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MP News:केंद्रीय सड़क मंत्री गड़करी ने मध्य प्रदेश में निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की समीक्षा बैठक ली

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को नई दिल्ली में बैठक लेकर मध्यप्रदेश में 100 करोड़ से अधिक लागत वाली सभी निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की समीक्षा की। लोक निर्माण मंत्री मध्यप्रदेश श्री राकेश सिंह भी उपस्थित रहे।

लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में किए जा रहे निर्माण कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने अमृत सरोवरों की तर्ज पर राज्य में तैयार किए जा रहे लोक निर्माण सरोवरों की भी जानकारी साझा की।

बैठक में केंद्रीय मंत्री श्री गडकरी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के म.प्र. में 18 हजार करोड़ रूपये की लागत के 28 प्रोजेक्ट्स की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के 4 हजार करोड़ रूपये के 10 प्रोजेक्ट्स की प्रगति की भी समीक्षा की।

बैठक में परियोजनाओं की प्रगति, निर्माण कार्यों में आने वाली बाधाएं, विलंब, भूमि अधिग्रहण एवं वन अनुमतियों जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी ने परियोजनाओं में निर्माण के दौरान होने वाले परिवर्तनों के लिए डीपीआर कंसल्टेंट्स की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश भी दिए।

सड़क निर्माण के दौरान काटे जाने वाले वृक्षों को शिफ्ट करने की संभावनाओं पर जोर देते हुए केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी ने मध्यप्रदेश को रोड साइड ट्री-प्लांटेशन पॉलिसी तैयार करने का सुझाव दिया। इसमें राजमार्ग मंत्रालय से हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया गया। उन्होंने कहा कि यह समीक्षा बैठक मध्यप्रदेश में बुनियादी ढांचे के विकास को गति देने और परिवहन सुविधाओं को और अधिक सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

उज्जैन में रोप-वे के लिए हुआ समझौता

रोपवे के लिए नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी और मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के बीच समझौता हुआ। पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी और मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के बीच उज्जैन और सागर नगरों में रोपवे बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। इस अवसर पर नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी की ओर से मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रकाश गौड़ और मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम की ओर से प्रबंध संचालक श्री अविनाश लवानिया ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।

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UP:पौष पूर्णिमा स्नान पर्व से प्रयागराज महाकुम्भ का शंखनाद , सनातन की एकता से मिला महाकुम्भ को विस्तार

महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के पावन तट पर महाकुम्भ की शुरुआत भारत की सनातन परंपरा का उद्घोष और विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम का शंखनाद है। इसके अंदर अंतर्निहित है अनेकता में एकता का वह संदेश जो महान भारतीय संस्कृति का मूल है। महाकुम्भ एक धार्मिक आयोजन का पर्व मात्र नहीं है। आस्था और अध्यात्म के इस महापर्व में शैव , वैष्णव और उदासीन भक्ति धाराओं का मेल होता है। महाकुम्भ में शैव परंपरा के अंतर्गत आने वाले सात अखाड़े , वैष्णव परम्परा का अनुगमन करने वाले तीन अखाड़ों के साथ उदासीन सम्प्रदाय की विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन और नया उदासीन अखाड़ा निर्वाण का संगम होता है। इसी तरह श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की सहजता और सेवाभाव के गुरुओं की वाणी यहां सभी अखाड़ों को साथ लेकर विभिन्नता में एकता का संदेश देती है। एकता के महाकुम्भ का भाव भी इसी में सम्मिलित है। कल्पवास की परम्परा में मिटी असमानता और जातिगत भेदभाव प्रयागराज महाकुंभ में वैसे 144 वर्ष बाद विशिष्ट खगोलीय संयोग बन रहा है जिसके चलते ग्रहों और नक्षत्रों के जानकार इसे अपने दृष्टिकोण से देखते हैं। सिद्ध महामृत्युंजय संस्थान के पीठाधीश्वर स्वामी सहजानंद सरस्वती जी बताते हैं कि महाकुम्भ एक खगोलीय घटना मात्र नहीं है। वसुधैव कुटुंबकम् का विचार लेकर सबको अपने में समाहित कर लेने वाले सनातन के इस महापर्व में जातीय भेदभाव, छुआछूत, ऊंच-नीच सब अप्रासंगिक हो जाते हैं। सभी जाति से जुड़े अमीर गरीब एक साथ मिलकर यहां पुण्य की डुबकी लगाते हैं। पौष पूर्णिमा से शुरू हुए प्रयागराज महाकुम्भ के साथ यहां कल्पवास की भी शुरुआत हुई है। महाकुम्भ में एक महीने तक तंबुओं में रहकर संयम और त्याग की साधना करने वाले कल्पवासी सभी जातियों से आते हैं। सभी तरह का ऊंच नीच का भेदभाव यहां नहीं दिखता। सब साथ में गंगा स्नान कर सामूहिक कीर्तन भजन में शामिल होते हैं। जातीय , वर्गीय एकता और समन्वय का यह विचार ही महाकुम्भ को एकता के महाकुम्भ के रूप में स्थापित करता है। व्यक्ति नहीं समष्टि को साथ लेकर चलने का संकल्प है महाकुम्भ पौष पूर्णिमा के साथ शुरू हुए प्रयागराज महाकुम्भ में सबको साथ लेकर चलने का संकल्प दिखता है। महाकुम्भ में तंबुओं में एक महीने तक रहकर संयम और त्याग के साथ जप, तप और साधना करने वाले कल्पवासियों की संख्या 7 लाख से अधिक है जो उस ग्राम्य संस्कृति का हिस्सा है जो कृषि प्रधान भारत का प्रतिनिधित्व करता है। इसी महाकुम्भ में डोम सिटी और निजी टेंट सिटी में रहकर पुण्य की डुबकी लगाने आने वाला अभिजात्य वर्ग भी है। लेकिन सभी पुण्य अर्जित अर्जित करने का भाव लेकर आए हैं। इस संकल्प में भी एकता और समन्वय को भी स्थान दिया गया है जो महाकुम्भ में ही संभव लगता है। हर शिविर, आयोजन में विश्व कल्याण और प्राणियों की सद्भावना का उद्घोष महाकुम्भ सनातन का पर्व और गर्व है। वह सनातन संस्कृति जो वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा पर टिकी है। उसी की प्रेरणा से महाकुम्भ में अखाड़ों, साधु संतों और संस्थाओं के आयोजन में भी केंद्र में व्यक्ति नहीं समष्टि है, समस्त मानवता है। श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी कहते हैं कि महाकुम्भ में स्थापित हर शिविर और आयोजन में हर पूजा-प्रार्थना में ‘विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो ‘ का उदघोष और सामाजिक सरोकारों की चिंता है । पहली बार अखाड़ों ने जिस तरह से पर्यावरण प्रदूषण की चिंता को अपनी बैठकों और छावनी प्रवेश यात्रा में स्थान दिया गया वह इसी का संकेत है।

UP:Ganga Sevadoots ensure cleanliness of rivers & ghats during bathing fest at Mahakumbh

Mahakumbh Nagar: On the first day of Mahakumbh, a total of 2,000 Ganga Sevadoots were deployed across the Ghats to ensure safety, convenience, and cleanliness during the Paush Purnima bathing festival. As devotees offered flowers during worship, the Sevadoots promptly collected and disposed them of to maintain the purity of the river and the ghats. Ganga Sevadoots were stationed at ghats across all sectors to maintain the cleanliness of the Ganga and Yamuna. These dedicated individuals, trained by the fair administration, carried out their responsibilities diligently, ensuring the rivers remained clean and sacred for the devotees. In addition, Scout and Guide boys and girls actively contributed to the effort, working voluntarily on the Ghats. Arif, a Scout and Guide from Sonbhadra, shared that his team, along with Scouts and Guides from Mirzapur and Varanasi, has been assisting since January 9. 91 Scouts and Guides are engaged, with 10,200 expected to serve over the next 45 days. The administration has arranged for their stay and meals in Sector 6. To further ensure cleanliness, a large contingent of policemen has been deployed. Their role is to ensure that devotees do not linger on the Ghats after bathing, encouraging those who have completed their rituals to vacate the area for others. The police remained actively involved throughout the day to maintain the smooth flow of devotees.

महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर सोशल मीडिया पर छाया एकता का महाकुम्भ हैशटैग

महाकुम्भ नगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीर्थराज प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुम्भ को एकता का महाकुम्भ करार दिया है। पीएम मोदी और सीएम योगी के इस कथन को सोशल मीडिया में भी खूब सराहा जा रहा है। सोमवार को महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एकता का महाकुम्भ हैशटैग टॉप ट्रेंड में शुमार हो गया। सोमवार की सुबह से ही लोगों ने एक्स पर #एकता_का_महाकुम्भ को लेकर अपने विचार प्रकट करने शुरू कर दिए और देखते ही देखते पहले यह हैशटैग टॉप ट्रेंड्स में शुमार हुआ और दोपहर को नंबर वन पर ट्रेंड करने लगा। दिन भर टॉप ट्रेंड्स में शुमार रहा #एकता_का_महाकुम्भ पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ शुरू हुए महाकुम्भ को लेकर सुबह से ही सोशल मीडिया पर चर्चाएं शुरू हो गई थीं। बड़ी संख्या में यूजर्स महाकुम्भ के वीडियोज, फोटोज और सूचनाएं अन्य लोगों तक पहुंचा रहे थे। यूजर्स कई हैशटैग के जरिए महाकुम्भ पर चर्चा कर रहे थे, जिसमें #एकता_का_महाकुम्भ भी एक था। हालांकि, देखते ही देखते यह हैशटैग सबकी पसंद बन गया और शाम साढ़े तीन बजे तक करीब 70 हजार यूजर्स ने इस हैशटैग का उपयोग करते हुए महाकुम्भ में भारी भीड़, संगम स्नान और सनातन आस्था को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रतिक्रिया देने वालों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सम्मिलित रहे। सीएम योगी द्वारा हैशटैग का उपयोग करने के बाद इस पर प्रतिक्रिया देने वालों की बाढ़ आ गई और देखते ही देखते यह हैशटैग नंबर वन पर पहुंच गया। बड़े नेताओं और संस्थानों ने भी किया हैशटैग का उपयोग अमेठी की पूर्व सांसद और भाजपा की नेता स्मृति ईरानी, भारत सरकार के हैंडल MyGovIndia,नमामि गंगे, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, संदीप सिंह समेत प्रमुख लोगो और संस्थाओं की ओर से भी इस हैशटैग का उपयोग किया गया। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी और सीएम योगी ने इस महाकुम्भ को एकता का महाकुम्भ कहा था। सीएम योगी ने हाल ही में पत्रकार वार्ता में कहा था कि जो लोग सनातन आस्था का सम्मान नहीं करते हैं, उन्हें महाकुम्भ में आकर देखना चाहिए कि यहां पंत, जाति और संप्रदाय का कोई भेदभाव नहीं है। यहां सब एक हैं और सब सनातन हैं। कई और हैशटैग भी हुए ट्रेंड्स में शुमार #एकता_का_महाकुम्भ के साथ ही महाकुम्भ को लेकर पूरे दिन कई और भी हैशटैग वायरल होते रहे। इनमें #MahaKumbh2025, #पौष पूर्णिमा, #पवित्र संगम, #प्रथम अमृत और #संगम जैसे हैशटैग शामिल रहे। इन सभी हैशटैग के माध्यम से सोशल मीडिया यूजर्स ने महाकुम्भ को लेकर अपनी श्रद्धा का भाव प्रकट किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई व शुभकामनाएं दीं, जिन्होंने इस महाकुम्भ को भव्य और दिव्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

युवा कंटेंट क्रिएटर पहुंचाएं जरूरतमंद नागरिकों तक महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि युवाओं को राष्ट्र निर्माण और विकास की प्रकिया में सहभागी होने का महत्वपूर्ण अवसर मिलता है। इस कार्य को वे दायित्व मानकर करेंगे तो शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को जरूरतमंद नागरिकों तक पहुंचाने का कार्य आसान हो जाएगा। इस दिशा में  युवा कंटेंट क्रिएटर की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य शासन ऐसे कंटेंट क्रिएटर्स युवाओं को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज समत्व भवन मुख्यमंत्री निवास में स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर युवा संवाद को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज ही राज्य शासन ने स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन प्रारंभ किया है। युवा कंटेंट क्रिएटर्स प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं। शासन द्वारा ऐसे युवाओं को हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम में बताया गया कि श्रेष्ठ सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स को जनसम्पर्क विभाग द्वारा विभिन्न श्रेणियों में अवार्ड प्रदान किए जाएंगे। युवाओं ने आंचलिक बोली में प्रस्तुत किए गीत और विभिन्न कला रूप मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आए युवा कंटेंट क्रिएटर्स से भेंट भी की। इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न अंचलों में प्रचलित बोलियां बुंदेली, मालवी, भीली ,निमाड़ी और बघेली में अपने द्वारा तैयार कंटेंट युवाओं ने प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी क्रिएटर्स के प्रयासों की प्रशंसा की। सिंहस्थ 2028 में मिलेगा स्वच्छ और निर्मल शिप्रा-जल से स्नान का लाभ मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में नदी जोड़ो अभियान क्रियान्वित किया जा रहा है। जहां केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध चंबल नदी जोड़ो परियोजनाओं से मध्यप्रदेश का बड़ा इलाका लाभान्वित होगा, वहीं राज्य के भीतर भी नदी जोड़ो परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जाएगा। इस क्रम में कान्ह- गंभीर परियोजना और शिप्रा जल को स्वच्छ, निर्मल बनाने के लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना उपयोगी सिद्ध होगी। आने वाले समय में वर्षा जल बांध में संग्रहित कर शिप्रा में छोड़ा जाएगा। यह जल स्नान आदि में उपयोग में लाया जाएगा। यह एक नवाचार है। इस जल का बाद में सिंचाई के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। बूंद-बूंद पानी बचाने के प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्प को मध्य प्रदेश क्रियान्वित कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शिप्रा एक बरसाती नदी है। गंगा जी की तरह  किसी ग्लेशियर से इसमें जल नहीं पहुंचता। वर्ष 1980 में गंभीर नदी से पानी पहुंचने के बाद सिंहस्थ में स्नान संभव हुए। वर्ष 1992 में भी इस प्रक्रिया को अपनाया गया। इसके पश्चात वर्ष 2016 के सिंहस्थ में नर्मदा जी का जल लेना पड़ा।  अब शिप्रा को वर्षा जल के पानी से स्वच्छ, निर्मल रखकर सिंहस्थ में स्नान के लिए जल का उपयोग किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा श्री महाकाल लोक के निर्माण के पश्चात उज्जैन आने वाले पर्यटकों की संख्या देश के अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के स्थानों की अपेक्षा काफी बढ़ गई है।  केन-बेतवा परियोजना,शिप्रा शुद्धिकरण, प्रदेश में दुग्ध उत्पादन वृद्धि और अन्य योजनाओं पर केंद्रित कलाओं की प्रस्तुति मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को भी बुंदेलखंड अंचल में व्यापक परिवर्तन लाने वाली योजना बताया। उन्होंने योजनाओं पर केंद्रित युवाओं के गीतों को सुना और उनकी प्रशंसा की। कार्यक्रम में प्रदेश में गौ माता संरक्षण, विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत,शिप्रा शुद्धिकरण आदि पर आधारित अनेक लोकगीत और अन्य रचनाएँ प्रस्तुत की गई। प्रारंभ में जनसंपर्क आयुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने सभी उपस्थितों का स्वागत किया। उन्होंने इस कार्यक्रम के उद्देश्य की जानकारी दी और प्रदेश भर से युवाओं, क्रिएटर्स और इन्फ्लूएंसर्स की बड़ी संख्या में उपस्थिति लिए आभार  व्यक्त किया। राष्ट्र विरासत के साथ विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भौतिक प्रगति प्राप्त करने के बाद भी अनेक राष्ट्र आंतरिक स्पंदन के अभाव में टिक नहीं पाए। हमारा राष्ट्र आज वैभवशाली इतिहास और विरासत को साथ लेकर विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसमें युवाओं की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री श्री मोदी का विजन समृद्ध विरासत के साथ तीव्र प्रगति का है। मध्य प्रदेश भी इस दिशा में सक्रिय रहकर अग्रणी राज्यों में शामिल होगा। ये क्रिएटर आए मंच पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव से संवाद और उनके समक्ष विभिन्न कलाओं की प्रस्तुति के लिए प्रदेश के विभिन्न अंचलों और बोलियां का प्रतिनिधित्व करने वाले जो क्रिएटर आए उनमें मान्या पांडे( बुंदेली) प्रदीप सोनी जबलपुर (महाकौशल अंचल) अमृता त्रिपाठी (भोपाल)  राजेंद्र वसुनिया (झाबुआ) प्रीतम (सीहोर) रंगमंच कलाकार प्रतीक्षा नैयर (मालवी भाभी), मिस इंडिया रहीं अपेक्षा डबराल,भोपाल, बुंदेली बाल कलाकार बिन्नू रानी (छतरपुर), अक्षय मिश्रा (बघेली), ऋतिक तिवारी (उज्जैन) और लोकेंद्र सिंह शामिल थे।

महाकुम्भ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर पूरी तरह मुस्तैद नजर आई महाकुम्भ पुलिस

महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा देखने को मिली। करोड़ों की संख्या में लोग पुण्य स्नान के लिए संगम तट की ओर उमड़ पड़े। इस दौरान जो सबसे अनूठी चीज देखने को मिली वो पुलिस का व्यवहार। यूं तो श्रद्धालुओं को राह दिखाने के लिए मेला प्रशासन की ओर से 800 के करीब साइनेजेस लगाए गए हैं, लेकिन राह दिखाने के लिए योगी सरकार की पुलिस पर लोगों ने ज्यादा भरोसा दिखाया। पांटून ब्रिज हो या सेक्टर, श्रद्धालु जब भी पुलिस बल से कहीं भी जाने की राह पूछते तो पुलिस कर्मी उन्हें पूरी विनम्रता के साथ उनके गंतव्य के लिए राह दिखा देते। पुलिस की यह विनम्रता देखकर श्रद्धालु भी बेहद खुश नजर आए।   दो महीने तक कराई गई है ट्रेनिंग महाकुम्भ को लेकर इस बार योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग कराई गई है। परेड स्थित पुलिस लाइन में लगातार दो महीने तक पुलिसकर्मियों को बिहेवियर की ट्रेनिंग कराई गई है, जिसका असर सोमवार को पहले स्नान पर्व पर दिखाई दिया। बड़ी संख्या में लोग पुलिसकर्मियों से पांटून ब्रिज पर आने और जाने के विषय में जानकारी लेते रहे। इसी तरह, सेक्टर की जानकारी के लिए भी पुलिसकर्मी ही श्रद्धालुओं की पहली प्राथमिकता रहे। खास बात ये थी कि पुलिसकर्मियों ने भी कुशल व्यवहार का परिचय देते हुए पूरी विनम्रता से श्रद्धालुओं की मदद की। यही नहीं, पुलिसकर्मी बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांग लोगों की मदद करते भी नजर आए। हर चौराहे पर पुलिस सहायता बूथों पर तैनात रहे जवान पहले स्नान पर्व पर भारी भीड़ के अनुमान को देखते हुए घाटों पर भारी पुलिस फोर्स को तैनात किया गया, जबकि पांटून ब्रिज पर भी एंट्री और एग्जिट प्वॉइंट पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स का डेप्लॉयमेंट नजर आया। गंगा के दोनों तरफ सभी प्रमुख चौराहों पर पुलिस सहायता बूथों की स्थापना की गई थी, जहां पर पुलिस कर्मी चौकन्ने और मुस्तैद नजर आए। चौराहों पर वॉच टावर पर भी पुलिस बल सक्रिय रहे और उन्होंने हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी। एसएसपी महाकुम्भ राजेश द्विवेदी ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह मुस्तैद है। एक दिन पहले से ही सभी पुलिसकर्मी अपनी

महाकुम्भ में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ कल्पवास की शुरुआत

महाकुम्भ नगर। सनातन आस्था के महापर्व महाकुम्भ की शुरुआत, तीर्थराज प्रयागराज के संगम तट पर पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू हो गई है। भारत की सांस्कृतिक विविधता में आध्यात्मिक एकता का मनोरम दृश्य संगम तट पर देखने को मिल रहा है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आस्था की डोर में बंधे गंगा, यमुना, सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान करने करोड़ों की संख्या में आ रहे हैं। इसके साथ ही महाकुम्भ की विशिष्ट परंपरा कल्पवास की भी शुरुआत हो गई है। पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार संगम तट पर माघ मास में कल्पवास करने से सौ वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। विधि-विधान के अनुसार लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम तट पर केला,तुलसी और जौं रोपकर एक महा व्रत और संयम का पालन करते हुए कल्पवास की शुरुआत की। महाकुम्भ में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ कल्पवास की शुरुआत तीर्थराज प्रयागराज में माघ मास में कल्पवास करने का विधान है, महाकुम्भ में कल्पवास करना विशेष फलदायी माना जाता है। इसलिये इस वर्ष अनुमान के मुताबिक 10 लाख से अधिक लोग संगम तट पर पूरे एक माह का कल्पवास करेंगे। कल्पवास के विधान और महात्म के बारे में तीर्थपुरोहित श्याम सुंदर पाण्डेय कहते हैं कि कल्पवास का शाब्दिक अर्थ है कि एक कल्प अर्थात एक निश्चित समयावधि में संगम तट पर निवास करना। पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ मास में पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करने का विधान है। श्रद्धालु अपनी शारीरिक और मानसिक स्थित के अनुरूप तीन दिन, पांच दिन, ग्यारह दिन आदि का संकल्प लेकर भी कल्पवास करते हैं। पूरी तरह विधि-विधान से कल्पवास करने वाले साधक बारह वर्ष लगातार कल्पवास कर महाकुम्भ के अवसर पर इसका पारण करते हैं, जो कि शास्त्रों में विशेष फलदायी और मोक्षदायक माना गया है। पद्म पुराण में है कल्पवास के नियम कल्पवास को हमारे शास्त्रों और पुराणों में मानव की आध्यात्मिक उन्नति का श्रेष्ठ मार्ग बताया गया है। वस्तुतः कल्पवास को सनातन परंपरा के अनुसार वानप्रस्थ आश्रम से संन्यास आश्रम में प्रवेश का द्वार माना गया है। एक माह संगम या गंगा तट पर विधिपूर्वक कल्पवास करने से मानव का आंतरिक एवं बाह्य कायाकल्प होता है। पद्मपुराण में भगवान दत्तात्रेय ने कल्पवास के 21 नियमों का उल्लेख किया है, जिसका पालन कल्पवासी संयम के साथ करते हैं। जिनमें से तीनों काल गंगा स्नान करना, दिन में एक समय फलाहार या सादा भोजन ही करना, मद्य,मांस,मदिरा आदि किसी भी प्रकार के दुर्व्यसनों का पूर्णतः त्याग करना, झूठ नहीं बोलना,अहिंसा, इन्द्रियों पर नियंत्रण, दयाभाव और ब्रह्मचर्य का पालन करना, ब्रह्म मुहूर्त में जागना,स्नान, दान, जप, सत्संग, संकीर्तन, भूमि शयन और श्रद्धापूर्वक देव पूजन करना शामिल है। नियम, व्रत और संयम का पालन करते हुए पूरा होगा कल्पवास पौराणिक मान्यता और शास्त्रों के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में संगम स्नान कर, भगवान शालिग्रमा और तुलसी की स्थापना कर, उनका पूजन किया। सभी कल्पवासियों को उनके तीर्थपुरोहितों ने पूजन करवा कर हाथ में गंगा जल और कुशा लेकर कल्पवास का संकल्प करवाया। इसके साथ ही कल्पवासियों ने अपने टेंट के पास विधिपूर्वक जौं और केला को भी रोंपा। सनातन परंपरा में केले को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। कल्पवासी पूरे माघ मास केला और तुलसी का पूजन करेंगे। तीनों काल में सभी कल्पवासी नियम पूर्वक गंगा स्नान, जप, तप, ध्यान, सत्संग और पूजन करेंगे। कल्पवास के काल में साधु-संन्यसियों के सत्संग और भजन-कीर्तन करने का विधान है। कल्पवासी अपने मन को सांसरिक मोह से विरक्त कर आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग की ओर ले जाता है।