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क्या सोशल मीडिया है देश के युवाओं के बीच बढ़ते डिप्रेशन का कारण ?

नई दिल्ली | आज से २०-२५ साल पहले जब हम घर के बड़ों को देखते थे तो उनके व्यवहार और चरित्र में थोड़ी गंभीरता, थोड़ी गहराई, थोड़ा बड़प्पन होता था पर आज की युवा पीढ़ी ऊपर से तो कॉन्फिडेंट, एग्रेसिव और डिमाँडिंग हैं, पर भीतर से डरी हुई और कमज़ोर है | यह सिर्फ एक घर की कहानी नहीं है बल्कि पूरे भारत और दुनिया भर की है |

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने पाया कि १२-१३ साल की अवधि में ही टीनएजर्स में और जवान लोगों में डिप्रेशन के मामले ५२ प्रतिशत से ६३ प्रतिशत तक बढ़े हैं। बहुत चौकाने वाला आंकड़ा है ये। क्यों डिप्रेशन इतने ज़बरदस्त तरीक़े से फैला है युवाओं में और किशोरों में, टीनेजर्स में? तो स्टडी कहती है कि संभवतया कारण है सोशल-मीडिया |

प्रोफेसर जीन ट्वेंगे ने अपनी पुस्तक “Confident, assertive & entitled, & more miserable than ever before (आत्मविश्वासी, निश्चयात्मक, अधिकारी, और पहले से ज़्यादा दुखी)” में बताया है कि ग्रेट इकोनोमिक डिप्रेशन १९३० के समय से भी पाँच गुना ज़्यादा तनाव है आज के युवा में। हर सौ मिनट में डिप्रेशन के कारण एक किशोर, आत्महत्या कर रहा है | जहाँ पोषण और ज्ञान के स्रोत पहले से कई ज़्यादा बेहतर हो गए हैं, वहीँ हमारी युवा पीढ़ी का आईक्यू लगातार घटता ही जा रहा है | तो यहाँ भी कारण सोशियल मीडिया ही है |

युवा वयस्क जल्दी प्रभावित हो जाते हैं और बहुत उत्सुक होते हैं। ये दुनिया की ओर देख रहे होते हैं कुछ जानने के लिए, कुछ सीखने के लिए। और अभी उनमें इतनी बुद्धि, इतना विवेक नहीं होता है कि ये साफ़ समझ पाएँ कि इनके लिए क्या अच्छा है, क्या बुरा है। लेकिन संगति इनको चाहिए, और यही संगती इन्हे मिलती है सोशल मीडिया से । यहाँ टीनएजर को दूसरों की बहुत ग्लोरीफाइड और नकली छवि दिखाई जाती है और फिर उसके ऊपर दबाव पड़ता है कि वो अपनी भी एक बड़ी सुंदर, ताकतवर और नकली छवि प्रदर्शित करे। यह छवि ज़िन्दगी की ठोकरों और सवालों का सामना न कर पाने के कारण बड़ा दुःख देती है, जिससे हमारा टीनएजर कई तरीक़े के रोगों से ग्रस्त हो सकता है, डिप्रेशन में जा सकता है।

इसी सोशल मीडिया में बहुत सारे औसत लोग (इन्फ्लुएंसर), युवाओं में और टीनएजर्स में ज़हरीले शब्द, विचार और छवियाँ बेचकर, प्रचारित करके, ज़िंदगी में खूब पैसा बना ले गए, लेकिन उससे जो नुक़सान हुआ है टीनएजर को, उसको ठीक होने में हो सकता है बहुत साल लग जाएँ | ग़लत आदर्शों के ज़हरीले प्रभाव में हैं हमारे टीनएजर्स, जिनका ऐतिहासिक या वर्तमान समय के वास्तविक महान लोगों से कोई संबंध नहीं है | बहुत ही गैरज़िम्मेदार और मूर्ख क़िस्म के लोग युवाओं में बहुत प्रसिद्ध होकर के यूथ-आइकन बन गए हैं | भारत के भविष्य के लिए ये बहुत ख़तरनाक बात है।

तुम्हारी सारी ज़िन्दगी इसी बात से तय हो जाती है कि तुमने किसको अपना आदर्श बना लिया और किसकी संगति स्वीकार कर ली। और एक जवान आदमी ज़बरदस्त तरीक़े से इंप्रेशनेबल होता है, वल्नरेबल होता है। उसको जिसकी संगति मिल गई वो वैसा ही हो जाएगा | ऊपर उठने में हमेशा मेहनत लगती है, नीचे गिरना तो आसान ही होता है| जिस देश की जवान पीढ़ी बर्बाद हो गई, उस देश को अब दुश्मनों की ज़रूरत नहीं है। जो दुश्मन सीमा पार होता है वो कम खतरनाक होता है; जो दुश्मन आपके ही समाज में बैठ गया है आपमें से ही एक बनकर, बल्कि रोल मॉडल और सेलिब्रिटी बनकर, वो ज़्यादा खतरनाक होता है। सचेत रहिए।

ऐसे में समझदार लोगों का फर्ज होता है कि वो घर के बच्चों को, टीनएजर्स को, दिशा देकर के उनको सही संगति में लगाएँ | नज़र रखिए कि किसकी तरफ जा रहा है आपके घर का टीनएजर, और दूसरी बात, जिधर को जाना चाहिए उधर जाने के लिए उसे प्रेरित भी करें। आदमी के इतिहास में विवेकानन्द, आदिशंकर, नचिकेता, भगत सिंह, कल्पना दत्त, ब्लेज़ पास्कल, मेरी क्युरी जैसे एक से बढ़कर एक ज़बरदस्त किशोर जवान लड़के-लड़कियां हुए हैं, जिन्होंने बहुत छोटा ही जीवन जिया है, पर उनका वो छोटा जीवन भी आग की लपट की तरह रहा है। उनके संपर्क में आकर के आपके घर का बच्चा भी प्रकाशित हो जाएगा।

आचार्य प्रशांत
संस्थापक, प्रशांतअद्वैत संस्था
वेदांत मर्मज्ञ, पूर्व सिविल सेवा अधिकारी

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लैंड फॉर जॉब केस में लालू प्रसाद को बड़ा झटका

रेलवे में नौकरी के बदले जमीन के मामले में सीबीआई की तरफ से दायर केस को रद्द कराने के लिए तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कोर्ट में य़ाचिका दाखिल कर सीबीआई के लैंड फॉर जॉब केस को रद्द करने की मांग की थी लेकिन उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद की याचिका को खारिज कर दिया है।

“ठग्स ऑफ गोवा” से बड़े पर्दे पर धमाल मचाने आ रहे हैं कानपुर के सूर्यांश त्रिपाठी

कानपुर के होनहार युवक सूर्यांश त्रिपाठी अब बड़े पर्दे पर धमाकेदार एंट्री करने जा रहे हैं। फिल्म “ठग्स ऑफ गोवा” में लीड रोल निभा रहे सूर्यांश की यह फिल्म 30 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। मूल रूप से कानपुर के रहने वाले सूर्यांश ने मुंबई में अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर विज्ञापन फिल्मों, मॉडलिंग और वेब सीरीज में अपनी खास पहचान बनाई है। अब वे एक बार फिर सुर्खियों में हैं, इस बार एक मुख्य अभिनेता के रूप में। फिल्म “ठग्स ऑफ गोवा” उनके करियर का एक नया और बड़ा मुकाम साबित हो सकती है। दर्शकों को उनसे काफी उम्मीदें हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सूर्यांश बड़े पर्दे पर क्या जादू बिखेरते हैं। क्राइम थ्रिलर सिनेमा जगत में एक ऐसा जॉनर रहा है जिसे दर्शकों का बहुत बड़ा वर्ग पसन्द करता आया है. इसी शैली का एक सिनेमा “ठग्स ऑफ गोवा” 30 मई 2025 को सिनेमाघरों मे रिलीज के लिए तैयार है. साई पाटिल फिल्म फैक्ट्री के बैनर तले बनी इस पिक्चर के निर्माता साई पाटिल, सह निर्माता योजना पाटिल हैं. फिल्म के निर्देशक साई पाटिल ने इसकी कहानी, पटकथा और संवाद भी लिखे हैँ. गोवा में शूट की गई इस फिल्म का संगीत रवि ने दिया है. इस फिल्म में सूर्यांश त्रिपाठी, गायत्री बंसोडे, रुचिका सिंह, मनवीर सिंह, अंकिता देसाई, विक्की मोटे, गिरिराज कुलकर्णी, सागर पब्बाले, हर्षित उपाध्याय, प्रणय तेली, सुनील कुसेगांवकर, राजदेव जमदादे, योगेश कुमावत, नवनाथ श्रीमंडिलकर जैसे कलाकारों ने अभिनय किया है. गोवा में सेट यह कहानी अमर अग्निहोत्री के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक कुख्यात ठग है. वह अपने तीन साथियों सलोनी, नेहा और विक्की के साथ मिलकर लोगों को ठगकर मौज करता है। धोखे के खेल में तब एक बुरा मोड़ आता है जब क्राइम ब्रांच ऑफिसर विजय नेहा को धमकाता है और उसे भ्रष्ट मंत्री के बेटे राकेश के करीबी लोगों के बीच घुसकर काले धन से जुड़े दस्तावेज चुराने के लिए मजबूर करता है। जब नेहा अमर को इस खतरनाक काम के बारे में बताती है, तो तनाव बढ़ जाता है। अमर और ऑफिसर विजय के बीच एक भयंकर लड़ाई शुरू हो जाती है. अंत में क्या होता है इसके लिए आपको फिल्म देखने का इन्तेज़ार करना पड़ेगा.

कानपुर में एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी में आधुनिक तकनीकों से स्किन, हेयर और फैट की उपचार सेवाएं उपलब्ध

कानपुर: शहरवासियों के लिए खुशखबरी है कि अब स्किन और हेयर से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित इलाज एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी में उपलब्ध है। डॉ. गौरी मिश्रा ने बताया कि क्लिनिक में मेड इन कोरिया की न्यू रिच मशीन द्वारा बॉडी लेज़र हेयर रिडक्शन किया जाता है, जिससे अनचाहे बालों के साथ-साथ स्किन पर मौजूद दाग-धब्बों और पिग्मेंटेशन से भी छुटकारा पाया जा सकता है। स्किन टोन को निखारने और फ्लॉलेस लुक पाने के लिए यह मशीन अत्यंत प्रभावी साबित हो रही है। साथ ही, बालों की समस्याओं के समाधान के लिए PRP थैरेपी, GFC थैरेपी और हेयर रीग्रोथ थैरेपी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे हेयर फॉल, हेयर थिनिंग और गंजेपन जैसी समस्याओं में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। यह क्लिनिक अब हेयर और स्किन हेल्थ के लिए एक भरोसेमंद सेंटर बनकर उभरा है। एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी अब संपूर्ण बॉडी के सौंदर्य और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए वन-स्टॉप सेंटर बन गया है। यहां उपलब्ध कायो लेज़र मशीन की मदद से शरीर के किसी भी हिस्से से फैट को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से कम किया जा सकता है। यह प्रक्रिया न केवल वजन घटाने में सहायक है, बल्कि बॉडी शेप को भी आकर्षक बनाती है। स्किन, हेयर और बॉडी फैट से जुड़ी सभी आधुनिक थैरेपीज़ अब एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग जगह भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ती। विशेष रूप से शादी या अन्य विशेष अवसरों को ध्यान में रखते हुए, ‘ग्लोइंग स्किन’ के लिए आवश्यक स्किन क्लीनिंग, ब्राइटनिंग और हाइड्रेशन थैरेपीज़ अब स्थानीय स्तर पर सुलभ हैं। डॉ. गौरी मिश्रा के मार्गदर्शन में संचालित यह सेंटर कानपुर में कॉस्मेटोलॉजी और एस्थेटिक उपचार का नया केंद्र बिंदु बनता जा रहा है, जहां हर व्यक्ति को उनकी ज़रूरत के अनुसार व्यक्तिगत देखभाल मिल रही है।

आई० ए० पी० कानपुर और पारस हेल्थ ने ऑर्थोपेडिक्स और न्यूरोसर्जरी पर विशेष मेडिकल (सी.एम.ई.) का आयोजन किया

पारस हेल्थ, कानपुर एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट (आई० ए० पी०), कानपुर सेंट्रल शाखा के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (CME) प्रोग्राम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम रॉयल क्लिफ होटल में संपन्न हुआ, जिसमें शहर के प्रमुख सर्जन एवं फिजियोथैरेपिस्ट्स ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य चिकित्सा के क्षेत्र में आपसी संवाद को बढ़ावा देना, नवीनतम तकनीकों की जानकारी साझा करना तथा समन्वित रूप से मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराना था। कार्यक्रम में सहभागियों को ऑर्थोपेडिक्स और न्यूरोसर्जरी के अद्यतन पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अलीगढ़ से पधारे डॉ. के. के. वर्मा (सेक्रेटरी, आई० ए० पी० उत्तर प्रदेश) एवं वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक न्यूरोसर्जन डॉ. गोपाल शुक्ल उपस्थित रहे। डॉ. शुक्ल ने अपने सत्र में कमर दर्द से जुड़े विभिन्न जटिल मामलों पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि किस प्रकार फिजियोथैरेपी की मदद से मरीजों को शीघ्र राहत मिल सकती है। इस सफल आयोजन ने फिजियोथैरेपिस्ट एवं चिकित्सकों को एक साझा मंच प्रदान किया, जिससे भविष्य में और बेहतर चिकित्सा सेवा की दिशा में प्रयास संभव होंगे।

BR:पीएम मोदी 29 को बिहार दौरे पर, विकास की सौगात संग चुनावी मंथन

Patna : . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 मई को दो दिवसीय बिहार दौरे पर आ रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह प्रधानमंत्री की पहली बिहार यात्रा है. इस यात्रा के दौरान वे पटना और विक्रमगंज में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. भाजपा प्रधानमंत्री के स्वागत की तैयारियों में जुटी है. पीएम मोदी सबसे पहले पटना एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे, उसके बाद बिहटा एयरपोर्ट की आधारशिला रखेंगे. 30 मई को वे विक्रमगंज में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे और लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देंगे.   पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के अनुसार, प्रधानमंत्री पटना एयरपोर्ट से बीजेपी कार्यालय तक रोड शो करेंगे. जगह-जगह पुष्पवर्षा के साथ कार्यकर्ता उनका स्वागत करेंगे. बीजेपी कार्यालय में पीएम मोदी सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों और प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जमीनी स्तर पर संगठन की स्थिति की समीक्षा भी करेंगे. यह बैठक आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही

BR:बिहार में दिव्यांग कोटे में डोमिसाइल नीति लागू

बिहार सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांग आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब दिव्यांग कोटे का लाभ केवल बिहार के मूल निवासियों को ही मिलेगा। इसके तहत डोमिसाइल (स्थानीय निवासी) नीति को लागू कर दिया गया है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिया है। निर्णय के अनुसार, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मिलने वाला आरक्षण अब केवल बिहार के दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए ही मान्य होगा। जानकारी के मुताबिक, अधिनियम के तहत दिव्यांगजन को सरकारी नौकरियों में 4% क्षैतिज आरक्षण, उच्च शिक्षा संस्थानों में 5% क्षैतिज आरक्षण दिया जाता है। अब तक इस आरक्षण का लाभ दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को भी मिल रहा था, जिससे बिहार के दिव्यांग उम्मीदवारों को उचित अवसर नहीं मिल पा रहा था। राज्य सरकार ने इसको समाप्त करने के लिए डोमिसाइल नीति लागू करने का निर्णय लिया। सरकारी नौकरियों के सामान्य कोटे में पूर्ववत व्यवस्था लागू रहेगी, उसमें डोमिसाइल नीति लागू नहीं की गई है। बता दें है कि 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में 23 लाख से अधिक दिव्यांगजन हैं, जिनमें से लगभग 16 लाख को दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया जा चुका है।