दुमका।अगर मन में लगन और दृढ़ संकल्प हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता है।उपराजधानी दुमका के श्रीराम पाड़ा की रहनेवाली नाज परवीन ने साबित कर दिया है कि पंख से नहीं बल्कि हौसलों से उड़ान होती है। उसके पति प्राइवेट बिजली मिस्त्री और वह स्वयं एसपी कॉलेज दुमका में दैनिक वेतन भोगी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी है। एक छोटे से घर में रहनेवाली नाज ने जब बड़ा सपना देखा तो उसमें उसके पति ने भी उसका खुब साथ दिया।वह पढ़ना चाहती थी तो उसे पीजी तक की पढ़ाई की खुली छूट दी। एक समय ऐसा भी आया जब उसने हालातबस पोषण सखी पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन पति ने उसे आगे की पढ़ाई करने की सलाह दी। पति की आशाओं पर खरा उतरते हुए नाज परवीन ने 2017 में जहां नेट 2017 की परीक्षा में सफलता हासिल की थी वहीं अब उसने पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली है।उसका विषय है ‘‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड क्षेत्र की महिलाओं का योगदान’’. उनके गाइड रहे हैं एसपी कॉलेज के इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ संजीव कुमार, नाज फिलहाल एसकेएमयू में दैनिक वेतन भत्ते पर एक कर्मचारी के रूप में काम कर रही हैं,लेकिन उसका सपना है कि वह प्रोफेसर के रूप में कॉलेज के छात्र छात्राओं को पढ़ाएं।
नाज के पति दुमका शहर के श्रीरामपाड़ा निवासी मो. सलाम उर्फ लीली मिस्त्री अपने जानने वालों को अपनी पत्नी के उस पीएचडी सर्टिफिकेट को दिखाते हैं, जिसे दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ने जारी किया है। इस सर्टिफिकेट में लिली के लिए खुशी और मलाल दोनों का समिश्रण है, क्योंकि वह अंग्रेजी में दिए गए अपनी पत्नी के इस सर्टिफिकेट को पढ़ नहीं सकता। लिली ने सिर्फ तीसरी कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त की है।लिली एक बिजली मिस्त्री हैं, जो जनरेटर, मोटर, पंखा, पंपसेट आदि की मरम्मत कर अपने परिवार चलाते हैं।लिली कहते हैं कि 25 साल पहले जब उनकी शादी नाज परवीन से हुई थी तब वह कक्षा नौ तक पढ़ी थी। फिर हम लोगों से यह तय किया कि पत्नी को उच्च शिक्षा दिलानी है। नाज परवीन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और लिली ने घर की जरूरतों के साथ अपनी पत्नी को आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। नाज ने माध्यमिक स्तर की शिक्षा शिकारीपाड़ा के सरकारी स्कूल से पूरा की है। नाज ने कहा कि गरीबी के बावजूद उसने ठान लिया है कि उसे आगे पढ़ाई करना है और दुनिया को कुछ बन कर दिखाना है। एसपी कॉलेज दुमका से वर्ष 2012-13 में इतिहास विषय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2017 में उसने नेट क्वालिफाई किया और फिर पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया।अब वह डॉक्टर नाज परवीन बन गयी है।
डॉ नाज परवीन की कहानी प्रेरणा स्रोत है वैसे छात्रों के लिए जो आर्थिक तंगी को पढ़ाई में बाधक मानते हैं। डॉ नाज ने साबित किया है कि अगर दिल मे लगन हो तो लाख मुसीबतों का बाबजूद सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी।तभी तो आज डॉ नाज पर सभी नाज कर रहे हैं।दुमका में आम लोगो में इस बात की चर्चा हो रही है।वास्तव में नाज प्रवीन ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर इतिहास रचने का काम किया है।वह दुमका के लोगो के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई है।