हरियाणा सरकार अपने कर्मचारियों पर मेहरबान है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कर्मचारी कल्याण के कई प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई। प्रदेश सरकार ने अपने चुनाव घोषणा पत्र के वादे को पूरा करते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन योजना (यूपीएस) को मंजूरी दे दी। एक अगस्त से इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को लाभ मिलने लगेंगे। एक जनवरी, 2006 के बाद से कार्यरत सभी नियमित कर्मचारियों को इस एकीकृत पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। इन कर्मचारियों की संख्या दो लाख से ऊपर है। यूपीएस के तहत 25 साल की सेवा पूरी करने पर अंतिम 12 माह के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन राशि के रूप में मिलेगा। हरियाणा सरकार के कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) अनिवार्य नहीं की गई है। उन्हें नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत मिलने वाली पेंशन प्रक्रिया को भी अपनाने का विकल्प दिया गया है। यह कर्मचारियों पर निर्भर रहेगा कि वे कौन सी पेंशन लेना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंत्रिमंडल के फैसले के बाद बताया कि एकीकृत पेंशन योजना के अंतर्गत कम से कम 10 हजार रुपये प्रति माह पे-आउट तथा 30 प्रतिशत फैमिली पे-आउट के रूप में दिया जाएगा। यह दोनों लाभ 10 वर्ष की न्यूनतम सेवा के उपरांत दिए जाएंगे। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेआउट का पूरा लाभ 25 वर्ष की सेवा के उपरांत मिलेगा। यदि कर्मचारी 10 या उससे अधिक वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होता है, तो उसे प्रति माह 10 हजार रुपये का न्यूनतम गारंटीकृत भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।
बैठक में हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारियों को भत्ते) नियम 2016 में संशोधन को मंजूरी प्रदान की है। इसके तहत सेवा के दौरान किसी सरकारी कर्मचारी की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु होने पर मृतक कर्मचारी के परिवार को कर्मचारी की मृत्यु से पहले से मिल रहा आवास भत्ता दो वर्ष की अवधि के लिए मिलता रहेगा। पहले यह अवधि एक साल के लिए होती थी। इसके अलावा वैकल्पिक रूप से परिवार सामान्य लाइसेंस शुल्क का भुगतान कर दो वर्ष की अवधि के लिए सरकारी आवास को बरकरार रख सकता है।
एकमुश्त भुगतान की अनुमति
यूपीएस में सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान की भी अनुमति दी जाएगी, जो सेवा के प्रत्येक पूर्ण छह महीने के लिए मासिक परिलब्धियों (इमोल्यूमेंट्स) (मूल वेतन+महंगाई भत्ता) का 10% होगा। यह एकमुश्त राशि सुनिश्चित पेंशन भुगतान को प्रभावित नहीं करेगी। वर्तमान नई पेंशन योजना के तहत, कर्मचारी 10% अंशदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14% योगदान करती है। यूपीएस के कार्यान्वयन के साथ सरकार का योगदान बढ़कर 18.5% हो जाएगा।
यूपीएस के तहत कोष में दो फंड शामिल
एकीकृत पेंशन योजना के तहत कोष में दो फंड शामिल होंगे। एक व्यक्तिगत कोष, जिसमें कर्मचारी अंशदान और हरियाणा सरकार से प्राप्त योगदान शामिल होगा जो हरियाणा सरकार से अतिरिक्त योगदान द्वारा वित्त पोषित एक पूल कार्पस फंड के रूप में संचालित होगा। योजना के तहत कर्मचारी अपने (मूल वेतन+महंगाई भत्ते) का 10% योगदान देंगे, जिसमें हरियाणा सरकार से मिला बराबर योगदान होगा। दोनों राशियां प्रत्येक कर्मचारी के व्यक्तिगत कोष में जमा की जाएंगी। इसके अलावा, हरियाणा सरकार यूपीएस का विकल्प चुनने वाले सभी कर्मचारियों के (मूल वेतन+महंगाई भत्ते) का अनुमानित 8.5% औसत आधार पर पूल कार्पस में योगदान करेगी।
सेवानिवृत्ति के 15 वर्ष बाद समर्पित पेंशन
मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम 2016 के नियम 95(2) में संशोधन को मंजूरी दी गई। संशोधन के अनुसार, सेवानिवृत्ति के समय सरकारी कर्मचारी द्वारा समर्पित की गई पेंशन की राशि को सेवानिवृत्ति की तिथि से 15 वर्ष पूर्ण होने पर पुनः बहाल कर दिया जाएगा।
सार्वजनिक उपक्रमों, राज्य विश्वविद्यालयों में कार्यान्वयन पर निर्णय बाद में पेंशनभोगी की मृत्यु की स्थिति में परिवार को अंतिम आहरित पेंशन राशि का 60% प्राप्त होगा। यह महंगाई राहत सुनिश्चित पेंशन भुगतान और पारिवारिक पेंशन दोनों पर लागू होगी, जिसकी गणना सेवारत कर्मचारियों पर लागू महंगाई भत्ते के समान की जाएगी। बोर्ड, निगमों व सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो तथा राज्य के विश्वविद्यालयों में यूपीएस के कार्यान्वयन के बारे में निर्णय बाद में लिया जाएगा।
नियमित महिला कर्मचारियों के अवकाश में बढ़ोतरी
मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की उस घोषणा को भी मंजूरी प्रदान कर दी है, जिसके तहत सीएम ने नियमित महिला कर्मचारियों के अवकाश में बढ़ोतरी की थी। सरकारी विभागों, बोर्ड एवं निगमों में कार्यरत नियमित महिला कर्मचारियों को अब एक साल में 20 दिन की बजाय 25 आकस्मिक अवकाश (सीएल) प्रदान किए जाएंगे। हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत कार्यरत महिला कर्मचारियों के एक अवकाश में बढ़ोतरी की गई है। जिस कैलेंडर वर्ष में किसी नियमित महिला कर्मचारी की सरकारी विभाग में नियुक्ति होती है, उस वर्ष में आकस्मिक अवकाश को लेकर भी निर्णय हुए है। इसके तहत 30 जून से पहले नियुक्त होने वाली कर्मचारियों को अब 20 के स्थान पर 25 आकस्मिक अवकाश मिलेंगे। 30 जून से 30 सितंबर के बीच नियुक्त होने वाली कर्मचारियों को 10 के स्थान पर 12 आकस्मिक अवकाश मिलेंगे। 30 सितंबर के बाद नियुक्त होने वाली कर्मचारियों को पांच के स्थान पर छह आकस्मिक अवकाश मिलेंगे। साथ ही 30 नवंबर के बाद नियुक्त होने वाली कर्मचारियों को दो के स्थान पर तीन आकस्मिक अवकाश मिलेंगे।