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संविधान की चिंता छोड़ अपनी चिंता करे कांग्रेस – विकास शर्मा

  • – भाजपा प्रदेश मंत्री ने कांग्रेस के दुष्प्रचार को लेकर बोला हमला
  • – संविधान की मूल भावनाओं को धरातल पर उतार रही भाजपा सरकार- 
  • – कांग्रेस के शासन में हुई संविधान के साथ सबसे अधिक छेड़छाड़

टनकपुर -(एम सलीम खान संवाददाता) भाजपा प्रदेश मंत्री एवं चंपावत के जिला प्रभारी विकास शर्मा ने कांग्रेस की देहरादून में प्रस्तावित संविधान बचाओ रैली को लेकर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। जिला कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में भाजपा प्रदेश मंत्री ने कांग्रेस को संविधान की चिंता छोड़ अपनी पार्टी की चिंता करने की नसीहत दी।

भाजपा प्रदेश मंत्री विकास शर्मा ने कहा कि कांग्रेस संविधान की बात करती है। लेकिन वर्ष 1951 में संविधान का पहला संशोधन करके अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने की कोशिश की नेहरू जी ने ही की थी। पिछले कुछ साल से कांग्रेस संविधान को लेकर जनता को बरगलाने की कोशिश कर रही है।

लोकसभा चुनाव में जनता कांग्रेस के इस नेरेटिव का करारा जवाब दे चुकी है। संविधान संशोधन की बात करें तो कांग्रेस के ही शासन के दौरान सबसे अधिक संविधान से छेड़छाड़ की गई। जमाना चाहे नेहरू जी का हो, इंदिरा गांधी का हो, उनके जमाने में तो देश में आपातकाल भी लगाया गया। एक संविधान संशोधन,

जिसे 39वां संविधान संशोधन कहते हैं, उसमें तो राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और स्पीकर अगर इनका चुनाव होता है और इस मामले में रिव्यू के लिए कोई कोर्ट जाता है तो उसे कोर्ट में जाने का भी अधिकार नहीं था। ये पूरी तरह से संविधान की भावना के िऽलाफ किया गया संशोधन था।

संविधान की आत्मा कहे जाने वाले प्रस्तावना तक को बदल देने वाले अब संविधान की बात कर रहे हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1954 में वक्फ अधिनियम पारित कर अपने वोटबैंक को ऽुश करने का काम किया था। इसके अलावा 1961 में अनुच्छेद 66 और 71 में संशोधन कर उपराष्ट्रपति के निर्वाचन प्रक्रिया में बदलाव किए।

कांग्रेस के राज में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में आपातकाल लगा दिया और देश में लोगों के मौलिक अधिकारों को ऽत्म किया। प्रेस पर पाबंदी लगाई और विपक्ष के नेताओं को जेल में डाला। 1971 में अनुच्छेद 31 में संशोधन कर भारत में संपत्ति के मौलिक अधिकार को समाप्त कर इसे एक वैधानिक अधिकार बना दिया गया।

इसके बाद 1975 में संविधान का 38वाँ संशोधन करके आपातकाल पर न्यायिक समीक्षा का रास्ता भी बंद कर दिया। सितंबर 1975 में इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाए रऽने के लिहाज से संविधान का 39वां संशोधन किया गया।

सितंबर 1976 में 41वें संविधान संशोधन में प्रधानमंत्री, राज्यपाल और राष्ट्रपति के िऽलाफ पद छोड़ने के बाद भी कोई मामला दर्ज नहीं किया जाने का संशोधन किया गया। वर्ष 1977 में 42 वें संशोधन ने संविधान की मूल संरचना को ही बदल दिया। इंदिरा गांधी ने न सिर्फ निर्वाचन आयोग बल्कि न्यायपालिका को भी कमजोर करने के प्रयास किया।

जिला प्रभारी एवं रूद्रपुर के महापौर विकास शर्मा ने आगे कहा कि राजीव गांधी के कार्यकाल में भी शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने के लिए 1985 में संविधान संशोधन किया गया। इसके अलावा 1988 में प्रेस की स्वतं=ता पर अंकुशल गाने के लिए मानहानि विरोधी कानून पेश किया हालाकि इसे भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी कई संशोधन किये गये। इसमें सबसे महत्वपूर्ण वर्ष 2013 में वक्फ अधिनियम में संशोधन कर वक्फ बोर्डों को संपत्ति हड़पने के असीमित अधिकार दिये गये जिन्हें किसी भी अदालत को चुनौती नहीं दी जा सकती। आज मोदी सरकार इन असीमित अधिकारों को कम करने का प्रयास कर रही है तो इसीलिए कांग्रेस बेचैन हो गयी है।

भाजपा जिला प्रभारी ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान को समय समय पर अपने हिसाब से तोड़ने मरोड़ने की कोशिश तो की ही साथ ही संविधान और संवैधानिक पदों का अपमान भी किया। विपक्ष में रहकर कांग्रेस ने सकारात्मक राजनीति करने के बजाय समय समय पर राष्ट्रपति उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे शीर्ष पदों पर आसीन लोगों को भी अपमानित करने का काम किया है।

देश की अस्मिता से जुड़े मामलों पर भी कांग्रेस ने हमेशा राजनैतिक रोटियां सेकने का काम किया है। धारा 370, सीएए, तीन तलाक, यूसीसी, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर भी कांग्रेस हमेशा नकारात्मक और वोट बैंक की राजनीति करने से बाज नहीं आयी। कांग्रेस जैसे जैसे कमजोर हो रही है उसकी बौखलाहट भी बढ़ती जा रही है यही वजह है कि कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों में चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े करके अपनी हार का ठीकरा ईवीएम और चुनाव आयेाग पर थोपती आयी है।

विकास शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को आज संविधान बचाओ रैली निकालने के बजाय कांग्रेस बचाओ रैली निकालनी चाहिए। प्रदेश मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के शासन में 356 अनुच्छेद का उपयोग लगभग 90 बार किया। 50 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

जवाहर लाल नेहरू ने अपने शासन काल के दौरान चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त करने के लिए 6 बार अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया। कांग्रेस के शासन में संविधान का इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है कि लोकतांत्रिक तौर पर चुने गये प्रधानमंत्री मननमोहन सिंह के कार्यकाल में सोनिया गांधाी को सुपर पीएम और बॉस माना जाता था।

भाजपा प्रदेश मंत्री ने कहा कि भाजपा पर संविधान को बदलने का आरोप लगाने वाले कांग्रेसियों को यह जान लेना चाहिए कि जनसंघ और भाजपा की स्थापना ही संविधान को लागू करने के लिए हुई थी। एक विधान एक निशान के नारे के साथ हमारे प्रेरणा पुरूष डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान हुआ।

आज भाजपा संविधान की धाराओं की मूल भावनाओं को तेजी से धरातल पर उतारने का काम कर रही है और कांग्रेस के मंसूबों को जनता के सामने ला रही है। हमारे लिए संविधान केवल शब्दों धाराओं और अनुच्छेदों का संग्रह नहीं बल्कि एक धर्म ग्रंथ है। इस पर सभी भारतवासियों को गर्व है।

दूसरी तरफ कांग्रेस ने कभी भी देश में पूर्ण लोकतंत्र लागू नहीं होने दिया। आज कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसी लिए संविधान को लेकर जनता को बरगलाने की कोशिश की जा रही है, जनता कांग्रेस पहले भी कई बार सबक सिखा चुकी है। आगे भी जनता कांग्रेस की नौटंकी का करारा जवाब देगी। प्रेस वार्ता में भाजपा जिलाध्यक्ष गोविंद सामंत सहित अन्य लोग भी मौजूद थे।

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रेलवे में नौकरी के बदले जमीन के मामले में सीबीआई की तरफ से दायर केस को रद्द कराने के लिए तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कोर्ट में य़ाचिका दाखिल कर सीबीआई के लैंड फॉर जॉब केस को रद्द करने की मांग की थी लेकिन उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद की याचिका को खारिज कर दिया है।

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कानपुर में एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी में आधुनिक तकनीकों से स्किन, हेयर और फैट की उपचार सेवाएं उपलब्ध

कानपुर: शहरवासियों के लिए खुशखबरी है कि अब स्किन और हेयर से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित इलाज एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी में उपलब्ध है। डॉ. गौरी मिश्रा ने बताया कि क्लिनिक में मेड इन कोरिया की न्यू रिच मशीन द्वारा बॉडी लेज़र हेयर रिडक्शन किया जाता है, जिससे अनचाहे बालों के साथ-साथ स्किन पर मौजूद दाग-धब्बों और पिग्मेंटेशन से भी छुटकारा पाया जा सकता है। स्किन टोन को निखारने और फ्लॉलेस लुक पाने के लिए यह मशीन अत्यंत प्रभावी साबित हो रही है। साथ ही, बालों की समस्याओं के समाधान के लिए PRP थैरेपी, GFC थैरेपी और हेयर रीग्रोथ थैरेपी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे हेयर फॉल, हेयर थिनिंग और गंजेपन जैसी समस्याओं में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। यह क्लिनिक अब हेयर और स्किन हेल्थ के लिए एक भरोसेमंद सेंटर बनकर उभरा है। एस्थेटिक केयर कॉस्मेटोलॉजी अब संपूर्ण बॉडी के सौंदर्य और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए वन-स्टॉप सेंटर बन गया है। यहां उपलब्ध कायो लेज़र मशीन की मदद से शरीर के किसी भी हिस्से से फैट को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से कम किया जा सकता है। यह प्रक्रिया न केवल वजन घटाने में सहायक है, बल्कि बॉडी शेप को भी आकर्षक बनाती है। स्किन, हेयर और बॉडी फैट से जुड़ी सभी आधुनिक थैरेपीज़ अब एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग जगह भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ती। विशेष रूप से शादी या अन्य विशेष अवसरों को ध्यान में रखते हुए, ‘ग्लोइंग स्किन’ के लिए आवश्यक स्किन क्लीनिंग, ब्राइटनिंग और हाइड्रेशन थैरेपीज़ अब स्थानीय स्तर पर सुलभ हैं। डॉ. गौरी मिश्रा के मार्गदर्शन में संचालित यह सेंटर कानपुर में कॉस्मेटोलॉजी और एस्थेटिक उपचार का नया केंद्र बिंदु बनता जा रहा है, जहां हर व्यक्ति को उनकी ज़रूरत के अनुसार व्यक्तिगत देखभाल मिल रही है।

आई० ए० पी० कानपुर और पारस हेल्थ ने ऑर्थोपेडिक्स और न्यूरोसर्जरी पर विशेष मेडिकल (सी.एम.ई.) का आयोजन किया

पारस हेल्थ, कानपुर एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट (आई० ए० पी०), कानपुर सेंट्रल शाखा के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (CME) प्रोग्राम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम रॉयल क्लिफ होटल में संपन्न हुआ, जिसमें शहर के प्रमुख सर्जन एवं फिजियोथैरेपिस्ट्स ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य चिकित्सा के क्षेत्र में आपसी संवाद को बढ़ावा देना, नवीनतम तकनीकों की जानकारी साझा करना तथा समन्वित रूप से मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराना था। कार्यक्रम में सहभागियों को ऑर्थोपेडिक्स और न्यूरोसर्जरी के अद्यतन पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अलीगढ़ से पधारे डॉ. के. के. वर्मा (सेक्रेटरी, आई० ए० पी० उत्तर प्रदेश) एवं वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक न्यूरोसर्जन डॉ. गोपाल शुक्ल उपस्थित रहे। डॉ. शुक्ल ने अपने सत्र में कमर दर्द से जुड़े विभिन्न जटिल मामलों पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि किस प्रकार फिजियोथैरेपी की मदद से मरीजों को शीघ्र राहत मिल सकती है। इस सफल आयोजन ने फिजियोथैरेपिस्ट एवं चिकित्सकों को एक साझा मंच प्रदान किया, जिससे भविष्य में और बेहतर चिकित्सा सेवा की दिशा में प्रयास संभव होंगे।

BR:पीएम मोदी 29 को बिहार दौरे पर, विकास की सौगात संग चुनावी मंथन

Patna : . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 मई को दो दिवसीय बिहार दौरे पर आ रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह प्रधानमंत्री की पहली बिहार यात्रा है. इस यात्रा के दौरान वे पटना और विक्रमगंज में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. भाजपा प्रधानमंत्री के स्वागत की तैयारियों में जुटी है. पीएम मोदी सबसे पहले पटना एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे, उसके बाद बिहटा एयरपोर्ट की आधारशिला रखेंगे. 30 मई को वे विक्रमगंज में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे और लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देंगे.   पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के अनुसार, प्रधानमंत्री पटना एयरपोर्ट से बीजेपी कार्यालय तक रोड शो करेंगे. जगह-जगह पुष्पवर्षा के साथ कार्यकर्ता उनका स्वागत करेंगे. बीजेपी कार्यालय में पीएम मोदी सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों और प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जमीनी स्तर पर संगठन की स्थिति की समीक्षा भी करेंगे. यह बैठक आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही

BR:बिहार में दिव्यांग कोटे में डोमिसाइल नीति लागू

बिहार सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांग आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब दिव्यांग कोटे का लाभ केवल बिहार के मूल निवासियों को ही मिलेगा। इसके तहत डोमिसाइल (स्थानीय निवासी) नीति को लागू कर दिया गया है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिया है। निर्णय के अनुसार, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मिलने वाला आरक्षण अब केवल बिहार के दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए ही मान्य होगा। जानकारी के मुताबिक, अधिनियम के तहत दिव्यांगजन को सरकारी नौकरियों में 4% क्षैतिज आरक्षण, उच्च शिक्षा संस्थानों में 5% क्षैतिज आरक्षण दिया जाता है। अब तक इस आरक्षण का लाभ दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को भी मिल रहा था, जिससे बिहार के दिव्यांग उम्मीदवारों को उचित अवसर नहीं मिल पा रहा था। राज्य सरकार ने इसको समाप्त करने के लिए डोमिसाइल नीति लागू करने का निर्णय लिया। सरकारी नौकरियों के सामान्य कोटे में पूर्ववत व्यवस्था लागू रहेगी, उसमें डोमिसाइल नीति लागू नहीं की गई है। बता दें है कि 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में 23 लाख से अधिक दिव्यांगजन हैं, जिनमें से लगभग 16 लाख को दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया जा चुका है।