवार देर शाम जब  वो नौकरी से वापस आए तो देखा कि उसका बेटा चादर ओढ़ कर लेटा हुआ था। पहले बेटे को जगाने की कोशिश की जब वह नहीं जगा तो चादर हटा कर देखी गई तो उसके होश उड़ गए ।  बच्चे की मां के मुताबिक बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी गई जबकि घर में उस समय केवल वह और उसकी बड़ी बहन ही मौजूद थे। बाइट – बेबी,मृतक बच्चे ओमजी की मां मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की ।  पुलिस का इस मामले में पहला शक मृतक बच्चे की बहन जिसकी उम्र 15 साल है पर गया और जब परिजनों की मौजूदगी में पुलिस वालों ने पूछताछ शुरू की तो हत्या की जो वजह सामने आई उसे सुनकर पुलिस वालों के भी होश उड़ गए । दरअसल नाबालिक बच्ची ने बताया कि वह और उसका भाई उत्तर प्रदेश में अपने दादा दादी के पास रहकर पढ़ते थे । गर्मियों की छुट्टी में कुछ दिन पहले ही वह अपने मां-बाप के पास बल्लभगढ़ पहुंचे थे ।  पुलिस के मुताबिक बच्ची को लगता था कि उसके मां-बाप अपने बेटे को ज्यादा प्यार करते हैं उसको नहीं।  बच्चे के परिजनों ने उसे एक मोबाइल फोन दिया हुआ था मंगलवार को उसका भाई गेम खेल रहा था तभी बच्ची ने वह मोबाइल फोन मांगा । भाई ने देने से इनकार किया तो गुस्से में आकर गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। फिलहाल पुलिस जूनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने बच्ची को पेश करने की तैयारी कर रही है । बाइट – सूबे सिंह ( पुलिस प्रवक्ता )

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