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June 16, 2023

क्या फिल्मों का टैक्स फ्री होना उनका Communal Politics में शामिल होने का नतीजा है ?

नई दिल्ली | जीएसटी (GST) कानून बनने के बाद कई राज्य सरकारों ने कई फिल्मों को टैक्स फ्री किया है। इसमें ‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘केरला स्टोरी’ भी शामिल हैं. इस संबंध में पहली बात तो यह है कि GST के कानून में टैक्स फ्री करने का जो प्रावधान है, उसके लिए जीएसटी परिषद की सिफारिश जरूरी है। अक्षय कुमार ने अपनी फिल्म ‘पैडमैन’ को 2018 में टैक्स फ्री करने के लिए जीएसटी परिषद का शुक्रिया अदा किया था। फिल्मों के टैक्स फ्री होने का एलान कौन करता है ? राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा फिल्मों के लिए जो टैक्स फ्री करने की घोषणा की जाती है, वह वास्तव में टैक्स से प्राप्त राजस्व को खर्च करने का फैसला होता है। सिनेमा के मालिक GST के उस हिस्से को वापस करने का दावा करते हैं, जो कि किसी राज्य के हिस्से का होता है। फिल्म टिकट पर कितना प्रतिशत GST लगता है? किसी सिनेमा हॉल या मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने के टिकट का दाम 100 रुपये से अधिक है, तो उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है और अगर टिकट की कीमत 100 से कम होती है, तो जीएसटी की दर 12 प्रतिशत हो जाती है. इसमें किसी भी राज्य का हिस्सा आधा होता है. दूसरा कि राज्यों द्वारा सिनेमा मालिकों को टैक्स का पैसा वापस करने के फैसले में समाज में आम लोगों के हितों का ध्यान नहीं रखा जाता है, बल्कि जिन फिल्मों को राजनीतिक लाभ का जरिया समझा जाता है, उसे ही सरकारों द्वारा टैक्स का पैसा वापस किया जाता है. कश्मीर फाइल्स और केरला स्टोरी उनमें शामिल है. यह विश्लेषण किया जा सकता है कि BJP शासित राज्यों ने किस तरह की फिल्मों को टैक्स का पैसा वापस करने की अधिसूचना जारी की. इससे पहले सर्जिकल स्ट्राइक के भी उदाहरण को शामिल किया जा सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि समाज की आधी आबादी की मानसिक शारीरिक समस्याओं पर केंद्रित अक्षय कुमार की फिल्म के लिए दर्शकों को रियायत देने में उन सरकारों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन महिलाओं के धर्म परिवर्तन की काल्पनिक कहानी ‘केरला स्टोरी’ के लिए BJP की राज्य सरकारें धड़ाधड़ ‘टैक्स फ्री’ करने की घोषणा के लिए एक-दूसरे के पीछे खड़ी हो गई. लेकिन जब टैक्स फ्री के लिए अधिसूचना जारी की तो उसमें टैक्स फ्री की कोई चर्चा नहीं थी. बल्कि सिनेमा मालिकों से राज्य सरकारों को ‘केरला स्टोरी’ के लिए दिए गए GST के पैसों को वापस लौटाने के फैसले की जानकारी दी गई है. यह मामला, तब सरकारी खाते से पैसे खर्च करने के मामले में तब्दील हो जाता है. हिंदी मीडियम भी ऐसी फिल्मों में शामिल हैं, लेकिन हिन्दी भाषा के लिए नहीं बल्कि ‘हिंदी’ के राजनीतिकरण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर जीएसटी के पैसे के बराबर की राशि को वापस करने की घोषणा की गई.

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युवाओं को पॉलिटेक्निक में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित कर रही योगी सरकार

लखनऊ । युवाओं को तकनीकी शिक्षा से जोड़कर उनके लिए रोजगार के अवसर सृजित करने पर जोर दे रही योगी सरकार ने पॉलिटेक्निक के माध्यम से युवाओं को ट्रेंड करने के लिए ‘पॉलिटेक्निक चलो अभियान’ शुरू किया है। इस अभियान के माध्यम से सरकार प्रतिवर्ष सरकारी, एडेड और प्राइवेट पॉलिटेक्निक में लाखों युवाओं को तकनीकी शिक्षा से जोड़ेगी। बीते कुछ वर्षों में पॉलिटेक्निक के प्रति युवाओं में उदासीनता देखी गई है, जिसके चलते सरकारी, एडेड और प्राइवेट कॉलेजों में काफी सीटें खाली रह जाती हैं। पॉलिटेक्निक चलो अभियान के तहत युवाओं को पॉलिटेक्निक में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सीएम योगी कई मंचों से युवाओं को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने के लिए अभियान चलाने की बात कह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने एक सभा में कहा था कि प्रदेश सरकार प्रति वर्ष एक लाख सरकारी नौकरियों के साथ 6 लाख निजी नौकरियों का सृजन करेगी। निजी क्षेत्र की यह नौकरियां तकनीकी रूप से सक्षम युवाओं को उपलब्ध कराई जाएंगी। 2018 से 2022 के बीच सीटों में हुई बड़ी वृद्धि योगी सरकार के निर्देश पर प्राविधिक शिक्षा विभाग ने राज्य के अंदर पॉलिटेक्निक में प्रवेश की संख्या बढ़ाने के लिए सभी पॉलिटेक्निक संस्थानों को अभियान से जुड़ने के लिए कहा है। इस अभियान का उद्देश्य अधिक से अधिक छात्रों को तकनीकी शिक्षा से जोड़कर उनके रोजगार का प्रबंध करना है। सरकार के प्रयास का असर भी देखने को मिला है। 13 जून तक 3.15 लाख से अधिक युवाओं ने पॉलिटेक्निक की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर चुके हैं। प्रदेश सरकार ने इसी उद्देश्य को फलीभूत करने के लिए बीते कुछ वर्षों में पॉलीटेक्निक की सीटों में कई गुना वृद्धि की है। 2018 में 154 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों में जहां सिर्फ 28,999 सीटें थीं, वहीं 2022 में यह बढ़कर 41071 हो गईं। इसी तरह 2018 में जहां 19 एडेड पॉलीटेक्निक संस्थानों में 9911 सीटें थीं,जो 2022 में 9927 हो गईं। प्राइवेट पॉलिटेक्निक संस्थानों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई। कुल 1294 प्राइवेट संस्थानों में 2018 में जहां कुल 119765 सीटें थीं जो 2022 में बढ़कर 187390 हो गईं। इसी तरह महिला पॉलिटेक्निक संस्थानों में भी सीटों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 19 सरकारी और 2 अनुदानित महिला पॉलिटेक्निक संस्थानों में 2018 में जहां 4825 सीटें थीं तो वहीं 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 6203 हो गई। आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए किए गए प्रयास पॉलिटेक्निक में प्रवेश के लिए अधिक से अधिक आवेदन प्राप्त हों, इसके लिए प्राविधिक शिक्षा विभाग की ओर से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत, सभी राजकीय एवं अनुदानित पॉलीटेक्निक संस्थानों को पॉलिटेक्निक चलो अभियान 2023 के लिए 10 हजार रुपए का अनुदान दिया गया है। सभी जिलों के जिलाधिकारियों, बेसिक शिक्षा अधिकारियों तथा राजकीय औद्योगिक शिक्षण संस्थानों में भी प्रचार-प्रसार के लिए पत्राचार किया गया। व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए 375 होर्डिंग्स, 3200 बैनर, 25500 पोस्टर, तथा 410000 हैंड बिल, विभिन्न शिक्षण संस्थानों में वितरित किए जा चुके हैं। सभी जिलों में प्रवेश परीक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए जोर-शोर से पॉलिटेक्निक चलो अभियान 2023 के अंतर्गत विभिन्न शिक्षण संस्थानों में चलाया जा रहा है। सभी जिलाधिकारियों, मंडलायुक्तों से सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों एवं निजी सचिव, मुख्य सचिव, माध्यमिक शिक्षा को प्रचार-प्रसार के लिए स्पेशल कैंप लगाने के प्रयास करने को कहा गया है।

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एक्सप्रेस-वे की रफ्तार को तीव्र करेगी योगी सरकार

लखनऊ । उत्तर प्रदेश को ‘एक्सप्रेस प्रदेश’ बनाने की दिशा में कार्य कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप सरकार प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाने के लिए दिन-रात काम कर रही है। इसी क्रम में गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में यात्री सुविधाओं को लेकर इस वर्ष जारी होने वाले वार्षिक अनुदान किस्त की अदायगी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। प्रदेश सरकार ने इस संबंध में गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए 100 करोड़, जबकि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के लिए 40 करोड़ रुपए की किस्त जारी करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए योगी सरकार एक्सप्रेस-वे योजनाओं को गति दे रही है। यह सरकार के प्रयासों का ही असर है कि एक्सप्रेस-वे निर्माण की दिशा में यूपी तेजी से प्रगति कर रहा है। मेरठ से प्रयागराज रूट पर होगा काम प्रदेश में इस समय 7 एक्सप्रेस-वे क्रियाशील हैं, जबकि 6 निर्माणाधीन हैं। इनमें सबसे प्रमुख गंगा एक्सप्रेस-वे व बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे हैं, जो कई बड़े शहरों को कनेक्ट करते हैं। ऐसे में, मेरठ से प्रयागराज के मध्य बन रहे गंगा एक्सप्रेस-वे को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से 100 करोड़ रुपए की वार्षिक अनुदान किस्त जारी करने की हरी झंडी मिल गई है। गंगा एक्सप्रेस-वे की कुल अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपए है जिसमें से अब तक 4,775 करोड़ रुपए की धनराशि परियोजना के लिए जारी हो चुकी है, वहीं इस वर्ष इस क्रम में 100 करोड़ रुपए की धनराशि यूपीडा द्वारा जारी की जा रही है। गौरतलब है कि पीपीपी मॉडल के आधार पर 594 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे का प्रदेश में निर्माण किया जा रहा है और चार चरणों में पूर्ण होने वाली इस योजना की घोषणा नरेंद्र मोदी द्वारा 18 दिसंबर 2021 को शाहजहांपुर में की गई थी। वर्ष 2024 तक इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूर्ण होना अनुमानित है। बुंदेलखंड पर विशेष फोकस प्रदेश में बुंदेलखंड में विकास कार्यों में तेजी लाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है। पिछली सरकारों में यह क्षेत्र उपेक्षा का शिकार रहा, जबकि सीएम योगी के सत्ता संभालने के बाद इस क्षेत्र का प्रदेश के बाकी क्षेत्रों की तरह विकास सुनिश्चित हुआ है। हाल के दिनों में सीएम योगी ने यहां कई परियोजनाओं को प्रारंभ किया है तो वहीं, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के जरिए प्रदेश में आए 35 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश को धरातल पर उतारने के लिए जिन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है उनमें बुंदेलखंड भी प्रमुख है। यही कारण है कि आम लोगों की सुविधा, कनेक्टिविटी, परिवहन को सुगम बनाने और बुंदेलखंड में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ किया गया है। यह एक्सप्रेस-वे चित्रकूट को आगरा से लेकर प्रयागराज तक जोड़ता। प्रदेश सरकार ने यहां यात्री सुविधाओं समेत अन्य विकास परियोजनाओं के लिए वार्षिक अनुदान किस्त के तौर पर 40 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त करने को स्वीकृति दी है और यूपीडा को इस संबंध में आदेशित भी कर दिया है। गौरतलब है कि 14,849 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं के लिए अब तक 6,270 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। मौजूदा राशि का उपयोग परियोजना के दौरान अन्य निर्माण कार्यों, रख-रखाव समेत विभिन्न मदों में किया जाएगा।

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क्या चार्जशीट के बाद होगी बृजभूषण की गिरफ्तारी ? POCSO एक्ट क्या है ?

नई दिल्ली | बीजेपी सांसद बृजभूषण के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के दो मामलों में दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को चार्जशीट दाखिल की। नाबालिग द्वारा दर्ज केस में बृजभूषण को राहत देते हुए दिल्ली पुलिस ने POCSO का मामला रद्द करने की सिफारिश की है। जबकि 6 महिला पहलवानों द्वारा की गई शिकायत के मामले में दर्ज केस में पुलिस ने रॉउज एवन्यू कोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धारा 354, 354-A एवं D के तहत चार्जशीट दाखिल की है। अब इस केस में आगे क्या होगा? आइए जानते है कि 6 महिला पहलवानों की शिकायत पर चार्जशीट में जिन धाराओं का जिक्र हैं, वे क्या हैं और किन मामलों में लगाई जाती हैं तथा उनमें कितनी सजा का प्रावधान है। IPC की धारा 354 : अगर किसी महिला की मर्यादा और सम्मान को नुकसान पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना या उसके साथ गलत मंशा के साथ जोर जबरदस्ती की गई हो. सजा : इस धारा के तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर उसे कम से कम एक साल की सजा और अधिकतम 5 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है. गैर जमानती धारा : इसके तहत किया गया अपराध एक संज्ञेय और गैर-जमानती होता है यानी मजिस्ट्रेट कोर्ट ही मामले पर विचार करने और अभियोजन पक्ष और शिकायतकर्ता की दलीलें सुनने के बाद जमानत दे सकता है. IPC की धारा-354 ए : अगर कोई व्यक्ति शारीरिक संपर्क या अवांछित और स्पष्ट यौन संबंध का प्रस्ताव देता है या यौन अनुग्रह की मांग या अनुरोध करता है, महिला की इच्छा के बिना उसे अश्लील कंटेंट दिखाता या यौन संबंधी टिप्पणियां करता है, तो वह यौन उत्पीड़न के अपराध का दोषी होगा. सजा : अगर कोई उप-धारा (1) के खंड (i) या खंड (ii) या खंड (iii) के तहत दोषी पाया जाता है तो, उसे कठोर कारावास की सजा सुनाई जा सकती है. इस सजा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों ही सजा सुनाई जा सकती है. अगर कोई उप-धारा (1) के खंड (iv) में दोषी पाया जाता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों की सजा मिल सकती है. जमानती अपराध : यह मामला संज्ञेय है लेकिन जमानती अपराध है, जिसका अर्थ है कि शिकायत मिलने पर पुलिस को शिकायत दर्ज करनी होगी, लेकिन आरोपी को पुलिस स्टेशन से ही जमानत मिल सकती है. आईपीसी की धारा 354 डी : अगर कोई पुरुष किसी महिला का पीछा करता है और संपर्क करता है, या महिला की इच्छा के विरुद्ध या साफ मना करने के संकेत के बावजूद बार-बार व्यक्तिगत बातचीत को बढ़ाने के लिए संपर्क करने का प्रयास करता है; या इंटरनेट, ईमेल या इलेक्ट्रॉनिक संचार के किसी अन्य माध्यम का इस्तेमाल कर महिला की निगरानी करता है, वह स्टॉकिंग के तहत दोषी माना जाएगा. सजा : अगर आरोपी पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे तय कारावास की सजा हो सकती है, जिसके तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या उस पर जुर्माने ठोका जा सकता है. वहीं दूसरी या उससे ज्यादा बार दोषी पाए जाने पर तय कारावास की सजा हो सकती है, जिसे पांच साल तक बढ़ सकता है या जुर्माना लगाया जा सकता है. जमानती-गैरजमानती : अगर कोई इस धारा के तहत पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे जमानत मिल सकती है, लेकिन अगर कोई एक से ज्यादा बार यह हरकत करता है तो यह अपराध गैर जमानती हो जाता है. 7 साल से कम सजा में तुरंत गिरफ्तारी जरूरी नहीं। यानी बृजभूषण सिंह पर जो धाराएं लगी हैं, उनमें अगर उन्हें अधिकतम सजा भी होती है, तो वह 5 साल तक की ही होगी. सुप्रीम कोर्ट के 2 जुलाई 2014 को अरनेश कुमार बनाम बिहार सरकार के मामले में दिए गए फैसले के मुताबिक, जिन अपराधों में सात साल से कम की सजा है, उनमें पुलिस तत्काल गिरफ्तारी नहीं करेगी. पुलिस शिकायत के बाद आरोपी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुला सकती है. आरोपी जांच में सहयोग करता है तो गिरफ्तारी जरूरी नहीं है. अगर लगता है कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे या देश से भाग सकते हैं, तभी गिरफ्तार करेगी. पुलिस के मुताबिक, बृज भूषण को जब भी जांच संबंधी संपर्क किया गया, उन्होंने पूरा सहयोग किया, इसलिए उनकी गिरफ्तारी की कोई खास वजह नहीं थी। POCSO एक्ट में मिली राहत दिल्ली पुलिस की ओर से बृजभूषण को POCSO एक्ट में दर्ज केस के मामले में बड़ी राहत मिली है। दरअसल, अपने बयान में पहले जहां नाबालिग महिला पहलवान ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। हालांकि, बाद में उसने बयान में बदलाव करते हुए कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष पर भेदभाव का आरोप लगाया थे। दूसरे बयान में नाबालिग ने यौन शौषण का आरोप वापस लेते हुए कहा कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ था, मैंने बहुत मेहनत की थी, मैं डिप्रेशन में थी। इसलिए गुस्से में यौन शौषण का मामला दर्ज करवाया था। ऐसे में पुलिस ने POCSO को वापस लेने की सिफारिश की थी। क्या है POCSO एक्ट ? POCSO यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट। इस कानून को 2012 में लाया गया था। ये बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को अपराध बनाता है। ये कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों, दोनों पर लागू होता है। इसका मकसद बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाना है। पॉक्सो एक गैर-जमानती अपराध है। इसमें दोषी पाए जाने पर कम से कम 7 साल की जेल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। अगर बृजभूषण के खिलाफ POCSO के तहत चार्जशीट दाखिल होती तो उनकी मुसीबतें बढ़ सकती थी। क्या चार्जशीट के बाद पहलवानों का आंदोलन होगा खत्म? 7 जून को पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के बुलावे पर उनके घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। 6 घंटे तक चली इस बैठक में अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि इस मामले में 15

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मणिपुर | मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा है। मैतेई और कुकी समुदाय के लोग आमने-सामने हैं। 3 मई को शुरू हुई हिंसा लगातार जारी है। गुरुवार, 15 जून की रात को इंफाल में भीड़ ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह के घर पर हमला बोल दिया। इस दौरान भीड़ ने केंद्रीय मंत्री के घर में आग लगा दी। अधिकारियों ने बताया कि घटना के वक्त केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री अपने घर में नहीं थे। कर्फ्यू के बावजूद हुआ हमला इंफाल में कर्फ्यू के बावजूद भीड़ मंत्री के कोंगबा स्थित आवास तक पहुंच गई। घटना के समय मंत्री के आवास पर नौ सुरक्षा एस्कॉर्ट कर्मी, पांच सुरक्षा गार्ड और आठ अतिरिक्त गार्ड ड्यूटी पर थे। मंत्री के घर पर मौजूद एक सुरक्षाकर्मी के मुताबिक भीड़ ने हमले के दौरान चारों दिशाओं से पेट्रोल बम फेंके। “हम इस घटना को रोक नहीं सके, क्योंकि भीड़ बहुत अधिक थी और हम स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सके. उन्होंने सभी दिशाओं से पेट्रोल बम फेंके.. बिल्डिंग के पीछे वाली गली से और सामने के प्रवेश द्वार से, इसलिए इसलिए हम भीड़ को नियंत्रित नहीं कर सके.” एल दिनेश्वर सिंह, एस्कॉर्ट कमांडर बताते चलें कि, पिछले महीने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह ने मणिपुर के मैतेई और कुकी समुदायों के बुद्धिजीवियों के एक समूह के साथ बैठक की थी, जिसमें हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य में शांति स्थापित करने को लेकर चर्चा की गई थी। मंत्री नेमचा किपगेन के घर पर भी हमला इससे पहले उपद्रवियों ने मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के सरकारी आवास में बुधवार, 14 जून को उपद्रवियों ने आग लगा दी। हालांकि घटना के वक्त आवास के अंदर कोई नहीं था। बता दें कि किपगेन कुकी समुदाय की नेता हैं। वहीं बुधवार, 14 जून को पूर्वी इंफाल के कांगपोकपी और उखरूल जिले में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने इगिजांग गांव पर खतरनाक हमला किया था, जिसमें कम से कम 13 नागरिकों की मौत हो गई थी। इसमें मुख्य रूप से स्वयंसेवक नागरिक शामिल थे।

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उत्तर प्रदेश : सिद्धार्थनगर DM पर भड़के MLA विनय वर्मा, जमकर हुई बहसबाजी, देखिये वीडियो

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के कलेक्ट्रेट सभागार में शोहरतगढ़ से अपना दल विधायक विनय वर्मा और जिलाधिकारी संजीव रंजन के बीच बहस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में विधायक विनय वर्मा डीएम पर भड़कते दिख रहे हैं। वायरल वीडियो में विधायक चिल्लाते हुए डीएम से अपने प्रश्नों के जवाब मांगते नजर आ रहे हैं। https://www.instagram.com/reel/CtitLQvITUA/?utm_source=ig_web_copy_link&igshid=MzRlODBiNWFlZA== आखिर क्यों हुई बहस विधायक का कहना है कि उनके प्रश्नों का जवाब लिखित में दिया जाए। उनका आरोप है कि कोई अधिकारी जवाब नहीं देते हैं। वीडियो में विधायक डीएम से कह रहे हैं – “आपसे भी पूछा लेकिन आपने ने भी कोई जवाब नहीं दिया।” दरअसल, विधायक वर्मा अपने क्षेत्र में चल रहे कार्यों की जानकारी मांग रहे थे। इस दौरान विधायक वर्मा गुस्से में अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर देते हैं, जिसके बाद अधिकारी मीटिंग का बहिष्कार करते हुए उठ खड़े होते है। बाद सभी अधिकारियों को दोबारा समझाकर बैठाया जाता है। क्या बोले DM ? इस मामले में डीएम संजीव रंजन ने कहा कि यह कोई बहस का मामला नहीं है। विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में किए गए कार्यों की जानकारी मांग रहे थे। जिनकी जानकारी उनको उपलब्ध करवा दी गई। उन्होंने इसका लिखित में भी जवाब मांगा है, वो भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

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Lucknow News :सर्वेंट क्वॉर्टर में मिली शख्स की लाश, शक के घेरे में बेटा

उत्तर प्रदेश | लखनऊ के हजरतगंज स्थित एक मकान के सर्वेंट क्वॉर्टर में 60 साल के विनोद कश्यप की लाश मिली है। पुलिस ने बेटे पर ही हत्या की आशंका जताई है। बेटा मौके से फरार है। दरअसल, विनोद कश्यप अपने परिवार के साथ एक वकील के घर में सर्वेंट क्वॉर्टर में रहता था। वकील का परिवार इस समय उत्तराखंड गया हुआ है। विनोद की पत्नी भी उनके साथ गई है। घर में विनोद और उनका बेटा सोनू था। बुधवार रात सोनू ने मां को फोन करके पिता की मौत होने की सूचना दी। वो ठीक से ये नहीं बता सका कि मौत कैसे हो गई। सोनू की मां ने वकील को पूरी बात बताई। वकील को शक हुआ। उन्होंने हजरतगंज पुलिस को फोन किया। सूचना मिलते ही कोतवाली से टीम मौके पर पहुंच गई। वहां सर्वेंट क्वॉर्टर में विनोद का शव पड़ा मिला। ACP अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि बेटा सोनू घर पर नहीं था। पूछताछ करने पर पता चला कि वह काफी देर से गायब है। विनोद के शरीर पर चोट के निशान हैं। अंदेशा है कि गला दबा कर पिता की हत्या करने के बाद बेटा फरार हो गया। एसीपी वर्मा ने बताया कि मृतक की पत्नी लखनऊ लौट रही हैं। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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Cyclone Biporjoy ने लिया खतरनाक रूप, फ़िलहाल गुजरात में स्थित, पहुँच सकता है राजस्थान, देखिये EXCLUSIVE VISUALS

Cyclone Biparjoy Updates: चक्रवाती तूफान बिपोर्जॉय गुजरात में एंट्री ले चुका है. इसके चलते यहां के सौराष्ट्र और कच्छ के तटीय इलाकों में इसका लैंडफॉल भी शुरू हो गया. चक्रवात के चलते गुजरात के कई इलाकों में झमाझम बारिश हो रही है और 100 से 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं. बिपोर्जॉय गुजरात से अब आगे बढ़ने की फिराक में है. ऐसा माना जा रहा है कि बिपोर्जॉय तूफान 16 जून को राजस्थान में अपना कहर दिखा सकता है. इसके चलते मौसम विभाग ने पूरे राजस्थान में रेड अलर्ट जारी कर दिया है. मौसम विभाग की मानें तो आज बाड़मेर, जालौर, जैसलमेर और जोधपुर समेत आसपास के कई क्षेत्रों में झमाझम बारिश और तूफान की आशंकाएं हैं. कच्छ पर स्थित चक्रवाती तूफान (Cyclonic Storm) “बिपारजॉय” सौराष्ट्र- कच्छ पर स्थित प्रचण्ड चक्रवाती तूफान (Severe Cyclonic Storm) “बिपारजॉय” पिछले 6 घंटों के दौरान पूर्व-उत्तरपूर्व दिशा मे 10 किमी प्रति घंटे की गति करते हुए एक चक्रवाती तूफान में कमजोर हो गया और आज 16 जून 2023 को भारतीय समयानुसार 08:30 बजे, सौराष्ट्र- कच्छ पर लगभग 23.4°N अक्षांश और 69.5°E देशांतर के पास, भुज से 30 किमी पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में स्थित था। इसके लगभग पूर्व-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ने और आज, 16 जून की शाम के आसपास एक गहन अवदाब (deep depression) में कमजोर होने की संभावना है। गुजरात को पूरी रात झकझोरने वाले बिपरजॉय चक्रवात की तीव्रता धीरे-धीरे कम हो रही है। आज दोपहर 12 बजे के करीब बिपरजॉय भुज से 40 किमी उत्तर में था। गुजरात में मौसम विभाग की वैज्ञानिक मनोरमा मोहंती ने बताया है कि सुबह की तुलना में दोपहर बाद चक्रवात की तीव्रता काफी कम हुई है। शाम तक और तीव्रता कम हो जाएगी, उसका रास्ता पूर्वोत्तर दिशा में कच्छ के ऊपर है। उत्तर गुजरात में इसका प्रभाव दिखेगा।

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UP News: 22 जून तक होगा 14 किलो गेहूं और 21 किलो चावल का मुफ्त वितरण

उत्तर प्रदेश । प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत आवश्यक वस्तुओं का निःशुल्क वितरण आगामी 22 जून, 2023 तक कराया जा रहा है। इस अवधि में बाजरा वाले तीन जिलों बदायूं, बुलंदशहर तथा कानपुर नगर को छोड़कर अन्त्योदय कार्डधारकों को 14 किग्रा गेहूं और 21 किग्रा चावल (35 किलो खाद्यान्न) तथा पात्र गृहस्थी राशन कार्डों से सम्बद्ध यूनिटों पर दो किग्रा गेहूं व तीन किग्रा चावल प्रति यूनिट का निःशुल्क वितरण कराया जा रहा है।

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UP News : फेस रिकॉग्निशन तकनीक से दबोचे गए बीएड की प्रवेश परीक्षा के सॉल्वर

उत्तर प्रदेश । झांसी के बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदेश के 75 जिलों में आयोजित बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में पहली बार फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ। इस टेक्नोलॉजी की मदद से मथुरा और कानपुर में दो सॉल्वर धार लिए गए । वे किसी ओर के स्थान पर परीक्षा देने आए थे। ड्यूटी पर मुस्तैद कर्मचारी भी उनको नहीं पकड़ पाए, लेकिन फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी ने उनकी साजिश को बेनकाब कर दिया। फेस रिकॉग्निशन में कुल 9 संदिग्धों को पकड़ा 75 जिलो में बनाए गए 1108 केंद्रों पर परीक्षा हुई। जब परीक्षार्थी केंद्र के अंदर इंटर हुए तो उनकी बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने के साथ-साथ चेहरे की भी फोटो खींची गई। ये फोटो और डाटा सभी परीक्षा केंद्रों से बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी को भेजा गया। बीयू के कंट्रोल रूम से डाटा की जांच की गई। फेस रिकॉग्निशन तकनीक के चलते प्रवेश पत्र की फोटो से मौके पर परीक्षा देने वाले 9 छात्रों का चेहरे का मिलान नहीं हो पाया। प्रवेश पत्र की फोटो से इनका चेहरा 40 फीसदी से भी कम मिलता हुआ पाया गया। ये छात्र जौनपुर, शामली, फिरोजाबाद, मथुरा, कानपुर और प्रयागराज में परीक्षा देने पहुंचे थे। जांच में दो सॉल्वर दूसरी की जगह परीक्षा देते पाए गए। जबकि 4 लोगों जांच के बाद सही मिले। उनसे एफिडेविट लेकर परीक्षा में बैठाया गया। 3 संदिग्ध ऐसे थे, जिन्हें दूसरी पाली में भी परीक्षा देनी थी, लेकिन वे दूसरी पाली में नहीं आए।

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