Thelokjan

site logo

February 2023

योगी सरकार की पहल, शिक्षकों को छात्रों के साथ बनाने होंगे आत्मीय संबंध

लखनऊ | परिषदीय स्कूलों के बच्चों में लर्निंग आउटकम (सीखने की प्रक्रिया) को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार कई तरह के प्रयोग कर रही है। इसके तहत अब शिक्षकों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से छात्रों के साथ आत्मीय संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। शिक्षकों से छात्रों के साथ दोस्ताना व्यवहार करने और उनके साथ विभिन्न गतिविधियों में सहभागी बनने को कहा गया है, ताकि वो अनुकूल माहौल में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। इसके लिए बकायदा टाइमलाइन भी तय की गई है, जिसमें शिक्षकगण छात्रों के साथ भ्रमण के अलावा विभिन्न खेलकूद और अन्य आयोजनों के माध्यम से उनकी सीखने की प्रक्रिया को और बेहतर करेंगे। इस टाइमलाइन के अनुसार शिक्षकों को गतिविधियों का आयोजन करने के साथ ही प्रत्येक शुक्रवार तक इसके फोटोग्राफ्स को भी प्रेरणा एप पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। गतिविधि कैलेंडर का करना होगा अनुसरण महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने आदेश में कहा है कि परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को गतिविधि कैलेंडर के हिसाब से विद्यार्थियों के साथ आत्मीय संबंध को प्रगाढ़ करना है। गतिविधि कैलेंडर के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कुछ निर्दश भी जारी किए गए हैं। इसके अंतर्गत शिक्षक संकुल की बैठकों में इन गतिविधियों के आयोजन पर चर्चा करते हुए आवश्यक्तानुसार प्रस्तुतिकरण किया जाए। एसआरजी, एआरपी, डायट मेंटर द्वारा प्रत्येक सप्ताह विद्यालय पर्यवेक्षण के दौरान प्रेषित गतिविधियों के अनुसार शिक्षण कार्य कराने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करते हुए सहयोग भी किया जाए। इसकी मॉनीटरिंग भी बेहद आवश्यक है। इसलिए प्रेरणा एक्टिविटी मॉड्यूल में अनिवार्य रूप से प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों द्वारा गतिविधियों को अपलोड किया जाए। शिक्षकों को इस गतिविधि के लिए सम्मानित किए जाने का भी प्रावधान है। इन सभी गतिविधियों को विद्यालयवार, विकासखंडवार एवं जनपदवार समीक्षा खंड शिक्षा अधिकारी एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से की जाएगी। बढ़ाई जाएगी कांप्टीशन की भावना शिक्षक और छात्रों के बीच अच्छे संबंधों के लिए चलाए जा रहे इस अभियान के लिए गतिविधि कैलेंडर जारी किया गया है। इस कैलेंडर के अनुसार फरवरी के तीसरे सप्ताह में शिक्षकों को भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन करना होगा। इसके माध्यम से छात्रों को विद्यालय के आसपास के खेत, डाकघर, कारखाने एवं ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा और इसके विषय में जानकारी दी जाएगी। इसी तरह चौथे सप्ताह में टीम बिल्डिंग एक्टिविटी और कांप्टीशन कराया जाएगा। इसमें बच्चों को टीमों में बांटकर स्थानीय खेल जैसे पिट्ठू, कबड्डी, क्रिकेट, कैरम, बैडमिंटन आदि खेलों का आयोजन होगा। मार्च के शुरुआती सप्ताह में सिचुएशन बेस्ड एक्टिविटी आयोजित की जाएगी, जिसमें बच्चों को एक स्थिति (सिचुएशन) प्रदान करते हुए उनकी समस्याओं को रचनात्मक रूप से हल करने और उनसे प्रश्न पूछने की जिम्मेदारी होगी। जैसे अपने आसपास के वातावरण को कैसे स्वच्छ रखा जाए, इत्यादि। मार्च के दूसरे सप्ताह में आउटडोर लर्निंग एक्टिविटी कराई जाएगी। इसमें कक्षा के बाहर गोला बनाकर छात्रों को व्यवस्थित करते हुए गतिविधि आधारित पाठ का संचालन किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर कहानी या कविता सुनाकर जैसे रिंगा-रिंगा रोसेज कविता इत्यादि के माध्यम से कक्षा चलाई जाएगी। स्पीकिंग और प्रेजेंटेशन पर भी किया जाएगा काम कैलेंडर के अनुसार मार्च के तीसरे और चौथे सप्ताह भी शिक्षकों को गतिविधियों का संचालन करना होगा। तीसरे हफ्ते क्रिएटिविटी बेस्ड एक्टिविटी होगी। इसमें छात्र को 5-6 शब्द देकर इन शब्दों का प्रयोग करते हुए एक ऐसी कहानी या कविता लिखवाई जाएगी जिसमें उसकी रचनात्मकता प्रदर्शित हो सके। इसी तरह मार्च के आखिरी सप्ताह में स्पीकिंग बेस्ड एक्टिविटी होगी। प्रत्येक छात्र को कक्षा में बोलने एवं प्रस्तुतिकरण करने हेतु प्रेरित किया जाएगा। जैसे वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित करना। उदाहरण के तौर पर टीवी और मोबाइल का प्रयोग करने के गुण एवं दोष पर चर्चा की जाए, जिसमें एक छात्र द्वारा उसके गुणों के संबंध में एवं दूसरे छात्र द्वारा उसके दोषों पर चर्चा की जाए।

योगी सरकार की पहल, शिक्षकों को छात्रों के साथ बनाने होंगे आत्मीय संबंध Read More »

सीएम योगी ने मंडल स्तर पर फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन करने के दिए निर्देश

लखनऊ | मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ ने फल, शाकभाजी, पुष्प, मौन पालन, औषधीय पौधों के उत्पादकों और खाद्य प्रसंस्करण उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए प्रदेश में मंडल स्तर पर फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन करने के निर्देश दिये हैं। इससे जहां एक ओर किसानों की आय बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर लघु उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकेगा। सीएम योगी ने कहा कि इस तरह के आयोजन से औद्यानिक क्षेत्र के उत्पादकों को प्रोत्साहन मिलने के साथ उन्हे वैज्ञानिक ढंग से उत्पादन, रखरखाव तथा विपणन की नई तकनीक सीखने को मिलेगी। 13 मंडलों में प्रदर्शनी के लिए तैयारियां अंतिम दौर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष बैठक में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि अब तक मंडल स्तर पर आगरा, लखनऊ में फल, शाकभाजी एपं पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन किया जा चुका है जबकि प्रयागराज में 24 से 25 फरवरी, वाराणसी में 25 से 26 फरवरी और सहारनपुर में 14 से 17 मार्च के बीच प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना है। इसके अलावा अन्य मंडल अलीगढ़, आजमगढ़, बरेली, अयोध्या, देवीपाटन, गोरखपुर, बस्ती, झांसी, चित्रकूट धाम, कानपुर, मेरठ, मुरादाबाद और मीरजापुर में प्रदर्शनी को लेकर तैयारियां अंतिम दौर में है, लेकिन अभी डेट फाइनल नहीं हुई है। सीएम योगी को अधिकारियों ने बताया कि मार्च तक बचे सभी मंडल में प्रदर्शनी का आयोजन कर दिया जाएगा। साथ ही प्रदर्शनी में प्रतियोगिता को दो श्रेणी में बांटा गया है। प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रतिभागियों के लिए नियम भी निर्धारित कर दिए गए हैं। पहली श्रेणी में शाकभाजी, हाइब्रिड शाकभाजी, पाॅली हाउस में उत्पादित सब्जियों, जैविक शाकभाजी, फल, विशिष्ट फल, मशरूम, फल संरक्षण, शहद एवं पान के पत्तों की प्रतियोगिता को रखा गया है। यह है प्रतियोगिता की दूसरी श्रेणी – सदाबहार पत्ती, फूल, अन्य गमलों के पौधे, गमलों में जाड़े के मौसमी के फूलों के पौधे, मेडिसिन प्लांट्स तथा मौसमी फूलों के गमले, गमलों में लगी शाकभाजी प्रतियोगिता – गमलों के कलात्मक समूह की प्रतियोगिता – पॉलीहाउस में उत्पादित विभिन्न प्रजातियों के पुष्प, गुलाब तथा डहेलिया आदि के कटे पुष्पों की – औषधीय सकुलेन्ट्स, कैक्टस बोनसाई पौधों की प्रतियोगिता – वर्टिकल गार्डेन, फूलों से बनी आकृतियों की प्रतियोगिता – कलात्मक पुष्प सज्जा, रंगोली की प्रतियोगिता करीब साढ़े तीन करोड़ से सभी मंडलों पर आयोजित की जा रही प्रदर्शनी बैठक में अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि प्रदेश में मंडल स्तर पर प्रदर्शनी का आयोजन करने के लिए बजट भी आवंटित कर दिया गया है। 18 मंडलों में प्रदर्शनी के लिए 3 करोड़ 42 लाख 99 हजार रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें प्रत्येक मंडल में 19 लाख 5 हजार 5 सौ रुपये प्रदर्शनी के लिए खर्च किए जा रहे हैं। प्रदर्शनी को भव्य बनाने के लिए मंडल स्तर पर फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया है।

सीएम योगी ने मंडल स्तर पर फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन करने के दिए निर्देश Read More »

पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत, करीब साढ़े चार घंटे तक चला ड्रामा

नई दिल्ली | ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा को लेकर गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में करीब साढ़े चार घंटे तक हाईवोल्टेज ड्रामा हुआ। कांग्रेस नेताओं के साथ पवन खेड़ा गुरुवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाले पार्टी के अधिवेशन में शामिल होने के लिए जा रहे थे, लेकिन पवन खेड़ा को विमान से उतारा गया और एयरपोर्ट के भीतर ही कांग्रेस नेताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। ऐसे में हम आपको साढ़े चार घंटे तक चले हाईवोल्टेज ड्रामे के कुछ मुख्य बिंदु विस्तार में समझाएंगे। ड्रामे की कहानी विस्तार में 1. दिल्ली से रायपुर जाने वाली साढ़े ग्यारह बजे इंडिगो एयरलाइंस के विमान से कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को उतरने के लिए कहा गया। उस वक्त कहा गया कि आपके (पवन खेड़ा) बैग में गलत टैग लगा है। 2. कांग्रेस ने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से पवन खेड़ा को विमान से उतारे जाने की जानकारी दी। इस वक्त तक किसी भी नेता को यह समझ में नहीं आया कि आखिर पवन खेड़ा को विमान से क्यों उतारा गया? इंडिगो की फ्लाइट 6E-204 से पवन खेड़ा, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सुप्रिया श्रीनेत समेत तमाम कांग्रेस नेता सवार थे। 3. इस मामले को लेकर सुप्रिया श्रीनेता ने कहा कि पवन खेड़ा को विमान से बैक के एक्सचेंज होने की जानकारी के साथ उतारा गया, जबकि पवन खेड़ा के पास कोई बैग ही नहीं था, सिर्फ एक हैंडबैग था। बाद में जानकारी मिली कि पवन खेड़ा को डिप्लेन किया गया है और सीआईएसएफ के एसपी इसकी जानकारी देंगे। 4. पवन खेड़ा के विमान से बाहर उतरने के बाद एयरपोर्ट के बाहर मौजूद दिल्ली पुलिस की एक टीम ने उन्हें बताया कि आप शहर से बाहर नहीं जा सकते हैं। ऐसे में तमाम कांग्रेसी नेता एयरपोर्ट के भीतर ही धरने पर ही बैठ गए। 5. इसके बाद मामले में असम पुलिस की एंट्री होती है और पवन खेड़ा को एयरपोर्ट से गिरफ्तार करके मेडिकल कराने के लिए ले गए। इसके बाद एक अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड में असम ले जाने की बात कही जाती है। 6. पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के बाद पूरी तरह से स्पष्ट हुआ कि मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है। इस मामले को लेकर पवन खेड़ा के खिलाफ वाराणसी, लखनऊ और असम में एफआईआर दर्ज है। 7. एयरपोर्ट से बाहर आने के बाद पवन खेड़ा ने अपनी गिरफ्तारी को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि ये लंबी लड़ाई है और वह इसे लड़ने के लिए तैयार हैं। 8. पवन खेड़ा की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस ने तत्काल प्रभाव से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ऐसे में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका दाखिल कर कोर्ट से अनुरोध किया कि पवन खेड़ा को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत और एफआईआर को एक जगह शिफ्ट करने का अनुरोध किया। 9. सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा और असम पुलिस का पक्ष सुना। सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि पवन खेड़ा की जुबान फिसल गई थी और यह एक गलती थी। इसके लिए पवन खेड़ा ने माफी मांग ली थी। हालांकि, असम पुलिस ने पवन खेड़ा का विरोध किया। 10. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पवन खेड़ा को अंतरिम राहत दी है। साथ ही असम पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पवन खेड़ा को 28 फरवरी दिन मंगलवार तक अंतरिम जमानत दी है।  

पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत, करीब साढ़े चार घंटे तक चला ड्रामा Read More »

योगी सरकार के बजट में पुलिस विभाग का दिखा दबदबा, मिले 2260 करोड़

लखनऊ | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सूबे की सत्ता संभालते ही प्रदेश में अपराध और अपराधियों के लिखाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सख्त से सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसी का नतीजा है कि जिस प्रदेश को वर्ष 2017 से पहले पूरे देश में लचर और बीमारू कानून व्यवस्था के जाना जाता था आज उसी उत्तर प्रदेश को मजबूत कानून व्यवस्था के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी सराहना मिल रही है। प्रदेश में कानून का राज स्थापित होने से देश ही नहीं विदेशी निवेशक उद्योग स्थापित करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। वहीं योगी सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट में कानून व्यवस्था को और मजबूत करने और उसके प्रभावी नियंत्रण के लिए 2260 करोड़ रुपये की भारीभरकम धनराशि दी है, इससे जहां पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सरकारी आवास की सुविधा मिलेगी, वहीं विभिन्न जिलों के कमिश्नरेट कार्यालय अपनी भूमि पर संचालित होंगे। 850 करोड़ रुपये पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय के लिये दिये वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने अपने बजट भाषण में कहा कि प्रदेश की 25 करोड़ आबादी को सुरक्षित माहौल देने, कानून व्यवस्था के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के साथ पुलिस व्यवस्था को और अधिक सक्षम एवं सुदृढ़ करना योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके साथ ही महिलाओं एवं समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ अपराधों को नियन्त्रित करने के लिए प्रभावी कार्यवाही करके उन्हे सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के प्रति योगी सरकार निरन्तर प्रयासरत है। इसी के तहत प्रदेश के विभिन्न शहरों में लागू पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कार्यालय और कार्यालय से जुड़ी अन्य गतिविधियों के संचालन के लिए 850 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इससे विभिन्न शहरों में लागू पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को और रफ्तार मिलेगी। इस धनराशि से पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था वाले शहरों में पुलिस विभाग अपनी जमीन पर कार्यालय का निर्माण कर सकेंगे, जो विभिन्न शहरों में अभी किराये पर चल रहे हैं। वह अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कार्यालय का निर्माण समेत अन्य सुविधाओं के लिए इस धनराशि का इस्तेमाल कर सकेंगे। 1400 करोड़ आवासीय सुविधा के लिये दिये योगी सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट में सबसे बड़ी धनराशि पुलिस विभाग को आवासीय सुविधा के लिए दिये हैं ताकि प्रदेश के विभिन्न शहरों में तैनात पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को आवास के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े। योगी सरकार ने पुलिस विभाग को आवासीय सुविधा के लिए एक हजार करोड़ रुपये की धनराशि दी है। इससे पुलिस विभाग विभिन्न शहरों में अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आधुनिक आवास का निर्माण कर सकेगा। वहीं शहरी क्षेत्रों में आवासीय सुविधा के लिए 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि प्रदेश में आपदाओं से निपटने वाली एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) को नये वाहनों की खरीद के लिए 10 करोड़ की धनराशि दी गई है ताकि वह और मजबूती से आपदा से निपट सकें। यह रहीं खास बातें – जनवरी 2022 से नवम्बर तक वर्ष 2016 के सापेक्ष डकैती में 79.83 प्रतिशत, लूट में 63.49 प्रतिशत, हत्या में 33.89 प्रतिशत, बलवा में 53.22 प्रतिशत, चोरी में 17.22 प्रतिशत और फिरौती के लिए अपहरण में 44 प्रतिशत की कमी आयी है। – उक्त अवधि में महिलाओं के खिलाफ घटित अपराधों में दहेज मृत्यु में 15.81 प्रतिशत, बलात्कार में 21.24 प्रतिशत व अपहरण में 9.17 प्रतिशत की कमी आयी है। – प्रदेश में एण्टी भू-माफिया पोर्टल पर अवैध कब्जे से सम्बन्धित 3,41,236 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसमें से 3,39,552 शिकायतें निस्तारित की गईं। अभियान के अन्तर्गत कुल 68,841.03 हेक्टेयर क्षेत्रफल अवैध अतिक्रमण से अवमुक्त कराया गया है। – 23,920 राजस्व वाद, 923 सिविल वाद एवं 4504 एफआईआर दर्ज करायी गयी हैं। 776 अतिक्रमणकर्ताओं को भू-माफिया के रूप में चिन्हित किया गया है, वर्तमान में 189 भू-माफिया जेल में निरूद्ध हैं। – साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए प्रदेश के प्रत्येक परिक्षेत्र में साइबर क्राइम पुलिस थाना की स्थापना की गयी है। प्रदेश के समस्त थानों में (1531) साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना की गयी है। परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर बेसिक साइबर फॉरेंसिक लैब एवं पुलिस मुख्यालय पर एडवांस्ड डिजिटल साइबर फाॅरेंसिक लैब की स्थापना करायी जा रही है। – कर्तव्य पालन के दौरान शहीद “मृत पुलिस कर्मियों एवं उत्तर प्रदेश राज्य के मूल निवासी केन्द्रीय अर्द्ध सैन्य बलों/अन्य प्रदेशों के अर्द्ध सैन्य बलों अथवा भारतीय सेना में कार्यरत रहते हुये 73 शहीद / मृत कर्मियों के आश्रितों को 17 करोड़ 96 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गयी।

योगी सरकार के बजट में पुलिस विभाग का दिखा दबदबा, मिले 2260 करोड़ Read More »

योगी सरकार ने मेडिकल सेक्टर पर खोला खजाना, दिया 20 हजार करोड़ से अधिक का तोहफा

लखनऊ | मंजिलें लाख कठिन आयें, गुजर जाऊंगा। हौंसले हार के बैठूंगा तो मर जाऊंगा।। लाख रोकें ये अंधेरे, मेरा रास्ता लेकिन। मैं जिधर जाऊंगा रोशनी ले जाऊंगा।। इन पंक्तियों के साथ वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने मेडिकल सेक्टर का बजट पेश करते हुए कहा कि कोविड महामारी के दौरान सीएम योगी के मार्गदर्शन और जनता के सहयोग से प्रदेश इस कठिन काल खंड से बाहर आया। साथ ही उन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए तेज गति से स्वास्थ्य सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर नई दिशा दी गई, जिसकी चारो ओर सराहना भी की गई है। योगी सरकार प्रदेश में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। एेसे में मेडिकल क्षेत्र को भारीभरकम 20 हजार करोड़ से अधिक का बजट जारी किया गया है, जिसमें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के लिए कुल 17 हजार 3 सौ 25 करोड़ और चिकित्सा शिक्षा के लिए 2 हजार 8 सौ 37 करोड़ 39 लाख की धनराशि जारी की गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को सबसे अधिक 12,631 करोड़ की धनराशि जारी वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि योगी सरकार का प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने पर खासा फोकस रहता है। ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के लिए सबसे अधिक 12 हजार 6 सौ 31 करोड़ की धनराशि जारी की गई है ताकि अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सके। इसी तरह प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के लिए 1,655 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन योजना के तहत प्रदेश में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में हेल्थ वेलनेस सेन्टर, क्रिटिकल केयर यूनिट, शहरों में इन्ट्रीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब की स्थापना, नेशनल सेन्टर फॉर डिजीजेज कन्ट्रोल के सुदृढ़ीकरण, हेल्थ इंफॉरमेशन के विस्तार के लिए पोर्टल की स्थापना, इमजरजेंसी आपरेशन सेन्टर एवं मोबाइल यूनिट हॉस्पिटल की स्थापना आदि कार्यों के लिए 1,547 करोड़ रुपये की धनराशि की व्यवस्था की गई है। 14 नये मेडिकल कॉलेज के लिए दिये 2491 करोड़ 39 लाख योगी सरकार ने अपने बजट में चिकित्सा शिक्षा को भी विशेष महत्व दिया है। योगी सरकार ने प्रदेश में एक जिला एक मेडिकल कॉलेज की योजना को और रफ्तार देने के लिए 14 नये मेडिकल काॅलेजों की स्थापना एवं संचालन के लिए 2491 करोड़ 39 लाख रुपये की व्यवस्था की गयी है। मालूम हो कि प्रदेश के 45 जिलों में मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं जबकि 14 जनपदों में मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं। वहीं 16 जिलों में मेडिकल काॅलेज की स्थापना पीपीपी मॉडल पर की जा रही है। 14 मण्डलीय कार्यालयों तथा प्रयोगशालाओं भवन निर्माण, मशीनों तथा उपकरणों के लिये 200 करोड़ रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। बजट में आयुष्मान भारत के तहत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए 400 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। भारत सरकार द्वारा उप स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को क्रमबद्ध तरीके से क्रियाशील हेल्थ एण्ड वेलनेंस सेण्टर्स में परिवर्तित किया जा रहा है। ऐसे में कन्वर्जन ऑफ रूरल सब हेल्थ सेन्टर्स एण्ड पीएचसी टू हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर्स के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुरूप लगभग 407 करोड़ रुपये का व्यय किया जायेगा। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को मिले 320 करोड़ वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लिए 320 करोड़, आयुष्मान भारत के तहत मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के लिए 250 करोड़, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में उपकरण खरीदने के लिए 100 करोड़ की धनराशि जारी की है। वहीं प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के कायाकल्प के लिए 15 करोड़ दिये हैं। असाध्य रोगों के इलाज के लिए 100 करोड़ आवंटित किए गए हैं। उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेण्ट की स्थापना के लिए 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में नर्सिंग काॅलेजों की स्थापना के लिए 26 करोड़ दिये गये हैं।

योगी सरकार ने मेडिकल सेक्टर पर खोला खजाना, दिया 20 हजार करोड़ से अधिक का तोहफा Read More »

योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट किसानों के लिए ‘अमृत’

लखनऊ | योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में भी कृषि व किसान ‘प्रधान’ रहे। कृषि प्रधान उत्तर प्रदेश की उन्नति के लिए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने 2023-24 के बजट में इनका पूरा ध्यान रखा। बजट में इस क्षेत्र पर पिटारा खोल दिया। जयश्री राम से बजट का आगाज करने वाले सुरेश खन्ना ने खेती-किसान, कृषि शिक्षा व अनुसंधान, गन्ना व चीनी उद्योग पर विशेष निगाहें रखीं। कृषकों की आय में अभिवृद्धि हेतु कृषि शिक्षा, शोध व अनुसंधान पर जोर दिया तो महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था भी की। इसके अलावा कृषि, कृषि शिक्षा व अनुसंधान तथा गन्ना विकास व चीनी उद्योग पर सरकार की योजनाएं निम्नवत हैं… कृषि क्षेत्र के तहत वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि द मिलियन फार्मर्स स्कूल हेतु वर्ष 2023-24 में 17000 किसान पाठशालाओं का आयोजन प्रस्तावित है। नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना हेतु 631 करोड़ 93 लाख रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग योजना हेतु 113 करोड़ 52 लाख रुपये की व्यवस्था बजट में की गई। कृषकों के लिए निजी नलकूपों को रियायती दरों पर विद्युत आपूर्ति हेतु 1950 करोड़ रुपये की व्यवस्था। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना हेतु 984 करोड़ 54 लाख रुपये की व्यवस्था की गई है। सरकार ने नेशनल क्रॉप इन्श्योरेन्स योजना हेतु 753 करोड़ 70 लाख रुपये की व्यवस्था की है। उप्र मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु 55 करोड़ 60 लाख रुपये की व्यवस्था की गई। बजट में पं० दीन दयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना हेतु 102 करोड़ 88 लाख रुपये की व्यवस्था। बजट में आत्मनिर्भर कृषक समन्वित योजना हेतु 100 करोड़ रुपये की व्यवस्थाकी गई है। सरकार ने दलहन और तिलहन बीज मिनीकिट वितरण योजना हेतु 15-15 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। बजट में कृषकों के डिजिटल डाटाबेस हेतु एग्री-स्टैक योजना हेतु 02 करोड़ रुपये की व्यवस्था। किसान कल्याण पर योगी सरकार का पूरा फोकस है। इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश के लगभग 46 लाख 22 हजार गन्ना किसानों को वर्ष 2017 से अब तक 1 लाख 96 हजार करोड़ रूपये से अधिक का रिकार्ड गन्ना मूल्य भुगतान कराया गया, जो वर्ष 2012 से 2017 तक की अवधि में किये गये कुल गन्ना मूल्य भुगतान 95 हजार 125 करोड़ रूपये से 86 हजार 728 करोड़ रूपये अधिक है। गन्ना उत्पादकता में 1,00,875 टन प्रति हेक्टेयर की वृद्धि से किसानों की आय में औसतन 349 रुपये प्रति कुन्तल की दर से 34,656 रुपये प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। रबी विपणन वर्ष 2022–2023 में 2015 रुपये प्रति कुन्तल गेहूँ का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित था। विपणन वर्ष के दौरान 87,991 किसानों से 3.36 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का क्रय करते हुए किसानों के खातों में पी.एफ.एम.एस. पोर्टल के माध्यम से 675 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है। खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा कॉमन श्रेणी हेतु रु0 2040 तथा ग्रेड-ए हेतु रु0 2060 प्रति कुन्तल मूल्य निर्धारित किया गया है। अद्यतन 62.66 लाख मीट्रिक टन धान क्रय करते हुए सीधे किसानों के खातों में पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से कुल 10.30 लाख किसानों के बैंक खातों में 12 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत वर्ष 2022–2023 में अब तक 51,639.68 करोड़ रूपये से अधिक धनराशि डीबीटी के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में सीधे हस्तांतरित की गयी। वित्त मंत्री ने बताया कि किसानों के निजी नलकूपों के क्षतिग्रस्त परिवर्तकों को निर्धारित समय पर बदला जा रहा है। प्रदेश के डार्क जोन में किसानों को निजी नलकूप कनेक्शन देने पर लगे प्रतिबंध को हटाने से 01 लाख किसान लाभान्वित हुये हैं। कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कृषकों की आय में अभिवृद्धि हेतु कृषि शिक्षा, शोध एवं अनुसंधान पर जोर दिया। प्रदेश के 04 कृषि विश्वविद्यालयों में एग्रीटेक स्टार्टअप योजना हेतु 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था। बजट में कृषि विश्वविद्यालय कानपुर, अयोध्या, बाँदा तथा मेरठ में अवस्थापना कार्यों हेतु लगभग 35 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या के अन्तर्गत कृषि महाविद्यालय (कैम्पस) आजमगढ़ में पठन- पाठन का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। गोण्डा में कृषि महाविद्यालय(कैम्पस) की स्थापना का निर्माण कार्य प्रगति पर। गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि चीनी उद्योग, उत्तर प्रदेश का कृषि आधारित महत्वपूर्ण उद्योग है, प्रदेश के लगभग 46 लाख गन्ना किसानों के परिवार की आजीविका का मुख्य आधार है। पेराई सत्र 2021-22 में प्रदेश में 27.60 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई तथा 120 चीनी मिलों द्वारा 1016 लाख टन गन्ने की पेराई कर 101.98 लाख टन चीनी का उत्पादन। वर्तमान पेराई सत्र 2022-23 में 117 चीनी मिलों का संचालन हुआ है एवं इस सत्र में प्रदेश का गन्ना क्षेत्रफल 28.53 लाख हेक्टेयर है, जिससे चीनी का उत्पादन 105 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है। वर्तमान सरकार द्वारा कृषकों को गन्ना मूल्य भुगतान समय से सुनिश्चित कराने हेतु वर्ष 2017 से एस्क्रो अकाउंट मैकेनिज्म प्रारम्भ किया गया है। चीनी मिलों द्वारा गन्ना मूल्य मद की धनराशि के व्यावर्तन पर पूर्ण अंकुश लगा है। वित्त मंत्री ने बताया कि विगत पांच वर्षों में 27,531हेक्टेयर गन्ना खेती में ड्रिप इरीगेशन संयंत्र की स्थापना हुई है। इससे 50 प्रतिशत तक सिंचाई जल की बचत होगी।

योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट किसानों के लिए ‘अमृत’ Read More »

बदायूं : जरीफनगर थाना क्षेत्र में दो पक्षों के बीच फायरिंग, तीन की मौके पर मौत, तीन गंभीर रूप से घायल

उत्तर प्रदेश | जनपद के जरीफनगर थाना क्षेत्र के गांव भक्ता नगला में महिपाल और अमर सिंह के पक्षों में हुई फायरिंग में जयप्रकाश सत्येंद्र और रेशम पाल की मौके पर मौत हो गई जबकि हरि ओम अमर सिंह महिपाल घायल हो गए सभी घायलों को जिला भर्ती कराया गया घटना के पीछे कोई खास बजह नही होना बताया जा रहा है गांव में दबंगई को लेकर ही दोनों पक्ष आमने सामने होकर लड़ने मरने को आमादा थे उसी दौरान यह घटना हुई है घायल महिपाल का कहना है कि वह अपने खेत मे जा रहा था तभी दूसरे पक्ष ने उनपर फायरिंग कर दी जिससे उसके पक्ष के उनका बेटा जयप्रकाश और उनके भतीजे सतेंद्र की मौत हो गई। महिपाल घायल वहीं दूसरे पक्ष के अमर सिंह का कहना है कीआज कोई बात नही थी दूसरे पक्ष ने उनके भाई को घेर कर मरना पीटना शुरू कर दिया जिसके बाद दोनों तरफ से फायरिंग होने लगी जिसमे तीन की मौत ही गयी जबकि तीन लोग घायल हो गए है बदायूं से इंतज़ार हुसैन की रिपोर्ट 

बदायूं : जरीफनगर थाना क्षेत्र में दो पक्षों के बीच फायरिंग, तीन की मौके पर मौत, तीन गंभीर रूप से घायल Read More »

योगी सरकार के बजट में सड़कों और सेतुओं के निर्माण के लिए 21159 करोड़ रुपये

लखनऊ | योगी सरकार में सड़क व सेतु के जरिए ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ की नींव मजबूत हो रही है। बजट 2023-24 में सड़कों और सेतुओं के निर्माण के लिए 21159 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। वहीं इसके अनुरक्षण हेतु 6209 करोड़ रुपये प्रस्तावित है। ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों के लिए 1525 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। खास बातें वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट 2023-24 में बताया कि योगी सरकार के अब तक के कार्यकाल में 21696 किमी. लंबे ग्रामीण मार्गों का निर्माण व 18407 किमी. लंबे मार्गों का चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण किया गया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के मुताबिक प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने एवं जन सामान्य को यातायात की सुविधा देने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय व अंतरराज्यीय मार्गों का विकास, जिसके क्रम में 1024 कि०मी० लम्बाई की 87 सड़कों में से 75 सड़कों का निर्माण पूर्ण किया गया। मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजनान्तर्गत 181 राजस्व ग्रामों में सड़क निर्माण किया गया। बजट में कृषि विपणन सुविधाओं हेतु पुलों एवं सड़कों के कार्य के लिये 3473 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। वित्त मंत्री ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों हेतु 1525 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। रेलवे उपरिगामी सेतुओं के निर्माण हेतु 1700 करोड़ रुपये एवं अन्य सेतुओं हेतु 1850 करोड़ रुपये हैं। वित्त मंत्री ने बजट में बताया कि राज्य राजमार्गों के चौड़ीकरण व सुदृढीकरण तथा नये कार्यो हेतु 2588 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।\ प्रमुख व अन्य जिला मार्गों के चौड़ीकरण व सुदृढीकरण तथा नये कार्यों हेतु करीब 2538 करोड़ रुपये दिए गए। धर्मार्थ मार्गों के विकास हेतु 1000 करोड़ रुपये मिलेंगे। राज्य सड़क निधि से सड़कों के अनुरक्षण हेतु 3000 करोड़ तथा निर्माण हेतु 2500 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं। औद्योगिक व लॉजिस्टिक पार्क हेतु 04 लेन मार्गो के चौड़ीकरण, सुदृढीकरण व निर्माण कार्य हेतु 50 करोड़ रुपये प्रस्तावित है। चीनी मिल परिक्षेत्र में कृषि विपणन सुविधाओं हेतु मार्गों के चौड़ीकरण एवं सदृढ़ीकरण, नवनिर्माण व पुनर्निर्माण कार्यों हेतु 250 करोड़ रुपये प्रस्तावित है।

योगी सरकार के बजट में सड़कों और सेतुओं के निर्माण के लिए 21159 करोड़ रुपये Read More »

योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में नागरिक उड्डयन में गिनाई उपलब्धि

लखनऊ | योगी सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट 2023-24 में उत्तर प्रदेश की ‘उड़ान’ की चर्चा की। योगी सरकार में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में हुए अभूतपूर्व कार्यों का असर यह हुआ कि जीआईएस-23 के जरिए भी यूपी में आए 33.52 लाख करोड़ निवेश के लिए धरातल पर उतरने को तैयार हैं। नागरिक उड्डयन का यह क्षेत्र भी यूपी के लिए ‘अमृत’ है। जनता के लिए सुलभ हो रही हवाई यात्रा सुरेश खन्ना ने बजट में कहा कि योगी सरकार का मानना है कि प्रदेश की जनता को हवाई यात्रा सुलभ हो। प्रदेश में जिस प्रकार हवाई यात्रा की सुविधा का विस्तार हो रहा है। उससे यह बात यथार्थ साबित हो रही है कि … हमारे पंखों पे कौन विराम लगा सकता है, जब हमें नियति से उड़ने का वरदान मिला है वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि आगामी वर्षों में प्रदेश में 05 अंतरराष्ट्रीय तथा 16 घरेलू एयरपोर्ट, यानी कुल 21 एयरपोर्ट क्रियाशील हो जायेंगे। वित्त मंत्री ने बताया कि हमारी सरकार के कार्यकाल में नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। वर्तमान में प्रदेश में 09 एयरपोर्ट क्रियाशील हैं तथा 80 गन्तव्य स्थानों के लिए एयर सर्विस उपलब्ध है। प्रदेश में 03 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट क्रियाशील हैं। जेवर तथा अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट निर्माणाधीन हैं। शीघ्र ही प्रदेश में 05 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट क्रियाशील हो जाएंगे। योगी सरकार ने जेवर एयरपोर्ट में रनवेज की संख्या 02 से बढ़ाकर 05 किये जाने का निर्णय लिया है। योगी सरकार के अब तक के कार्यकाल में 04 एयरपोर्ट के निर्माण का कार्य पूरा किया जा चुका है। 6 एयरपोर्ट (अलीगढ़, आजमगढ़, मुरादाबाद, श्रावस्ती, चित्रकूट तथा सोनभद्र) का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो रहा है।

योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में नागरिक उड्डयन में गिनाई उपलब्धि Read More »

भारत में बढ़ती आय असमानता के कारण !

उत्तर प्रदेश | हाल के वर्षों में, भारत में आय असमानता एक बढ़ती हुई चिंता बन गई है। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी गरीबी में जी रहा है और अमीर और गरीब के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है। संपत्ति वितरण के मामले में भारत सबसे असमान देशों में से एक है। शीर्ष 1% आबादी देश की कुल संपत्ति के 40% से अधिक को नियंत्रित करती है, जबकि समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नीचे की आधी आबादी के पास केवल 3% संपत्ति है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दशक में भारत में आय असमानता में काफी वृद्धि हुई है। समान अवसरों की कमी और वैश्वीकरण के प्रभाव के अलावा, सरकारी नीतियों की विफलता भी भारत में आय असमानता में योगदान करती है। सरकार उन नीतियों को लागू करने में विफल रही है जो अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को कम कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसे कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के बावजूद, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबों के लिए काम के अवसर प्रदान करना है, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय असमानता में वृद्धि जारी है। इसके अलावा, सरकार उन नीतियों को लागू करने में विफल रही है जो गरीबी के मूल कारणों को दूर कर सकती हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार के अवसरों की कमी। भारत में बढ़ती आय असमानता के प्राथमिक कारणों में से एक संसाधनों और अवसरों का असमान वितरण है। देश की एक विशाल आबादी है, और उपलब्ध सीमित संसाधन और अवसर समान रूप से वितरित नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुछ व्यक्तियों और समूहों को देश की संपत्ति और आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मिल रहा है। उदाहरण के लिए, केवल कुछ व्यक्तियों और समूहों के पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं, जबकि अधिकांश आबादी इन अवसरों से बाहर है। इसने अमीरों और वंचितों के बीच एक महत्वपूर्ण आय अंतर पैदा कर दिया है। आय असमानता में योगदान देने वाला एक अन्य कारक वैश्वीकरण का प्रभाव है। वैश्वीकरण ने बहुराष्ट्रीय निगमों का विकास किया है, जो अक्सर भारत सहित विकासशील देशों में श्रमिकों को कम वेतन देते हैं। इन कंपनियों के कर्मचारी अक्सर खराब परिस्थितियों में काम करते हैं और उन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलता है, जिससे धन का असमान वितरण होता है। इसके अलावा, वैश्वीकरण ने औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों की संख्या में कमी की है, जो अक्सर उच्च वेतन का भुगतान करते हैं, क्योंकि कई कंपनियां कम वेतन की तलाश में अनौपचारिक क्षेत्र में चली गई हैं। भारत में बढ़ती आय असमानता का एक अन्य कारण प्रगतिशील कर नीतियों का अभाव है। देश की कर प्रणाली प्रतिगामी है, जिसका अर्थ है कि कर का बोझ असमान रूप से गरीब और मध्यम वर्ग पर पड़ता है, जबकि अमीर और अमीर कर से बचने और कर छूट का आनंद लेने में सक्षम हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि अमीर और अमीर देश के धन और आय के बड़े हिस्से का आनंद ले रहे हैं, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। एक प्रगतिशील कर प्रणाली की अनुपस्थिति के परिणामस्वरूप अधिकांश आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की कमी हुई है। बढ़ती आय असमानता में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का भी प्रमुख योगदान है। देश के राजनीतिक और आर्थिक अभिजात वर्ग के भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के परिणामस्वरूप कुछ व्यक्तियों और समूहों को देश के धन और आय का अनुपातहीन हिस्सा मिल रहा है, जबकि अधिकांश आबादी इन लाभों से बाहर रहती है। देश के राजनीतिक और आर्थिक अभिजात वर्ग के भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के परिणामस्वरूप निष्पक्ष और पारदर्शी नीतियों और विनियमों का अभाव भी हुआ है, जिसने देश में संसाधनों और अवसरों के असमान वितरण में योगदान दिया है। आय असमानता के मुद्दे को हल करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि देश के राजनीतिक और आर्थिक अभिजात वर्ग समानता औरसमावेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों और नियमों को लागू करें, और यह सुनिश्चित करें कि आर्थिक विकास के लाभ सभी नागरिकों के बीच उचित और समान रूप से साझा किए जाएं। भारत में वर्तमान कर प्रणाली अमीरों के पक्ष में है, जिसमें शीर्ष 1% आबादी कुल आयकर का केवल 3% भुगतान करती है। इसने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जहां अमीर और अमीर हो गए हैं जबकि गरीब पीछे रह गए हैं। बढ़ती हुई आय असमानता का समग्र रूप से अर्थव्यवस्था और समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। शोध से पता चला है कि आय असमानता के उच्च स्तर से सामाजिक और राजनीतिक अशांति हो सकती है, आर्थिक विकास में कमी आ सकती है और गरीबों के लिए आवश्यक सेवाओं तक पहुंच कम हो सकती है। भारत सरकार को इस बढ़ती हुई समस्या के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। इसमें प्रगतिशील कराधान को लागू करना, ग्रामीण विकास में निवेश करना, सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करना शामिल है। केवल आय असमानता के मूल कारणों को संबोधित करके ही हमसभी के लिए अधिक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज बना सकते हैं। अंत में, भारत में बढ़ती आय असमानता एक बड़ी चिंता का विषयहै जिसे तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है। ऐसा करने में विफल रहने से भविष्य में और अधिक सामाजिक और आर्थिक समस्याएं पैदा होंगी। यह सरकार के लिए सार्थक कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने का समय है कि आर्थिक विकास का लाभ आबादी के सभी वर्गों द्वारा साझा किया जाए| अंत में, आय असमानता एक जटिल मुद्दा है, जिसके कई कारण और निहितार्थ है| सरकार को सभी के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए काम करना चाहिए, गरीबी के मूल कारणों को दूर करने वाली नीतियों को लागू करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बहुराष्ट्रीय निगम अपने कर्मचारियों को उचित वेतन दें। इसके अतिरिक्त, निजी क्षेत्र को भी समान अवसरों को बढ़ावा देकर और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में निवेश करके आय असमानता को कम करने में भूमिका

भारत में बढ़ती आय असमानता के कारण ! Read More »