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Yogi Govt to provide electricity connection to all in UP

Lucknow, April 21

In a significant move to combat electricity theft, the Yogi government in Uttar Pradesh has taken steps to identify those using electricity without a connection, ensuring every household in the state has a proper supply of electricity.

It is worth noting that Uttar Pradesh Power Corporation Ltd. has a total of 3.27 crore electricity consumers throughout its five distribution corporations. The total number of connections for domestic use is 2.88 crore. Compared to the total number of households in Uttar Pradesh, the total number of domestic electricity connections is lower. As a result, the government has taken this decision.

Also, all families currently consuming electricity but have not taken a connection will be issued a connection in accordance with the guidelines.

Those who use electricity without connection will be identified

To make this campaign successful, UPPCL Chairman M Devraj has issued an order to identify and mark all the families left out of having electricity connections. Various sources such as the family register in the Gram Panchayat, details of premises collecting house tax/water tax in urban areas, and details of the ration card can be useful in identifying households without valid electricity connections.

Help will be taken from students, self-help groups and Vidyut Sakhis

Based on the information received, the government has also given instructions to conduct a detailed survey.

At the district level, a meeting of the principals is held under the chairmanship of the District Magistrate to include students from Inter College, ITI, Polytechnic, and Higher Education Institutes located in the district for the survey and allotting the area to groups of students, identifying the interested students. With this, a survey of the area will be done. Information will be gathered from then in the prescribed format.

Apart from this, many self-help groups and Vidyut Sakhi work in rural areas through the State Livelihood Mission. Self-help groups / Vidyut Sakhis will be encouraged to conduct the stated survey in their area by organizing a meeting at the district level under the chairmanship of the District Magistrate. In addition, employees of billing agencies will also participate in it. The contract with the agency also has this provision under the scope of work, which states that the agency will search and locate non-consumers using electricity.

Students and self-help groups / Vidyut Sakhis will be provided Rs 100 as an incentive for every new connection after the survey and this payment will be made weekly by the concerned executive engineer to the concerned. Apart from the cash amount, certificates/citations will also be given by the Executive Engineer to the individuals/groups who have done good work. No separate incentive will be paid to the personnel of the billing agency for doing the survey work.

Application will be done online only

According to the order, all the connections will be issued only by installing meters, and it will be the responsibility of the Junior Engineer to get such connections registered by the end of the week. All applications will be submitted online. If the applicant has difficulty applying online, it will be resolved by the Junior Engineer/Assistant Engineer/Executive Engineer. Applicants against whom arrears are pending in theft cases, or FIR has been registered in the past will be given connection after obtaining a declaration on plain paper.

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UP: स्वच्छ महाकुंभ,अमृत स्नान के बाद सफाई अभियान शुरू

महाकुम्भ नगर। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व और मकर संक्रांति के अमृत स्नान के बाद महाकुम्भ क्षेत्र को स्वच्छ करने के लिए बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान शुरू कर दिया गया है। घाटों पर गंदगी को तेजी से साफ किया जा रहा है। सफाई कर्मी लगातार घाटों पर तैनात हैं और हर प्रकार की गंदगी को हटाने का कार्य जारी है। वहीं, शौचालयों में भी स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार ने इस बार महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया है। इसी क्रम में इस बार स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया है। विगत 2 दिनों में महाकुम्भ में 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया है, जिसके बाद मेला प्रशासन ने स्वच्छता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। जगह-जगह फैली गंदगी को हटाने में जुटा प्रशासन मेला क्षेत्र में बचे कचरे को हटाने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है। श्रद्धालुओं द्वारा छोड़ी गई सामग्रियों को एकत्र कर उचित स्थान पर निस्तारित किया जा रहा है। एकत्रित कचरे को काले लाइनर बैग में जमा कर निस्तारित किए जाने की योजना पर तेजी से कार्य चल रहा है। शौचालयों की सफाई पर विशेष अभियान मेले के दौरान उपयोग किए गए शौचालयों की सफाई बड़े स्तर पर हो रहीहै। स्वच्छता कर्मचारियों की अतिरिक्त टीमों को इस कार्य में लगाया गया है। पार्किंग से लेकर घाटों तक स्थापित किए गए शौचालयों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विगत दो दिनों में बड़ी संख्या में इन शौचालयों का उपयोग किया गया है, जिसके बाद इन्हें फिर से उपयोग में लाए जाने के लिए की आवश्यकता को देखते हुए मेला प्रशासन ने उचित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। श्रद्धालुओं से भी स्वच्छता की अपील प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मेला क्षेत्र में गंदगी न फैलाएं। उचित स्थानों पर कचरा डालें और स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग करें। घाटों पर स्थापित पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लगातार श्रद्धालुओं से यह अपील की जा रही है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी प्रशासन की अपील पर सहयोग करते हुए कचरे को घरों पर स्थापित डस्टबिन में ले जाकर डाल रहे हैं।

महाकुम्भ 2025 के पहले अमृत स्नान मकर संक्रांति के पावन अवसर पर नागा श्रद्धालुओं ने खींचा ध्यान

महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 के प्रथम अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। त्रिवेणी तट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो कभी भाले और तलवारें लहराते हुए, इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। लाठियां भांजते और अठखेलियां करते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन कर रहे थे। घोड़ों पर और पैदल निकली शोभा यात्रा अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार थे तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए थे। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुम्भ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया। स्व-अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था, लेकिन वो अपने अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए आगे बढ़े। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव है। नृत्य, नगाड़े और उत्साह शोभायात्रा के दौरान मीडिया ही नहीं, बल्कि आम श्रद्धालुओं के मोबाइल के कैमरे भी नागा साधुओं को कैप्चर करने के लिए हवा में लहरा रहे थे। नागा भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे, बल्कि वो अपने हाव भाव से उन्हें आमंत्रित कर रहे थे। कुछ नागा तो आंखों में काला चश्मा लगाकर आम लोगों से इंटरैक्ट भी कर पा रहे थे। उनकी इस स्टाइल को हर कोई कैद कर लेना चाहता था। यही नहीं, नागा साधु नगाड़ों की ताल पर नृत्य करते हुए अपनी परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी जोश और उत्साह से भरपूर गतिविधियों ने श्रद्धालुओं के बीच अपार उत्साह पैदा किया। जितने उत्साहित नागा साधु थे, उतने ही श्रद्धालु भी उनकी हर गतिविधि को देख मंत्रमुग्ध हो गए। स्नान के दौरान भी मस्ती स्नान के दौरान भी नागा साधुओं का अंदाज निराला था। त्रिवेणी संगम में उन्होंने पूरे जोश के साथ प्रवेश किया और बर्फ के समान पानी के साथ ऐसे अठखेलियां कीं जैसे वो गुनगुने पानी में उतरे हों। इस दौरान सभी नागा आपस में मस्ती करते नजर आए। इस दौरान उन्होंने मीडिया के साथ भी अठखेलियां कीं और कैमरामैन पर पानी छिड़क दिया। महिला नागा संन्यासी भी जुटीं पुरुष नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। पुरुष नागाओं की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारत करती हैं उसमें भी ये बिना सिलाया वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें भी परिवार से अलग होना पड़ता है। खुद के साथ परिवार के लोगों का पिंड दान करना होता है तब जाकर महिला नागा संन्यासी बन पाती हैं। जब एक बार महिला नागा संन्यासी बन जाती हैं तो उनका लक्ष्य धर्म की रक्षा, सनातन की रक्षा करना होता है। इस महाकुम्भ में हर कोई इनके बारे में जानने को उत्सुक नजर आ रहा है। श्रद्धालुओं के लिए संदेश नागा साधुओं ने अपने व्यवहार और प्रदर्शन से यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मनुष्य के आत्मिक और प्राकृतिक मिलन का उत्सव है। उनकी हर गतिविधि में महाकुम्भ की पवित्रता और उल्लास का अद्वितीय अनुभव झलक रहा था। महाकुम्भ 2025 का यह आयोजन नागा साधुओं की विशिष्ट गतिविधियों और उनकी परंपराओं के कारण लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

UP:मकर संक्रांति पर महाकुम्भ में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, तड़के करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई अमृत डुबकी

महाकुम्भ नगर। तीर्थराज प्रयागराज में जब उजाले की एक किरण तक नहीं निकली थी, हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच मकर संक्रांति के पावन पर्व पर महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अमृत स्नान के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पहुंचे। पवित्र स्नान का यह दृश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को दर्शाता नजर आ रहा था। ब्रह्म मुहूर्त में ही लोगों ने पतित पावनी गंगा और संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाकर सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की। नागा साधुओं की भव्य शोभायात्रा देखने उमड़े श्रद्धालु पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ अपने शाही स्वरूप में अमृत स्नान किया। साधु-संत घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा में शामिल हुए, जिससे पूरे क्षेत्र में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो गया। उनके साथ चल रही भजन मंडलियों और श्रद्धालुओं के जयघोष ने माहौल को और दिव्य बना दिया। सिर पर गठरी, बगल में झोला लेकर आधी रात से ही गंगा की तरफ दौड़ रहे थे श्रद्धालु नागवासुकी मंदिर और संगम क्षेत्र में तड़के से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। बुजुर्ग, महिलाएं और युवा, सभी अपने सिर पर गठरी लादे आस्था से भरे हुए संगम की ओर बढ़ते दिखे। स्नान के लिए श्रद्धा ऐसी थी कि लोग रात से ही गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाना शुरू कर चुके थे। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध, घुड़सवार पुलिस ने किया मार्च महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए। हर मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाकर वाहनों की गहन जांच की गई। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती से पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा। डीआईजी कुम्भ मेला वैभव कृष्ण, एसएसपी राजेश द्विवेदी समेत पुलिस टीम ने घोड़े के साथ मेला क्षेत्र में पैदल मार्च किया और अमृत स्नान जा रहे अखाड़ा साधुओं का मार्ग प्रशस्त किया। घाटों पर गूंजे हर हर महादेव और जय श्री राम के जयघोष 12 किलोमीटर क्षेत्र में फैले स्नान घाटों पर हर हर महादेव और जय श्री राम के जयघोष सुनाई दिए। साधुओं के अमृत स्नान के साथ ही आम श्रद्धालुओं ने भी अपनी आस्था की डुबकी लगाई। संगम के आसपास गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ चारों ओर से देखी गई। इस दौरान सभी ने हर हर महादेव और जय श्री राम के नारों से संगम क्षेत्र को गुंजायमान कर दिया।

UP:पौष पूर्णिमा स्नान पर्व से प्रयागराज महाकुम्भ का शंखनाद , सनातन की एकता से मिला महाकुम्भ को विस्तार

महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के पावन तट पर महाकुम्भ की शुरुआत भारत की सनातन परंपरा का उद्घोष और विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम का शंखनाद है। इसके अंदर अंतर्निहित है अनेकता में एकता का वह संदेश जो महान भारतीय संस्कृति का मूल है। महाकुम्भ एक धार्मिक आयोजन का पर्व मात्र नहीं है। आस्था और अध्यात्म के इस महापर्व में शैव , वैष्णव और उदासीन भक्ति धाराओं का मेल होता है। महाकुम्भ में शैव परंपरा के अंतर्गत आने वाले सात अखाड़े , वैष्णव परम्परा का अनुगमन करने वाले तीन अखाड़ों के साथ उदासीन सम्प्रदाय की विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन और नया उदासीन अखाड़ा निर्वाण का संगम होता है। इसी तरह श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की सहजता और सेवाभाव के गुरुओं की वाणी यहां सभी अखाड़ों को साथ लेकर विभिन्नता में एकता का संदेश देती है। एकता के महाकुम्भ का भाव भी इसी में सम्मिलित है। कल्पवास की परम्परा में मिटी असमानता और जातिगत भेदभाव प्रयागराज महाकुंभ में वैसे 144 वर्ष बाद विशिष्ट खगोलीय संयोग बन रहा है जिसके चलते ग्रहों और नक्षत्रों के जानकार इसे अपने दृष्टिकोण से देखते हैं। सिद्ध महामृत्युंजय संस्थान के पीठाधीश्वर स्वामी सहजानंद सरस्वती जी बताते हैं कि महाकुम्भ एक खगोलीय घटना मात्र नहीं है। वसुधैव कुटुंबकम् का विचार लेकर सबको अपने में समाहित कर लेने वाले सनातन के इस महापर्व में जातीय भेदभाव, छुआछूत, ऊंच-नीच सब अप्रासंगिक हो जाते हैं। सभी जाति से जुड़े अमीर गरीब एक साथ मिलकर यहां पुण्य की डुबकी लगाते हैं। पौष पूर्णिमा से शुरू हुए प्रयागराज महाकुम्भ के साथ यहां कल्पवास की भी शुरुआत हुई है। महाकुम्भ में एक महीने तक तंबुओं में रहकर संयम और त्याग की साधना करने वाले कल्पवासी सभी जातियों से आते हैं। सभी तरह का ऊंच नीच का भेदभाव यहां नहीं दिखता। सब साथ में गंगा स्नान कर सामूहिक कीर्तन भजन में शामिल होते हैं। जातीय , वर्गीय एकता और समन्वय का यह विचार ही महाकुम्भ को एकता के महाकुम्भ के रूप में स्थापित करता है। व्यक्ति नहीं समष्टि को साथ लेकर चलने का संकल्प है महाकुम्भ पौष पूर्णिमा के साथ शुरू हुए प्रयागराज महाकुम्भ में सबको साथ लेकर चलने का संकल्प दिखता है। महाकुम्भ में तंबुओं में एक महीने तक रहकर संयम और त्याग के साथ जप, तप और साधना करने वाले कल्पवासियों की संख्या 7 लाख से अधिक है जो उस ग्राम्य संस्कृति का हिस्सा है जो कृषि प्रधान भारत का प्रतिनिधित्व करता है। इसी महाकुम्भ में डोम सिटी और निजी टेंट सिटी में रहकर पुण्य की डुबकी लगाने आने वाला अभिजात्य वर्ग भी है। लेकिन सभी पुण्य अर्जित अर्जित करने का भाव लेकर आए हैं। इस संकल्प में भी एकता और समन्वय को भी स्थान दिया गया है जो महाकुम्भ में ही संभव लगता है। हर शिविर, आयोजन में विश्व कल्याण और प्राणियों की सद्भावना का उद्घोष महाकुम्भ सनातन का पर्व और गर्व है। वह सनातन संस्कृति जो वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा पर टिकी है। उसी की प्रेरणा से महाकुम्भ में अखाड़ों, साधु संतों और संस्थाओं के आयोजन में भी केंद्र में व्यक्ति नहीं समष्टि है, समस्त मानवता है। श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी कहते हैं कि महाकुम्भ में स्थापित हर शिविर और आयोजन में हर पूजा-प्रार्थना में ‘विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो ‘ का उदघोष और सामाजिक सरोकारों की चिंता है । पहली बार अखाड़ों ने जिस तरह से पर्यावरण प्रदूषण की चिंता को अपनी बैठकों और छावनी प्रवेश यात्रा में स्थान दिया गया वह इसी का संकेत है।

UP:Ganga Sevadoots ensure cleanliness of rivers & ghats during bathing fest at Mahakumbh

Mahakumbh Nagar: On the first day of Mahakumbh, a total of 2,000 Ganga Sevadoots were deployed across the Ghats to ensure safety, convenience, and cleanliness during the Paush Purnima bathing festival. As devotees offered flowers during worship, the Sevadoots promptly collected and disposed them of to maintain the purity of the river and the ghats. Ganga Sevadoots were stationed at ghats across all sectors to maintain the cleanliness of the Ganga and Yamuna. These dedicated individuals, trained by the fair administration, carried out their responsibilities diligently, ensuring the rivers remained clean and sacred for the devotees. In addition, Scout and Guide boys and girls actively contributed to the effort, working voluntarily on the Ghats. Arif, a Scout and Guide from Sonbhadra, shared that his team, along with Scouts and Guides from Mirzapur and Varanasi, has been assisting since January 9. 91 Scouts and Guides are engaged, with 10,200 expected to serve over the next 45 days. The administration has arranged for their stay and meals in Sector 6. To further ensure cleanliness, a large contingent of policemen has been deployed. Their role is to ensure that devotees do not linger on the Ghats after bathing, encouraging those who have completed their rituals to vacate the area for others. The police remained actively involved throughout the day to maintain the smooth flow of devotees.

महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर सोशल मीडिया पर छाया एकता का महाकुम्भ हैशटैग

महाकुम्भ नगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीर्थराज प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुम्भ को एकता का महाकुम्भ करार दिया है। पीएम मोदी और सीएम योगी के इस कथन को सोशल मीडिया में भी खूब सराहा जा रहा है। सोमवार को महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एकता का महाकुम्भ हैशटैग टॉप ट्रेंड में शुमार हो गया। सोमवार की सुबह से ही लोगों ने एक्स पर #एकता_का_महाकुम्भ को लेकर अपने विचार प्रकट करने शुरू कर दिए और देखते ही देखते पहले यह हैशटैग टॉप ट्रेंड्स में शुमार हुआ और दोपहर को नंबर वन पर ट्रेंड करने लगा। दिन भर टॉप ट्रेंड्स में शुमार रहा #एकता_का_महाकुम्भ पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ शुरू हुए महाकुम्भ को लेकर सुबह से ही सोशल मीडिया पर चर्चाएं शुरू हो गई थीं। बड़ी संख्या में यूजर्स महाकुम्भ के वीडियोज, फोटोज और सूचनाएं अन्य लोगों तक पहुंचा रहे थे। यूजर्स कई हैशटैग के जरिए महाकुम्भ पर चर्चा कर रहे थे, जिसमें #एकता_का_महाकुम्भ भी एक था। हालांकि, देखते ही देखते यह हैशटैग सबकी पसंद बन गया और शाम साढ़े तीन बजे तक करीब 70 हजार यूजर्स ने इस हैशटैग का उपयोग करते हुए महाकुम्भ में भारी भीड़, संगम स्नान और सनातन आस्था को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रतिक्रिया देने वालों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सम्मिलित रहे। सीएम योगी द्वारा हैशटैग का उपयोग करने के बाद इस पर प्रतिक्रिया देने वालों की बाढ़ आ गई और देखते ही देखते यह हैशटैग नंबर वन पर पहुंच गया। बड़े नेताओं और संस्थानों ने भी किया हैशटैग का उपयोग अमेठी की पूर्व सांसद और भाजपा की नेता स्मृति ईरानी, भारत सरकार के हैंडल MyGovIndia,नमामि गंगे, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, संदीप सिंह समेत प्रमुख लोगो और संस्थाओं की ओर से भी इस हैशटैग का उपयोग किया गया। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी और सीएम योगी ने इस महाकुम्भ को एकता का महाकुम्भ कहा था। सीएम योगी ने हाल ही में पत्रकार वार्ता में कहा था कि जो लोग सनातन आस्था का सम्मान नहीं करते हैं, उन्हें महाकुम्भ में आकर देखना चाहिए कि यहां पंत, जाति और संप्रदाय का कोई भेदभाव नहीं है। यहां सब एक हैं और सब सनातन हैं। कई और हैशटैग भी हुए ट्रेंड्स में शुमार #एकता_का_महाकुम्भ के साथ ही महाकुम्भ को लेकर पूरे दिन कई और भी हैशटैग वायरल होते रहे। इनमें #MahaKumbh2025, #पौष पूर्णिमा, #पवित्र संगम, #प्रथम अमृत और #संगम जैसे हैशटैग शामिल रहे। इन सभी हैशटैग के माध्यम से सोशल मीडिया यूजर्स ने महाकुम्भ को लेकर अपनी श्रद्धा का भाव प्रकट किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई व शुभकामनाएं दीं, जिन्होंने इस महाकुम्भ को भव्य और दिव्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।