हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने आज यहां तंजानिया गणराज्य के संयुक्त वित्त आयोग (जेएफसी) के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक के दौरान रस्तोगी ने भारत के राजकोषीय ढांचे को रेखांकित करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर संग्रह जिम्मेदारियों, राजस्व स्रोतों, ऋण वित्तपोषण तंत्र, ऋण और अनुदान के विभाजन की जानकारी दी। उन्होंने राजकोषीय अनुशासन के लिए हरियाणा की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि राज्य बजट से बाहर उधार लेने से बचता है।
रस्तोगी ने भारत में राजकोषीय संघवाद के सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए बताया कि राज्यों को वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय कर राजस्व का हिस्सा मिलता है। उन्होंने बताया कि 16वें वित्त आयोग द्वारा 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है।
उन्होंने नाबार्ड और एनसीआर योजना बोर्ड जैसी प्रमुख संस्थाओं की भूमिकाओं पर भी चर्चा की। गौरतलब है कि नाबार्ड कृषि और ग्रामीण विकास परियोजनाओं को गति देने का काम करता है। इसी तरह, एनसीआर योजना बोर्ड राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
मुख्य सचिव ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक राज्य विकास ऋण (एसडीएल) या राज्य सरकार की प्रतिभूतियों की सुविधा प्रदान करता है। विदेशी संस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय बैंकों से ऋणों, आमतौर पर परियोजना-विशिष्ट ऋणों का प्रबंधन केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाता है। श्री रस्तोगी ने वित्तीय प्रबंधन, ऋण सेवा और ब्याज दरों पर प्रतिनिधिमंडल के प्रश्नों का भी जवाब दिया।
संयुक्त वित्त आयोग सचिवालय के अध्यक्ष अहमद सआदत ने व्यावहारिक सत्र के लिए हरियाणा सरकार का आभार व्यक्त किया। बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल, विदेश सहयोग विभाग की आयुक्त एवं सचिव श्रीमती अमनीत पी. कुमार, हरियाणा राज्य वेयरहाउसिंग कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक डॉ. शालीन, मुख्यमंत्री के विदेश सहयोग सलाहकार पवन कुमार चौधरी तथा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।