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बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट में 300 से अधिक मरे, 280 लाशें निकाली गयीं, मंजर देख भावुक हुए मोदी

बालासोर(उड़ीसा) | बालासोर में भीषण ट्रेन हासदे में अब तक 300 के करीब लोगों के मारे जाने की खबर है। 280 से ज्यादा शवों के बाहर निकाला जा चुका है। सैकड़ों की संख्या में घायल अस्पतालों में हैं जिनका इलाज चल रहा है। घायलों में कईयों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेल मंत्री के साथ दु्र्गघटना स्थल का दौरा किया। प्रधानमंत्री ने राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया और दिशा निर्देश भी दिए। मौत का मंजर और रोते बिलखते लोगों को देख प्रधानमंत्री नरेन्द्र कई बार भावुक भी नजर आए। प्रधानमंत्री बालासोर के फाकिर मोहन अस्पताल भी गए और वहां भर्ती घायलों से इस भयंकर हादसे की जानकारी ली। प्रधानमंत्री ने घायलों के बेहतर इलाज के निर्देश दिए हैं।

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जानिए क्या है ‘कवच’, जिसकी हो रही है खूब चर्चा !

ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) में अब तक 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस हादसे के बाद भारत की ट्रेनों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। इन सब के बीच ‘कवच सिस्टम’ (Kavach System) की भी चर्चा हो रही है। जिसे भारत में सुरक्षित ट्रेन संचालन की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा था। मार्च 2022 में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में इसका ट्रायल हुआ था। वीडियो में देखिये की कैसे केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी Kavach System के बारे में समझा रहे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर ‘कवच’ सिस्टम क्या है? 1. कवच सिस्टम क्या है? भारतीय रेलवे ने चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘कवच’ नामक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम विकसित की है. कवच टेक्नोलॉजी को देश के तीन वेंडर्स के साथ मिलकर RDSO (Research Design and Standards Organisation) ने डेवलप किया है. भारतीय रेल ने यह कवच टेक्नोलॉजी खुद डेवलप किया है और इसे नेशनल ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम के रूप में अपनाया गया है. यह सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल – 4 मानकों की अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है. 23 मार्च 2022 को रेल मंत्रालय ने ‘कवच’ नामक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली के विकास के साथ भारत में ट्रेन संचालन की सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम की घोषणा की थी. 2. कवच सिस्टम कैसे काम करता है? ‘कवच’ ट्रेन में लगा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस का एक सेट है, जो सिग्नलिंग सिस्टम के साथ-साथ पटरियों पर ट्रेनों की स्पीड को नियंत्रित करने में सक्षम है. ‘कवच’ न केवल लोको पायलट को सिग्नल पासिंग एट डेंजर (SPAD) और ओवर स्पीडिंग से बचने में मदद करता है बल्कि खराब मौसम जैसे घने कोहरे के दौरान ट्रेन चलाने में भी मदद करता है. इस प्रकार, कवच के जरिए ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता को बढ़वा मिलता है. 3. कवच की मुख्य विशेषताएं * अगर लोको पायलट ब्रेक नहीं लगा पाता है तो कवच स्वचालित/ऑटोमेटिक रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है. * कवच कैब में लाइन-साइड सिग्नल को दोहराता है जो हाई स्पीड और धुंधले मौसम के लिए बहुत उपयोगी है. * कवच दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकने में भी सक्षम है. मतलब एक ही पटरी पर दो       ट्रेनें आमने सामने आ जाएं तो एक्सीडेंट नहीं होगा. * आपातकालीन स्थितियों के दौरान एसओएस संदेश भेजता है * नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी * लेवल क्रॉसिंग गेट्स पर कवच की मदद से ऑटोमैटिक हॉर्न बजने लगता है 4. क्या बालासोर लाइन पर कवच सिस्टम लगा था? नहीं. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने खुद इस बात की पुष्टि की है. ANI को उन्होंने बताया कि इस रूट पर कवच सिस्टम नहीं लगा था. 5. किन रेलवे लाइनों पर लगा है कवच सिस्टम? 4 मार्च 2022 को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में कवच सिस्टम का परीक्षण किया गया था. दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद डिवीजन में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर गुल्लागुडा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच कवच प्रणाली का परीक्षण हुआ था. परीक्षण के दौरान दो ट्रेनें एक-दूसरे की ओर बढ़ रही थीं, जिससे आमने-सामने की टक्कर की स्थिति पैदा हो गई. ‘कवच’ प्रणाली ने स्वचालित ब्रेकिंग सिस्टम की शुरुआत की और ट्रेन को 380 मीटर की दूरी पर रोक दिया. 23 मार्च 2022 के रेल मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, भारतीय रेलवे ने दक्षिण मध्य रेलवे के लिंगमपल्ली – विकाराबाद – वाडी, विकाराबाद – बीदर (250 KM) खंड के पूर्ण ब्लॉक खंड पर ‘कवच’ का परीक्षण किया था. सफल परीक्षण के बाद दक्षिण मध्य रेलवे के मनमाड-मुदखेड़-धोन-गुंतकल और बीदर-परभणी सेक्शन में 1199 आरकेएम पर कवच का कार्य प्रगति पर था. तब तक दक्षिण मध्य रेलवे में लगभग 1098 आरकेएम नेटवर्क रूट को कवच के दायरे में लाया गया था. नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई सेक्शन पर कवच लगाने का काम मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है.  

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ओडिशा ट्रेन हादसा : 1995 से 2023 तक, भारतीय इतिहास के कुछ सबसे बड़े ट्रेन हादसे

2023: ओडिशा ट्रेन हादसा 2 जून, 2023 में ओडिशा में बेंगलुरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के टकराने से बड़ा हादसा हो गया है, इसमें कम से कम 280 लोग के मारे जाने की खबर है 900 से ज्यादा लोग घायल हैं. Odisha Train Accident | ओडिशा में हुए बड़े ट्रेन हादसे में 230 से ज्यादा लोगों की मौत की सूचना है (Coromandal Express) और 900 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. ये हादसा बालासोर जिले के बहनागा रेलवे स्टेशन के पास हुआ. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. बताया जा रहा है कि पिछले 10 सालों में हुआ ये सबसे बड़ा ट्रेन हादसा है। आइए जानते हैं भारतीय इतिहास के कुछ अन्य बड़े ट्रेन हादसे के बारे में। 1995: फिरोजाबाद ट्रेन हादसा 20 अगस्त 1995 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस के बीच टक्कर हो गई थी. इस दुर्घटना में लगभग 358 लोगों की जान चली गई थी. 1999: गैसल ट्रेन हादसा 2 अगस्त 1999 में असम के गैसल के पास ब्रह्मपुत्र मेल अवध और असम एक्सप्रेस आपस में टकरा गई थी, हादसे में करीब 290 लोगों की मौत हो गई थी. 1998: खन्ना ट्रेन हादसा 26 नवंबर, 1998 में जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस खन्ना, पंजाब के पास कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी. इस हादसे में करीब 212 लोगों की जान चली गई थी. 1988: पेरुमन ट्रेन हादसा 8 जुलाई, 1988 में केरल के पेरुमन के पास आईलैंड एक्सप्रेस एक लोकल पैसेंजर ट्रेन से टकरा गई थी. इस हादसे में करीब 150 लोगों की मौत हो गई थी. 2012: हम्पी एक्सप्रेस हादसा 22 मई, 2012 में हम्पी एक्सप्रेस ट्रेन हादसा हुआ था. हादसा आंध्र प्रदेश के पास हुआ था, इसमें मालगाड़ी और हुबली-बैंगलोर हम्पी एक्सप्रेस की टक्कर हो गई थी. इस दौरान ट्रेन की चार बोगियां पटरी से उतर गई थी और एक बोगी में आग लग गई थी, इस कारण लगभग 25 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 43 लोग घायल हुए थे. 2014: गोरखधाम एक्सप्रेस हादसा 26 मई, 2023 में उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर इलाके में गोरखपुर की ओर जा रही गोरखधाम एक्सप्रेस खलीलाबाद स्टेशन के पास खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी. इस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई था और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. 2016: इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसा 20 नवंबर, 2016 में इंदौर-पटना एक्सप्रेस (19321) भारत के कानपुर में पुखरायां के पास पटरी से उतर गई थी, जिसमें कम से कम 150 यात्रियों की मौत हो गई थी और 150 से अधिक घायल हुए थे. 2017: दो हादसे | कैफियत एक्सप्रेस और पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस 18 अगस्त, 2017 में पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस मुजफ्फरनगर में पटरी से उतर गई थी, जिसमें 23 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 60 अन्य लोग घायल हुए थे. 23 अगस्त, 2017 में दिल्ली जाने वाली कैफियत एक्सप्रेस के नौ कोच उत्तर प्रदेश के औरैया के पास पटरी से उतर गए थे, इसमें कम से कम 70 लोग घायल हुए थे. 2022: बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस हादसा 13 जनवरी, 2022 में बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के कम से कम 12 डिब्बे पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार क्षेत्र में पटरी से उतर गए थे, इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई थी और 36 अन्य लोग घायल हो गए थे.  

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