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डेन्टो केयर में तम्बाकू के खिलाफ जागरूकता कार्यशाला का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ

उत्तर प्रदेश | डेन्टो केयर में तम्बाकू के खिलाफ जागरूकता कार्यशाला सम्पन्न हुई। इस कार्यक्रम में डेन्टो केयर के डॉक्टर्स प्रो. डॉ. गौरी मिश्रा व डॉ. अभिनव मिश्रा ने बताया कि, तम्बाकू किसी भी रुप में हानिकारक है, चाहे वो धूम्रपान से हो या बिना धूम्रपान से (सिगरेट, बीड़ि, चबाने वाला तम्बाकू आदि) हर बार सिगरेट के सेवन से जीवन छोटा होता जाता है। अगर आप तम्बाकू का प्रयोग करते है तो आपकी ओरल कैविटी क्षतिग्रस्त हो सकती है। मुंह के अन्दर किसी भी प्रकार से रंग का बदलना जैसे सफेद, लाल, भूरे धब्बे आदि दिखे तो तुरन्त डेन्टिस्ट से सम्पर्क करें। खाने में दिक्कत, मुंह कम खुलना, मुंह में जलन, छाले यह सब कैंसर के लक्षण हो सकते है।

मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण तम्बाकू है। सरकार द्वारा काफी प्रयासों के व तम्बाकू बेचने के कड़े नियमों के बाद भी इस पर काबू पाना मुश्किल है। इस कार्यशाला में करीब 50 दंत चिकित्सक विद्यार्थी एवं कैंसर पीड़ित मरीज़ और उनके परिजन शामिल रहे। प्रो. डॉ. गौरी मिश्रा को करीब 20 वर्षाें से मुंह कैंसर सम्बन्धित कार्याें का अनुभव है। पिछले 15 वर्षों से वह डॉ अभिनव मिश्रा के साथ समय-समय पर इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन करती रहती है। डॉ अभिनव मिश्रा ने बताया कि हमारी कोशिश रहती है कि तम्बाकू से होने वाली सभी बीमारियों को शुरुआती समय पर पकड़ लिया जाये एवं इलाज द्वारा उसे कैंसर में बदलने से रोका जा सके। यह कोशिश डेन्टो केयर के सभी डॉक्टर्स व स्टाफ की रहती है।

प्रो. डॉ. गौरी मिश्रा ने बताया कि, जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें से कुछ सूंघने और स्वाद महसूस करने की क्षमता भी खो देते हैं, उनके पास व्यायाम और खेल के लिए भी स्टेमिना नहीं रहता है और उनसे बदबू भी आ सकती हैं। लंबे समय तक धूम्रपान करने के बाद, लोगों को लगता है कि उनकी त्वचा तेजी से बूढ़ी हो रही है और तंबाकू चबाने से उनके दांत विकृत हो जाते हैं या भूरे रंग के हो जाते हैं। प्रारम्भिक निदान और समय पर उपचार जीवन बचा सकता है। अगर सही समय पर इसकी पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाये, तो कैंसर सिर्फ काबू मंे ही नही बल्कि कई मामलों में पूरी तरह ठीक भी हो सकता है।

प्रो. डॉ. गौरी मिश्रा ने बताया कि तंबाकू पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है रसायनों, जहरीले कचरे, सिगरेट बट्स के साथ, जिसमें माइक्रोप्लास्टिक और ई-सिगरेट का कचरा शामिल है। ‘‘इसके पर्यावर्णीय नुकसान होते है।’’

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