लखनऊ | पीडब्ल्यूडी विभाग में 200 इंजीनियर अब साहब से जूनियर इंजीनियर बन जाएंगे। दरअसल, पीडब्ल्यूडी विभाग के 200 इंजीनियरों को डिमोट करने के आदेश हुए हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग में कई इंजीनियर वर्ष 2010 में नियम विरुद्ध प्रमोशन प्राप्त किए थे, इनको सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता पर प्रमोशन मिला था। डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने इस पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने 13 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नति के परिप्रेक्ष्य में डिग्री-डिप्लोमा विवाद हेतु योजित 40 रिट याचिका के बंच की सुनवाई के लिए बनी विशेष बेंच में लगभग एक माह नियमित सुनवाई हुई। उसके बाद फैसला डिप्लोमा इंजीनियर संघ के पक्ष में आया।
उच्च न्यायालय द्वारा डिप्लोमा इंजीनियर संघ की सभी रिट याचिकाओ को एलाऊ कर दिया गया है। शासन एवं विभाग द्वारा सहायक अभियंता पद पर दिनांक 2 अगस्त 2008 को की गई 95 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को निरस्त कर दिया गया है। वर्तमान में अधिशासी अभियंता पद पर पदोन्नति प्राप्त कर चुके सभी पदावनत होंगे। इसी प्रकार सहायक अभियंता पद पर 3 जुलाई 2009 को की गई 27 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को भी निरस्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त 5 फरवरी 2010 को 78 पदों पर की गई डीपीसी को भी निरस्त कर दिया गया है।
कोर्ट के इस आदेश के लागू होने पर पीडब्ल्यूडी विभाग में इन 200 इंजीनियरों में कई इंजीनियर ऐसे हैं जो जिलों में अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं। यानी कि कई इंजीनियर जिलों की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग की संभाल रहे हैं। अब यह सभी डिमोट हो कर जूनियर इंजीनियर हो जाएंगे। डिप्लोमा इंजीनियर संघ के अध्यक्ष एनडी द्विवेदी ने बताया कि डिप्लोमा होल्डर की जगह नियम विरुद्ध डिग्री होल्डर का प्रमोशन कर दिया गया था। जिसका हमने विरोध किया और यहां लंबी लड़ाई चली। डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने इस लड़ाई को हाईकोर्ट से लगाकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा, जिसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए निर्देश दिया है कि इन सभी दो सौ इंजीनियर को डिमोट किया जाए। अभी संबंध में शासन को भी हमारे साथ न्याय करना चाहिए और कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच में सुनवाई जारी थी, जिसने अपना फैसला हमारे पक्ष में दिया है।