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वरुण धवन की फिल्म “BAWAAL” थिएटर्स में नहीं OTT पर होगी रिलीज़, पोस्टर हुआ रिलीज़

  मुंबई, महाराष्ट्र | साल 2023 की मोस्ट अवेटेड फिल्मों में शामिल ‘बवाल’ (Bawaal) को अब आप थिएटर्स में नहीं देख पाएंगे। हालांकि, परेशान होने की जरूरत नहीं है। ये मूवी रिलीज तो होगी, लेकिन थिएटर्स की जगह ओटीटी पर। हाल ही में, मेकर्स ने ‘बवाल’ को ओटीटी पर रिलीज करने का फैसला किया है। साथ ही अब आपको फिल्म को देखने के लिए अक्टूबर तक का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि मूवी को तीन महीने पहले ही रिलीज कर दिया जाएगा। कब रिलीज होगी बवाल? नितेश तिवारी के द्वारा निर्देशित की गई फिल्म ‘बवाल’ को पहले सिनेमाघरों में रिलीज किया जाना था। पहले फिल्म को 7 अप्रैल 2023 को रिलीज किया जाना था, लेकिन फिर डेट को आगे बढ़ा दिया गया। मेकर्स ने अनाउंसमेंट की कि फिल्म 6 अक्टूबर 2023 को रिलीज होगी। हालांकि, अब अक्टूबर से पहले ही आप जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) और वरुण धवन (Varun Dhawan) की स्टारर फिल्म का लुत्फ उठा सकते हैं, लेकिन थिएटर्स में नहीं बल्कि ओटीटी पर। मेकर्स ने प्राइम वीडियो के साथ हाथ मिला लिया है और अब मूवी इसी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम होगी। साथ ही रिलीज डेट को भी अक्टूबर से जुलाई कर दिया गया है। हालांकि, अभी तक रिलीज डेट सामने नहीं आई है।

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CANADA : खालिस्तानी समर्थक और KTF प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या

नई दिल्ली | कनाडा के गुरु नानक सिख गुरुद्वारा, सरे में खालिस्तानी समर्थक और KTF प्रमुख हरीदप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. वह इस गुरुद्वारे का अध्यक्ष भी था. बताया जा रहा है कि गुरु नानक सिख गुरुद्वारा, सरे में दो अज्ञात बंदूकधारियों ने हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी. वह कनाडा में सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का प्रमुख चेहरा था. कौन है हरदीप सिंह निज्जर? हरदीप सिंह निज्जर पंजाब में जालंधर के फिल्लौर क्षेत्र के भरसिंहपुर गांव का रहने वाला है. वर्तमान समय में वह कनाडा के सरे में रह रहा था. जहां, वह सरे के गुरु नानक सिख गुरद्वारे का अध्यक्ष भी था. साल 2018 में जस्टिन ट्रूडो जब भारत की यात्रा पर आये थे तब उन्हें खालिस्तानी आतंकवादियों की एक सूची सौंपी गई उसमें निज्जर का भी नाम था. फिर, इसके बाद भारत सरकार ने साल 2020 में पंजाब में अलगाववाद को बढ़ावा देने के आरोप में खलिस्तान समर्थक संगठन के जिन 9 लोगों को आतंकवादी घोषित किया था, उसमें हरदीप सिंह निज्जर का भी नाम शामिल था. सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत खलिस्तान समर्थकों पर यह कार्रवाई की थी. ये 9 खलिस्तानी आतंकवादी पाकिस्तान सहित 5 अन्य देशों में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे. हरदीप सिंह निज्जर पिछले कई सालों से पंजाब में लगातार खालिस्तान टेरर फोर्स के मॉड्यूल को खड़ा करने की कोशिश में लगा था. उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भगोड़े खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. इसके साथ ही NIA ने जालंधर के भरसिंह पुरा गांव में उसकी संपत्तियां कुर्क भी की थी. हरदीप सिंह निज्जर ने दिसंबर 2015 में ब्रिटिश कोलंबिया के मिसीगन हिल्स में खालिस्तानी उग्रवादियों के लिए एक प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन किया था, जहां छोटे हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया था. निज्जर केटीएफ उग्रवादियों (KTF militants) को प्रशिक्षण देने और उन्हें भारत में सक्रिय करने में प्रमुख रूप से शामिल था. कुछ रिपोर्टों से यह भी संकेत मिलता है कि निज्जर एक अन्य कनाडाई निवासी मनदीप सिंह के साथ मिलकर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) जैसे संगठन को फिर से पूरी ताकत के साथ खड़ा करने का काम कर रहे हैं. हरदीप सिंह निज्जर पर दर्ज मामले साल 2010 में पंजाब पुलिस ने पटियाला में सत्य नारायण मंदिर के पास एक विस्फोट में शामिल होने के लिए हरदीप सिंह निज्जर के खिलाफ मामला दर्ज किया था. साल 2015 में धर्मगुरुओं की हत्या करने की साजिश रचने के आरोप में भी उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. साल 2016 में भी लुधियाना में डाक पुलिस स्टेशन में निज्जर के खिलाफ हिंसा भड़काने और आतंकी गतिविधियों को हवा देने के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. साल 2016 में ही उसके ऊपर तब मामला दर्ज किया गया, जब उसने कनाडा में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था. निज्जर पर क्या आरोप? हरदीप सिंह निज्जर पर आरोप था कि वह प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) का भारत में आतंकवादी हमले करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है और साजिश रच रहा है. निज्जर पंजाब में टारगेट मर्डर को अंजाम देने के इरादे से सहानुभूति रखने वालों का एक नेटवर्क विकसित कर विभिन्न मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम (एमटीएसएस) सेवाओं और हवाला चैनल के माध्यम से भारत में पैसा भेजता है. निज्जर पर आरोप था कि उसने भारत में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान में रहने वाले सहयोगियों से हथियारों और गोला-बारूद की व्यवस्था करने की कोशिश में जुटा रहता था. निज्जर, सिखों में अलगाववादी भावना भड़काने, भारत सरकार के खिलाफ आंदोलन करने और सोशल मीडिया पर पोस्ट, ऑडियो, वीडियो समेत विभिन्न संदेश के माध्यम से हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उकसाने की कोशिश करता था. बताया जाता है कि निज्जर, खालिस्तान टाइगर फोर्स के जगतार सिंह तारा और ISI के लोगों से मिलने के लिए साल 2013-14 में पाकिस्तान भी गया था. जगतार सिंह तारा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और बुडैल जेल ब्रेक में शामिल था, उसे साल 2015 में थाईलैंड में गिरफ्तार किया गया था. हरदीप सिंह पर कनाडा में क्या कार्रवाई ? हरदीप सिंह निज्जर के खिलाफ साल 2015 और 2016 में एक लुक आउट सर्कुलर और एक रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था. साल 2018 में उसे कनाडा के अधिकारियों ने कुछ समय के लिए हिरासत में लिया था, लेकिन फिर उस पर बिना कोई आरोप दायर किए उसे रिहा कर दिया गया था.

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Manipur Violence : मणिपुर में चल रही हिंसा के पीछे आखिर क्या है वजह ?

नई दिल्ली : मणिपुर में हिंसा की घटनाएं कम होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही हैं। हिंसा और आगजनी की इन घटनाओं के बीच बीजेपी नेताओं के घरों और ऑफिस को निशाना बनाया गया है। मणिपुर में केंद्रीय मंत्री आर.के. रंजन सिंह के आवास को गुस्साई भीड़ द्वारा आग के हवाले के किए जाने के अगले ही दिन बीजेपी के कई ऑफिस में तोड़फोड़ की खबर सामने आई। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष शारदा देवी के आवास पर भी हमला किया गया। मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा को महीने भर से ऊपर हो गया है। मणिपुर में एक महीने पहले मेइती और कुकी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है तथा कई लोगों के घायल होने की भी खबर है। इसी के चलते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पिछले महीने मणिपुर का दौरा किया था और राज्य में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी। बावजूद इसके हिंसा की घटनाएं कम नहीं हुई और विपक्षी दल इसको लेकर बीजेपी पर हमलावर हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थिति का आकलन करने और केंद्रीय बलों के बेहतर इस्तेमाल के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक एस. एल. थाउसेन को मणिपुर भेजा गया है। वर्तमान में, राज्य पुलिस बलों के अलावा मणिपुर में लगभग 30,000 केंद्रीय सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। इन बलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लगभग आठ बटालियन, सेना की 80 टुकड़ियां और असम राइफल्स की 67 टुकड़ियां शामिल हैं। इतना सब होने के बाद भी हिंसा पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। जिस तरीके से तेजी से बीजेपी नेताओं के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है उसके पीछे वजह बताई जा रही है मैतेई समुदाय का गुस्सा। प्रदेश में 60 में से 40 विधायक मैतेई समुदाय के ही है और इस समुदाय के लोगों कहना है कि इन विधायकों ने पीएम मोदी तक उनकी बात ठीक से नहीं पहुंचाई। मणिपुर में मैतेई समुदाय और कुकी जनजाति के बीच जो विभाजन हुआ है उसको कम करने की जिम्मेदारी असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को दी गई है। हालांकि इस फैसले को लेकर भी मैतेई समुदाय के भीतर असंतोष बताया जा रहा है। इस समुदाय के कुछ लोगों का कहना है कि वह उत्तर पूर्वी राज्यों की आवाज के प्रतिनिध नहीं हैं। मणिपुर हाई कोर्ट का एक आदेश था जिसमें सरकार को निर्देश दिया गया कि दस साल पुरानी सिफारिश को लागू करे जिसमें गैर जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई। इसके बाद मणिपुर में मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी। पिछले साल मणिपुर में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की थी। मणिपुर में 60 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली कांग्रेस के बाद दूसरी पार्टी बनी। बीजेपी की जीत कई मायनों में खास थी। बीजेपी की इस जीत के पीछे कई कारण गिनाए गए। राजनीति के जानकारों ने कहा कि बीजेपी यहां लोगों को अपने काम के बारे में समझाने में सफल रही। इसके साथ ही पहाड़ी और घाटी के बीच जो टकराव था उसको भी भी काफी हद तक सुलझाया गया। लेकिन अब पार्टी के सामने राज्य में यह एक नई चुनौती है। इधर मणिपुर मामले को लेकर विपक्षी दल पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस ने कहा कि पीएम मोदी मणिपुर पर मौन क्यों हैं। आम आदमी पार्टी मणिपुर हिंसा के बीच बीजेपी की विकास यात्रा को लेकर उसकी आलोचना की है। टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने मणिपुर में मौजूदा हिंसा की स्थिति के आकलन के लिए गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की है। साथ ही कहा कि जमीनी हकीकत को समझने और स्थिति की वास्तविक जानकारी होना आवश्यक है।

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क्या फिल्मों का टैक्स फ्री होना उनका Communal Politics में शामिल होने का नतीजा है ?

नई दिल्ली | जीएसटी (GST) कानून बनने के बाद कई राज्य सरकारों ने कई फिल्मों को टैक्स फ्री किया है। इसमें ‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘केरला स्टोरी’ भी शामिल हैं. इस संबंध में पहली बात तो यह है कि GST के कानून में टैक्स फ्री करने का जो प्रावधान है, उसके लिए जीएसटी परिषद की सिफारिश जरूरी है। अक्षय कुमार ने अपनी फिल्म ‘पैडमैन’ को 2018 में टैक्स फ्री करने के लिए जीएसटी परिषद का शुक्रिया अदा किया था। फिल्मों के टैक्स फ्री होने का एलान कौन करता है ? राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा फिल्मों के लिए जो टैक्स फ्री करने की घोषणा की जाती है, वह वास्तव में टैक्स से प्राप्त राजस्व को खर्च करने का फैसला होता है। सिनेमा के मालिक GST के उस हिस्से को वापस करने का दावा करते हैं, जो कि किसी राज्य के हिस्से का होता है। फिल्म टिकट पर कितना प्रतिशत GST लगता है? किसी सिनेमा हॉल या मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने के टिकट का दाम 100 रुपये से अधिक है, तो उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है और अगर टिकट की कीमत 100 से कम होती है, तो जीएसटी की दर 12 प्रतिशत हो जाती है. इसमें किसी भी राज्य का हिस्सा आधा होता है. दूसरा कि राज्यों द्वारा सिनेमा मालिकों को टैक्स का पैसा वापस करने के फैसले में समाज में आम लोगों के हितों का ध्यान नहीं रखा जाता है, बल्कि जिन फिल्मों को राजनीतिक लाभ का जरिया समझा जाता है, उसे ही सरकारों द्वारा टैक्स का पैसा वापस किया जाता है. कश्मीर फाइल्स और केरला स्टोरी उनमें शामिल है. यह विश्लेषण किया जा सकता है कि BJP शासित राज्यों ने किस तरह की फिल्मों को टैक्स का पैसा वापस करने की अधिसूचना जारी की. इससे पहले सर्जिकल स्ट्राइक के भी उदाहरण को शामिल किया जा सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि समाज की आधी आबादी की मानसिक शारीरिक समस्याओं पर केंद्रित अक्षय कुमार की फिल्म के लिए दर्शकों को रियायत देने में उन सरकारों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन महिलाओं के धर्म परिवर्तन की काल्पनिक कहानी ‘केरला स्टोरी’ के लिए BJP की राज्य सरकारें धड़ाधड़ ‘टैक्स फ्री’ करने की घोषणा के लिए एक-दूसरे के पीछे खड़ी हो गई. लेकिन जब टैक्स फ्री के लिए अधिसूचना जारी की तो उसमें टैक्स फ्री की कोई चर्चा नहीं थी. बल्कि सिनेमा मालिकों से राज्य सरकारों को ‘केरला स्टोरी’ के लिए दिए गए GST के पैसों को वापस लौटाने के फैसले की जानकारी दी गई है. यह मामला, तब सरकारी खाते से पैसे खर्च करने के मामले में तब्दील हो जाता है. हिंदी मीडियम भी ऐसी फिल्मों में शामिल हैं, लेकिन हिन्दी भाषा के लिए नहीं बल्कि ‘हिंदी’ के राजनीतिकरण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर जीएसटी के पैसे के बराबर की राशि को वापस करने की घोषणा की गई.

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एक्सप्रेस-वे की रफ्तार को तीव्र करेगी योगी सरकार

लखनऊ । उत्तर प्रदेश को ‘एक्सप्रेस प्रदेश’ बनाने की दिशा में कार्य कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप सरकार प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाने के लिए दिन-रात काम कर रही है। इसी क्रम में गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में यात्री सुविधाओं को लेकर इस वर्ष जारी होने वाले वार्षिक अनुदान किस्त की अदायगी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। प्रदेश सरकार ने इस संबंध में गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए 100 करोड़, जबकि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के लिए 40 करोड़ रुपए की किस्त जारी करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए योगी सरकार एक्सप्रेस-वे योजनाओं को गति दे रही है। यह सरकार के प्रयासों का ही असर है कि एक्सप्रेस-वे निर्माण की दिशा में यूपी तेजी से प्रगति कर रहा है। मेरठ से प्रयागराज रूट पर होगा काम प्रदेश में इस समय 7 एक्सप्रेस-वे क्रियाशील हैं, जबकि 6 निर्माणाधीन हैं। इनमें सबसे प्रमुख गंगा एक्सप्रेस-वे व बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे हैं, जो कई बड़े शहरों को कनेक्ट करते हैं। ऐसे में, मेरठ से प्रयागराज के मध्य बन रहे गंगा एक्सप्रेस-वे को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से 100 करोड़ रुपए की वार्षिक अनुदान किस्त जारी करने की हरी झंडी मिल गई है। गंगा एक्सप्रेस-वे की कुल अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपए है जिसमें से अब तक 4,775 करोड़ रुपए की धनराशि परियोजना के लिए जारी हो चुकी है, वहीं इस वर्ष इस क्रम में 100 करोड़ रुपए की धनराशि यूपीडा द्वारा जारी की जा रही है। गौरतलब है कि पीपीपी मॉडल के आधार पर 594 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे का प्रदेश में निर्माण किया जा रहा है और चार चरणों में पूर्ण होने वाली इस योजना की घोषणा नरेंद्र मोदी द्वारा 18 दिसंबर 2021 को शाहजहांपुर में की गई थी। वर्ष 2024 तक इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूर्ण होना अनुमानित है। बुंदेलखंड पर विशेष फोकस प्रदेश में बुंदेलखंड में विकास कार्यों में तेजी लाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है। पिछली सरकारों में यह क्षेत्र उपेक्षा का शिकार रहा, जबकि सीएम योगी के सत्ता संभालने के बाद इस क्षेत्र का प्रदेश के बाकी क्षेत्रों की तरह विकास सुनिश्चित हुआ है। हाल के दिनों में सीएम योगी ने यहां कई परियोजनाओं को प्रारंभ किया है तो वहीं, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के जरिए प्रदेश में आए 35 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश को धरातल पर उतारने के लिए जिन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है उनमें बुंदेलखंड भी प्रमुख है। यही कारण है कि आम लोगों की सुविधा, कनेक्टिविटी, परिवहन को सुगम बनाने और बुंदेलखंड में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ किया गया है। यह एक्सप्रेस-वे चित्रकूट को आगरा से लेकर प्रयागराज तक जोड़ता। प्रदेश सरकार ने यहां यात्री सुविधाओं समेत अन्य विकास परियोजनाओं के लिए वार्षिक अनुदान किस्त के तौर पर 40 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त करने को स्वीकृति दी है और यूपीडा को इस संबंध में आदेशित भी कर दिया है। गौरतलब है कि 14,849 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं के लिए अब तक 6,270 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। मौजूदा राशि का उपयोग परियोजना के दौरान अन्य निर्माण कार्यों, रख-रखाव समेत विभिन्न मदों में किया जाएगा।

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क्या चार्जशीट के बाद होगी बृजभूषण की गिरफ्तारी ? POCSO एक्ट क्या है ?

नई दिल्ली | बीजेपी सांसद बृजभूषण के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के दो मामलों में दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को चार्जशीट दाखिल की। नाबालिग द्वारा दर्ज केस में बृजभूषण को राहत देते हुए दिल्ली पुलिस ने POCSO का मामला रद्द करने की सिफारिश की है। जबकि 6 महिला पहलवानों द्वारा की गई शिकायत के मामले में दर्ज केस में पुलिस ने रॉउज एवन्यू कोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धारा 354, 354-A एवं D के तहत चार्जशीट दाखिल की है। अब इस केस में आगे क्या होगा? आइए जानते है कि 6 महिला पहलवानों की शिकायत पर चार्जशीट में जिन धाराओं का जिक्र हैं, वे क्या हैं और किन मामलों में लगाई जाती हैं तथा उनमें कितनी सजा का प्रावधान है। IPC की धारा 354 : अगर किसी महिला की मर्यादा और सम्मान को नुकसान पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना या उसके साथ गलत मंशा के साथ जोर जबरदस्ती की गई हो. सजा : इस धारा के तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर उसे कम से कम एक साल की सजा और अधिकतम 5 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है. गैर जमानती धारा : इसके तहत किया गया अपराध एक संज्ञेय और गैर-जमानती होता है यानी मजिस्ट्रेट कोर्ट ही मामले पर विचार करने और अभियोजन पक्ष और शिकायतकर्ता की दलीलें सुनने के बाद जमानत दे सकता है. IPC की धारा-354 ए : अगर कोई व्यक्ति शारीरिक संपर्क या अवांछित और स्पष्ट यौन संबंध का प्रस्ताव देता है या यौन अनुग्रह की मांग या अनुरोध करता है, महिला की इच्छा के बिना उसे अश्लील कंटेंट दिखाता या यौन संबंधी टिप्पणियां करता है, तो वह यौन उत्पीड़न के अपराध का दोषी होगा. सजा : अगर कोई उप-धारा (1) के खंड (i) या खंड (ii) या खंड (iii) के तहत दोषी पाया जाता है तो, उसे कठोर कारावास की सजा सुनाई जा सकती है. इस सजा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों ही सजा सुनाई जा सकती है. अगर कोई उप-धारा (1) के खंड (iv) में दोषी पाया जाता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों की सजा मिल सकती है. जमानती अपराध : यह मामला संज्ञेय है लेकिन जमानती अपराध है, जिसका अर्थ है कि शिकायत मिलने पर पुलिस को शिकायत दर्ज करनी होगी, लेकिन आरोपी को पुलिस स्टेशन से ही जमानत मिल सकती है. आईपीसी की धारा 354 डी : अगर कोई पुरुष किसी महिला का पीछा करता है और संपर्क करता है, या महिला की इच्छा के विरुद्ध या साफ मना करने के संकेत के बावजूद बार-बार व्यक्तिगत बातचीत को बढ़ाने के लिए संपर्क करने का प्रयास करता है; या इंटरनेट, ईमेल या इलेक्ट्रॉनिक संचार के किसी अन्य माध्यम का इस्तेमाल कर महिला की निगरानी करता है, वह स्टॉकिंग के तहत दोषी माना जाएगा. सजा : अगर आरोपी पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे तय कारावास की सजा हो सकती है, जिसके तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या उस पर जुर्माने ठोका जा सकता है. वहीं दूसरी या उससे ज्यादा बार दोषी पाए जाने पर तय कारावास की सजा हो सकती है, जिसे पांच साल तक बढ़ सकता है या जुर्माना लगाया जा सकता है. जमानती-गैरजमानती : अगर कोई इस धारा के तहत पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे जमानत मिल सकती है, लेकिन अगर कोई एक से ज्यादा बार यह हरकत करता है तो यह अपराध गैर जमानती हो जाता है. 7 साल से कम सजा में तुरंत गिरफ्तारी जरूरी नहीं। यानी बृजभूषण सिंह पर जो धाराएं लगी हैं, उनमें अगर उन्हें अधिकतम सजा भी होती है, तो वह 5 साल तक की ही होगी. सुप्रीम कोर्ट के 2 जुलाई 2014 को अरनेश कुमार बनाम बिहार सरकार के मामले में दिए गए फैसले के मुताबिक, जिन अपराधों में सात साल से कम की सजा है, उनमें पुलिस तत्काल गिरफ्तारी नहीं करेगी. पुलिस शिकायत के बाद आरोपी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुला सकती है. आरोपी जांच में सहयोग करता है तो गिरफ्तारी जरूरी नहीं है. अगर लगता है कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे या देश से भाग सकते हैं, तभी गिरफ्तार करेगी. पुलिस के मुताबिक, बृज भूषण को जब भी जांच संबंधी संपर्क किया गया, उन्होंने पूरा सहयोग किया, इसलिए उनकी गिरफ्तारी की कोई खास वजह नहीं थी। POCSO एक्ट में मिली राहत दिल्ली पुलिस की ओर से बृजभूषण को POCSO एक्ट में दर्ज केस के मामले में बड़ी राहत मिली है। दरअसल, अपने बयान में पहले जहां नाबालिग महिला पहलवान ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। हालांकि, बाद में उसने बयान में बदलाव करते हुए कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष पर भेदभाव का आरोप लगाया थे। दूसरे बयान में नाबालिग ने यौन शौषण का आरोप वापस लेते हुए कहा कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ था, मैंने बहुत मेहनत की थी, मैं डिप्रेशन में थी। इसलिए गुस्से में यौन शौषण का मामला दर्ज करवाया था। ऐसे में पुलिस ने POCSO को वापस लेने की सिफारिश की थी। क्या है POCSO एक्ट ? POCSO यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट। इस कानून को 2012 में लाया गया था। ये बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को अपराध बनाता है। ये कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों, दोनों पर लागू होता है। इसका मकसद बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाना है। पॉक्सो एक गैर-जमानती अपराध है। इसमें दोषी पाए जाने पर कम से कम 7 साल की जेल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। अगर बृजभूषण के खिलाफ POCSO के तहत चार्जशीट दाखिल होती तो उनकी मुसीबतें बढ़ सकती थी। क्या चार्जशीट के बाद पहलवानों का आंदोलन होगा खत्म? 7 जून को पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के बुलावे पर उनके घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। 6 घंटे तक चली इस बैठक में अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि इस मामले में 15

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मणिपुर | मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा है। मैतेई और कुकी समुदाय के लोग आमने-सामने हैं। 3 मई को शुरू हुई हिंसा लगातार जारी है। गुरुवार, 15 जून की रात को इंफाल में भीड़ ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह के घर पर हमला बोल दिया। इस दौरान भीड़ ने केंद्रीय मंत्री के घर में आग लगा दी। अधिकारियों ने बताया कि घटना के वक्त केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री अपने घर में नहीं थे। कर्फ्यू के बावजूद हुआ हमला इंफाल में कर्फ्यू के बावजूद भीड़ मंत्री के कोंगबा स्थित आवास तक पहुंच गई। घटना के समय मंत्री के आवास पर नौ सुरक्षा एस्कॉर्ट कर्मी, पांच सुरक्षा गार्ड और आठ अतिरिक्त गार्ड ड्यूटी पर थे। मंत्री के घर पर मौजूद एक सुरक्षाकर्मी के मुताबिक भीड़ ने हमले के दौरान चारों दिशाओं से पेट्रोल बम फेंके। “हम इस घटना को रोक नहीं सके, क्योंकि भीड़ बहुत अधिक थी और हम स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सके. उन्होंने सभी दिशाओं से पेट्रोल बम फेंके.. बिल्डिंग के पीछे वाली गली से और सामने के प्रवेश द्वार से, इसलिए इसलिए हम भीड़ को नियंत्रित नहीं कर सके.” एल दिनेश्वर सिंह, एस्कॉर्ट कमांडर बताते चलें कि, पिछले महीने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह ने मणिपुर के मैतेई और कुकी समुदायों के बुद्धिजीवियों के एक समूह के साथ बैठक की थी, जिसमें हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य में शांति स्थापित करने को लेकर चर्चा की गई थी। मंत्री नेमचा किपगेन के घर पर भी हमला इससे पहले उपद्रवियों ने मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के सरकारी आवास में बुधवार, 14 जून को उपद्रवियों ने आग लगा दी। हालांकि घटना के वक्त आवास के अंदर कोई नहीं था। बता दें कि किपगेन कुकी समुदाय की नेता हैं। वहीं बुधवार, 14 जून को पूर्वी इंफाल के कांगपोकपी और उखरूल जिले में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने इगिजांग गांव पर खतरनाक हमला किया था, जिसमें कम से कम 13 नागरिकों की मौत हो गई थी। इसमें मुख्य रूप से स्वयंसेवक नागरिक शामिल थे।

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उत्तर प्रदेश : सिद्धार्थनगर DM पर भड़के MLA विनय वर्मा, जमकर हुई बहसबाजी, देखिये वीडियो

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के कलेक्ट्रेट सभागार में शोहरतगढ़ से अपना दल विधायक विनय वर्मा और जिलाधिकारी संजीव रंजन के बीच बहस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में विधायक विनय वर्मा डीएम पर भड़कते दिख रहे हैं। वायरल वीडियो में विधायक चिल्लाते हुए डीएम से अपने प्रश्नों के जवाब मांगते नजर आ रहे हैं। https://www.instagram.com/reel/CtitLQvITUA/?utm_source=ig_web_copy_link&igshid=MzRlODBiNWFlZA== आखिर क्यों हुई बहस विधायक का कहना है कि उनके प्रश्नों का जवाब लिखित में दिया जाए। उनका आरोप है कि कोई अधिकारी जवाब नहीं देते हैं। वीडियो में विधायक डीएम से कह रहे हैं – “आपसे भी पूछा लेकिन आपने ने भी कोई जवाब नहीं दिया।” दरअसल, विधायक वर्मा अपने क्षेत्र में चल रहे कार्यों की जानकारी मांग रहे थे। इस दौरान विधायक वर्मा गुस्से में अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर देते हैं, जिसके बाद अधिकारी मीटिंग का बहिष्कार करते हुए उठ खड़े होते है। बाद सभी अधिकारियों को दोबारा समझाकर बैठाया जाता है। क्या बोले DM ? इस मामले में डीएम संजीव रंजन ने कहा कि यह कोई बहस का मामला नहीं है। विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में किए गए कार्यों की जानकारी मांग रहे थे। जिनकी जानकारी उनको उपलब्ध करवा दी गई। उन्होंने इसका लिखित में भी जवाब मांगा है, वो भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

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Cyclone Biporjoy ने लिया खतरनाक रूप, फ़िलहाल गुजरात में स्थित, पहुँच सकता है राजस्थान, देखिये EXCLUSIVE VISUALS

Cyclone Biparjoy Updates: चक्रवाती तूफान बिपोर्जॉय गुजरात में एंट्री ले चुका है. इसके चलते यहां के सौराष्ट्र और कच्छ के तटीय इलाकों में इसका लैंडफॉल भी शुरू हो गया. चक्रवात के चलते गुजरात के कई इलाकों में झमाझम बारिश हो रही है और 100 से 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं. बिपोर्जॉय गुजरात से अब आगे बढ़ने की फिराक में है. ऐसा माना जा रहा है कि बिपोर्जॉय तूफान 16 जून को राजस्थान में अपना कहर दिखा सकता है. इसके चलते मौसम विभाग ने पूरे राजस्थान में रेड अलर्ट जारी कर दिया है. मौसम विभाग की मानें तो आज बाड़मेर, जालौर, जैसलमेर और जोधपुर समेत आसपास के कई क्षेत्रों में झमाझम बारिश और तूफान की आशंकाएं हैं. कच्छ पर स्थित चक्रवाती तूफान (Cyclonic Storm) “बिपारजॉय” सौराष्ट्र- कच्छ पर स्थित प्रचण्ड चक्रवाती तूफान (Severe Cyclonic Storm) “बिपारजॉय” पिछले 6 घंटों के दौरान पूर्व-उत्तरपूर्व दिशा मे 10 किमी प्रति घंटे की गति करते हुए एक चक्रवाती तूफान में कमजोर हो गया और आज 16 जून 2023 को भारतीय समयानुसार 08:30 बजे, सौराष्ट्र- कच्छ पर लगभग 23.4°N अक्षांश और 69.5°E देशांतर के पास, भुज से 30 किमी पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में स्थित था। इसके लगभग पूर्व-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ने और आज, 16 जून की शाम के आसपास एक गहन अवदाब (deep depression) में कमजोर होने की संभावना है। गुजरात को पूरी रात झकझोरने वाले बिपरजॉय चक्रवात की तीव्रता धीरे-धीरे कम हो रही है। आज दोपहर 12 बजे के करीब बिपरजॉय भुज से 40 किमी उत्तर में था। गुजरात में मौसम विभाग की वैज्ञानिक मनोरमा मोहंती ने बताया है कि सुबह की तुलना में दोपहर बाद चक्रवात की तीव्रता काफी कम हुई है। शाम तक और तीव्रता कम हो जाएगी, उसका रास्ता पूर्वोत्तर दिशा में कच्छ के ऊपर है। उत्तर गुजरात में इसका प्रभाव दिखेगा।

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UP News: 22 जून तक होगा 14 किलो गेहूं और 21 किलो चावल का मुफ्त वितरण

उत्तर प्रदेश । प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत आवश्यक वस्तुओं का निःशुल्क वितरण आगामी 22 जून, 2023 तक कराया जा रहा है। इस अवधि में बाजरा वाले तीन जिलों बदायूं, बुलंदशहर तथा कानपुर नगर को छोड़कर अन्त्योदय कार्डधारकों को 14 किग्रा गेहूं और 21 किग्रा चावल (35 किलो खाद्यान्न) तथा पात्र गृहस्थी राशन कार्डों से सम्बद्ध यूनिटों पर दो किग्रा गेहूं व तीन किग्रा चावल प्रति यूनिट का निःशुल्क वितरण कराया जा रहा है।

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