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2017 से पहले जिन विद्यालयों में बच्चे आने से डरते थे, 6 वर्ष में वहां 55 से 60 लाख अतिरिक्त बच्चों की बढ़ी है संख्याः सीएम योगी

लखनऊ। 2017 से पहले बेसिक शिक्षा स्कूलों में बच्चे आने से डरते थे, लोगों में उत्साह नहीं था। स्कूलों में पेड़ों की जगह झाड़ियां जमा रहती थीं। आज उन्हीं विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती हुई दिखाई देती है। स्कूलों की दीवारों पर बच्चों की रचनात्मक अभिव्यक्ति पेंटिंग के रूप में दिखाई देती है। आज अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल भेजना चाहता है। उसके मन में जिज्ञासा पैदा हुई है। विगत 6 वर्षों में 55 से 60 लाख अतिरिक्त बच्चे बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में आए हैं। आज बेसिक स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 1 करोड़ 91 लाख को पार कर चुकी है। जब इस संख्या को देखता हूं तो सोचता हूं कि कई देशों की आबादी इतनी नहीं है। विगत 6 वर्षों में उत्तर प्रदेश में समग्र विकास की भावना को साकार करते हुए क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया है। यह बातें सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को शिक्षा सत्र 2023-24 में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ड्रेस, स्वेटर, स्कूल बैग, जूता-मोजा एवं स्टेशनरी की खरीद के लिए प्रति छात्र-छात्रा 1200 रुपए की धनराशि उनके माता-पिता के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से जारी करते हुए कहीं। खास बात ये रही कि प्रदेश सरकार के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 12 हजार से अधिक लोगों ने पूरे प्रदेश में इस कार्यक्रम को लाइव देखा, जबकि अन्य माध्यमों से भी हजारों लोग इस कार्यक्रम से जुड़े। -मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा सत्र 2023-24 के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से प्रति छात्र जारी की 1200 रुपए की धनराशि – सीएम योगी ने कहा- विगत 6 वर्षों में उत्तर प्रदेश में समग्र विकास की भावना को साकार करते हुए क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया – उत्तर प्रदेश में शिक्षा आयोग बनाने की प्रक्रिया जारी, बहुत जल्द होगा गठन: सीएम योगी – यूपी के बेसिक स्कूलों में पढ़ रहे 1 करोड़ 91 लाख से अधिक छात्र, कई देशों की तो आबादी भी इतनी नहींः योगी आदित्यनाथ – प्रदेश सरकार के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 12 हजार से अधिक लोगों ने कार्यक्रम को लाइव देखा, अन्य संचार माध्यमों से भी हजारों लोग जुड़े गरीबी को दूर करने में प्रमुख पैरामीटर साबित हुई है शिक्षा सीएम योगी ने नीति आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश को गरीबी से मुक्त करने के जिस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की गई है, वह बड़ी उपलब्धि है। उत्तर प्रदेश में जो लोग गरीबी से मुक्त हुए हैं वो सक्षम हुए हैं। नीति आयोग ने जो पैरामीटर तय किए थे, उसमें सबसे पहला पैरामीटर शिक्षा ही था। शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं और आने वाले 5-10 साल में इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे। इसके लिए उन सभी शिक्षकों व गुरुजनों का आभार है जिन्होंने आगे आकर इसे नेतृत्व दिया, आज उसके परिणाम सबको देखने को मिल रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में खासतौर पर आकांक्षात्मक जिलों में काफी परिवर्तन देखने को मिला है। इसके लिए वे सभी विभाग जिन्होंने इसे मिशन बनाकर अपना योगदान दिया है वो धन्यवाद के पात्र हैं। डीबीटी के माध्यम से जारी की गई राशि की निगरानी करें शिक्षक सीएम योगी ने कहा कि डीबीटी के माध्यम से जो पैसा यूनिफॉर्म, जूते-मोजे और स्टेशनरी के लिए भेजा गया है, उसमें हमारे शिक्षकों की भी जिम्मेदारी है कि वो सुनिश्चित करें कि बच्चे नियमित रूप से यूनिफॉर्म में स्कूल आएं। उम्मीद की जाती है कि हर शिक्षक बच्चे के लिए यूनिफॉर्म बनवाने को अभिभावक के साथ बैठक कर चर्चा करेगा, ताकि समयसीमा में बच्चे यूनिफॉर्म, किताबें, जूते-मोजे पा सकें। दो-तीन वर्ष पहले तक यह शिकायत आती थी कि यूनिफॉर्म नहीं मिल पा रहा, बुक्स नहीं मिल पा रही है। आज पैसा अभिभावक के खाते में जा रहा है, जो पारदर्शिता का नमूना है। इसकी मॉनीटरिंग विद्यालय स्तर पर प्रधानाचार्य के माध्यम से, शिक्षकों के माध्यम से होनी चाहिए। अभिभावकों के साथ जब संवाद होगा तो समस्या के समाधान के साथ सही आंकड़े भी हमारे पास आ पाएंगे कि वास्तव में कितने बच्चे बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अध्ययन कर रहे हैं। इसी तरह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि जो बच्चे आधे में स्कूल छोड़ देते हैं इसके लिए अभिभावकों से बातचीत की जाए। ये बच्चे पढ़ लिख जाएंगे तो सकारात्मक योगदान दे पाएंगे। 6 वर्ष में की गईं 1.64 लाख शिक्षकों की भर्ती सीएम योगी ने कहा कि 2017 के पहले की स्थिति क्या थी, शिक्षकों की भारी कमी थी। मुझे आश्चर्य होता है कि कुछ लोग इस बात की चर्चा करते हैं कि 5 वर्ष से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। पिछले 6 वर्ष में एक लाख 64 हजार शिक्षकों की भर्ती बेसिक और माध्यमिक शिक्षा परिषद में हुई है। जो लोग रिटायर हो रहे हैं,जहां अतिरिक्त शिक्षकों की आवश्यकता होती है, वहां पर निरंतर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी के लिए प्रदेश के अंदर एक शिक्षा आयोग बनाने की प्रक्रिया वर्तमान में प्रचलित है और बहुत जल्द हम इसका गठन करने जा रहे हैं। इसके साथ ही समय समय पर शिक्षकों के रिफ्रेशर कोर्स चलाने चाहिए। शिक्षक यदि अपडेट होगा तो वो पूरी पीढ़ी को अपडेट कर देगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि डायट खाली न हो, योग्य शिक्षक जाएं। उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं दीजिए। शिक्षकों को और पारंगत करने के लिए वहां जो भी गैप है उसे पूरा करना होगा। आज जो किताबें यहां विमोचित हुई हैं, वो हर विद्यालय में उपलब्ध कराई जाएं और शिक्षक भी उसे अवश्य पढ़ें। सीएसआर की राशि से मजबूत होगी प्रदेश की नींव सीएम योगी ने उन संस्थानों का धन्यवाद किया जिन्होंने सीएसआर के मद में बेसिक शिक्षा परिषद के ऑपरेशन कायाकल्प को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। ऐसे 6 संस्थानों को उन्होंने सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों के साथ-साथ अनेक समाज से जुड़े लोगों ने भी रुचि लेकर ऑपरेशन कायाकल्प के कार्यक्रम को सफलता की नई ऊंचाइयां दी हैं। उन्होंने कहा कि पहले कोई बेसिक शिक्षा परिषद को धनराशि देने की बात करता था क्या, आज 250 करोड़ की सीएसआर की राशि

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एक्सप्रेस-वे की रफ्तार को तीव्र करेगी योगी सरकार

लखनऊ । उत्तर प्रदेश को ‘एक्सप्रेस प्रदेश’ बनाने की दिशा में कार्य कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप सरकार प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाने के लिए दिन-रात काम कर रही है। इसी क्रम में गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में यात्री सुविधाओं को लेकर इस वर्ष जारी होने वाले वार्षिक अनुदान किस्त की अदायगी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। प्रदेश सरकार ने इस संबंध में गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए 100 करोड़, जबकि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के लिए 40 करोड़ रुपए की किस्त जारी करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए योगी सरकार एक्सप्रेस-वे योजनाओं को गति दे रही है। यह सरकार के प्रयासों का ही असर है कि एक्सप्रेस-वे निर्माण की दिशा में यूपी तेजी से प्रगति कर रहा है। मेरठ से प्रयागराज रूट पर होगा काम प्रदेश में इस समय 7 एक्सप्रेस-वे क्रियाशील हैं, जबकि 6 निर्माणाधीन हैं। इनमें सबसे प्रमुख गंगा एक्सप्रेस-वे व बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे हैं, जो कई बड़े शहरों को कनेक्ट करते हैं। ऐसे में, मेरठ से प्रयागराज के मध्य बन रहे गंगा एक्सप्रेस-वे को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से 100 करोड़ रुपए की वार्षिक अनुदान किस्त जारी करने की हरी झंडी मिल गई है। गंगा एक्सप्रेस-वे की कुल अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपए है जिसमें से अब तक 4,775 करोड़ रुपए की धनराशि परियोजना के लिए जारी हो चुकी है, वहीं इस वर्ष इस क्रम में 100 करोड़ रुपए की धनराशि यूपीडा द्वारा जारी की जा रही है। गौरतलब है कि पीपीपी मॉडल के आधार पर 594 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे का प्रदेश में निर्माण किया जा रहा है और चार चरणों में पूर्ण होने वाली इस योजना की घोषणा नरेंद्र मोदी द्वारा 18 दिसंबर 2021 को शाहजहांपुर में की गई थी। वर्ष 2024 तक इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूर्ण होना अनुमानित है। बुंदेलखंड पर विशेष फोकस प्रदेश में बुंदेलखंड में विकास कार्यों में तेजी लाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है। पिछली सरकारों में यह क्षेत्र उपेक्षा का शिकार रहा, जबकि सीएम योगी के सत्ता संभालने के बाद इस क्षेत्र का प्रदेश के बाकी क्षेत्रों की तरह विकास सुनिश्चित हुआ है। हाल के दिनों में सीएम योगी ने यहां कई परियोजनाओं को प्रारंभ किया है तो वहीं, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के जरिए प्रदेश में आए 35 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश को धरातल पर उतारने के लिए जिन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है उनमें बुंदेलखंड भी प्रमुख है। यही कारण है कि आम लोगों की सुविधा, कनेक्टिविटी, परिवहन को सुगम बनाने और बुंदेलखंड में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ किया गया है। यह एक्सप्रेस-वे चित्रकूट को आगरा से लेकर प्रयागराज तक जोड़ता। प्रदेश सरकार ने यहां यात्री सुविधाओं समेत अन्य विकास परियोजनाओं के लिए वार्षिक अनुदान किस्त के तौर पर 40 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त करने को स्वीकृति दी है और यूपीडा को इस संबंध में आदेशित भी कर दिया है। गौरतलब है कि 14,849 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं के लिए अब तक 6,270 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। मौजूदा राशि का उपयोग परियोजना के दौरान अन्य निर्माण कार्यों, रख-रखाव समेत विभिन्न मदों में किया जाएगा।

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प्रदेश के सभी बोर्ड के मेधावी छात्र-छात्राओं का इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में सीएम ने किया सम्मान

लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को प्रदेश के मेधावियों को सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं को निरंतर प्रयास करते रहने का संदेश दिया और कहा कि जीवन में कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है। शिक्षा से आप जीवन की सभी चुनौतियों का सामना कर सकेंगे। शिक्षा में भक्ति होनी चाहिए। भक्ति में रावण ने कैलाश पर्वत उठा लिया था पर अहंकार में अंगद का पैर भी नहीं उठा पाया था। अगर आपने ये सोच लिया कि अब तो 99 प्रतिशत आ गए अब मेहनत करने की जरूरत नहीं तो आपको मुश्किल होगी। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि शिक्षा में भक्ति होने पर आप जीवन की सभी चुनौतियों को पार कर सकेंगे। आने वाले संकटों का धैर्यपूर्वक सामना करना चाहिए इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हमें जीवन में आने वाले संकटों का धैर्यपूर्वक सामना करना चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए क्योंकि शॉर्टकट का मार्ग कभी सफलता नहीं दिलाता है। उन्होंने कहा कि अब नकलविहीन परीक्षा यूपी की हकीकत है। यह बीते छह वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में किए जाने वाले बड़े बदलाव हैं। पहले एक-डेढ़ महीने तक बोर्ड परीक्षाएं होती रहती थीं पर अब 15 दिन में बोर्ड परीक्षा होने के बाद समय पर परिणाम घोषित कर दिया जाता है। अपने पुरुषार्थ से सफलता की मंजिल को चूमना ही वास्तविक सफलता मुख्यमंत्री ने कहा कि हर चुनौती परीक्षा की घड़ी होती है। संकट सामने आए तो उससे भागने की जगह उसका सामना करना चाहिए। शॉटकर्ट का मार्ग कभी सफलता की मंजित तक नहीं पहुचा सकता। चुनौतियों से जूझ़ते हुए, ईमानदारी से और अपने पुरुषार्थ से सफलता की मंजिल को चूमना ही वास्तविक सफलता है। भारत ने कोविड कालखंड में इसे साबित करके दिखाया है, जब पूरी दुनिया इस महामारी के सामने पस्त हो गई थी, तब भारत फ्री जांच, फ्री उपचार और फ्री वैक्सिनेशन के कार्यक्रम चला रहा था। इतना ही नहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए शिक्षा के क्षेत्र में आजादी के बाद सबसे बड़े बदलाव को भी कोविड काल में ही लागू किया गया। बिना भेदभाव योजनाएं जन-जन तक पहुंचाना ही वास्तविक रामराज्य मुख्यमंत्री ने बताया कि आज राजधानी में सभी बोर्ड के टॉप टेन मेधावियों को सम्मानित करने का कार्य किया गया है। इसके अलावा जनपद स्तर के टॉप 10 मेधावियों को भी सरकार के मंत्रीगण और जन प्रतिनिधियों ने सम्मानित किया है। उन्होंने बताया कि यूपी में दो करोड़ छात्र-छात्राओं को टैबलेट वितरित किया जा रहा है। इसके अलावा अभ्युदय कोचिंग, शिक्षकों को ऑनलाइन क्लास से जोड़ना। लंबे समय से रिक्त पदों पर शिक्षकों की उपलब्धता की व्यवस्था की गई है। जर्जर विद्यालयों के कायाकल्प का कार्य किया गया। नए संस्थान खोले जा रहे हैं। गरीब बच्चों के लिए 18 अटल आवासीय विद्यालय खोले जा रहे हैं। बिना किसी भेदभाव के शासन की योजनाएं जन-जन तक पहुंचाने का कार्य हो रहा है। यही वास्तविक रामराज्य है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान मेधावी बच्चों, सीतापुर की प्रियांशी सोनी, महोबा के शुभ, चंदौली के इरफान, मुरादाबाद की कोषा शर्मा, मेरठ की राधिका सिंघल और आगरा की अभिषि सिंह को सम्मानित किया। समारोह में माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल, लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद, परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल रहे।

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मुख्यमंत्री ने काशी विश्वनाथ और काल भैरव मंदिर में किया दर्शन-पूजन

वाराणसी । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम और काशी के कोतवाल कालभैरव मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इस दौरान उन्होंने बाबा विश्वनाथ का षोडशोपचार विधि से पूजन अर्चन करते हुए प्रदेशवासियों के कल्याण की कामना की। सीएम के आगमन के मद्देनजर कालभैरव मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। सीएम रविवार को दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे थे।             उन्होंने रविवार को होटल ताज में G-20 सम्मेलन में पहुंचे विदेशी मेहमानों से मुलाकात की व उनके साथ डिनर किया। वहीं दूसरे दिन सोमवार को सुबह सात बजे सीएम श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे। यहां विधि विधान से बाबा का दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद लिया। उन्होंने काशी कोतवाल कालभैरव मंदिर में शीश नवाया। इस दौरान श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर सहित अन्य उपस्थित रहे।

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सीएम योगी ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ प्रतापगढ़ में 2,200 करोड़ से अधिक के निवेश से पांच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया

प्रतापगढ़ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नौ वर्ष में देश के अंदर हुए एक्सप्रेसवे, हाइवे और वाटरवे कार्य नए भारत की तस्वीर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जो कार्य करके दिखाएं हैं, वो आजादी के 70 सालों में नहीं हो पाया था। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था देश में नजीर बनी है। यहां की बेहतर कानून व्यवस्था पर वही व्यक्ति सवाल उठा सकता है जिसके व्यक्तिगत हित प्रभावित हो रहे हैं। सीएम योगी ने सोमवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ प्रतापगढ़ में 2,200 करोड़ से अधिक के निवेश से पांच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर गरीब कल्याण, देश की सुरक्षा और वैश्विक मंच पर भारत को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए हुए कार्यों को आज देश और दुनिया महसूस कर रही है। डबल इंजन की सरकार डबल स्पीड के साथ अपने कार्यक्रम आगे बढ़ा रही है।   सीएम योगी ने कहा कि अगले साल के शुरुआत में ही रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे और इस तरह से सैकड़ों वर्ष का इंतजार समाप्त हो जाएगा। इसको देखते हुए यहां शिलान्यास होने वाली परियोजनाएं बहुत महत्वपूर्ण हो जाती हैं। बहुत ही जल्द फोर लेने की कनेक्टिविटी से प्रतापगढ़ प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या से जुड़ जाएगा। उसके अगले साल 2025 में प्रयागराज में भव्य और दिव्य कुंभ का आयोजन होगा। इसी को ध्यान में रखकर यहां फोर लेन सड़क परियोजना का शिलान्यास किया जा रहा है, जो प्रतापगढ़ को प्रयागराज से जोड़ेगा। सीएम योगी ने कहा कि प्रतापगढ़ विकास की नई ऊंचाइयों को छूता दिखाई पड़ रहा है। कोई सोच नहीं सकता था कि प्रतापगढ़ में मेडिकल कॉलेज हो सकता है लेकिन आज प्रतापगढ़ के पास वो सभी सुविधाएं हैं जो एक जनपद में होनी चाहिए। प्रदेश के अंदर 54 लाख गरीबों को हमारी सरकार एक-एक आवास दे चुकी है। उन्होंने कहा कि वाराणसी में आयोजित हो रहे जी-20 सम्मेलन में आए विदेशी अतिथि काशी के विकास को और गंगा की निर्मल और अविरल धारा को देखकर अभिभूत हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नया भारत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है और दुनिया भारत की तरफ आकर्षित है। योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश का रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर अमेरिका के बराबर होगा: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में आने वाले समय में उत्तर प्रदेश देश का नंबर एक राज्य बनेगा। किसानों की प्रगति होगी, रोजगार मिलेगा और उत्तर प्रदेश का रोड इन्फ्रास्ट्रक्टर अमेरिका के बराबर होगा। उन्होंने कहा कि आज देश भर में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की चर्चा है। किसी भी प्रदेश के विकास के लिए उद्योग बहुत आवश्यक है। उद्योग नहीं आएगा तो रोजगार नहीं मिलेगा और रोजगार नहीं होगा तो गरीबी दूर नहीं होगी। किसानों की प्रगति, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास और औद्योगिक विकास में उत्तर प्रदेश बहुत तेज गति से प्रगति कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में हम आठ ग्रीन फील्ड कॉरिडोर बना रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के विकास में बहुत सहायक होंगे। केंद्रीय मंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि 41 हजार करोड़ रुपये की लागत से उत्तर प्रदेश में 40 बाईपास बनाने जा रहे हैं। इन परियोजनाओं का हुआ शिलान्यास – 1290 करोड़ रुपये की लागत से 43 किमी. लम्बे प्रतापगढ़-सुल्तानपुर 4 लेन सड़क का निर्माण। – 333 करोड़ रुपये की लागत से 21 किमी. लम्बे चिलबिला-लोहिया नगर 2 लेन पेव्डशोल्डर सड़क का निर्माण। – 325 करोड़ रुपये की लागत से 11 किमी. लम्बे प्रतापगढ़ शहर में भुपियामऊ-गोड़े खण्ड 4 लेन सीसी रोड का निर्माण। – 225 करोड़ रुपये की लागत से प्रतापगढ़ के एनएच-31 से एनएच-330 तक 2 लेन पेव्डशोल्डर बाईपास का निर्माण। – 27 करोड़ रुपये की लागत से प्रतापगढ़ जनपद में स्ट्रीट लाईट, हाईमास्ट लाईट एवं शेल्टर का निर्माण किया जाएगा।

सीएम योगी ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ प्रतापगढ़ में 2,200 करोड़ से अधिक के निवेश से पांच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया Read More »

योगी सरकार ने वाहन स्वामियों को दी बड़ी सौगात, पांच साल के ट्रैफिक चालान किए निरस्त

लखनऊ | योगी सरकार ने प्रदेश के निजी और कामर्शियल वाहन स्वामियों को बड़ी सौगात दी है। योगी सरकार ने यूपी में लंबे समय से वाहन चालान का भुगतान न करने वाले मालिकों को रियायत देते हुए उनका चालान निरस्त कर दिया है। सीएम योगी के इस फैसले से प्रदेश के लाखों वाहन मालिकों ने राहत की सांस ली है। यह उन वाहन चालकों के लिए खुशखबरी है जिनके अलग-अलग ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन में चालान काटे थे। ऐसे में जितने भी उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी 2017 से 31 दिसंबर 2021 के बीच चालान काटे गये हैं। उनके सभी चालान निरस्त कर दिए गए हैं। साथ ही जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित है। यह सभी वाहनों पर लागू होते हैं। 2 जून 2023 के माध्यम से लागू की गयी व्यवस्था परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह ने सभी संभागीय परिवहन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि न्यायालय में उपसमित वादों की सूची प्राप्त कर इन चालानों को पोर्टल से डिलीट कर दिए जाएं। यूपी सरकार के इस कदम से बाकी लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। शासन की ओर से इस संबंध में निर्देश सभी संभागीय परिवहन कार्यालयों में भेज दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि न्‍यायालय में लंबित चालान की सूची प्राप्‍त कर ई चालान पोर्टल से इसे हटा दिया जाए। आदेश के मुताबिक, एक जनवरी 2017 से 31 दिसंबर 2021 की अवधि में काटे गए चालानों को निरस्‍त किया जा रहा है। परिवहन आयुक्त ने बताया कि उत्तर प्रदेश अध्यादेश संख्या 2 जून 2023 के माध्यम से यह व्यवस्था लागू की गई है कि पुराने लंबित चालान निरस्त करा दिए जाएं। मालूम हो कि नोएडा में किसान इस तरह से चालान को निरस्त करने की मांग करते हुए धरना दे रहे थे। इससे पूरे उत्तर प्रदेश में करोड़ों लोगों के चालान माफ होने का रास्ता साफ हो गया है। घबराने की जरूरत नहीं है वहीं, इस अवधि के बाद वाले वाहन चालकों को घबराने की जरूरत नहीं है। आप घर बैठे ऑनलाइन ट्रैफिक चालान भर सकते हैं। यूपी ट्रैफिक पुलिस आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पूरी जानकारी एकत्रित कर सकते हैं। इसके लिए सिर्फ गाड़ी का नंबर पता होना चाहिए। खास बात यह है कि गलत चालान पर आप यहीं से शिकायत भी कर सकते हैं। हालांकि, वाहन का चालान कटने पर मोबाइल नंबर पर भी मैसेज जाता है।

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मुख्यमंत्री का निर्देश, फील्ड विजिट करें अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, योजनाओं के प्रगति की करें समीक्षा

● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने बुधवार को शासन स्तर के सभी अपर मुख्य सचिवों/प्रमुख सचिवों के साथ जनशिकायतों के निस्तारण को लेकर विभागीय कार्यप्रणाली की समीक्षा की। जनसमस्याओं और जनशिकायतों का मेरिट आधारित त्वरित समाधान पर बल देते हुए मुख्यमंत्री जी ने लोकहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। ● राज्य सरकार के सभी लोककल्याणकारी प्रयासों के मूल में आम आदमी की संतुष्टि और प्रदेश की उन्नति है। शासन-प्रशासन से जुड़े सभी अधिकारियों/कार्मिकों को इसे समझना चाहिए। आम जन की शिकायतों/समस्याओं के सहज समाधान के लिए जनसुनवाई समाधान प्रणाली (आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन) अत्यंत उपयोगी माध्यम है। शासन में तैनात वरिष्ठ अधिकारी हों या फील्ड में नियुक्त अधिकारी, हर किसी की यह जिम्मेदारी है कि आईजीआरएस पर प्राप्त आवेदनों का प्राथमिकता के साथ त्वरित निस्तारण किया जाए। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता/लापरवाही/देरी स्वीकार नहीं की जाएगी। ● अपराध और अपराधियों के खिलाफ हमने ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। आईजीआरएस में मिलने वाले आवेदन हों या सीएम हेल्पलाइन अथवा थाना/तहसील/विकास खंड में पहुंचने वाले शिकायतकर्ता, सबकी सुनवाई की जाए। पीड़ित/परेशान व्यक्ति की मनोदशा को समझें, उसकी भावना का सम्मान करें और पूरी संवेदनशीलता के साथ समाधान किया जाए। शिकायतकर्ता की संतुष्टि और उसका फीडबैक ही अधिकारियों के प्रदर्शन का मानक होगा। शासन से लेकर विकास खंड तक के अधिकारी मिशन मोड में जनसुनवाई को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए आमजन की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित कराएं। ● आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन पर आने वाले आवेदनों को लेकर थाना, तहसील और जिला स्तर हो रही कार्यवाहियों पर शासन से लगातार नजर रखी जा रही है। थाना दिवस और तहसील दिवस को और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि शिकायतों का निस्तारण अगले थाना/तहसील दिवस से पूर्व जरूर हो जाए। जनसुनवाई की इन तिथियों और उसमें उपस्थित रहने वाले अधिकारी के नाम का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। यहां आने वाले मामले कतई लंबित न रहें। ● आईजीआरएस/सीएम हेल्प लाइन को लेकर संवेदनशील विभागों ने अच्छा कार्य किया है। ऐसे विभागों, जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तानों, थानों और तहसीलों से औरों को प्रेरणा लेनी चाहिए, संतोषजनक प्रदर्शंन न करने वाले जिलों, थानों और तहसीलों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है। जनता से सीधा जुड़ाव रखने वाले विभाग के फील्ड में तैनात अधिकारी हर दिन न्यूनतम एक घंटा जनसुनवाई के लिए जरूर नियत करें। ● सभी अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव फील्ड में जाएं। अगले दो माह के भीतर सभी मंडलों का भ्रमण करें। फील्ड विजिट के दौरान अपने विभाग की लोककल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करें। लंबित शिकायतों का तत्काल मेरिट के आधार पर निस्तारण कराएं। जहां गड़बड़ी हो, वहां जवाबदेही तय करें। विजिट के बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को उपलब्ध कराएं। ● विभिन्न कार्यों में तैनात आउटसोर्सिंग कार्मिकों ने उत्कृष्ट कार्य किया है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी कार्मिकों का मानदेय समय पर मिले, पूरा मिले। किसी भी दशा में एक भी कर्मचारी का आर्थिक अथवा मानसिक शोषण नहीं होना चाहिए। ● वित्तीय बजट में विभागों को आवंटित धनराशि का सही और समयबद्ध उपयोग सुनिश्चित करें। हर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अपने विभागीय योजनाओं की समीक्षा करते हुए समय से धनराशि आवंटन कराएं। विभाग के लिए प्राविधानित बजट का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए। भारत सरकार से मिलने वाले अनुदान/अंशदान के संबंध में अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव स्वयं भी भारत सरकार के मंत्रालयों से संवाद/संपर्क करें।वर्तमान वित्तीय बजट की समाप्ति से पूर्व सभी विभागों द्वारा वर्तमान बजट में प्राविधानित धनराशि का यथोचित खर्च किया जाना सुनिश्चित किया जाए। विभाग स्तर भी पर खर्च की समीक्षा भी जाए। ● सचिवालय में फाइलों के लिए ई-ऑफिस की व्यवस्था है। इसे समस्त विभागाध्यक्ष/निदेशक कार्यालयों में भी लागू किया जाए। फिजिकल फाइलों का उपयोग अपरिहार्य स्थिति में ही किया जाना चाहिए। ई-ऑफिस को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। ● राज्य सरकार ने अपनी नवीन स्थानांतरण नीति घोषित कर दी है। इस नीति का कड़ाई से अनुपालन किया जाए। सभी अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अपने विभागीय मंत्रीगणों से संवाद करते हुए नीति के अनुरूप स्थानान्तरण करें। यह ध्यान रखें कि आकांक्षात्मक जनपदों में मैनपॉवर कम न हो। ● अंतरराज्यीय/अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र हमारे ब्रांड एम्बेसेडर हैं। यहां अच्छे स्कूल-कॉलेज, स्तरीय चिकित्सा संस्थान विकसित किये जाने चाहिए। सीमावर्ती क्षेत्रों में औद्योगीकरण को लेकर भी हमें और बेहतर प्रयास करने होंगे। प्रदेश के दूर-दराज के गांवों तक टेलीकन्सल्टेशन सेवा का विस्तार किया जाए।

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गंगा के चंगा होने की चर्चा में योगी की अहम भूमिका

उत्तर प्रदेश | गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है। इसका धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हमारे धर्मशास्त्रों एवं पुराणों में गंगा के महात्म्य का खूब जिक्र किया गया है। इसे नदियों में श्रेष्ठ (नदिसू गंगा) के साथ मोक्षदायिनी, पतितपावनी कहा गया है। गंगा का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हाल ही में जर्मनी में हुए एक शोध में पता चला कि गंगाजल स्नायु एवं जल जनित रोगों का नाशक है। कुछ समय पहले देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा एवं शोध संस्था आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) नई दिल्ली के एक शोध में भी गंगाजल की खूबियों का जिक्र किया गया। गंगा के अपवाह का अधिकतम हिस्सा उत्तर प्रदेश में पड़ता है। निर्मल एवं अविरल गंगा के जरिये गंगा जल की ये खूबियां बनीं रहें, इसकी सर्वाधिक जवाबदेही उत्तर प्रदेश सरकार की है। नदी संस्कृति के मुखर पैरोकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से इसके लिए हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर गंगा के चंगा होने की चर्चा है। करीब छह महीने पहले कनाडा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से आयोजित जैव विविधता सम्मेलन में “नमामि गंगे परियोजना” की सराहना की गई थी। स्वाभाविक है कि इस तरह की सराहना का सर्वाधिक श्रेय भी योगी को ही जाता है। धर्म के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार कर रही योगी सरकार हर संभव मौके पर योगी गंगा के धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व की चर्चा जरूर करते हैं। मसलन 30 दिसंबर 2022 को कोलकाता में आयोजित “राष्ट्रीय गंगा परिषद” की बैठक में उन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुसार गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार करने का संभव प्रयास कर रहे हैं। इसके कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को व्यापक बाजार दिलाने एवं वहां तक सस्ते में परिवहन की सुविधा मुहैया कराने के लिए योगी सरकार वाराणसी से बलिया तक 15 जेटी (छोटे बंदरगाह) बनाने की घोषणा को गंगा को अर्थगंगा से जोड़ने के प्रयासों की ही एक कड़ी है। प्रदूषण से बचाने के लिए गंगा के तटवर्ती जिलों में जैविक खेती पर जोर यही नहीं गंगा को रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों से मुक्ति दिलाने के लिए तटवर्ती गावों के सभी जिलों में जैविक/प्राकृतिक खेती, गंगा वन के पीछे भी यही मकसद है। अनुपूरक बजट में भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराते हुए 2025 तक एसटीपी के सभी कार्यों को पूरा करने की बात सरकार की ओर से कही जा चुकी है। निर्मल एवं अविरल गंगा को जन आंदोलन बनाने के लिए हुई गंगा यात्रा निर्मल एवं अविरल गंगा की मुहिम एक जन आंदोलन बने, इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर गंगा यात्रा भी निकाली जा चुकी है। उस यात्रा और योगी के लिए गंगा की अहमियत क्या है, यह इससे लगाया जा सकता है कि यात्रा के एक छोर (बलिया) की शुरुआत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की तो बिजनौर (उत्तर प्रदेश में गंगा का प्रवेश द्वार) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यात्रा की शुरुआत की। मुख्यमंत्री तो मीरजापुर, प्रयागराज और यात्रा के समापन के मौके पर कानपुर में भी इसके साझीदार बने थे। जाना तो उनको वाराणसी भी था, पर मौसम आड़े आ गया। इस यात्रा के पहले सरकार ने गंगा के तटवर्ती शहरों, कस्बों और गांवों के लिए जिन योजनाओं (गंगा मैदान, गंगा पार्क, औषधीय पौधों की खेती, गंगा नर्सरी, पौधरोपण, बहुउद्देशीय गंगा तालाब, जैविक खेती) की घोषणा की थी, अब उनपर तेजी से अमल हो रहा है। आस्था और अर्थ के इस संगम का लाभ गंगा की गोद में बसे करोड़ों लोगों को होगा। उनको सर्वाधिक, जिनकी आजीविका का साधन कभी गंगा ही हुआ करती रही। सरकार के प्रयासों से जैसे-जैसे गंगा निर्मल और अविरल होगी यह वर्ग खुशहाल होता जाएगा।

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पर्यावरण दिवस पर जन्म और पर्यावरण से योगी के सरोकार

लखनऊ | अमूमन पहले से घोषित किसी खास दिन और किसी के जन्मदिन में संबंध एक संयोग ही होता है। नाथपंथ के मुख्यालय माने जाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी एक ऐसा ही संयोग जुड़ा है। 5 जून को, जिस दिन पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, उसी दिन योगी का जन्मदिन भी पड़ता है। जन्मदिन, विश्व पर्यावरण दिवस और जन, जंगल एवं जल संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस अवसर को खास बना देती है। विरासत में मिला है पर्यावरण प्रेम पर्यावरण से योगी का यह प्रेम पुराना है। संभवतः यह उनको विरासत में मिला है। 5 जून 1972 को उनका जन्म प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर तहसील के पंचुर नामक गांव में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय आनंद सिंह विष्ट वन विभाग में रेंजर थे। प्राकृतिक संपदा के लिहाज से समृद्धतम देवभूमि में जन्म और पिता की वन विभाग की सर्विस की वजह से प्रकृति के प्रति उनका लगाव स्वाभाविक है। गोरखनाथ मंदिर भी प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न बाद में जब वह गोरखपुर आए और नाथपंथ में दीक्षित होकर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने, तब भी उनको प्रकृति के लिहाज से एक बेहद सुंदर माहौल मिला। गोरखपुर स्थित करीब 50 एकड़ में विस्तृत गोरखनाथ मंदिर परिसर की लकदक हरियाली, बीच-बीच में खूबसूरत फुलवारी, भीम सरोवर के रूप में खूब सूरत पक्का जलाशय, पॉलीथिन रहित परिसर इस सबका सबूत है। पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर के रूप में योगी ने इसे और सवारा योगी ने पीठ के उत्तराधिकारी एवं बाद में पीठाधीश्वर के रूप में इस परिसर को और सजाया-संवारा। साथ ही जमाने के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए नवाचार भी किये। करीब 400 गोवंश वाली देसी गायों की गोशाला में वर्मी कम्पोस्ट की इकाई के अलावा जल संरक्षण (वाटर हार्वेस्टिंग) के लिए बने आधुनिक टैंक (सोख्ता) का निर्माण इसका सबूत है। यही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद मंदिर में चढ़ावे के फूलों से बनने वाली अगरबत्ती की एक इकाई भी उनकी पहल पर लगी। मुख्यमंत्री बनने के बाद पद के अनुरूप सरोकार का फलक भी बढ़ा मुख्यमंत्री बनने के बाद पर्यावरण के प्रति यह प्रेम और प्रतिबद्धता और भी व्यापक रूप में समग्रता में दिखती है। पौधरोपण के साथ वह बार-बार उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा का जिक्र करते हुए विष रहित जैविक खेती की पुरजोर पैरवी करते हैं। पर्यावरण के प्रति उनकी समग्र सोच का नतीजा भी दिखने लगा है। मसलन, यहां के पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 25 से बढ़कर 65 हो गई। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बाघ के संरक्षण के नाते दुधवा टाइगर रिजर्व को यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेन्ट प्रोगाम) एवं आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर) द्वरा कैट्स पुरस्कार मिला। परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तितलियों के लिए प्रदेश के तीनों चिड़ियाघरों (शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान गोरखपुर, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान लखनऊ, कानपुर प्राणि उद्यान) में बटरफ्लाई पार्क की स्थापना की गई। पहली बार ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन हुआ। ब्रजकालीन सौभरी वन का विकास, जैविक विविधता से भरपूर (इटावा, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव, गोंडा, मैनपुरी, आगरा, बिजनौर, संतकबीरनगर) वेट लैंड्स के संरक्षण के उपाय किये गए। प्राकृतिक सफाईकर्मी कहे जाने वाले और लुप्तप्राय हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए महराजगंज जिले के भारीवैसी में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र बनाया गया। कुकरैल (लखनऊ) में देश की पहली नाइट सफारी के निर्माण की प्रकिया चल रही है। पौधरोपण पर खासा जोर बतौर मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल में प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल रिकॉर्ड पौधरोपण के क्रम में 135 करोड़ से अधिक पौधरोपण हुआ, इसका नतीजा भी सामने है। स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसद हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसद था। रिपोर्ट के अनुसार 2019 के दौरान कुल वनावरण एवं वृक्षावरण में 91 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए योगी सरकार 2.0 ने अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 35 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं। अगले चार साल तक हर साल इतने ही पौधरोपण का लक्ष्य है। इसके लिए अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधे लगेंगे। इस वर्ष का लक्ष्य 35 करोड़ पौधरोपण का है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग पौधरोपण से जुड़ें। यह जन आंदोलन बने। नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं के पीछे भी यही मकसद है। योगी की मॉनिटरिंग में पौधरोपण में कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) के अनुरूप पौधों का चयन किया जाता है। बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे देशज पौधों को वरीयता मिलती है। अलग-अलग जिलों के लिए चिन्हित 29 प्रजाति और 943 विरासत वृक्षों को केंद्र में रखकर पौधरोपण का ये अभियान चलाया जाता है। मंदिर परिसर में किया हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोरखनाथ मन्दिर परिसर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ गो सेवा केन्द्र में योगी आदित्यनाथ ने हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण किया।

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मुख्यमंत्री ने किया रुद्राभिषेक, भोलेनाथ से की लोकमंगल की प्रार्थना

गोरखपुर, 5 जून। गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह रुद्राभिषेक कर भगवान भोलेनाथ से लोकमंगल की प्रार्थना की। मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में सीएम योगी ने देवाधिदेव महादेव को विल्व पत्र, कमल पुष्प आदि अर्पित करने कर बाद रुद्राभिषेक किया। मठ के मुख्य पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी व अन्य पुरोहितगण एवं ने शुक्ल यजुर्वेद संहिता के रुद्राष्टाध्यायी के महामंत्रों द्वारा रुद्राभिषेक का अनुष्ठान पूर्ण कराया। रुद्राभिषेक के बाद उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन व आरती की। विधि विधान से पूर्ण हुए अनुष्ठान के उपरांत उन्होंने प्रदेशवासियों के आरोग्यमय, सुखमय, समृद्धमय व शांतिमय जीवन की मंगलकामना की।

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