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Lucknow News : टैक्स कमिश्नर की पत्नी पर GST चोरी का आरोप

उत्तर प्रदेश | जीएसटी विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर की पत्नी पर टैक्स चोरी का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि लखनऊ मुख्यालय में तैनात राजेश प्रताप सिंह चंदेल की पत्नी गीतिका सिंह ट्यूलिप किड्स फ्रेंचाइजी की स्कूल चलाती है। इसके लिए वह हर साल फ्रेंचाइजी को 25 लाख रुपए का भुगतान करती है। अब इस 25 लाख रुपए पर जीएसटी टैक्स उनकी तरफ से नहीं दिया जाता है। बताया जा रहा है कि पिछले काफी साल से यह खेल चल रहा है। इसकी विभागीय शिकायत की गई लेकिन पत्नी के रसूख की वजह से वहां भी गलत रिपोर्ट तैयार कर दी गई। अब इस पूरे मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के यहां लिखित शिकायत कर गुहार लगाई गई है। गोमती नगर के विशाल खंड निवासी वंदना तिवारी ने लिखित शिकायत में बताया है कि विभाग से रजिस्ट्रेशन भी प्राप्त नहीं किया गया है। क्योंकि मामला ज्वाइंट कमिश्नर की पत्नी का है तो शिकायत मिलने के बाद भी टैक्स डिपार्टमेंट के सारे अधिकारी कार्रवाई करने से बच रहे हैं। वंदना तिवारी ने मुख्यालय की एडिशनल कमिश्नर भारतीय योगेश पर भी आरोप लगाया है कि उनकी तरफ से विभाग को भ्रमित किया गया है। उनको विभाग की तरफ से इस मामले में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने अपनी वह रिपोर्ट भी गलत दी है। बताया जा रहा है कि भारतीय योगेश ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है। इसमें उनकी तरफ से जांच खारिज कर दिया गया था। इसके पीछे दलील दी गई थी जो शिकायत है उसमें स्कूल का कोई एड्रेस नहीं है। जबकि शिकायत में उनके आयकर की डिटेल, पैन नंबर और पता उपलब्ध कराया था। वंदना तिवारी ने एडीशनल कमिश्नर भारतीय योगेश की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने गूगल और विभागीय पोर्टल पर स्कूल की तलाश की, जबकि शिकायती पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि यह विवरण आयकर रिटर्न में घोषित है। ऐसे में आयकर विभाग से इसकी सूचना क्यों नहीं मांगी गई। वंदना तिवारी ने एडीशनल कमिश्नर भारती योगेश पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह गीतिका सिंह चंदेल द्वारा की जा रही टैक्स चोरी का समर्थन कर रही हैं। इतने सारे सबूतों के बावजूद भी इस मामले का बंद कर दिया गया। सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। वंदना तिवारी ने कहा है कि इतने प्रमाणों और आयकर में घोषणा के बाद भी स्कूल अस्तित्व में नहीं मिलता है तो यह मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आता है। ऐसे में यह बेहद गंभीर मामला है जिस पर एफआईआर किया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी मांग की है कि फ्रेंचाइजी देने वाली संस्था पर भी टैक्स चोरी की संभावना है। ऐसे में उस संस्था की भी जांच की जाए। ज्वाइंट कमिश्नर राजेश प्रताप सिंह चंदेल पर इसके पहले भी साजिश करने के कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। वंदना तिवारी इसी विभाग से रिटायर हुइ है। उन्होने पहले भी राजेश सिंह पर आरोप लगाए है। बताया कि वंदना तिवारी ने राजेश प्रताप सिंह चंदेल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनसे ‘अच्छे रिटायरमेंट’ के नाम पर 5 लाख रुपए मांगे थे। वंदना तिवारी ने बताया कि उन्होंने जब राजेश प्रताप सिंह की डिमांड पूरी नहीं की तो उनके खिलाफ 12 साल पुराना एक प्रकरण खोल दिया गया था । उस मामले में एक महिला ने फर्जी प्रपत्रों के आधार पर आरोप लगाया था। जिसकी जांच महिला आयोग द्वारा की गई थी। जांच में अनियमितता नहीं पाए जाने पर केस को खत्म कर दिया गया था। वंदना तिवारी ने आरोप लगाया कि रिटायरमेंट के बाद साजिश कर मुझे बुढ़ापे में परेशान किया जा रहा है। उन्होंने इस संबंध में गोमतीनगर थाने पर एफआईआर दर्ज किए जाने की भी अपील की है। उन्होंने अपने शिकायत पत्र में राजेश प्रताप सिंह चंदेल के अलावा अयोध्या के एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1 सूर्य नारायण सिंह, वाणिज्य कर मुख्यालय के एडीशनल कमिश्नर (विधि) एसके राय, वाणिज्य कर मुख्यालय में डिप्टी कमिश्नर (परिवाद) के पद पर तैनात रहे शिशिर प्रकाश पर उत्पीडऩ किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस मामले में चारों साजिशकर्ता ऊपर कार्रवाई किए जाने की भी मांग की है।  

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सुपारी लेकर भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या करने वाले गैंगस्टर संजीव जीवा की लखनऊ कोर्ट में हत्या, बच्ची समेत 5 को गोली लगी

लखनऊ ब्यूरो । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सिविल कोर्ट में दोपहर बाद शूट आउट में पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता ब्र्ह्मदत्त दि्वेदी हत्याकाण्ड के मुख्य अभियुक्त गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गयी। शूआउट में एक बच्ची के भी मरने और पुलिस कर्मी समेत कई लोगों के घायल होने की खबर मिली है। हत्यारे कौन हैं और उनकी जीवा के क्या दुश्मनी है यह जानकारी अभी आना बाकी है। उत्तर प्रदेश के ही मुजफ्फर नगर का रहने वाला जीवा ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकाण्ड में ही उम्र कैद सजा जेल में काट रहा था। जीवा पर सुपारी किलिंग, हत्या, अपहरण, लूट समेत दो दर्जन मुकदमें हैं जिसमें 17 मुकदमों में वह बरी हो चुका था। जीवा का इतना खौफ था कि उसके खिलाफ गवाह टिकता नहीं था। जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी है। पायल ने भारत के मुख्य न्यायधीश को चिट्टी लिखकर आशंका जताई थी कि कोर्ट में पेशी के दौरान उनके पति की हत्या करवाई जा सकती है और हत्या हो गयी। सभी हमलावर वकीलों के वेष में आए थे। वकीलों ने एक हमलावर को दबोच लिया। वह कम उम्र का ही है जैसे अतीक-असरफ के हत्यारे थे। पुलिस ने जीवा का मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी से भी जोड़ा और इनके गिरोह का सदस्य बताया। मुन्ना बजरंगी की पहले ही बागपत जेल में हत्या हो चुकी है और मुख्तार जेल में हैं। यह भी कहा गया कि गैंगस्टर संजीव उर्फ जीवा भाजपा विधायक कृष्णानन्त राय हत्याकाण्ड में भी आरोपी था। इस हत्या काण्ड में मुख्तार को सजा हो चुकी है। हालांकि अपराध की दुनिया में जीवा भाजपा के कद्दावर नेता और कल्याण सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी की फर्रुखाबाद में हत्या के बाद सुर्खियों में आया था। पूर्व विधायक विजय सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने शूटर जीवा को ब्रह्मदत्त की हत्या की सुपारी दी थी। फिलहाल लखनऊ कोर्ट में हत्याकाण्ड के बाद विपक्षी दल यूपी सरकार पर हमलावर हैं और यहां की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। पूर्व मुख्मंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। यादव में कहा कि न बेटियां सुरक्षित हैं और न कोर्ट-कचहरी।

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लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट परिसर में चली गोली, गैंगस्टर संजीव महेश्वरी जीवा की हत्या

लखनऊ | पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी संजीव जीवा की लखनऊ सिविल कोर्ट के बाहर गोली मारकर हत्‍या कर दी गई। अचानक हुई इस घटना से पूरे कोर्ट पर‍िसर में हड़कंप मच गया। बता दें क‍ि हत्‍यारे वकील के भेष में आए थे। वो लंबे समय से लखनऊ जेल में ही सिक्योरिटी बैरक में बंद था। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा ने वर्ष 1995 से संगीन घटनाओं को अंजाम दिया। संजीव जीवा अंतर राज्य गैंग का लीडर था। उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी, लूट, डकैती, अपहरण, गैंगस्टर जैसी संगीन धाराओं में दो दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। कोलकाता के एक व्यापारी के बेटे का अपहरण कर दो करोड़ की फिरौती मांगने से लेकर पूर्वांचल के विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी और कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी नाम आया था। संजीव जीवा लखनऊ जेल में बंद था। जीवा माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के बेहद करीबी माना जाता था। जीवा पर विधायक कृष्णानंद राय तथा पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का भी आरोप है। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोपी मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के बाद से ही सह अभियुक्त संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई थी। हाल ही में उसकी संपत्ति भी प्रशासन द्वारा कुर्क की गई थी। जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद है, लेकिन साल 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि उनकी (जीवा) जान को खतरा है। बता दें कि, पायल 2017 में आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं और उन्हें हार मिली थी। संजीव की पत्नी पायल महेश्वरी ने कुछ दिन पहले ही जताई थी हत्या की आशंका जताते हुए सुरक्षा की मांग की थी  भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में जेल में बंद संजीव जीवा की पत्नी ने अपने पति की हत्या की आशंका जताई संजीव जीवा की पत्नी और रालोद नेता पायल माहेश्वरी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से अपने पति की सुरक्षा की गुहार की है. पायल का कहना है कि पेशी के दौरान षड्यंत्र के तहत उनके पति की हत्या कराई जा सकती है. उन्होंने पति की सुरक्षा के लिए सीजेआई से उच्चाधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया है 2017 में पायल महेश्वरी लड़ चुकी है रालोद के टिकट पर विधानसभा का चुनाव वकील की ड्रेस में क़ातिल। मौके पर पुलिस ने धर दबोचा है।

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-उत्तर प्रदेश में एम सैंड को प्रोत्साहित करने के लिए पॉलिसी लाने जा रही योगी सरकार

लखनऊ । देश में बढ़ते शहरीकरण और बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधियों के कारण रेत की मांग में वृद्धि को देखते हुए योगी सरकार मैन्युफैक्चर्ड सैंड (एम सैंड) को इसके विकल्प के तौर पर देख रही है। सरकार प्रदेश में एम सैंड का निर्माण करने वाले उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए सभी एम सैंड यूनिट्स को इंडस्ट्री स्टेटस प्रदान करने पर विचार कर रही है। साथ ही इन यूनिट्स को एमएसएमई का लाभ दिए जाने का भी प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त फिक्स्ड पावर कॉस्ट और मिनरल रॉयल्टी पर भी विचार किया जा रहा है। इन सभी बातों को एम सैंड पॉलिसी में समाहित किया गया है। स्टेकहोल्डर्स से मिले सुझावों पर गौर करते हुए जल्द ही एम सैंड पॉलिसी का फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा और कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे प्रदेश में लागू किए जाने की योजना है। एमएसएमई नीति के लाभ होंगे लागू प्रदेश सरकार के भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय ने हाल ही में एम सैंड पॉलिसी के एक ड्राफ्ट पर प्रदेश और देश के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की है। निदेशालय के अपर निदेशक विपिन कुमार जैन के अनुसार, पॉलिसी में एम सैंड यूनिट्स को इंडस्ट्री स्टेटस दिए जाने का प्रावधान है। इसके अंतर्गत सभी एम सैंड यूनिट्स को उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय उत्तर प्रदेश की ओर से इंडस्ट्री स्टेटस के लाभ दिया जाएगा। साथ ही एमएसएमई प्रोत्साहन नीति 2022 के भी लाभ प्रदान किए जाने का प्रावधान प्रस्तावित है। इसमें कैपिटल सब्सिडी, स्टांप ड्यूटी में छूट और ब्याज में छूट का प्रावधान है। कैपिटल सब्सिडी के तहत बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल की माइक्रो यूनिट्स को 25 प्रतिशत, स्माल यूनिट्स को 20 प्रतिशत और मीडियम इंटरप्राइज को 15 प्रतिशत तक कैपिटल सब्सिडी का लाभ देगी। वहीं, मध्यांचल एवं पश्चिमांचल में यह 20 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 10 प्रतिशत होगा। स्टांप ड्यूटी में छूट का जो प्रावधान किया गया है, उसमें बुंदेलखंड व पूर्वांचल के लिए 100 प्रतिशत और मध्यांचल व पश्चिमांचल के लिए 75 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही माइक्रो इंटरप्राइज को 5 साल तक 25 लाख की कैपिंग के साथ 50 प्रतिशत तक ब्याज में सब्सिडी प्रदान किए जाने की भी योजना है। सरकारी इंजीनियरिंग विभागों में 25 प्रतिशत की खपत इसके अतिरिक्त एम सैंड यूनिट्स को कई और लाभ दिए जाने की भी योजना है। स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा में रखे गए पॉलिसी ड्राफ्ट के अनुसार एम सैंड निर्माता यूनिट्स को फिक्स्ड पावर कॉस्ट का लाभ मिलेगा। इसके तहत कॉमर्शियल प्रोडक्शन की तारीख प्रदान किए जाने के बाद से 5 वर्षों के लिए 1 रुपए प्रति यूनिट की दर से प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसके अतिरिक्त मिनरल रॉयल्टी का भी प्रावधान है, जिसके अंतर्गत स्रोत चट्टान पर रॉयल्टी में छूट प्रदान की जाएगी। यही नहीं, सरकार की ओर से ये भी राहत दी गई है कि पीडब्ल्यूडी समेत सभी सरकारी इंजीनियरिंग विभागों में इस्तेमाल होने वाली कुल सैंड का 25 प्रतिशत एम सैंड ही इस्तेमाल किया जाएगा। धीरे-धीरे इस प्रतिशत को 25 से बढ़ाकर 50 किया जाएगा, ताकि एम सैंड यूनिट्स की खपत बढ़ सके। क्या है एम सैंड? एम सैंड दरअसल कृत्रिम रेत का एक रूप है, जिसे बड़े कठोर पत्थरों मुख्य रूप से चट्टानों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में कुचलकर निर्मित किया जाता है। इसे बाद में धोया जाता है और बारीक वर्गीकृत किया जाता है। यह व्यापक रूप से निर्माण उद्देश्यों के लिए नदी की रेत के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे तरीकों से एम सैंड बनाया जा सकता है।

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Lucknow-Gorakhpur Railway Route : बालासोर हादसे के बाद सतर्कता, ABS पर काम शुरू, एक KM की रेंज में आगे-पीछे चलेंगी ट्रेनें

लखनऊ । बालासोर हादसे के बाद उत्तर प्रदेश में रेलवे की यात्रा को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम तेज कर दिया गया है । लखनऊ से गोरखपुर रूट पर अब एक किलोमीटर के दायरे में ट्रेनें आगे-पीछे चल सकेंगी। और इस उपलब्धि के पीछे है ABS – ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम।एक साल में पूरा रूट ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम से लैस हो जाएगा। अब तक ट्रेनों के बीच की दूरी कम से कम से आठ किलोमीटर होती है। आगे चल रही ट्रेन के स्टेशन पहुंचने के बाद पीछे वाली ट्रेन को ग्रीन सिग्नल दिया जाता है। नई व्यवस्था लागू होने से ट्रेनों की टाइमिंग में भी सुधार होगा। ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के बीच (ब्लॉक सेक्शन) प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए जाएंगे। जैसे-जैसे सिग्नल हरे होते जाएंगे पीछे चल रही ट्रेन आगे बढ़ती जाएगी। इसके लिए केबल बिछाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गोरखपुर से लखनऊ के बीच हर दो ब्लॉक के बीच एक हट बनाया जाएगा। इसमें सिग्नल से जुड़े संयंत्र रखे जाएंगे, ताकि फॉल्ट आने पर तत्काल सही किया जा सके। सिग्नल पहले लाल, फिर डबल पीला और पीला होने के बाद हरा होगा। इसके अनुसार लोको पाइलेट एक किमी की दूरी रखते हुए ट्रेन चला सकेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का काम डोमिनगढ़ और टिनीच के बीच शुरू हो चुका है। रूट सर्वे और मार्किंग ऑफ ब्लॉक का काम दो ब्लॉक खंड में पूरा हो गया है। रेल खंडों में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इससे लोगों को सुरक्षित रेल यात्रा का लाभ मिलने की उम्मीद है।

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Vikasnagar : पछवादून क्षेत्र में बढ़ रहे छेड़छाड़ के मामले, कोई कह रहा Love Jihad कोई कह रहा Love Trap

पछवादून क्षेत्र में नाबालिग लड़कियों और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और शोषण के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। यहां एक ओर हिंदूवादी संगठन इसे लव जिहाद का नाम दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष इसे लव ट्रेप का नाम दे रहा है। बता दें कि पिछले एक माह में विकासनगर क्षेत्र में करीब आधा दर्जन मामलों में हिंदू युवतियों को मुस्लिम युवकों द्वारा साजिशन फंसाने और उनका शोषण किए जाने के मामले सामने आए हैं, जिसमें स्थानीय पुलिस संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को जेल भेज चुकी है। वहीं अब ऐसे ही मामलों में हिंदू युवकों द्वारा मुस्लिम युवतियों से अश्लील हरकत करने और उन्हें ब्लेकमैल करने के मामले सामने आए हैं। जिसको लेकर मुस्लिम समाज के लोग भी आक्रोशित हैं। बताया जा रहा है कि दो रोज पहले बाजार आई एक मुस्लिम महिला से हिंदू युवक द्वारा छेड़छाड़ और अश्लील की गई बल्कि उसे गाली गलौज और जान से मारने की धमकी दी। जिसके चलते स्थानीय पुलिस ने आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वहीं दूसरे मामले में मुस्लिम समाज की नाबालिग छात्रा को उसी के स्कूल में पढ़ने वाले हिंदू छात्र द्वारा डराने धमकाने और अश्लील फोटो वीडियो बनाकर ब्लेकमैल करने के आरोप लगे हैं जिसमें कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। Byte : सुलेमान अहमद, स्थानीय निवासी लगातार बढ़ रहे मामलों को लेकर पुलिस मीडिया के कैमरे के सामने कुछ भी कहने से पल्ला झाड़ रही है।

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1 हजार एकड़ में पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल एवं अपैरल पार्क बनाएगी योगी सरकार

लखनऊ | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 एफ विजन (फार्म-फाइबर-फैक्ट्री-फैशन-फॉरेन) को आत्मसात करते हुए योगी सरकार इसी आधार पर राजधानी लखनऊ में पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल और अपैरल पार्क का निर्माण करेगी। इसके लिए योगी सरकार ने राजधानी के मलिहाबाद तहसील के माल ब्लाॅक स्थित अटारी गांव में भूमि को भी चिन्हित कर लिया है। मेगा टेक्सटाइल और अपैरल पार्क एक हजार एकड़ में बनाया जाएगा, जिससे 1 लाख युवाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। योगी सरकार को इस पार्क में दस हजार करोड़ से अधिक इन्वेस्टमेंट की उम्मीद है। इस पार्क को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। कनेक्टिविटी को ध्यान में रखकर अटारी में बनाया जा रहा पार्क योगी सरकार टेक्सटाइल और अपैरल पार्क के जरिये एक ही छत के नीचे व्यापारियों को कपड़ा उद्योग से संबंधित सभी जरूरतों को उपलब्ध कराएगी, जिससे उद्योग की लागत कम हो सके। वहीं निर्माताओं को निर्यात के लिए मानकों के अनुसार बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा। टेक्सटाइल और अपैरल पार्क की कनेक्टिविटी को ध्यान में रखकर राजधानी के अटारी गांव को चुना गया है। यहां से 20 किमी की दूरी पर एनएच-20 और एसएच-20 है, जो फोर लेन है और क्रमश: लखनऊ को सीतापुर और हरदोई से जोड़ता है। वहीं 20 किमी की दूरी पर 6 लेन ऑउटर रिंग रोड है। इसके साथ ही रेलवे कनेक्टिविटी भी बेहतर है। यहां से मलिहाबाद रेलवे स्टेशन 16 किमी तो लखनऊ रेलवे स्टेशन 40 किमी की दूरी पर है। पार्क से 45 किमी की दूरी पर लखनऊ इंटरनेशनल एयरपोर्ट तो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर 95 किमी की दूरी पर कानुपर नोड और 500 किमी पर दादरी टर्मिनल है। इतना ही नहीं इनलैंड कंटेनर डिपो 111 किमी की दूरी पर कानुपर में है। पीपीपी मोड पर तैयार होगा पार्क पार्क को पीपीपी मोड पर अत्याधुनिक सुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयार किए जाने का प्रस्ताव है। इसके तहत 500 करोड़ रुपये से कोर इंफ्रास्ट्रक्टचर का निर्माण किया जाएगा, जबकि 300 करोड़ रुपये का प्राविधान मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए किया गया है, जो पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा। पार्क के निर्माण में अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहला कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर, दूसरा सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर और तीसरा प्रीमियम स्पेस है। इसमें कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर में रोड नेटवर्क, चौबीस घंटे और सातों दिन पॉवर सप्लाई, वॉटर सप्लाई, वेयरहाउस, जीरो लिक्विड डिस्चार्ज इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, ट्रेनिंग एंड स्किल डेवलपमेंट फैसिलिटी, प्रशासनिक बिल्डिंग प्रोडेक्ट डिस्प्ले फैसिलिटी और एग्जीबिशन सेंटर के साथ टेस्टिंग लैबोरेटरी आदि शामिल है। वहीं सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर में वर्कर्स हास्टल, हाउसिंग जोन, मेडिकल फैसिलिटी, कामर्शियल एंड रिक्रिएटिंग फैसिलिटी, ओपन स्पेस और पार्क, सिक्योरिटी आदि शामिल है। इसी तरह प्रीमियम स्पेस में इंडस्ट्रियल प्लॉट और प्लग एंड इंडस्ट्रियल शेड शामिल हैं।

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बाढ़ से निपटने को जून में ही ‘सुकून’ देने को तत्पर योगी सरकार

लखनऊ | बाढ़ से निपटने को जून में ही योगी सरकार ‘सुकून’ देने को तत्पर है। बाढ़ से निपटने की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं या अंतिम दौर में हैं। पिछले दिनों सीएम योगी ने खुद इसकी समीक्षा कर 15 जून तक सारी तैयारियों को पूरा करने का निर्देश दिया था। इसके बाद मातहतों ने बाढ़ से निपटने की तैयारियों में काफी तेजी भी ला दी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित 73 जनपदों में स्टीयरिंग ग्रुप की बैठक भी संपन्न कर ली गई है। लखनऊ में केंद्रीय व जनपदों में 50 बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना की जा चुकी है। 15 जून से बाढ़ की संपूर्ण अवधि (संभावित अक्टूबर) तक यह कक्ष क्रियाशील रहेंगे। 51 बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना, 2022-23 में 282 परियोजनाएं हुईं पूरी बाढ़ से निपटने के लिए योगी सरकार ने सारी व्यवस्था पहले ही कर ली है। लखनऊ में केंद्रीय व 50 जनपदों में बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना हो चुकी है। 15 जून से यह सतत क्रियाशील हो जाएंगे। आमजन की सुरक्षा को शीर्ष पर रखते हुए 2022-23 में इससे जुड़ीं 282 परियोजनाएं और योगी सरकार के कार्यकाल में कुल 982 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं। वर्तमान में 265 नई परियोजनाएं, 07 ड्रेजिंग संबंधी परियोजना और पूर्व से संचालित 140 परियोजनाओं सहित कुल 412 परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। 325 से अधिक परियोजनाओं का 50फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय लखनऊ द्वारा बाढ़ सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान हेतु महत्वपूर्ण 113 बेतार केंद्र भी बाढ़ अवधि में सतत क्रियाशील रहेंगे। 24 अति व 16 संवेदनशील जिलों पर भी विशेष नजर बाढ़ की दृष्टि से 24 अति संवेदनशील जिलों पर भी सीएम योगी की नजर है। इन जिलों में महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोंडा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर व कासगंज समेत 16 जिले संवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण करने का निर्देश सीएम ने दिया है। इन स्थलों पर प्रकाश व आवश्यक उपकरणों का भी प्रबंध किया जा रहा है। सभी 780 बाढ़ सुरक्षा समितियां गठित कर ली गई हैं। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबंधों का जिलाधिकारी निरीक्षण कर इसे दुरुस्त भी करा रहे हैं। मॉनसून पूर्व कई तटबंधों पर कार्य किया जा चुका पूर्ण मॉनसून के पहले ही कई तटबंधों पर कार्य पूरा किया जा चुका है। फर्रुखाबाद में कोसी नदी पर निर्मित कडक्का तटबंध, सिद्धार्थनगर में बूढ़ी राप्ती पर अशोगवा-नगवां तटबंध, मदरहवा-अशोगवा बांध व लखनापार बैदौला तटबंध के क्षतिग्रस्त भाग का मरम्मत कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मऊ में सरयू नदी पर चिऊटीडाड़ तटबंध, बदायूं में गंगा नदी पर जौरीनगपाल तटबंध, गंगा-महावां तटबंध, उसहैत तटबंध, उसवां तटबंध और आजमगढ़ में सरयू नदी पर निर्मित महुला गढ़वाल व जोकहरा तटबंध का कार्य पूर्ण। जोकहरा में क्षतिग्रस्त भाग का मरम्मत पूरा कर लिया गया। संतकबीरनगर समेत अन्य जिलों में भी कई कार्यों को मॉनसून पूर्व कर लिया गया। अतिसंवेदनशील तटबंधों पर प्रभारी अधिकारी व सहायक अभियंता भी नामित किए जा चुके हैं। जनप्रतिनिधियों संग मौके पर निरीक्षण का निर्देश सीएम ने पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अतिसंवेदनशील और संवेदनशील प्रकृति वाले जिलों में जिलाधिकारियों को सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगरीय निकाय के चेयरमैन/अध्यक्ष की उपस्थिति में बाढ़ से पहले निरीक्षण का निर्देश दिया था। आपदा प्रबंधन के लिए जिलों की अपनी कार्ययोजना होनी चाहिए। एनडीआरएफ/एसडीआरएफ के सहयोग से युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए। जिलाधिकारीगण जनप्रतिनिधियों के साथ संवेदनशील स्थलों का भौतिक निरीक्षण जरूर करें। समस्त अतिसंवेदनशील तटबंधों पर नामित प्रभारी अधिकारी 24×7 अलर्ट मोड पर हैं। तटबन्धों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत् निगरानी की जाती रहे। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता लेकर इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

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गंगा के चंगा होने की चर्चा में योगी की अहम भूमिका

उत्तर प्रदेश | गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है। इसका धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हमारे धर्मशास्त्रों एवं पुराणों में गंगा के महात्म्य का खूब जिक्र किया गया है। इसे नदियों में श्रेष्ठ (नदिसू गंगा) के साथ मोक्षदायिनी, पतितपावनी कहा गया है। गंगा का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हाल ही में जर्मनी में हुए एक शोध में पता चला कि गंगाजल स्नायु एवं जल जनित रोगों का नाशक है। कुछ समय पहले देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा एवं शोध संस्था आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) नई दिल्ली के एक शोध में भी गंगाजल की खूबियों का जिक्र किया गया। गंगा के अपवाह का अधिकतम हिस्सा उत्तर प्रदेश में पड़ता है। निर्मल एवं अविरल गंगा के जरिये गंगा जल की ये खूबियां बनीं रहें, इसकी सर्वाधिक जवाबदेही उत्तर प्रदेश सरकार की है। नदी संस्कृति के मुखर पैरोकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से इसके लिए हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर गंगा के चंगा होने की चर्चा है। करीब छह महीने पहले कनाडा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से आयोजित जैव विविधता सम्मेलन में “नमामि गंगे परियोजना” की सराहना की गई थी। स्वाभाविक है कि इस तरह की सराहना का सर्वाधिक श्रेय भी योगी को ही जाता है। धर्म के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार कर रही योगी सरकार हर संभव मौके पर योगी गंगा के धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व की चर्चा जरूर करते हैं। मसलन 30 दिसंबर 2022 को कोलकाता में आयोजित “राष्ट्रीय गंगा परिषद” की बैठक में उन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुसार गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार करने का संभव प्रयास कर रहे हैं। इसके कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को व्यापक बाजार दिलाने एवं वहां तक सस्ते में परिवहन की सुविधा मुहैया कराने के लिए योगी सरकार वाराणसी से बलिया तक 15 जेटी (छोटे बंदरगाह) बनाने की घोषणा को गंगा को अर्थगंगा से जोड़ने के प्रयासों की ही एक कड़ी है। प्रदूषण से बचाने के लिए गंगा के तटवर्ती जिलों में जैविक खेती पर जोर यही नहीं गंगा को रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों से मुक्ति दिलाने के लिए तटवर्ती गावों के सभी जिलों में जैविक/प्राकृतिक खेती, गंगा वन के पीछे भी यही मकसद है। अनुपूरक बजट में भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराते हुए 2025 तक एसटीपी के सभी कार्यों को पूरा करने की बात सरकार की ओर से कही जा चुकी है। निर्मल एवं अविरल गंगा को जन आंदोलन बनाने के लिए हुई गंगा यात्रा निर्मल एवं अविरल गंगा की मुहिम एक जन आंदोलन बने, इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर गंगा यात्रा भी निकाली जा चुकी है। उस यात्रा और योगी के लिए गंगा की अहमियत क्या है, यह इससे लगाया जा सकता है कि यात्रा के एक छोर (बलिया) की शुरुआत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की तो बिजनौर (उत्तर प्रदेश में गंगा का प्रवेश द्वार) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यात्रा की शुरुआत की। मुख्यमंत्री तो मीरजापुर, प्रयागराज और यात्रा के समापन के मौके पर कानपुर में भी इसके साझीदार बने थे। जाना तो उनको वाराणसी भी था, पर मौसम आड़े आ गया। इस यात्रा के पहले सरकार ने गंगा के तटवर्ती शहरों, कस्बों और गांवों के लिए जिन योजनाओं (गंगा मैदान, गंगा पार्क, औषधीय पौधों की खेती, गंगा नर्सरी, पौधरोपण, बहुउद्देशीय गंगा तालाब, जैविक खेती) की घोषणा की थी, अब उनपर तेजी से अमल हो रहा है। आस्था और अर्थ के इस संगम का लाभ गंगा की गोद में बसे करोड़ों लोगों को होगा। उनको सर्वाधिक, जिनकी आजीविका का साधन कभी गंगा ही हुआ करती रही। सरकार के प्रयासों से जैसे-जैसे गंगा निर्मल और अविरल होगी यह वर्ग खुशहाल होता जाएगा।

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सियालदह से अजमेर जा रही एक्सप्रेस ट्रेन में लगी आग, यात्रियों में मचा हड़कंप

कौशाम्बी | उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में कोखराज थाना क्षेत्र के भरवारी रेलवे स्टेशन के पास सियालदह से अजमेर जा रही 12987 एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगने की सूचना से हड़कंप मच गया। राहत की बात यह रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। सियालदह अजमेर (12987) एक्सप्रेस में लगी आग शार्ट सर्किट से लगी ट्रेन में आग आग देख कर यात्रियों में मचा हड़कंप रेलवे कर्मचारियों ने आग पर पाया काबू कोखराज थाना इलाके के भरवारी रेलवे स्टेशन का मामला बताया जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी। आग लगने की सूचना पर ट्रेन को चेन पुलिंग रोका गया। इस दौरान यात्रियों में हड़कंप मच गया। आनन फानन में लोग खिड़की दरवाजे से कूदने लगे। फिलहाल आग पर काबू पर लिया गया है।

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