
परिवार की पांचों सीट हारेगी सपा, नहीं खुलेगा खाता : योगी आदित्यनाथ
लखीमपुर खीरी । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा का खाता भी नहीं

लखीमपुर खीरी । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा का खाता भी नहीं

Sitapur: Fiercely attacking the opposition, Chief Minister Yogi Adityanath called upon the people to wield their voting power against those

Mainpuri: Chief Minister Yogi Adityanath led an impressive roadshow in support of Jaiveer Singh, the Tourism Minister of the Yogi

Agra : Mounting a blistering attack on the opposition, Chief Minister Yogi Adityanath on Thursday stated that those against welfare

Bareilly: Highlighting the infrastructure development in Bareilly, Chief Minister Yogi Adityanath, on Wednesday, emphasized the emergence of a new identity

लखनऊ: योगी सरकार की निष्पक्ष एवं पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया लगातार जारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिशन रोजगार के तहत

लखनऊ, हमारा अन्नदाता किसान जब आपस में मिलता है तो राम-राम कहता है। आज अयोध्या में रामलला भी आ गए

लखनऊ: सीएम योगी की मंशा के अनुरूप नकलविहीन परीक्षाएं संपन्न कराने में जुटे यूपी बोर्ड ने सोमवार को हाईस्कूल

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि जिन पात्र व्यक्तियों को पक्का मकान नहीं मिल

लखनऊ| पहली मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद प्रारंभ होगी, जो 15 जून तक चलेगी। सरकार ने 2275 रुपये प्रति
नंदप्रयाग (चमोली):पहाड़ों के बीच बसा नंदप्रयाग नगर इन दिनों रामभक्ति में डूबा हुआ है। यहाँ 108 साल पुरानी ऐतिहासिक रामलीला चल रही है, जो पूरे इलाके की आस्था और एकता की पहचान मानी जाती है। रामलीला के तीसरे दिन सीता स्वयंवर का भव्य मंचन किया गया। मंच पर जनकपुरी का दृश्य ऐसा लगा जैसे मिथिला सचमुच उतर आई हो। कार्यक्रम की शुरुआत शाम को देवी वंदना से हुई। माँ दुर्गा की आरती श्री दुर्गा सिंह रौतेला ने की। उसी के साथ रामलीला का तीसरा दिन शुरू हुआ। इस दिन खास बात यह रही कि नंदप्रयाग की सभी शिक्षिकाओं को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया, जिससे समाज में नारी सम्मान और शिक्षा का सुंदर संदेश गया। राम और लक्ष्मण जब जनकपुरी पहुँचे, तो जनक की भूमिका निभा रहे नगर पंचायत अध्यक्ष श्री पृथ्वी सिंह रौतेला ने उनका स्वागत किया। इसके बाद शुरू हुआ सीता स्वयंवर — जहाँ देश-विदेश के राजा-महाराजाओं ने हास्य और मनोरंजन से भरपूर नाटक पेश किए। फिर आया वो पल जिसका सबको इंतज़ार था — जब भगवान श्रीराम ने शिव धनुष तोड़ा और माता सीता से विवाह किया। इस दृश्य पर पूरा मैदान “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। इसके बाद परशुराम प्रसंग का मंचन हुआ। बीएसएफ में तैनात श्री दुर्गा सिंह रौतेला, जो जम्मू-कश्मीर से खास तौर पर छुट्टी लेकर आए थे, ने परशुराम की भूमिका निभाई। उनके साथ लक्ष्मण बने अभिषेक कठैत का संवाद दर्शकों को बहुत पसंद आया। नंदप्रयाग की रामलीला सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी है। यहाँ हर साल मुसलमान भाई भी मंच पर कई किरदार निभाते हैं। यही वजह है कि यह रामलीला “आपसी भाईचारे” की पहचान बन चुकी है। इतिहास बताता है कि नंदप्रयाग की रामलीला की शुरुआत करीब 1917 में हुई थी। तब से आज तक यह परंपरा बिना रुके हर साल निभाई जा रही है। जो लोग नंदप्रयाग नहीं पहुँच सकते, वे इस रामलीला का सीधा प्रसारण फेसबुक पर “नंदप्रयाग सांस्कृतिक मंच” के पेज पर देख सकते हैं। भक्ति, कला और एकता का यह संगम नंदप्रयाग की पहचान बन चुका है — जहाँ हर साल धर्म और संस्कृति एक साथ खिलते हैं। रिपोर्ट: अतुल शाह, नंदप्रयाग
कानपुर। फेडरेशन ऑफ इंडियन जर्नलिस्ट एंड एक्टिविस्ट (फिजा) और गोल्डन क्लब के संयुक्त तत्वावधान में शहीद- ए- आजम भगत सिंह की जयंती पर रविवार को कानपुर मेट्रो में राष्ट्रभक्त ( पैट्रियट) राइड आयोजित की गई। यूपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का भी इसमें सहयोग रहा। मोतीझील से आईआईटी और फिर इसी रूट पर वापसी की गई। इसमें भगत सिंह से जुड़े चित्रों और पत्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस दौरान पूरे रूट पर भगत सिंह अमर रहें, भारत माता की जय के नारे लगे। फेडरेशन ऑफ इंडियन जर्नलिस्ट एंड एक्टिविस्ट के अध्यक्ष शांतनु चैतन्य ने कहा कि ये यात्रा प्रदर्शनी आयोजित करने के पीछे लक्ष्य यह है कि लोग देश के बलिदानियों को जानें और मानें। क्रांतिवीरों के सम्मान के लिए इस तरह के आयोजन आगे भी किए जाते रहेंगे। गोल्डन क्लब के संस्थापक अनुज निगम ने कहा कि भगत सिंह की जयंती पर प्रत्येक वर्ष हम लोग कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। क्रांतिकारियों से संबंधित कार्यक्रमों में जन जुड़ाव बढ़ना चाहिए। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से भारतेंदु पुरी, डॉ. नवीन वर्मा, संदेश तिवारी, अरुण कनौजिया, डीके सिंह, प्रखर श्रीवास्तव, प्रदीप निगम, नीरज सैनी आदि उपस्थित रहे।
शिक्षक दिवस पर हर साल हम उन महान व्यक्तित्वों को याद करते हैं जो हमारे जीवन को दिशा देते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन, 5 सितंबर को मनाया जाने वाला यह दिन न केवल शिक्षकों की कद्र करता है, बल्कि हमें याद दिलाता है कि एक अच्छा शिक्षक कितना बदलाव ला सकता है। आज हम बात करेंगे उत्तर प्रदेश के एक ऐसे शिक्षक की, जिनकी कहानी वायरल हो गई और लाखों लोगों के दिलों को छू लिया। उनका नाम है शिवेंद्र सिंह बघेल। यह कहानी न केवल उनकी यात्रा की है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में समर्पण, नवाचार और छात्रों से गहरा बंधन की है। यह उनके जीवन, संघर्षों, उपलब्धियों और शिक्षक दिवस के संदर्भ में प्रेरणा प्रदान करती है। प्रारंभिक जीवन: पत्रकारिता से शिक्षा की ओर एक कदम शिवेंद्र सिंह बघेल का जन्म उत्तर प्रदेश के एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे एक जिज्ञासु और महत्वाकांक्षी व्यक्ति थे। उनके पिता पूर्व में प्रधानाचार्य रहे थे, जबकि मां गृहिणी। ग्रामीण इलाके में बड़ा होने के कारण, शिवेंद्र ने जल्दी ही शिक्षा की कमी और ग्रामीण बच्चों के संघर्षों को करीब से देखा। स्कूल के दिनों में वे खुद एक औसत छात्र थे, लेकिन उनके शिक्षकों ने उन्हें प्रेरित किया। “मेरा पहला गुरु मेरे पिता जी थे, जिन्होंने हमेशा कहा कि पढ़ाई से बड़ा कोई धन नहीं,” शिवेंद्र अक्सर कहते हैं। कॉलेज के बाद, शिवेंद्र ने पत्रकारिता को अपना करियर चुना। वे विभिन्न समाचार संगठनों में रिपोर्टर के रूप में काम करने लगे। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रिपोर्टिंग करते हुए, उन्होंने शिक्षा प्रणाली की खामियों को गहराई से समझा। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों के बीच की दूरी, कम उपस्थिति, पुरानी शिक्षण विधियां – ये सब उन्हें परेशान करने लगे। “एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट के दौरान, मैंने देखा कि बच्चे स्कूल जाते ही नहीं थे। शिक्षक तो आते थे, लेकिन पढ़ाने का तरीका इतना कठोर था कि बच्चे डर जाते थे। मैंने सोचा, अगर मैं शिक्षक बनूं, तो इस अंतर को भर सकता हूं,” शिवेंद्र ने एक साक्षात्कार में बताया। 2018 में, शिवेंद्र ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी और उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट टीचर के पद के लिए आवेदन किया। चयन प्रक्रिया कठिन थी, लेकिन उनकी दृढ़ता ने काम किया। 7 सितंबर 2018 को उन्होंने चंदौली जिले के चकिया ब्लॉक के रतीगढ़ गांव स्थित कम्पोजिट विद्यालय में जॉइन किया। यह एक ऐसा स्कूल था जो पहाड़ी इलाके में स्थित था, जहां पहुंचना ही एक चुनौती था। स्कूल की स्थिति खराब थी – कम छात्र संख्या, पुरानी इमारतें और संसाधनों की कमी। लेकिन शिवेंद्र के लिए यह एक नया अध्याय था। स्कूल में प्रवेश: पहली चुनौतियां और नवीन शिक्षण विधियां रतीगढ़ स्कूल पहुंचते ही शिवेंद्र को वास्तविकता का सामना करना पड़ा। स्कूल में सैकड़ो छात्र थे, और उपस्थिति बहुत कम थी। बच्चे पहाड़ियों पर खेलना पसंद करते थे, स्कूल जाना बोझ लगता था। अन्य शिक्षक परंपरागत तरीके से पढ़ाते थे – ब्लैकबोर्ड पर लिखो, याद करो, परीक्षा दो। लेकिन शिवेंद्र कुछ अलग करना चाहते थे। “मैंने सोचा, शिक्षा मजेदार होनी चाहिए, न कि सजा,” वे कहते हैं। उनकी पहली नवाचार थी खेल-कूद को शिक्षा से जोड़ना। स्कूल के पास कोई खेल मैदान नहीं था, लेकिन शिवेंद्र ने पहाड़ियों पर क्रिकेट खेलना शुरू किया। “हम पहाड़ियों पर क्रिकेट खेलते थे। गेंद फेंकते हुए गिनती सिखाते, रन बनाते हुए जोड़-घटाव,” उन्होंने एक वीडियो में साझा किया। “मैं फेसबुक और ट्विटर पर वीडियो शेयर करता, ताकि गांव वाले देखें कि स्कूल में क्या हो रहा है। इससे नामांकन बढ़ा,” शिवेंद्र बताते हैं। एक और दिलचस्प विधि थी वर्णमाला सिखाने की। पारंपरिक तरीके से अ से ज्ञ याद करवाने के बजाय, उन्होंने अपनी खुद की राइम्स बनाईं। जैसे, “क से कबूतर उड़ गया फर फर, ख से खरगोश दौड़ा बड़ी जोर…” यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बच्चे इन राइम्स को गाते हुए सीखते, और जल्दी ही पूरे गांव में यह लोकप्रिय हो गया। “मैंने ऐसी वर्णमाला खुद लिखी है बच्चों के लिए, शायद इनको याद करवाने में सफल हो पाऊं,” उन्होंने ट्वीट किया। शिवेंद्र न केवल पढ़ाते थे, बल्कि छात्रों के साथ दोस्त बन जाते थे। वे जमीन पर बैठकर कहानियां सुनाते, पर्यावरण के बारे में बताते। एक बार, उन्होंने स्कूल में ‘बाल मेला’ आयोजित किया। 31 मार्च 2022 को यह इवेंट हुआ। अन्य शिक्षकों ने विरोध किया, कहा कि संसाधन नहीं हैं। लेकिन शिवेंद्र ने हार नहीं मानी। छात्रों ने स्टॉल लगाए – हस्तशिल्प, फल-सब्जियां बेचीं। पूरा गांव इकट्ठा हुआ, और सब कुछ बिक गया। माता-पिता ने धन्यवाद दिया और कहा, “हर साल 31 मार्च को आप आइए।” यह शिवेंद्र का सबसे यादगार पल था। “छात्र खुश थे, यही मेरी कमाई है,” वे कहते हैं। छात्रों से गहरा बंधन: एक परिवार जैसा रिश्ता शिवेंद्र के चार साल के कार्यकाल में, स्कूल बदल गया। नामांकन दोगुना हो गया, छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ा। वे छात्रों को दुनिया से जोड़ते – मोबाइल पर वीडियो दिखाते, करंट अफेयर्स सिखाते लेकिन चुनौतियां भी थीं। पहाड़ी इलाके में पहुंचने के लिए चार घंटे का सफर। बारिश में सड़कें फिसलन भरी, फिर भी शिवेंद्र रोज आते। अन्य शिक्षक कहते, “तुम युवा हो, ऊर्जा है। बाद में थक जाओगे।” लेकिन शिवेंद्र का मानना था, “शिक्षक का इमेज बदलना है। सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों जितने अच्छे हो सकते हैं।” शिक्षक दिवस पर स्कूल में विशेष आयोजन होते। 5 सितंबर को छात्र कार्ड बनाते, कविताएं सुनाते। शिवेंद्र कहते, “शिक्षक दिवस सिर्फ छुट्टी नहीं, बल्कि प्रतिबिंब का दिन है। हम सोचें, कितना बदलाव लाया।” एक शिक्षक दिवस पर, छात्रों ने शिवेंद्र को ‘बेस्ट टीचर’ का खिताब दिया। वे भावुक हो गए, “ये बच्चे मेरे परिवार हैं।” विदाई का दर्द: वायरल वीडियो और भावुक पल 2022 में, शिवेंद्र का ट्रांसफर होरी जिले के बीएसए ऑफिस में हो गया। 14 जुलाई 2022 को विदाई का दिन आया। स्कूल पहुंचे तो छात्र घेर लिया। “मत जाओ सर!” चिल्लाते हुए रोने लगे। वीडियो में दिखा, बच्चे शिवेंद्र को गले लगाए हुए हैं, सिसकियां ले रहे हैं। शिवेंद्र मुस्कुराते हुए कहते, “मैं आऊंगा, पढ़ाई जारी रखो।” लेकिन बच्चे नहीं छोड़ते। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया – लाखों व्यूज, शेयर्स। बीजेपी
कानपुर नगर के केशवपुरम निवासी श्री अभिषेक सिंह यादव ने हाल ही में दिल्ली के डॉ. करनी सिंह शूटिंग रेंज में आयोजित 28वीं प्री यूपी स्टेट (शॉट गन) प्रतियोगिता में शानदार उपलब्धि हासिल की है। यह प्रतियोगिता 23 जुलाई 2025 से 28 जुलाई 2025 तक चली, जिसमें प्रदेश भर के कई अनुभवी और प्रतिभाशाली निशानेबाजों ने हिस्सा लिया। अभिषेक लंबे समय से कोच पदम राज सिंह के मार्गदर्शन में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। प्रतियोगिता के क्ले पिजन डबल ट्रैप शूटिंग चैंपियनशिप में अभिषेक सिंह यादव ने उल्लेखनीय प्रदर्शन करते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। उनकी सटीक निशानेबाजी और आत्मविश्वास ने अन्य प्रतिभागियों के बीच एक अलग छाप छोड़ी। इस प्रतिस्पर्धी माहौल में अभिषेक ने अपनी क्षमता और समर्पण का प्रमाण दिया है। अभिषेक की इस उपलब्धि पर उनके कोच पदम राज सिंह, परिवारजनों और क्षेत्रवासियों ने खुशी जाहिर की है। कोच पदम राज सिंह का कहना है कि अभिषेक बेहद मेहनती और अनुशासित खिलाड़ी हैं, जिसमें हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की ललक रहती है। इस जीत से अभिषेक ने न सिर्फ अपने परिवार और कोच का नाम रोशन किया, बल्कि कानपुर नगर को भी गौरवान्वित किया है। अभिषेक सिंह यादव की यह सफलता अन्य युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है। उनकी लगन और समर्पण से यह साबित होता है कि मेहनत और सही मार्गदर्शन के बल पर हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। आने वाले प्रतियोगिताओं में भी अभिषेक से और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।
हरियाणा में बिजली की दरों में बढ़ोतरी पर विपक्ष द्वारा किए जा रहे हंगामे के बीच ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने मोर्चा संभाल लिया है। उनका कहना है कि विपक्ष लोगों का गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार ने कभी भी बिजली दरों में इजाफा नहीं किया। इस अवधि में बिजली उत्पादन की लागत लगातार बढ़ी है। ऐसे में हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग ने दरों में मामूली इजाफा किया है। सोमवार को चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में विज ने कहा कि भाजपा ने कभी भी मुफ्त बिजली देने का वादा नहीं किया। विपक्ष इस मामले में लोगों को भ्रमित कर रहा है। विपक्ष द्वारा किए जा रहे आंदोलन व प्रदर्शनों पर कटाक्ष करते हुए विज ने कहा – विपक्ष भाड़े के लोगों को लेकर प्रदर्शन करे। इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि 2 किलोवाट तक लोड वाले घरेलू उपभोक्ताओं के मासिक बिल में 2014-15 के मुकाबले 49 से 75 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसी तरह से कैटेगरी-।। के उपभोक्ताओं के बिलों में भी कमी दर्ज की है। विज ने साफतौर पर कहा कि प्रदेश में 94 लाभ उपभोक्ता कैटेगरी-। और कैटेगरी-।। में आते हैं। हरियाणा में घरेलू श्रेणी के लिए निश्चित शुल्क (फिक्स्ड चार्जेस) 0 रुपये से 75 रुपये प्रति किलोवाट तक और उच्चतम ऊर्जा स्लैब 7 रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट पर बनाए रखा है। पड़ोसी राज्यों में निश्चित शुल्क 110 रुपये प्रति किलोवाट तक और ऊर्जा शुल्क 8 रुपये प्रति यूनिट तक है। विज ने कहा कि संशोधित बिजली टैरिफ में सभी श्रेणियों के घरेलू उपभोक्ताओं के लिए न्यूनतम मासिक शुल्क (एमएमसी) को समाप्त किया है। किसानों को 10 पैसे प्रति यूनिट बिजली आपूर्ति विज ने कहा कि कृषि उपभोक्ताओं को पहले की तरह केवल 10 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली आपूर्ति हो रही है। यह टैरिफ मीटर्ड वाले उपभोक्ताओं के लिए है और 15 रुपये प्रति हॉर्स पावर के हिसाब से मासिक फ्लेट रेट तय किया हुआ है। किसानों को दी जा रही सस्ती बिजली की एवज में सरकार की ओर से बिजली कंपनियों को सब्सिडी (अनुदान) दिया जाता है। मीटर वाले कनेक्शन के लिए एमएमसी को घटाकर 180 रुपये (15 बीएचपी तक) और 144 रुपये (15 बीएचपी से ऊपर) कर दिया है।
हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए अच्छी खबर है। लगभग 13 वर्षों के बाद प्रदेश में ‘स्टेट गेम्स’ होंगे। हरियाणा ओलंपिक संघ ने ये खेल करवाने का निर्णय लिया है। स्टेट गेम्स इसी साल होंगे। इससे पहले 2012 में आखिरी बार स्टेट गेम्स हुए थे। हालांकि समय और जगह अभी तय नहीं की है। इसके लिए संघ ने सर्च कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। वहीं फुटबाल खिलाड़ियों के लिए ट्रायल 2 व 3 जुलाई को पंचकूला स्थित ताऊ देवीलाल स्टेडियम में होंगे। ट्रायल के लिए फुटबाल की एडहॉक कमेटी का गठन किया है। सोमवार को पंचकूला स्थित हरियाणा ओलंपिक संघ कार्यालय में हुई सालाना जनरल बॉडी और मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में ये निर्णय लिए गए। ओलंपिक संघ के अध्यक्ष जसविंद्र सिंह कप्तान (मीनू बेनीवाल) की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में संघ के महासचिव व हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार भी मौजूद रहे। बैठक में खिलाड़ियों की समस्याओं, खेल परिसरों में सुधार सहित कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। साथ ही, यह तय किया गया कि मैनेजमेंट कमेटी (प्रबंधन समिति) की बैठक अब हर माह के पहले मंगलवार को होगी। बैठक में संघ कोषाध्यक्ष मनजीत सिंह, उपाध्यक्ष – मुकेश शर्मा विधायक, नीरज तंवर, सुनील मलिक, अनिल खत्री, जितेंद्र सिंह व राकेश सिंह तथा कार्यकारी सदस्य रोहित पुंडीर, सुरेखा व प्रिया मौजूद रहे। वहीं एजीएम में सभी 22 जिलों के ओलंपिक संघ सचिव, खेल विश्विविद्यालय, पुलिस खेल टीम, एचएसआईआईडीसी तथा बिजली निगमों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। फुटबाल के लिए बनाई गई एडहॉक कमेटी का अध्यक्ष नीरज तंवर को बनाया है। कमेटी में अनिल खत्री, रोहित पुंडीर, सुरेखा व प्रिया को बतौर सदस्य शामिल किया है। बैठक में संघ अध्यक्ष जसविंद्र सिंह कप्तान (मीनू बेनीवाल) ने कहा कि सभी फेडरेशन को खिलाड़ियों को तैयार करने पर विशेष फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ओलंपिक संघ 2036 के ओलंपिक खेलों की तैयारियों के हिसाब से काम कर रहा है। कैबिनेट मंत्री व महासचिव कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेलों को लेकर काफी गंभीर हैं। उन्होंने सभी सांसदों को भी निर्देश दिए हुए हैं कि वे खेलों के साथ जुड़ें ताकि अच्छे खिलाड़ी तैयार किए जा सकें। उन्होंने कहा कि सभी खेल फेडरेशन का फर्ज बनता है कि वे अच्छे खिलाड़ी तैयार करें ताकि देश व प्रदेश का नाम रोशन हो।