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बाजरे की खेती को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार के पास मुकम्मल कार्ययोजना

लखनऊ, 17 मार्च।
बाजरे की खेती करने वाले किसानों की अब बल्ले-बल्ले होने वाली है। केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्रालय 2026 से 2027 के दौरान बाजरे पर आधारित उत्पादों के प्रोत्साहन पर 800 करोड़ रुपये खर्च करेगा। ये उत्पाद रेडी टू ईट और रेडी टू सर्व दोनों रूपों में होंगे।

सर्वाधिक बाजरा उत्पादक राज्य उप्र को होगा सर्वाधिक लाभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का सर्वाधिक लाभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली योगी सरकार को मिलेगा। खासकर बाजरा को लेकर। इसकी कई वजहें हैं। मुख्यमंत्री योगी निजी तौर पर खेतीबाड़ी एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में रुचि रखते हैं। इसीलिए उनकी पहल पर इंटरनेशनल मिलेट ईयर को सफल बनाने की कार्ययोजना, इसकी शुरुआत के करीब छह महीने पहले ही बन चुकी थी। इसके अलावा मोटे अनाजों, खासकर बाजरे की खेती इस राज्य की परंपरा रही है। उत्तर प्रदेश में देश का सर्वाधिक बाजरा पैदा होता है। बेहतर प्रजाति के बीज, फसल संरक्षा के सामयिक उपायों के जरिये इसे और बढ़ाना संभव है। इन संभावनाओं के नाते ही बाजरे की खेती भी संभावनाओं की खेती हो सकती है।

विदेशी मुद्रा भी लाएगा अपना बाजरा
बाजरा सहित अन्य मोटे अनाजों के निर्यात पर भी सरकार का फोकस है। खाद्यान्न उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने उन 30 देशों को चिन्हित किया है, जिनमें निर्यात की अच्छी संभावनाएं हैं। इन सभी मांगों को पूरा करने के लिए मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 21 राज्यों को चिन्हित किया गया है। उल्लेखनीय है कि देश के उत्पादन का करीब 20 फीसदी बाजरा उत्तर प्रदेश में होता है। प्रति हेक्टेयर प्रति किग्रा उत्पादन देश के औसत से अधिक होने के कारण इसकी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। तब तो और भी जब अच्छी-खासी पैदावार के बावजूद सिर्फ 1 फीसदी बाजरे का निर्यात होता है। निर्यात होने वाले में अधिकांश साबुत बाजरे होते हैं। लिहाजा प्रसंस्करण के जरिये इसके निर्यात और इससे मिलने वाली विदेशी मुद्रा की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अद्यतन आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में सर्वाधिक, करीब 29 फीसदी रकबे में बाजरे की खेती होती है। इसके बाद महाराष्ट्र करीब 21 फीसदी रकबे के साथ दूसरे नंबर पर है। कर्नाटक 13.46 फीसदी, उत्तर प्रदेश 8.06 फीसदी, मध्य प्रदेश 6.11फीसदी, गुजरात 3.94 फीसदी और तमिलनाडु में करीब 4 फीसदी रकबे में बाजरे की खेती होती है।

उत्तर प्रदेश की संभावना इस मामले में बेहतर है, क्योंकि यहां प्रति हेक्टेयर प्रति किग्रा उत्पादन राष्ट्रीय औसत (1195 किग्रा ) की तुलना में 1917 किग्रा है। प्रति हेक्टेयर प्रति किग्रा उत्पादन के मामले में तमिलनाडु नंबर एक (2599 किग्रा) पर है।

खेती के उन्नत तौर तरीके से उत्तर प्रदेश के उपज को भी इस स्तर तक लाया जा सकता है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार लगातार इस बाबत प्रयासरत भी है। साल 2022 तक यूपी में बाजरा की खेती का रकबा कुल 9.80 लाख हेक्टेयर है, जिसे बढ़ाकर 10.19 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। साथ ही उत्पादकता बढ़ाकर 25.53 क्विंटल प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किसानों को इसका वाजिब दाम मिले, इसके लिए सरकार 18 जिलों में प्रति कुन्तल 2350 रुपये की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इसकी खरीद भी कर रही है।

गेहूं, धान, गन्ने के बाद प्रदेश की चौथी फसल है बाजरा
गेहूं, धान और गन्ने के बाद बाजरा उत्तर प्रदेश की चौथी प्रमुख फसल है। खाद्यान्न एवं चारे के रूप में प्रयुक्त होने के नाते यह बहुपयोगी भी है। पोषक तत्वों के लिहाज से इसकी अन्य किसी अनाज से तुलना ही नहीं है, इसलिए इसे “चमत्कारिक अनाज”, “न्यूट्रिया मिलेट्स”, “न्यूट्रिया सीरियल्स” भी कहा जाता है।

2018 में भारत द्वारा मिलेट वर्ष मनाने के बाद बाजरा सहित अन्य मोटे अनाजों की खूबियों से किसान व अन्य लोग भी जागरूक हुए हैं। नतीजतन बाजरे के प्रति हेक्टेयर उपज, कुल उत्पादन और फसल आच्छादन के क्षेत्र (रकबे) में लगातार वृद्धि हुई।

हर तरह की भूमि में ले सकते हैं फसल
इसकी खेती हर तरह की भूमि में संभव है। न्यूनतम पानी की जरूरत, 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी परागण, मात्र 60 महीने में तैयार होना और लंबे समय तक भंडारण योग्य होना इसकी अन्य खूबियां हैं। चूंकि इसके दाने छोटे एवं कठोर होते हैं, ऐसे में उचित भंडारण से यह दो साल या इससे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है। इसकी खेती में उर्वरक बहुत कम मात्रा में लगता है। साथ ही भंडारण में भी किसी रसायन की जरूरत नहीं पड़ती। लिहाजा यह लगभग बिना लागत वाली खेती है।

पोषक तत्वों का खजाना है बाजरा
बाजरा पोषक तत्वों का खजाना है। खेतीबाड़ी और मौसम के प्रति सटीक भविष्यवाणी करने वाले कवि घाघ भी बाजरे की खूबियों के मुरीद थे। अपने दोहे में उन्होंने कहा है, “उठ के बजरा या हँसि बोले। खाये बूढ़ा जुवा हो जाय”। बाजरे में गेहूं और चावल की तुलना में 3 से 5 गुना पोषक तत्व होते हैं। इसमें ज्यादा खनिज, विटामिन, खाने के लिए रेशे और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं। लसलसापन नहीं होता। इससे अम्ल नहीं बन पाता। लिहाजा सुपाच्य होता है। इसमें उपलब्ध ग्लूकोज धीरे-धीरे निकलता है। लिहाजा यह मधुमेह (डायबिटीज) पीड़ितों के लिए भी मुफीद है। बाजरे में लोहा, कैल्शियम, जस्ता, मैग्निशियम और पोटाशियम जैसे तत्व भरपूर मात्रा मे होते हैं। साथ ही काफी मात्रा में जरूरी फाइबर (रेशा) मिलता है। इसमें कैरोटिन, नियासिन, विटामिन बी6 और फोलिक एसिड आदि विटामिन मिलते हैं। इसमें उपलब्ध लेसीथीन शरीर के स्नायुतंत्र को मजबूत बनाता है। यही नहीं बाजरे में पोलिफेनोल्स, टेनिल्स, फाइटोस्टेरोल्स तथा एंटीऑक्सिडैन्टस प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। यही वजह है कि सरकार ने इसे न्यूट्री सीरियल्स घटक की फसलों में शामिल किया है। अपने पोषण संबंधित इन खूबियों की वजह से बाजरा कुपोषण के खिलाफ जंग में एक प्रभावी हथियार साबित हो सकता है।

फसल के साथ पर्यावरण मित्र भी है बाजरा
बाजरे की फसल पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है। यह जलवायु परिवर्तन के असर को कम करती है। धान की फसल जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है। पानी में डूबी धान की खड़ी फसल में जमीन से ग्रीन हाउस गैस निकलती है। गेहूं तापीय संवेदनशील फसल है। तापमान की वृद्धि का इस पर बुरा असर पड़ता है। क्लाइमेट चेंज के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में एक समय ऐसा भी आ सकता है, जब गेहूं की खेती संभव ही न हो। उस समय बाजरा ही उसका सबसे प्रभावी विकल्प हो सकता है, इसलिए इसकी खेती को भविष्य की भी खेती कहते हैं।

बिना लागत की खेती
बाजरे की खेती में उर्वरकों की जरूरत नहीं पड़ती। इसकी फसल में कीड़े-मकोड़े नहीं लगते। अधिकांश बाजरे की किस्में भंडारण में आसान हैं। साथ ही इसके भंडारण के लिए कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती। इसी तरह नाम मात्र का पानी लगने से सिंचाई में लगने वाले श्रम एवं संसाधन की भी बचत होती है।

भारत के प्रस्ताव पर यूएनओ ने 2023 को घोषित किया ईयर ऑफ मिलेट
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधन में मिलेट रिवोल्यूशन के क्रांति की जरूरत का जिक्र कर चुके हैं। उनकी ही पहल पर 2018 में देश में मिलेट ईयर मनाया गया था। बाद में भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) को इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का अनुरोध किया था। भारत के ही प्रस्ताव पर 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि बढ़ते शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण, बढ़ती आबादी की आवासीय जरूरतों, सड़क, बांध, एयरपोर्ट आदि के लिए जमीन की जरूरत पड़नी ही है। लिहाजा जमीन का रकबा लगातार घटना है। ऊपर से मौसम की अप्रत्याशिता। आने वाले समय में खाद्यान्न एवं पोषण सुरक्षा के साथ क्लाइमेट चेंज के प्रति संवेदनशील धान एवं गेहूं जैसी परंपरागत फसलों के लिए भी गंभीर चैलेंज है। इसका समाधान कम लागत, कम पानी में होने वाले बाजरे जैसे मोटे अनाज ही हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि अपने पौष्टिक गुणों के कारण चमत्कारिक अनाज कहे जाने वाले बाजरे की खेती को यथासंभव प्रोत्साहन दिया जाय। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद अगले 100 दिन, 6 माह, दो साल और पांच साल के काम का लक्ष्य तय करने के लिए सेक्टरवार मंत्री परिषद के समक्ष प्रस्तुतिकरण लिया था। इसी क्रम में सामाजिक सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान उन्होंने निर्देश दिया था कि न्यूट्रीबेस्ड फूड बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद और वितरण की व्यवस्था की जाए। यह प्रमुख बाजरा उत्पादक 18 जिलों में हो भी रहा है। सीएम योगी के निर्देश पर अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष-2023 में बाजरा एवं ज्वार सहित लुप्तप्राय हो रही कोदो और सावां की फसल को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग ने कई योजनाएं तैयार की हैं। बाजरे की खेती के लिए किसानों को इसकी खूबियों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।

प्रसंस्करण की काफी संभावनाएं
बाजरे से चपातियां, ब्रेड, लड्डू, पास्ता, बिस्कुट, प्रोबायोटिक पेय पदार्थ बनाए जाते हैं। छिलका उतारने के बाद इसका प्रयोग चावल की तरह किया जा सकता है। इसके आटे को बेसन में मिलाकर इडली, डोसा, उत्पम, नूडल्स आदि बनाया जा सकता है।

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HR:दो किलोवाट तक के उपभोक्ताओं के 75 प्रतिशत तक कम हुए बिल

हरियाणा में बिजली की दरों में बढ़ोतरी पर विपक्ष द्वारा किए जा रहे हंगामे के बीच ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने मोर्चा संभाल लिया है। उनका कहना है कि विपक्ष लोगों का गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार ने कभी भी बिजली दरों में इजाफा नहीं किया। इस अवधि में बिजली उत्पादन की लागत लगातार बढ़ी है। ऐसे में हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग ने दरों में मामूली इजाफा किया है। सोमवार को चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में विज ने कहा कि भाजपा ने कभी भी मुफ्त बिजली देने का वादा नहीं किया। विपक्ष इस मामले में लोगों को भ्रमित कर रहा है। विपक्ष द्वारा किए जा रहे आंदोलन व प्रदर्शनों पर कटाक्ष करते हुए विज ने कहा – विपक्ष भाड़े के लोगों को लेकर प्रदर्शन करे। इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि 2 किलोवाट तक लोड वाले घरेलू उपभोक्ताओं के मासिक बिल में 2014-15 के मुकाबले 49 से 75 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसी तरह से कैटेगरी-।। के उपभोक्ताओं के बिलों में भी कमी दर्ज की है। विज ने साफतौर पर कहा कि प्रदेश में 94 लाभ उपभोक्ता कैटेगरी-। और कैटेगरी-।। में आते हैं। हरियाणा में घरेलू श्रेणी के लिए निश्चित शुल्क (फिक्स्ड चार्जेस) 0 रुपये से 75 रुपये प्रति किलोवाट तक और उच्चतम ऊर्जा स्लैब 7 रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट पर बनाए रखा है। पड़ोसी राज्यों में निश्चित शुल्क 110 रुपये प्रति किलोवाट तक और ऊर्जा शुल्क 8 रुपये प्रति यूनिट तक है। विज ने कहा कि संशोधित बिजली टैरिफ में सभी श्रेणियों के घरेलू उपभोक्ताओं के लिए न्यूनतम मासिक शुल्क (एमएमसी) को समाप्त किया है। किसानों को 10 पैसे प्रति यूनिट बिजली आपूर्ति विज ने कहा कि कृषि उपभोक्ताओं को पहले की तरह केवल 10 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली आपूर्ति हो रही है। यह टैरिफ मीटर्ड वाले उपभोक्ताओं के लिए है और 15 रुपये प्रति हॉर्स पावर के हिसाब से मासिक फ्लेट रेट तय किया हुआ है। किसानों को दी जा रही सस्ती बिजली की एवज में सरकार की ओर से बिजली कंपनियों को सब्सिडी (अनुदान) दिया जाता है। मीटर वाले कनेक्शन के लिए एमएमसी को घटाकर 180 रुपये (15 बीएचपी तक) और 144 रुपये (15 बीएचपी से ऊपर) कर दिया है।

HR:13 साल बाद होंगे स्टेट गेम्स, एचओए ने बनाई सर्च कमेटी

हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए अच्छी खबर है। लगभग 13 वर्षों के बाद प्रदेश में ‘स्टेट गेम्स’ होंगे। हरियाणा ओलंपिक संघ ने ये खेल करवाने का निर्णय लिया है। स्टेट गेम्स इसी साल होंगे। इससे पहले 2012 में आखिरी बार स्टेट गेम्स हुए थे। हालांकि समय और जगह अभी तय नहीं की है। इसके लिए संघ ने सर्च कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। वहीं फुटबाल खिलाड़ियों के लिए ट्रायल 2 व 3 जुलाई को पंचकूला स्थित ताऊ देवीलाल स्टेडियम में होंगे। ट्रायल के लिए फुटबाल की एडहॉक कमेटी का गठन किया है। सोमवार को पंचकूला स्थित हरियाणा ओलंपिक संघ कार्यालय में हुई सालाना जनरल बॉडी और मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में ये निर्णय लिए गए। ओलंपिक संघ के अध्यक्ष जसविंद्र सिंह कप्तान (मीनू बेनीवाल) की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में संघ के महासचिव व हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार भी मौजूद रहे। बैठक में खिलाड़ियों की समस्याओं, खेल परिसरों में सुधार सहित कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। साथ ही, यह तय किया गया कि मैनेजमेंट कमेटी (प्रबंधन समिति) की बैठक अब हर माह के पहले मंगलवार को होगी। बैठक में संघ कोषाध्यक्ष मनजीत सिंह, उपाध्यक्ष – मुकेश शर्मा विधायक, नीरज तंवर, सुनील मलिक, अनिल खत्री, जितेंद्र सिंह व राकेश सिंह तथा कार्यकारी सदस्य रोहित पुंडीर, सुरेखा व प्रिया मौजूद रहे। वहीं एजीएम में सभी 22 जिलों के ओलंपिक संघ सचिव, खेल विश्विविद्यालय, पुलिस खेल टीम, एचएसआईआईडीसी तथा बिजली निगमों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। फुटबाल के लिए बनाई गई एडहॉक कमेटी का अध्यक्ष नीरज तंवर को बनाया है। कमेटी में अनिल खत्री, रोहित पुंडीर, सुरेखा व प्रिया को बतौर सदस्य शामिल किया है। बैठक में संघ अध्यक्ष जसविंद्र सिंह कप्तान (मीनू बेनीवाल) ने कहा कि सभी फेडरेशन को खिलाड़ियों को तैयार करने पर विशेष फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ओलंपिक संघ 2036 के ओलंपिक खेलों की तैयारियों के हिसाब से काम कर रहा है। कैबिनेट मंत्री व महासचिव कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेलों को लेकर काफी गंभीर हैं। उन्होंने सभी सांसदों को भी निर्देश दिए हुए हैं कि वे खेलों के साथ जुड़ें ताकि अच्छे खिलाड़ी तैयार किए जा सकें। उन्होंने कहा कि सभी खेल फेडरेशन का फर्ज बनता है कि वे अच्छे खिलाड़ी तैयार करें ताकि देश व प्रदेश का नाम रोशन हो।

HR:बजट घोषणाओं को समय पर पूरा करने के निर्देश

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश में कहीं भी अनटैप्ड सीवरेज या औद्योगिक अपशिष्ट जल ड्रेन में प्रवाहित न हो, इसके लिए संबंधित विभागों द्वारा ऐसे सभी स्थानों की पहचान कर प्रभावी उपाय किए जाएं, ताकि गंदे पानी को ड्रेनों में गिरने से पूरी तरह रोका जा सके। प्रारंभिक चरण में अंबाला, कुरुक्षेत्र एवं यमुनानगर जिलों में इस दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए आगामी तीन माह के भीतर इन जिलों में उल्लेखनीय सुधार किया जाए। मुख्यमंत्री यहां बजट घोषणाओं की प्रगति के बारे में बुलाई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि बजट घोषणाओं में किए गए सभी वादों को समय पर पूरा किया जाए ताकि प्रदेशवासियों को जल्द से जल्द इनका लाभ मिल सके। अरावली क्षेत्र में बनने वाली जंगल सफारी की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां ऐसे जानवर रखें जाएं जो मानवता के लिए हानिकारक न हों। पर्यटन एवं विरासत विभाग की घोषणाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में तीज-त्योहार, मेले और उत्सवों पर जनभागीदारी बढ़ाने के लिए इस वर्ष बजट में 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पिंजौर के यादवेंद्र गार्डन की विरासत को संजोते हुए इसे और अधिक सुंदर बनाया जाए ताकि देशभर के पर्यटक यहां आकर आनंद ले सकें। बैठक में बताया गया कि केंद्र सरकार ने यादवेंद्र गार्डन और टिक्करताल, मोरनी के पुनर्विकास के लिए 90 करोड़ से अधिक की राशि मंजूर की है। इस अवसर पर मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अरुण कुमार गुप्ता, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।  

Haryana STF की सर्जिकल स्ट्राइक : 6 माह में 58 इनामी अपराधी, 101 गैंगस्टर और 178 जघन्य आरोपी गिरफ्तार

हरियाणा पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 2025 के पहले छह महीनों के दौरान संगठित अपराध के विरुद्ध कई महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। जनवरी से जून तक की अवधि में एसटीएफ ने 58 इनामी बदमाशों, 101 गैंगस्टरों या उनके सहयोगियों और 178 जघन्य अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये आंकड़े एसटीएफ की योजनाबद्ध कार्रवाई और खुफिया समन्वय को दर्शाते हैं। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शत्रुजीत कपूर के अनुसार, एसटीएफ ने इस दौरान राज्य और अंतरराज्यीय गैंग नेटवर्क को निशाना बनाकर कार्रवाई की है। उनका कहना है कि तकनीक, विश्लेषण और त्वरित एक्शन के समन्वय से अपराधियों के खिलाफ प्रभावी परिणाम सामने आए हैं। 2024 की तुलना में रणनीतिक पकड़ में सुधार 2024 की इसी अवधि की तुलना में 2025 में गैंगस्टरों की गिरफ्तारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2024 में जहां 29 गैंगस्टर पकड़े गए थे, वहीं 2025 में यह संख्या 101 रही। हालांकि, जघन्य अपराधों में गिरफ्तारियों की संख्या घटकर इस वर्ष 178 रही, जो पिछले वर्ष 227 थी। इनामी बदमाशों की संख्या भी 2024 में 100 थी, जबकि इस वर्ष 58 दर्ज की गई। अंतरराष्ट्रीय अपराधियों पर निगरानी एसटीएफ मुख्यालय में गठित RCN-LOC सेल ने केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से 10 अंतरराष्ट्रीय भगोड़ों का प्रत्यर्पण या निर्वासन सुनिश्चित किया है। यह कार्रवाई इंटरपोल नोटिस, लुकआउट सर्कुलर, पासपोर्ट निरस्तीकरण और अस्थायी गिरफ्तारी अनुरोधों के माध्यम से की गई। साइबर अपराध के मोर्चे पर सक्रियता एसटीएफ ने तकनीक-आधारित अपराधों से निपटने के लिए अपने अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया है। इसमें डार्क वेब विश्लेषण, सर्विलांस तकनीक और साइबर संकेतकों की पहचान जैसे विषय शामिल हैं। डीआरडीओ की संस्था CAIR से प्राप्त उपकरणों और प्रशिक्षण की मदद से टीम की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। संरचना और संसाधनों को मिली मजबूती पिछले दो वर्षों में एसटीएफ की संरचना को सुदृढ़ किया गया है। बल की संख्या में वृद्धि की गई है। दो नई इकाइयों की स्थापना हुई है। एक विश्लेषणात्मक विंग और एक वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) भी जोड़ी गई है। इसके अतिरिक्त, फील्ड यूनिटों को अत्याधुनिक हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और विशेष वाहनों से लैस किया गया है। साथ ही, ईगल (EAGLE) और DMS जैसे डेटा विश्लेषण सॉफ्टवेयर की सहायता से अपराधियों की निगरानी और ट्रैकिंग अब और अधिक सटीक हो गई है। एसटीएफ देश के लिए मॉडल बनेगी : डीजीपी डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने कहा कि एसटीएफ हरियाणा में संगठित अपराध के खिलाफ राज्य की प्रतिबद्धता का मजबूत उदाहरण बन चुकी है। उन्होंने कहा कि एसटीएफ ने न केवल अपराधियों की गिरफ्तारी की है, बल्कि गैंग नेटवर्क को रणनीतिक रूप से कमजोर किया है। तकनीक, विश्लेषण और त्वरित कार्रवाई के संयोजन ने एसटीएफ को बेहद असरदार बनाया है। उन्होंने बताया कि टीम को आधुनिक संसाधनों और साइबर प्रशिक्षण से लैस किया जा रहा है ताकि भविष्य में और बेहतर परिणाम सामने आएं। डीजीपी के अनुसार, “एसटीएफ अब केवल एक ऑपरेशन यूनिट नहीं, बल्कि एक विश्लेषण आधारित रणनीतिक बल के रूप में काम कर रही है। हमारा लक्ष्य है कि इसे देशभर में संगठित अपराध से निपटने के लिए मॉडल यूनिट के रूप में स्थापित किया जाए।”  

HR:विधायक और रेसलर विनेश फोगाट बनीं मां, दिल्ली में बेटे को दिया जन्म

ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने वाली अंतरराष्ट्रीय पहलवान और जुलाना से कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट मां बन गई हैं। मंगलवार सुबह 9 बजे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उन्होंने बेटे को जन्म दिया। ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी हुई और जच्चा-बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं। विनेश को सोमवार शाम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके ससुर राजपाल राठी ने बताया कि डॉक्टर्स ने बच्चा सही से ग्रोथ न कर पाने और बॉडी टाइट होने के चलते ऑपरेशन का निर्णय लिया। विनेश ने 6 मार्च 2025 को अपने मां बनने की खुशी सोशल मीडिया पर साझा की थी। उन्होंने पति सोमबीर राठी के साथ फोटो पोस्ट करते हुए लिखा था — ‘ऑवर लव स्टोरी कंटिन्यूज़ विद न्यू चैप्टर…’ साथ में एक नन्हे बेबी के फुटप्रिंट और लव इमोजी भी जोड़े गए थे।

PB:विधायक का महिलाओं ने किया विरोध

संगरूर के बालद कोठी में पहुंची हलका विधायक नरिंदर कौर भराज को आज वहां मौजूद महिलाओं के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा और महिलाओं ने विधायक से सवाल पूछने शुरू कर दिए। वहां मौजूद महिलाएं भड़क उठीं और उन्होंने वहां फैली गंदगी के बारे में बीबा भराज से सवाल किए। इसी दौरान जब विधायक बिना जवाब दिए जाने लगीं तो उक्त महिलाओं ने उन्हें रोककर सवाल पूछे। विधायक ने उन्हें चुप कराने का प्रयास किया, लेकिन वह बालद कोठी के हालातों से अवगत कराते हुए विधायक के सामने ही बड़े गुस्से के साथ ऊंची आवाज में बोलने लगीं। इस दौरान वहां मौजूद नेताओं ने महिलाओं को शांत करने का प्रयास किया। यहां उल्लेखनीय है कि इस कोठी के हालात पिछले काफी समय से बद से बदतर होते जा रहे थे और यहां रहने वाले लोग गंदगी में रहने को मजबूर थे। अपने बचाव के लिए विधायक ने कहा कि बालद कैंचियां में गंदे पानी की समस्या से लोगों को राहत मिलेगी, क्योंकि नगर कौंसिल भवानीगढ़ ने इन कैंचियों के नजदीक घरों के इस्तेमाल किए गए पानी को शहर के सीवरेज से जोड़ने के लिए करीब 65 लाख रुपए का एस्टीमेट पास किया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस एस्टीमेट को मंजूरी मिलते ही अगली कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। इस रिहायशी इलाके का सीवरेज सड़कों पर आ जाता है और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।